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________________ करुणा-स्रोतः आचरण में अहिंसा दूध उत्पादन की प्रक्रिया में निम्नलिखित प्रक्रिया सर्वाधिक निर्दय है जो भारत, अमरीका एवं समग्र विश्व में समान ही है। • अधिक दूध के उत्पादन की लालच में उन्हें निरंतर सगर्भावस्था में रखा जाता है ऐसी ही सगर्भावस्था में उनका दोहन किया जाता है। • पाँच-छ महिनों में ही कोमल माँस उद्योग में अथवा पाँच वर्ष में ही माँस उद्योग में ७० से ८० प्रतिशत बछड़े या पाड़ो का कत्ल कर दिया जाता है। • दूधारु गाय-भैंस को सिर्फ चार प्रसूति के पश्चात् ही अर्थात् पाँच वर्षों के पश्चात् ही कत्लखाने भेज दिया जाता है, जबकि इन पशुओं की औसतन आयु १५ वर्ष की होती है। ओरगेनिक दूधः सामान्यतः ओरगेनिक दूध की गौशालायें बडी फेक्टरी स्वरूप डेयरी फार्म से छोटी होती हैं। ऐसे दूध उत्पादक दूध उत्पादन में एन्टीबायोटिक्स दवायें, पेस्टीसाइड्स एवं होर्मोन्स का उपयोग नहीं करते । वे गाय-भैंस के दूध में अन्य पदार्थ भी नहीं मिलाते । यद्यपि गोपालकों या किसानो द्वारा दूध में तदनुरूप पदार्थों को मिलाने से रोकने, प्राणियों का शोषन या दुरुपयोग रोकने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है। बहुत ही कम ऐसी गौशालायें हैं जहाँ गाय-भैंस को उसकी दूध देने की क्षमता के लिए पाँच-छ वर्षों तक योग्य रीति से रखने की व्यवस्था है। दूध की मात्रा निरंतर एक सी बनी रहे इस हेतु ओरगेनिक गौशालाओ में• कृत्रिम गर्भाधान या अन्य साधनों की सहायता से गाय-भैंस को निरंतर सगर्भावस्था में रखा जाता है। • छोटे-छोटे शिशु बछड़ो को कोमल माँस (Veal) उद्योग में बेच दिया जाता है जहां छह महिनों में ही उनका कत्ल कर दिया जाता है। • पाँच वर्ष के पश्चात् ही पुख्तवय की गाय-भैंस को कत्लखाने में बेच दिया जाता है। • इस परिप्रेक्ष्य में विचार करें तो ओरगेनिक दूध ही गौशालायें भी निर्दयता से मुक्त नहीं है। अमरीकन कत्लखाने का गणितशास्त्रः १२ मई १९९६ के न्यूयोर्क टाइम्स के अनुसार अमरिका के कत्लखानों में निम्न अनुसार प्राणियों की कत्ल होती है। प्राणी-पक्षी प्रतिदिन कत्ल कि जाने वाले प्राणियों की संख्या गाय-भैंस वगैरह १,३०,००० 14 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.000225
Book Title$JES 921H Karuna me Srot Acharan me Ahimsa Reference Book
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPramoda Chitrabhanu, Pravin K Shah
PublisherJAINA Education Committee
Publication Year2006
Total Pages90
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Jaina_Education, 0_Jaina_education, D000, & D005
File Size657 KB
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