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करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा रक्तवाहिनियों में इकट्ठा होता है। यह संतृप्त चर्बी समस्त प्राणिज चर्बी, घी
और कुछ वनस्पतियों, तेल उदारणार्थ नारियल का तेल पामोलिन आदि में होती है। कुछ शाकाहारियों में भी कॉलेस्टेरोल का प्रमाण अधिक होता है क्योंकि वे अपने भोजन में संतृप्त चर्बीयुक्त पदार्थों का उपयोग अधिक करते हैं यदि कॉलेस्टेरोल का प्रमाण कम करना हो तो संतृप्त चर्बीयुक्त आहार पूर्ण रूप से बंद करना चाहिए।
अन्य वनस्पति तेलों में अधिकांशतः असंतृप्त चर्बी होती है। वास्तव में संतप्त और असंतृप्त दोनों प्रकार की चर्बी कैलोरी संग्रह करने के माध्यम हैं। अतः सभी को अपने भोजन में असंतृप्त चर्बी वाले भोजन का भी सर्वाधिक कम उपयोग करना चाहिए।
बिना तला हुआ और किसी भी प्रकार का, तेल रहित शुद्ध शाकाहार ही स्वस्थ आहार है। ऐसा आहार करने वाले को कॉलेस्टेरोल का कोई कष्ट नहीं होता। विटामिन B12
उत्तम रक्त और चेतातंत्र (ज्ञानतंतु) के लिए विटामिन B12 आवश्यक हैं वैसे प्रत्येक व्यक्ति को पूरे दिन में मात्र दो माइक्रोग्राम विटामिन B12 की आवश्यक्ता होती है। विटामिन B12 कोई वनस्पति या अन्य कोई प्राणी नहीं बनाते हैं लेकिन हमारे पाचनतंत्र में विद्यमान बेक्टेरिया (जीवाणु) ही उसे उत्पन्न करते हैं। मनुष्य के पाचनतंत्र में स्थित बैक्टेरिया विटामिन B12 उत्पन्न करते हैं। लेकिन किन्हीं कारणों से मनुष्य उसका उपयोग नहीं कर पाता है। गाय-भैंस के पाचन तंत्र में उसके बैक्टेरीया विटामिन B12 बनाते हैं और उसका अपने शरीर में पोषण करते हैं। इस कारण से डेयरी पदार्थों में विटामिन B12 होते हैं।
यदि तुम संपूर्ण शाकाहारी (Vegan) अर्थात् दूध, दही, घी सहित किसी भी प्राणिज पदार्थ का उपयोग नहीं करते हो तो तुम्हें विटामिन B12 योग्य प्रमाण में प्राप्त नहीं होत सकता है। यदि तुम विटामिन B12 के लिए प्राणिज्य पदार्थ दूध, दही, घी के उपयोग का निश्चय करो तो इस भोजन के साथ विपुर प्रमाण में कॉलेस्टेरोल और चर्बी भी तुम्हारे शरीर में बढेगी साथ ही शाकाहारी खुराक कम लोगे तो कार्बोदित पदार्थ और फाईबर भी कम प्राप्त होंगे इस कारण डेयरी उत्पादन और प्राणिज्य पदार्थों के अलावा अन्य पदार्थों में से शाकाहारी मनुष्यों को विटामिन B12 प्राप्त करना चाहिए।
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