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________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा अर्थात् जहरी पदार्थ अधिक होते हैं एवं उन्हें बाहर निकालने के लिए किडनी को अधिक कार्य करने पड़ते हैं। सुअरकी परिवर्तित सफेद चर्बी लार्ड (Lard) सरलता से पचती नहीं है। व्यापारी बेकरीवाले एवं अनेक प्रसिद्ध ब्रान्ड की बनावटों (उत्पादनों) में इसका विपुल प्रमाण में उपयोग किया जाता है। शाकाहारी दूध में किरणोत्सर्ग की मात्रा कम होती है। सामान्य रूप से गाय-भैंस के दूध में स्ट्रोन्टीयम ९० तत्व के ९८ काउन्ट होते हैं जबकि शाकाहारी दूध में सिर्फ २.१ काउन्ट होते हैं। स्त्री की तुलना में गाय-भैंस के दूध के घटक द्रव्य अलग प्रकार के होते हैं। गाय-भैंस के घटक द्रव्य उसके विकास में सहायक होते हैं जबकि स्त्री का दूध शरीर के अन्य अवयवों के विकास से अधिक ज्ञानतंतुओं का द्रुतगति से विकास करते हैं। केल्सीयम का स्रोत मात्र गाय-भैंस का दूध ही नहीं है। गाय-भैंस के दूध में प्रति १०० ग्राम में मात्र १२० mg केल्शियम होता है जबकि ब्राजिल की बदाम में १७६ से १८६ mg, साधारण बदाम में २३४ mg से २४७ mg, कोबीज में १७९ से २०० mg, समुद्री कोबीज में १००० mg, बिनाकूटे तिल में ११६० mg केल्शियम होता है। इसके अलावा अन्य स्रोतों से भी केल्शियम प्राप्त होता है। आर्थिक एवं पर्यावरण पर प्रभावः माँस का पेकिंग करनेवाले कारखाने कचरा एवं निरर्थक पदार्थों, रसायणों, ग्रीस आदि को शहर की गटरों में डालते हैं। वही पानी हमारी नदियों में आता है, जिससे नदियों का पानी प्रदूषित हो जाता है। कत्लखाने एवं मांसाहार के उत्पादक जमीन, पानी एवं हवा को अत्यंत खराब तौर से प्रदूषित नाते हैं। माँ एवं डेयरी उत्पादनों में शाकाहार की तुलना में ८ गुने पानी का उपयोग होता है । शाकाहारी व्यक्ति को सिर्फ १४८ एकर जमीन चाहिए जबकि मांसाहारी व्यक्ति को २ एकर जमीन की आवश्यकता पडती विश्व की आधे से अधिक प्रजा भूख और अपूर्ण पोषण में जी रही हैं। अभी १९९६ में ८० लाख टन खाद्यान्न की कमी है जिसकी २००० के वर्ष में १००० लाख टन होने की संभावना है। यदि पूर्ण रूपेण शाकाहार अपनाया जाये तो भूखमरा का पूर्ण अंत हो सके। विकल्पः आहार के विकल्पः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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