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विषय-सूची
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रोग परीषह तुणस्पर्श सहन मलपरीषह सहन सत्कार पुरस्कार परीषह प्रज्ञा परीषह अज्ञान परीषह अदर्शन सहन उपसर्ग सहन
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सप्तम अध्याय
४९६ विनय तपा
४८६ आलोचनाका देशकाल ४८७ आलोचनाके दस दोष ४८७ आलोचनाके बिना तप कार्यकारी नहीं ४८७ प्रतिक्रमणका लक्षण ४.८ तदुभयका लक्षण ४८८ विवेकका लक्षण ४८९ व्युत्सर्गका स्वरूप ४९०
तप प्रायश्चित्त आलोचनादि प्रायश्चित्तोंका विषय
छेद प्रायश्चित्तका लक्षण ४९२ मूल प्रायश्चित्त , ४९२ परिहार प्रायश्चित्त,, ४९३ श्रद्धान प्रायश्चित्त , ४९४ अपराधके अनुसार प्रायश्चित्त ४९५ व्यवहार और निश्चयसे प्रायश्चित्तके भेद
विनय तपका लक्षण - ४९६ विनयशब्दकी निरुक्ति । ४९७ विनय रहितकी शिक्षा निष्फल - ४९८ विनयके भेद । ४९८ सम्यक्त्व विनय । ४९९ दर्शन विनय और दर्शनाचारमें अन्तर " ४९९ आठ प्रकारको ज्ञानविनय । ५०० ज्ञानविनय और ज्ञानाचारमें भेद - ५०१ चारित्र विनय । ५०१ चारित्र विनय और चारित्राचारमें भेद ५०२ औपचारिक विनयके सात भेद . ५०३
वाचिक भेद । ५०३ मानसिक औपचारिकके भेद ५०४ तपोविनय । ५०६ विनय भावनाका फल - ५०७ वैयावृत्य तप ५०८ वैयावृत्य तपका फल ५०९ स्वाध्यायका निरुक्तिपूर्वक अर्थ ५११ वाचनाका स्वरूप ५११ पृच्छनाका स्वरूप ५११ अनुप्रेक्षाका स्वरूप ५१२
___ आम्नाय और धर्मोपदेश ५१३ धर्मकथाके चार भेद
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तपकी व्युत्पत्ति तपका लक्षण तपके भेद अनशनादि बाह्य क्यों बाह्य तपका फल • रुचिकर आहारके दोष अनशन तपके भेद उपवासका लक्षण अनशन आदिका लक्षण उपवासके तीन भेद उपवासके लक्षण बिना शक्तिके भोजन त्यागने में दोष अनशन तपमें रुचि उत्पन्न करते हैं आहार संज्ञाके निग्रहकी शिक्षा अनशन तपकी भावना अवमौदर्यका लक्षण बहुत भोजनके दोष मिताशनके लाभ वृत्तिपरिसंख्यान तपका लक्षण रसपरित्यागका लक्षण रसपरित्यागका पात्र विविक्तशय्यासनका लक्षण कायक्लेशका लक्षण अभ्यन्तर तप प्रायश्चित्तका लक्षण प्रायश्चित्त क्यों किया जाता है प्रायश्चित्तकी निरुक्ति आलोचना प्रायश्चित्त
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५२८ ५२९ ५२९ ५३० ५३१ ५३१ ५३२ ५३२ ५३४
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