Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री औपपातिक सूत्र ॥श्री आगम-गुण-मञ्जूषा॥ ॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11 (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE | ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय | ११ अंगसूत्र के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८० श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है। करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है। धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२ १२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory OG5555555555555555555555555555555555555555555555553535959595959OLICE Gan Education Interna rnww.iainelibrary.orp) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३) श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है। जीव और अजीव के बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताई है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पन्नवणासूत्र के ही पदार्थ है। यह आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४) श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है। इसमे ३६ पदो का वर्णन है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। ५) ६) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, २२०० श्लोक है। ७) श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है । ६ आरे के स्वरूप बताया है । ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। ९) ८) श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे गये उसका वर्णन है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्मकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है। चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। १२) श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली परचक भी कहते है। दश प्रकीर्णक सूत्र १) श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है । २) श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना और मृत्युसुधार ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार ( १ ) भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है । ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन है । इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। ७) श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने में समजाया गया है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित अन्य बातों का वर्णन है। १०) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। MO६५६६५६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ श्री आगमगुणमंजूषा H Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KGRO १०C) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबंधित बड़े ग्रंथो का सार है। उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। छह छेद सूत्र (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है। अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि से करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। चार मूल सूत्र १) श्री दशवैकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए र तिवाक्या व, विवित्तचरिया नाम से दी हैं। इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। २) श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। International 2010 03. 乐乐乐乐乐乐出乐城 ३) श्री निर्युक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ निर्युक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं। पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताई हैं । ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं । ४) श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बड़े सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रातः एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ श्री आगमगुणमंजूषा I २) श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गई है। अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पडती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम् ॥ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOX ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶KK Introduction 45 Agamas, a short sketch YURALSEA PERLA RADIO Quan Bài 3 Bà Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là 35 3 3 20 It is of the size of around 800 Ślokas. (8) Antagaḍa-daśānga-sutra: It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vṛṣṇi, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akṣobhakumāra, 6 sons of Devaki, Gajasukumara, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Kṛṣṇa, 8 queens like Rukmiņi. It is available of the size of 800 Ślokas. (9) Anuttarovavayi-daśānga-sūtra : It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimāna, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumara and other 9 princes of king Śrenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Apagara, etc. It is of the size of 200 Ślokas. I Eleven Angas: (1) Acărănga-sutra: It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 Ślokas. (2) Suyagaḍānga-sutra: It is also known as Sūtra-Kṛtānga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 Ślokas. (3) Thapanga-sutra: It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 Slokas. (4) Samaväyänga-sutra: This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 slokas. (5) Vyakhyā-prajñapti-sūtra : It is also known as Bhagavati-sūtra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 Ślokas. (6) Jäätädharma-Kathānga-sutra: It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 Ślokas. SEVEN A (7) Upāsaka-daśānga-sutra: It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahāvīra, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. (10) Praśna-vyākaraṇa-sūtra: It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahavira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 Ślokas. Vipaka-sūtranga-sutra: It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 Ślokas. (11) II Twelve Upangas (1) Uvavayi-sutra: It is a subservient text to the Acaranga-sutra. It deals with the description of Campă city, 12 types of austerity, procession-arrival of Konika's marriage, 700 disciples of the monk Ambaḍa. It is of the size of 1000 slokas. (2) Rayapaseni-sutra: It is a subservient text to Suyagaḍanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 Ślokas. www.jainelibrary Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ShhhhĀMhMMMMMMMMMMMÁR ૪૫ આગમ સરળ અગ્રજી ખાવાથ (3) Jivabhigama-sutra: It is a subservient text to Thaṇānga-sūtra. It deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambu continent and its areas, etc. and the detailed description of the veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, etc. published recently are composed on the line of the topics of this Sūtra and of the Pannavaṇa-sutra. It is of the size of 4700 slokas. (4) Pannāvaṇā-sūtra : It is a subservient text to the Samavāyāngasūtra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 Ślokas. (5) Surya-prajñapti-sūtra and (6) Candra-prajñapti-sutra: These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, northward and the southward solstices, etc. Each one of these Agamas are of the size of 2200 Ślokas. (7) Jambudvipa-prajñapti-sūtra: It mainly deals with the teaching of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners (āra). It is available in the size of 4500 Slokas. Nirayavali-pancaka: (8) Nirayavali-sütra: It depicts the war between the grandfather and the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death of king @renika's 10 sons who attained hell after death. This war is designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpiņi) age. (9) Kalpavatamsaka-sutra: It deals with the life-sketches of Kalakumara and other 09 princes of king Śrenika, the life-sketch of Padamakumpra and others. (10) Pupphiya-upanga-sutra: It consists of 10 lessons that covers the topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikă, Pūrṇabhadra, Manibhadra, Datta, Sila, Bala and Anaḍdhiya. (11) Pupphaculiya-upanga-sutra: It depicts previous births of the 10 queens like Sridevi and others. (12) Vahnidaśā-upanga sutra: It contains 10 stories of Yadu king Andhakavṛṣṇi, his 10 princes named Samudra and others, the tenth Cain Education International 2010 03 JARNANAK one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişaḍha. JARD DA DA DA DA DAS III Ten Payanna-sutras : (1) Aurapaccakhāṇa-sūtra : It deals with the final religious practice and the way of improving (the life so that the) death (may be improved). (2) Bhattaparinna-sūtra : It describes (1) three types of Pandita death, (2) knowledge, (3) Ingini devotee (4) Padapopagamana, etc. (4) Santharaga-payanna-sutra: It extols the Samstaraka. ** These four payannas can also be learnt and recited by the Jain householders. ** (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It describes what amount of food an individual soul will eat in his life of 100 years, the human life can be justified by way of practising a religious life. (6) Candavijaya-payanna-sutra: It mainly deals with the religious practice that improves one's death. (7) Devendrathui-payanna-sūtra : It presents the hymns to the Lord sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. (8) Maraṇasamadhi-payanna-sūtra : It describes at length the final religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing with death. (9) Mahāpaccakhāṇa-payanna-sūtra : It deals specially with what a monk should practise at the time of death and gives various beneficial informations. (10) Gaṇivijaya-payanna-sutra: It gives the summary of some treatise on astrology. These 10 Payannās are of the size of 2500 Ślokas. Besides about 22 Payannās are known and even for these above 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra is taken, by some, in place of the Candavijaya of the 10 Payannās. Only « KAAKAKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKOYOX www.jainelibrary.o Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *********** IV Six Cheda-sūtras ********** (2) Nisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-sutra, YU MUNU AM VIÀO QUN ********¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ (1) Vyavahara-sutra, (3) Mahānisitha-sutra, (5) Daśāśruta-skandha-sūtra and (6) Bṛhatkalpa-sūtra. These Chedasûtras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. V Four Malasitras (1) Daśavaikalika-sutra: It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Cūlikäs called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthulabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahāvideha region and received four Culikās. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra: It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Pifaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. (4) Avasyaka-sutra: It is the most useful Agama for all the four groups 2010 03 of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are (1) Samayika, (2) Caturvimśatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kayotsarga and (6) Paccakhāṇa. VI Two Culikäs (1) Nandi-sütra: It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirthankaras and 11 Gaṇadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Ślokas. (2) Anuyogadvara-sutra: Though it comes last in the serial order of the 45 Agamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 Ślokas. ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶__¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IFFFFFF #FFFFFા સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ | આગમ ૧૨ કથાનુયોગ પ્રધાન ઔપપાતિક ઉપાંગ સૂત્ર – ૧૨ અન્ય નામ:- ઓલવાઈય, ઉવવાઈ, ઓવાઈય. અધ્યયન - ---- - - - - - - ૧ ઉદ્દેશક ------ - - - - - - ૧ શ્લોક પ્રમાણ ઉપલબ્ધ પાઠ -- ગદ્ય સૂત્ર ----- પઘ સૂત્ર ------ - - ૩૨ CSG乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐听听听听听听听FO动 આ ઉપાંગ સૂત્રના એક અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં ચંપાનગરીની ભૂમિ, ઉદ્યાન, કોટ વગેરેનું સુંદર વર્ણન કરી, તેમાં આવેલા પૂર્ણભદ્ર ચત્ય, વનખંડ, અશોકવૃક્ષ તેમજ વિવિધ વૃક્ષો અને વેલીઓ વગેરેના વર્ણન પછી શિલાપદનું અને રાજા કોણિકનું વર્ણન છે. ભગવાન મહાવીરનો ચંપાનગરી તરફ વિહાર, ભગવાન મહાવીરના ઊંચાઈ અને અંગોપાંગ તથા ૩૪ બુદ્ધવચનાતિશય, ૩૫ સત્યવચનાતિશય, શ્રમણ-શ્રમણીની સંખ્યા, અંતેવાસીઓનો પરિચય, સંખ્યા તેમજ જ્ઞાનસંપદા, દીક્ષા સમય, વિશિષ્ટ લબ્ધિઓ, તપશ્ચર્યાઓ, તેમના જીવનની ૨૧ ઉપમાઓ વગેરેનું વર્ણન છે. , તે પછી અંતેવાસીઓની બાહ્ય તેમજ આત્યંતર તપશ્ચર્યાના વર્ણનમાં બંને પ્રકારના છ - છ ભેદો, આર્ત - રોદ્ર - ધર્મ - શુક્લ ધ્યાનના ચાર-ચાર ભેદો વગેરે વર્ણન પછી ભગવાન મહાવીરનીદેાનામાં આવનારા અસુરકુમાર દેવો, જ્યોતિષિક દેવો તેમજ વૈમાનિક દેવોના નામ, આકૃતિ, વય, ઉપલબ્ધિઓ વગેરેનું વર્ણન છે, ત્યારબાદ ભગવાનના સમવસરણમાં રાજા કોણિકનું આગમન, ભગવાન મહાવીરનો. ધર્મોપદેશ વગેરેના વર્ણન પછી પરિવ્રાજક વર્ણનમાં અંબડ પરિવ્રાજકની દિનચર્યા અને છેલ્લે શ્રમણ સાધનાનું સંક્ષિપ્ત વર્ણન કરીને અલ્પારંભીથી માંડીને દેશવિરત શ્રમણોપાસકો સુધીની વિવિધ ઉત્પત્તિઓનું વર્ણન કરીને ઈષ~ાભાર પૃથ્વીનાલંબાઈ, પહોળાઈ વગેરેનું ક વિસ્તૃત વર્ણન અને ૨૨ ગાથાઓમાં સિદ્ધ ભગવંતોના વર્ણનથી આ ઉપાંગ પૂર્ણ થાય છે. Cir%雷雷雷雷雷雷雷雷雷雷雷雷雷雷雷军写雪写历历历明明明明明明明明明明明明明明SIO k k% | શ્રી બાગમગુમનૂવા - ૩s FM ક ક Sb . Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (3) (१२) उववाइअं [ (१) उवंगसुतं (१२)] ********* सिरि सहदेवसामिस्स णमो । सिरि गोडी - जिराउला सव्वोदयय सणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइमहावीरवद्धमाणसामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु देवाणं णमो । 5 श्री औपपातिकोपांगसूत्रम् 555 तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था रिद्धत्थिमियसमिद्धा पमुइयजण ( जणुज्जाण पा०) जाणणवया आइण्णजणमणुस्सा हलसयसहसंकिट्टविकिठ्ठलट्टपण्णत्तसेउसीमा कुक्कुडसंडे अगामपउरा उच्छुजवसालिकलिया (मालिणीया पा० ) गोमहिसगवेलगप्पभूता आयरवंतचेइयजुवइविविह (अरिहन्तचेइयजणवयवि० सुयागचित्तचेइयजुय० पा० ) बिहुला उक्कोडियगाय (गाहा पा०) गंठिभेयभडतक्करखंडरक्खरहिया खेमा णिरुवद्दवा सुभिक्खा वीसत्यसुहावासा अणेगकोडिकुटुंबियाइण्णणिव्वयसुहा णडणट्टगजल्लमल्ल मुट्ठियवेलंबयकह गपवगलासग-आइक्खगलंखमंखतूणइल्लतुंबवीणियअणेगता लायराणुचरिया आरामुज्जाण अगडतलागदीहिय वप्प णिगुणोववेया (नंदणवणसन्निभप्पगासा पा०) उव्विद्धविउल गंभीरखायफलिहा चक्कगयमसंडि ओरोहयग्घिजमलक वाडघणदुप्पवेसा धणुकुडिल वंकपागारपरिक्खित्ता कविसीसयवट्टरइय संठियविराय माणा अट्टालय चरियदार गोपुरतोरणउण्णयसुविभत्तरायमग्गा छेयायरियरइयदढफलिहइंदकीला विवणिवणिच्छेत्त(छेय पा० ) सिप्पियाइण्णणिव्वयसुहा सिंघाडगतिगचउक्कचच्चर(चउम्मुहमहापहपहेसुपा०)पणियावणविविहवत्थुपरिमंडिया सुरम्मा नरवइपविइण्णमहिवइपहा अणेगवरतुरगमत्तकुं जररहपहकरसीयसं दमाणीयाइण्णजाणजुग्गा विमउलणलिणिसोभियजला पंडुरवरभवणसण्णिमहिया उत्ताणणयणपेच्छणिज्जा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा |१| तीसे णं चंपाए णयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए पुण्णभद्दे नामं चेइए होत्था, चिराइए पुव्वपुरिसपण्णत्ते पोराणे सद्दिए वित्तिए ( कित्तिए पा० ) णाए सच्छत्ते सज्झए सघंटे (सपडागे पा० ) पडागाइपडागमंडिए सलोमहत्थे कयवेयद्दिए लाउल्लोइयमहिए गोसीससरसरत्तचं दणदद्दरदिण्णपंचंगुलितले उवचियचंदणकलसे चंदणघडसुकयतोरणपडि दुवारदेसभाए आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घा रियमल्लदामकलावे पंचवण्णसरससुर हिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरक्कडज्ज्ञंतधूवमघमघंतगंधुद्धयाभिरामे सुगंधवरगंधगंधिए गंधवट्टिभूए णडणट्टगजल्लमल्ल-मुट्ठियवेलंबयपवगकहगलासगआइक्खलंखमंखतूणइल्लतुंबवीणियभुय- गमागहपरिगए बहुजणजाणवयस्स विस्सुयकित्तिए बहुजणस्स आहुणिज्जे पाहुणिज्जे अच्चणिज्जे वंदणिज्जे नमंसणिज्जे पूयणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासिणिज्जे दिवे सच्चे सच्चोवाए सण्णिहियपाडिहेरे जागसहस्सदायभागपडिच्छए (जागभागदायसहस्सपडिच्छाए पा०) बहुजणो अच्चेइ आगम्म पुण्णभद्दं चेइयं |२| से णं पुण्णभद्दे चेइए एक्केणं महया वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खत्ते, से णं वणसंडे किण्हेकिण्होभासे नीले नीलोभासे हरिए हरिओभासे सीए सीओभासे गिद्धे णिदोभासे तिव्वे तिव्वोभासे किण्हे किण्हच्छाए नीले नीलच्छाए सीए सीयच्छाए णिद्धे णिद्धचछाए तिव्वे तिव्वच्छाए घणकडिअतडिच्छाए रम्मे महामेहणिकुरंबभूए, ते णं पायवा मूलमंत कंदमंतो खंधमंतो तयामंतो सालमंतो पवालमंतो पत्तमंतो पुप्फमंतो फलमंतो बीयमंतो (हरियमंतो पा०) अणुपुव्वसुजायरुइलवट्टभावपरिणया एक्कखंधा अणेगसाला अणे गसाहप्पसाहविडिमा अणेगनरवामसुप्पसारिअ अग्गेज्झघणविउबद्धखंधा (पाईणपडि णाययसाला उदीर्णदाहिणविच्छण्णा ओणयनयपणयविप्पहाइयओलंबपलंबलंबसाहप्पसाहविडिमा अवाईणपत्ता अणुईण्णयत्ता पा०) अच्छिद्दपत्ता अविरलपत्ता अवाईणपत्ता अणई अपत्ता निद्धुयजरढपंडुपत्ता णवहरियभिसंपत्तभारंधकार गंभीरदरिसणिज्जा उवणिग्गयणवतरुणपत्तपल्लवकोमलउज्जलचलंत किसलयसुकुमालपवासोहिवरंकुरग्ग सिहरा णिच्वं कुसुमिया णिच्चं माझ्या णिच्चं लवइया णिच्चं थवइया णिच्चं गुलइया णिच्चं गोच्छिया णिच्वं जमलिया णिच्वं जुवलिया णिच्चं विणमिया णिच्चं पणमिया णिच्चं कुसुमिय माइयलवइयथवइयगुलइय गोच्छियजुवलियविणमियपण मियसुविभत्तपिंडमंजरिव- डिसयधरा सुयबरहिणभय णसालकोइलकोहंगकभिंगारककोंडल सौभ्न्य :- गच्छाधिपति विभ्यरामसूरि म.सा. (डहेलावाला) ना अज्ञावर्तिनी प.पू. विदूषी साध्वी श्री रत्नप्रभाश्री म.सा. ना शिष्या प. पू. साध्वीश्री અક્ષયરત્નાશ્રીજી મ.સા. ના સિદ્ધિતપ પ.પૂ. સાધ્વીશ્રી પ્રિયરા શ્રીજી મ.સા. ના વર્ષીતપ નિમિત્તે એક સગૃહસ્થ (અમદાવાદ) फफफफफफ 45 LTT ATT h Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 फ्र (१२) उववाइअं [ (१) उवंगसुतं 1 [२] सुरम्मे जीजीवजीवक मंदीमुहक विलपिंगलक्खकारंड चक्क वायक लहं ससारस अणे गसउणगणमिहुणविरइयसद् दुण्णइय महुरसरणाइए संपिंडियदरियभमरमरहुकरिपहकरपरिलिन्तत्तछप्पयकुसुमासवलोलमहुरगुमंतगुंतगुंजंतदेसभागे अब्भंतरपुप्फफले बाहिरपत्तोच्छणे पत्तेहि य पुप्फेहि य उच्छण्णपडिच्छण्णे (साउफले नीरोयए अकंटए णाणाविहगुच्छ गुम्ममंडवगरम्ममंडवगम्मसोहिए पा० ) विचित्तसुहके उभूए (सेउके उबहुले पा० ) वावीपुक्खरिणीदीहियासु य सुनिवेसियरम्मजालहरए पिंडिमणीहारिम सुगंधिसुहसुर भिमणहरं च महया गंधद्धणि मुयंता णाणा विहगुच्छगुम्ममंडवकघरकसुहसेउकेउबहुला अणेगरहजाणजुग्गसिबियपविमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा । ३ । तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एक्के असोगवरपायवे (दूरोवगयकंदमूलवट्टलट्टसंठियसुसिलिट्ठघणमसिणिद्धसुजायनिरुवहउन्विद्धपवरखंधी पा० ) अणे गनरपवरभुयागेज्झो कुसुमभरसमोनमंतपत्तलविसालसालो महुकरिभमरगणगुमगुमाइयनिलिंतउडितसस्सिरीए णाणासउणगमिहुणसुमहुरकण्णसुहपलत्तसद्दमहुरे पा०) पण्णत्ते, कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूले मूलमंते कंदमंते जाव पविमोयणे सुरम्मे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, से णं असोगवरपायवे अण्णेहिं हिं तिलएहिं उएहिं छत्तोवेहिं सिरीसेहिं सत्तवण्णेहिं दीहवण्णेहिं लोद्धेहिं धवेहिं चंदणेहिं अज्जुणेहि णीवेहिं कुडएहिं सव्वेहिं फणसेहिं दाडिमेहिं सालेहिं तालेहिं तमालेहिं पियएहिं पियंगूहिं पुरोवगेहिं रायरुक्खेहिं णंदिरुक्खेहिं सव्वओ समता संपरिक्खित्ते, ते णं तिलया लउया जाव णंदिरुक्खा कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो एएसिं वण्णओ भाणियव्वो जाव सिबियपविमोयणा सुरम्मा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, ते णं तिलया जाव णंदिरुक्खा अण्णेहिं बहू उमलाहिं णागलयाहिं असोअलयाहिं चंपगलयाहिं चूयलयाहिं वणलयाहिं वासंतियलयाहिं अइमुत्तलयाहिं कुंदलयाहिं सामलयाहि सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता, ताओ णं पउमलयाओ णिच्चं कुसुमियाओ जाव वडिंसयधरीओ पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ (तस्स णं असोगवरपायवस्सउवरि बहवे अट्ठ अट्टमंगलागा पं० तं०- सोवत्थिय सिरिवच्छ नंदियावत वद्धमाणग भद्दासण कलस मच्छ दप्पणा सव्वरयणामया अच्छा सहा मण्हा घट्टा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पहा समिरीया सउज्जोया पासादीया०, तस्स णं असोगवरपायवस्स उवरिं बहवे किण्हचामरज्झा नीलचामरज्झया उप्पपट्टा वइरामयदंडा जल यामल गंधिया सुरम्मा पासादीया, तस्सणं असोगवरपायवस्स उवरि बहवे, छत्ताइच्छत्ता पडागाइपडाया घण्टाजुयला उप्पलहत्थगा पउमहत्थगा कुमुयहत्थगा कुसुमहत्थगा नलिणहत्थगा सुभगहत्थगा सोगंधियहत्थगा पुंडरीयहत्थया महापंडरीयहत्थया सयपत्तहत्या सहस्सपत्तहत्थया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा पा० ) तस्स णं असोगवरपायवस्स हेट्ठा ईसिंखंधसमल्लीणे एत्थ णं महं एक्के पुढविसिलापट्टए पं० विक्खंभायामउस्सेह सुप्पमाणे किण्हे अंजणघणकिवाण कुवलय हलधरकोसेज्जायसीकेसकज्ज लंगीखंजणसिंगभेदरिट्ठयजंबूफल असणसणसण बंधणणीलुप्पलपत्तनिकर अयसिकुसुम प्पगासे मरकतमसारकलित्तण कीयरासिवण्णे णिद्धघणे अट्टसिरे आयंसयतलोवमे सुरम्मे ईहामियउसभतुरगनरमगरविहभवाल गकिण्णरुरुसरभचमरकुंजरवणलयपउम लयभत्तिचित्ते आईणगरूयबूरणवणी ततृलफरिसे सीहासणसंठिए पासादीए दरिसणिज्ने अभिरूवे पडिरूवे | ५ | तत्थ णं चंपाए णयरीए कूणिए णामं राया परिवसइ, महयाहिमवंतमहंतमलयमंदरमहिंदसारे अच्चतविसुद्धदीहरायकुलवंससुप्पसूए णिरंतरं रायलक्खणविराइअंगमंगे बहुमाणे पूजिए सव्वगुणसमिद्धे खत्तिए मुइए मुद्धाहिसित्ते माउपिउसुजाए दयपत्ते सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे मणुस्सिदे जणवयपिया जणवयपाले जणवयपाले जणवयपुरोहिए सेउकरे केउकरे णरपवरे पुरिसवरे पुरिससीहे पुरिसवग्धे पुरिसासीविसे पुरिसपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अड्ढे दित्ते वित्ते विच्छिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणबहुजायरूवरयते आओगपओगसंपते विच्छड्डिअपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसंगवेलगप्पभूते पडिपुण्णजंतकोसकोट्टागाराउधागारे बलवं दुब्बलपच्चामित्ते ओहयकंटयं निहयकंटयं मलिअकंटयं उद्धियकंटयं अकंटयं ओहयसत्तु निहयसत्तुं मलियसत्तुं उद्धिअसत्तुं निज्जयसत्तुं पराइअसत्तुं ववगयदुब्भिक्खं मारिभयविप्पमुक्कं खेमं सिवं सुभिक्खं पसंत (पसंताहिय पा० ) डिंबडमरं रज्जं पसासे ( हे पा०) माणे विहरइ | ६ | तस्स DOOR श्री आगमगुणमंजूषा ७८० Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) उक्वाइअं ( (१) उर्वनसुत P कोणियस्स रण्णो धारिणी नामं देवी होत्था सुकुमालपाणिपाया अहीणपडिपुण्ण पंचिंदियसरीरा लक्खणवंजण गुणोववेआ माम्माणमा पडिपुण्णसुजायसव्वंगसुंदरंगी ससिसोमाकारकंत पियदंसणा सुरूवा करयलपरिमि अपसत्थतिवलियमज्झा कुंडलुल्लिहिअ (पीण पा०) गंडलेहा कोमुइरयणियरविमलपडिपुण्णसोमवयणा सिंगारागारचारुवेसा संगयगयहसिअभणिअविहिअविलाससललिअसंलावणिउणजुत्तोवयारकुसला (प्र० सुंदरथणजघणवयणकरचरणनयणलावण्णविलासकलिया) पासादीओ दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा कोणिएणं रण्णा भंभसारपत्तेणं सद्धिं अणूरत्ता अविरत्ता इठ्ठे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणूभवमाणी विहरति । ७| तस्स णं कोणिअस्स रण्णो एक्के परिसे विउलकयवित्तिए भगवओ पवित्तिवाउए भगवओ तद्देवसिअं पवित्तिं णिवेएइ, तस्स णं पुरिसस्स बहवे अण्णे पुरिसा दिण्णभति भत्तवेअणा भगवओ पवित्तिवाउआ भगवओ तद्देवसियं पवित्ति णिवेदेति ।८।तेणं कालेणं० कोणिएराया भंभसारपुत्ते बाहिरियाए उवट्ठाण सालाए अणे गगणनाय ग दंडनायगरा ईसरतलवर माडंबिअकोडुं महामंतिगणोदोवारिअमच्चचेडपीढमद्दनगर निगमसेट्ठिसेणा वइसत्थवाहदूत संधिवाल सद्धिं संपरिवुडे विहरइ । ९ । तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए जीवदए दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी अप्पडिहयवरनाणदंसणधरे विअट्टच्छउमे (अरहा पा०) जिणे (केवली पा०) जाणए तिण्णे तारए मुत्ते मोयए बुद्धे बोहए सव्वण्णू सव्वदरिसी सिवमयलमरुअमणंतमक्खयमव्वाबाहामपुणरावत्तिअं सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपाविउकामे अरहा जिणे केवली सत्तहत्थुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसहनारायसंघयणे अणुलोमवाउवेगे कंकग्गहणी कवोयपरिणामे सउणिपोसपिद्वंतरोरुपरिणए पउमुप्पलगंधसरिस निस्साससुरभिवयणे छवी निरायं क उत्तमपसत्थअइसे यनिरुवमपले (तले पा०) जल्ल मल्लकलंक से यरयदो सवज्जियसरीरे निरुवलेवे छायाउज्जो इअंगमंगे घणनिचियसुबद्धलक्खणुण्णयकूडागारनिभपिंडिअग्गसिरए(सामलिबोंडघणनिचियच्छोडियमिउविसयपसत्थसुहुमलक्खणसुगंधसुंदर पा० ) भुअमोअगभिने लकज्जलपहिट्ठभमरगणणिद्धनिकुरुंबनिचियकुं चियपयाहिणा - वत्तमुद्धासिरए पा० ) दालिमपुप्फप्पगासतवणिज्जसरिसनिम्मलसुणिन्द्धके संतके सभूमी घण(निचिय)छत्तागारुत्तमंगदेसे णिव्वणसमलट्ठमट्ठचंदद्रसमणिडाले उडुवइपडिपुण्णसोमवयणे अल्लीणपमाणजुत्तसवणे सुस्सवणे पीणमंसलकवोल सभाए आणामियचावरुइलकिण्हब्भराइ(संठियसंगयआययसुजाय पा० ) तणुकसिणणिद्धभमुहे अवदालिअपुंडरीयणयणे कोआसिअधवलपत्तलच्छे गरुलायतउज्जुतुंगणा उवचिअसिलप्पवालबिंबफलसण्णिभाहरोट्ठे पंडुरससिस- अलविमलणिम्मलसंखगोक्खीरफेणकुंददंगरयमुणालिआधवलदंतसेढी अखंडदंते अप्फुडिअदंते अविरलदंते सुणिद्धदंते सुजायदंते एगदंतसेढीविव अणे गदंते अट्ठियस विभत्तचित्तमंसूमंसलसंठियपसत्थसददूलविउलहणूए चउरंगलसुप्पमाणकंबुवरसरिसग्गीवे वरमहिसवराहसीहसद्दूलउसभनागवरपडिपुण्णविउलक्खंधे जुगसन्निभपीणरइयपीवर पउट्ठसुसंठियसुसिलिट्ठविसिट्ठघणथिरसुबद्धसंधी (पकुठ्ठसंठियउवचियघणथिरसुसंबद्धसुनिगूढपव्वसंधी पा० ) पुरवरफलिहवट्टियभुए भुअईसरविउलभोगआदाणपलिहउच्छूढदीहबाहू रत्ततलोवइयमउमंसंलसुजायलक्खणपसत्यअच्छिद्दजालपाणी पीवर (वट्टियसुजाय पा० ) कोमलवरंगुली आयंबतंबतलिणसुइरुइलणिद्धणक्खे चंदपाणिलेहे सूरपाणिलेहे संखपाणिलेहे चक्कपाणिलेहे दिसासोत्थिअपाणिलेहे चंदसूरसंखचक्कदिसासोत्थिअ(विभत्तसुविरइ पा०)पाणिलेहे (अणेगवरलक्खणुत्तिमपसत्थसुइरइयपाणिलेहे पा०) कणगसिला- तलुज्जलप सत्थसमतलउवचिय विच्छिण्णपिहुलवच्छे सिरिवच्छंकियवच्छे (उवचियपुरवर कवाड विच्छिण्णपिहुलवच्छे, कणयसिलाय लुज्जलपसत्थ समतलसिरिवच्छ रइयवच्छे पा०) अकरंडु अकणगरुययनिम्मल सुजायनिरुवहय देहधारी अट्ठसहस्सपडि पुण्णवरपुरिसलक्खण धरे सण्णयपासे संगयपासे सुंदरपासे सुजायपासे मियमाइअपीण रइअपासे उज्जु असम सहियज्जतणुक सिणणिद्ध आइज्जलड हरमणिज्जरोमराई झसविहगसुजायपीणकुच्छी झसोदरे सुइकरणे पउमविअडणाभे हुयवहणिद्धतधोयतत्ततवणिज्जरत्तवलतालुजीहे Hero GRO श्री आगमगुणमंजूषा - ७८३ 与历练与CEO Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NORO (१२) उववाइअं [ (१) उवंगसुतं J [४] 66666666 गंगावत्तकपयाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुणबोहियअकोसायंतपउमगंभीरवियडणाभे साहयसोणंदमुसलदप्पणणिकरियवरकणगच्छरुस-रिसवरइरवलिअमज्झे पमुइयवरतुरगसीह (अइरेग पा०) वरवट्टियकडी वरतुरगसुजायसु (पसत्थवरतुरग पा० ) गुज्झदेसे आइण्णहउव्व णिरुवलेवे वरवारणतुल्लविक्कमविलसियगई यससणसुजायसन्निभोरू समुग्गणिमग्गगूढजाणू एणीकुरुविंदावत्तवट्टाणुपुव्वजंघे संठियसुसिलिट्ठगूढगुप्फे सुप्पइट्ठियकुम्मचारुचलणे अणुपुव्वसुसहयं (यपीवरं पा०)गुली उण्णयतणुतंबणिद्धणक्खे रत्तुप्पलपत्तमउअसुकुमाल कोमल तले अट्ठसहस्सवरपुरिसलक्खणधरे (णगनगरमगरसागरचक्कंकवरंकमंगलंकियचलणे पा०) विसिट्ठरूवे हुयवहनिदधूमजलियतडितडियतरुणरविकिरणसरिसतेए अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नसोए निरुवलेवे ववगयपेमरागदोसमोहे निग्गंथस्स पवयणस्स देसए सत्यनायगेपइठावए समणगविंदपरिअट्ठए चउत्तीसबुद्धवयणातिसेसपत्ते पणतीससच्चवयणातिसेसपत्ते आगासगएणं चक्केणं आगासगएणं छत्तेणं आगासियाहिं चामराहिं आगासफालिआमएणं सपायवीढेणं सीहासणेणं धम्मज्झएणं पुरओ पकढिज्जमाणेणं चउद्दसहिं समणसाहस्सीहिं छत्तीसाए अज्जि - (१३९) आसाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे पव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे चंपाए णयरीए बहिया उवणगरग्गामं उवागए चंप नगरिं पुण्णभद्दं चेयं समोसरिउकामे । १०। तए णं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लट्ठे समाणे हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए हाए बलिकम्मे कयको अमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सआओ गिहाओ पडिणिक्खमइ त्ता चंपाए मज्झंमज्झेणं जेणेव कोणियस्स रण्णो गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ त्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता एवं व० जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं कखंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पीहंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं पत्थंति जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं अभिलसंति जस्स णं देवाणुप्पिया णामगोत्तस्सवि सवणयाए हट्टतुट्ठजावहिअया भवंति से णं समणे भगवं महावीरे विंचरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे चंपाए णयरीए उवणगरगामं उवागए चंपं णगरिं पुण्णभद्दं चेइअं समोसरिउकामे तं एअं णं देवाणुप्पियाणं पिअट्टयाए पिअं णिवेदेमि पिअं भे भवउ | ११ | तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते तस्स पवित्तिवाउअस्स अंतिए एयमहं सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठजावहियए विअसिअवरकमलणयणवयणे पअलिअवरकडगतुडियकेयूरमउडकुंडले हारद्धहारविरायंतरइवच्छे पालंबपलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं नरिदे सीहासणाउ अब्भुट्ठेत्ता पायपीढाउ पच्चोरूहइ त्ता (वेरूलियवरिट्ठरिट्ठअंजणनिउणोवियमिसिमिसितमणिरयणमंडियाओ पा० ) पाउआओ ओमुअइ त्ता अवहट्ट पंच रायककुहाई तं०-खग्गं छत्तं उप्फेसं वाहणाओ वालवी अणं एक्कसाडियं उत्तरासंगं करेइ त्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए अंजलिमउलि अग्गहत्थे तित्थगराभिमुहे सत्तट्ठपयाइं अणुगच्छति त्ता वामं जाणुं अंचेइत्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि साहटु तिक्खुत्तो मुद्राणं धरणितलंसि निवेसेइ त्ता ईसिं पच्चुण्णमति त्ता डिभिओ भुआओ पडिसाहरति त्ता करयल जाव कट्टु एवं व० णमोऽत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं आइगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसुत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरीआणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहियाणं लोगपईवाणं लोगपज्जोतगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं सरणदयाणं जीवदयाणं बोहिदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंतचक्क वट्टीणं दीवो ताणं सरणं गई पइट्ठा अप्पsिहयवरनाणदंसणधराणं विअट्टच्छउमाणं जिणाणं जावयाणं तिण्णाणं तारयाणं बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोअगाणं सव्वन्नूणं सव्वदरिसीणं सिवमयलमरूअमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तिसिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स आदिगरसस्स तित्थगरस्स जाव पावकस्समम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थ गयं इह गते पासउ मे (मं से) भगवं तत्थ गए इह गयन्तिकट्टु वंदति णमंसति त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे निसीअइ त्ता तस्स पवित्तिवाउअस्स अठुत्तरसग्रसहस्सं पीतिदाणं दलयति त्ता सक्कारेति सम्माणेति त्ता एवं व० - जया णं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे इहमागच्छेज्जा इह समोसरिज्जा इहेव चंपाए णयरीए बहिया पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे - श्री आगमगुणमंजूषा- ७८४ ॐ ॐ ॐ ॐ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१) क विहरेज्जा तया णं मम एअमट्ठे निवेदिज्जासित्तिकट्टु विसज्जिते । १२ । तए णं समणे भगवं महावीरे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुलुप्पलकमलकोमलुम्मिलितमि आहा (अ) पंडुरे पहाए रत्तासोगप्पगासकिंसु असुअमुहगुंजद्धरागसरिसे कमलागरसंडबोहए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेयसा जलंते जेणेव चंपा यरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छति त्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावे माणे विहरति । १३। तेणं कालेनं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे समणा भगवंतो अप्पेगइया उग्गपव्वइया भोगपव्वइया राइण्ण० णाय० कोरव्व० खत्तिअपव्वइआ भडा जोहा सेणावई पसत्थारो सेट्टी इब्भा अण्णे य बहवे एवमाइणो उत्तमजातिकुलरूवविणयविण्णाणवण्णलावण्णविक्कमपहाणसोभग्गकंतिजुत्ता बहुधणधण्णणिचयपरियालफिडिआ परवइगुणाइरेगा इच्छिअभोगा सुहसंपललिआ किंपागफलोवमं च मुणिअ विसयसोक्खं जलबुब्बुअसमाणं जोवण्णं कुसग्गजलबिंदुचंचलं जीवियं च णाऊण अध्धुवमिणं-रयमिव पडग्गलग्गं संविधुणित्ताणं चइत्ता हिरण्णं जाव पव्वइआ अप्येगइआ अद्धमासपरिआया अप्पेगइया मासपरिआया एवं दुमास तिमास० जाव एक्कारस० अप्पेगइआ वासपरिआया दुवास० तिवास० अप्पेगइआ अणेगवासपरिआया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति | १४| तेणं काले० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे निग्गंथा भगवंतो अप्पेगइआ आभिणिबोहियणाणी जाव केवलणाणी अप्पगइआ मणबलिआ वयबलिआ कायबलिआ (नाणबलिया दंसणबलिया चरित्तबलिया पा०) अप्पेगइआ मणेणं सावाणुग्गहसमत्था अप्पेगइआ खेलोसहिपत्ता एवं जल्लोसहि० विप्पोसहि० आमोसहि० सव्वोसहि० अप्पेगइआ कोट्ठबुद्धी एवं बी अबुद्धी पडबुद्धी अप्पेगइआ पयाणुसारी अप्पेगइआ संभिन्नसोआ अप्पेगइआ खीरासवा अप्पेगइआ महुआसवा अप्पे आ सप्पिआसवा अप्पेगइआ अक्खीणमहाणसिआ एवं उज्जुमती अप्पेगइआ विउलमई विउव्वणिडिढपत्ता चारणा विज्जाहरा आगासातिवाइणो अप्पेगइआ कणगावलिं तवकम्मं पडिवण्णा एवं एक्कावलिं खुड्डागसीहनिक्कीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा अप्पेगइया महालयं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं पडिवण्णा भद्दपडिमं महाभद्दपडिमं सव्वतोभद्दपडिम आयंबिलवद्धमाणं तवोकम्मं पडिवण्णा मासिअं भिक्खुपडिमं एवं दोमासिअं पडिमं तिमासिअं पडिमं जाव सत्तमासिअं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अप्पेगइया पढमं सत्तराइंदिअं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा जाव तच्चं सत्तराइंदिअं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा अहोराइंदिअं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा इक्कराइंदिअं भिक्खुपडिमं पडिवण्णा सत्तसत्तमिअं भिक्खुपडिमं अट्ठट्ठमिअं भिक्खुपडिमं णवणवमिअं भिक्खुपडिमं दसदसमिअं भिक्खुपडिमं खुडिडयं मोअपडिमं पडिवण्णा महल्लिय मोअपडिमं पडिवण्णा जवमज्झं चंदपडिमं पडिवण्णा वइरमज्झं चंदपडिमं विवेगपडिमं विउस्सग्गपडिमं उवहाणपडिमं पडिसंलीणपडिमं पडिवण्णा संजमेणं तवसा अप्पा भावेमाणा विहरंति । १५। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे थेरा भगवंतो जातिसंपण्णा कुलसंपण्णा बलसंपण्णा रूवसंपण्णा विणयसंपण्णा णाणसंपण्णा दंसणसंपण्णा चरित्तसंपण्णा लज्जासंपण्णा लाघवसंपण्णा ओअंसी तेअंसी वच्चंसी जसंसी जिअकोहा जियमाणा जिअमाया जिअलोभा जिअइंदिआ जिअणिद्दा जिअपरीसहा जीविआसमरणभयविप्पमुक्का वयप्पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा णिग्गहप्पहाणा निच्छयप्पहाणा अज्जवप्पहाणा मद्दवप्पहाणा लाघवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पहाणा विज्जापहाणा मंतप्पहाणा वेअप्पहाणा बंभप्पहाणा नयप्पहाणा नियमप्पहाणा सच्चप्पहाणा सोअप्पहाणा चारूवण्णा लज्जा (ज्जू) तवस्सी जिइंदिया सोही अणियाणा अप्पुस्सुआ अबहिल्लेसा अप्पडिलेस्सा सुसामण्णरया दंता (बहूणं आयरिया बहू उवज्झाया बहूणं दीवा ताणं सरणं गई पइट्टा पा० ) इणमेव णिग्गथं पावयणं पुरओ काउं विहरंति, तेसिं णं भगवंताणं आयावाया (वाई पा०) वि विदिता भवंति परवाया (इणो पा० ) विदिता भवंति आयावायं जमइत्ता नलवणमिव मत्तमातंगा अच्छिद्दपसिणवागरणा रयणकरंडगसमाणा कुत्तिआवणभूआ परवादियपमद्दणा दुवालसंगिणो (परवाईहिं अणोक्कंता अण्णउत्थिएहिं अणोद्धसिज्जमाणा अप्पेगइया आयारधरा पा० ) समत्तगणिपिडगधरा सव्वक्खरसण्णिवाइणो सव्वभासानुगामिणो अजिणा जिणसंकासा जिणा इव अवितहूं वागरमाणा संजमेणं तवसाअप्पाणं भावेमाणा विहरंति । १६ । तेण कालेनं० समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे अणगारा भगवंतो ईरिआसमिआ भासासमिआ एसणासमिआ आदाणभंड मत्तनिक्खे वणासमिआ श्री आगमगुणमंजूषा ७८५OOK Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20055555555555555明 (१२) उववाइअ [(१) उवंगसुत्तं [६ 55555555555550S FOTON 乐明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明 155 乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听明听听听听听听听听听听 उच्चारपासवणखेलसिंधाणजल्लपारिट्ठावणियासमिआ मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिदिया गुत्तबंभयारी अममा अकिंचणा (छिण्णगंथा पा०) अग्गंथा छिण्णसोआ निरूवलेवा कंसपातीव मुक्कतोआ संखइव निरंगणा जीवोविव अप्पडिहयगती जच्चकणगंपिवजातरूवा आदरिसफलगाविव पागडभावा कुम्मोइव गुत्तिदिआ पुक्खरपतव निरूवलेवा गगणमिव निरालंबणा अणिलोइव निरालया चंदइव सोमलेसा सूरइव दित्ततेआ सागरोइव गंभीरा विहगइव सव्वओ विप्पमुक्काम मंदरइव अप्पकंपा सारयसलिलंव सुद्धहिअया खग्गिविसाणंव एगजाया भारंडपक्खीव अप्पमत्ता कुंजरोइव सोडिरा वसभोइव जायत्थामा सीहोइव दुद्धरिसा वसुंधराइव सव्वफासविसहा सुहुअहुआसणेइव तेअसा जलंता, नत्थि णं तेसिं णं भगवंताणं कत्थई पडिबंधे भवइ, से अ पडिबंधे चउविहे पं० तं०-दव्वओ खित्तओ कालओ भावओ, दव्वओणं सचित्ताचित्तमीसिएसु दव्वेसु (तं०-अंडएइ वा पोयएइ वा उग्गहिएइ वा वग्गहिए वा जण्णं जण्णं दिसं इच्छंति तंणं तंणं दिसं सूइभूया लघुभूया अणप्पगंथा विहरन्ति पा०) खेत्तओ गामे णयरे वा रण्णे वा खेत्ते वा खले वा घरे वा अंगणे वा कालओ समए वा आवलियाए वा जाव अयणे वा अण्णतरे वा दीहकालसंजोगे भावओ कोहे वा माणे वा मायाए वा लोहे वा भए वा हासे वा० एवं तेसिंण भवइ, ते णं भगवंतो वासावासवज्जं अट्ठ गिम्हहेमंतिआणि मासाणि गामे एगराइआ णयरे पंचराइआ वासीचंदणसमाणकप्पा समलेठुकंचणा समसुहदुक्खा इहलोगपरलोगअप्पडिबद्धा संसारपारगामी कम्मणिग्घायणट्ठाए अब्भुट्ठिआ विहरति ।१७। तेसिंणं भगवंताणं एतेणं विहारेणं विहरमाणाणं इमे एआरूवे (जायामायावित्ती अदुत्तरं च णं पा०) अभितरबाहिरए तवोवहाणे होत्था तं०-अम्भितरए छव्विहे बाहिरएवि छव्विहे।१८। से किं तं बाहिरए ?,२ छव्विहे पं० तं०-अणसणे ऊणो (अवमो) अरिया भिक्खाअरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसे पडिसंलीणया, से किं तं अणसणे?, २ दुविहे पं० तं०-इत्तरिए अ आवकहिए अ. से किं तं इत्तरिए ?,२ अणेगविहे पं० २०-चउत्थभत्ते छट्ठभत्ते अट्ठमभत्ते दसमभत्ते । बारसभत्ते चउद्दसभत्ते सोलसभत्ते अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते दोमासिए भत्ते तेमासिए भत्ते चउमासिए भत्ते पंचमासिए भत्ते छम्मासिए भत्ते, सेतं इत्तरिए, से किं तं आवकहिए ?, २ दुविहे पं० तं०-पाओवगमणे अभत्तपच्चक्खाणे अ, से किं तं पाओवगमणे?,२ दुविहे पं० तं०-वाघाइमे अनिव्वाघाइमे अ नियमा अप्पडिकम्मे, से तं पाओवगमणे, से किं तं भत्तपच्चक्खाणे ?,२ दुविहे पं० तं०-वाघाइमे अ निव्वाघाइमे अणियमा सप्पडिकम्मे, से तं भत्तपच्चक्खाणे, से तं अणसणे, से किं तं ओमोअरिआ ?, २ दुविहा पं० २०-दव्वोमोअरिआ य भावोमोअरिआ य, से किं तं दव्वोमोअरिआ ?, २दुविहा पं० तं०-उवगरणदव्वोमोअरिआ य भत्तपाणदव्वोमोअरिआ य, से किं तं उवगरणदव्वोमोअरिआ ?, २ तिविहा पं० तं० एगे वत्थे -एगे पाए चियत्तोवकरणसातिज्जणया, सेतं उवगरणदव्वोमोअरिआ, से किं तं भत्तपाणदव्वोमोअरिआ ?, २ अणेगविहा पं० तं०-अट्ठकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे अप्पाहारे दुवालसकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे अवड्ढोमोअरिआ सोलसकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे दुभागपत्तोमोअरिआ चउव्वीसकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे पत्तोमोअरिआ एक्कतीसकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे किंचूणोमोअरिआ बत्तीसकुक्कुडिअंडगप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाणे पमाणपत्ता, एत्तो एगेणविघासेण ऊणयं आहारमाहारेमाणे समणे णिग्गंथे णो पकामरसभोईत्ति वत्तव्वं सिआ, से तं भत्तपाणदव्वोमोअरिआ, से तं दव्वोमोअरिआ, से किं तं भावोमोअरिआ ?, २ अणेगविहा पं० तं०-अप्पकोहे अप्पमाणे अप्पमाए अप्पलोहे अप्पसद्दे अप्पझंझे, से तं भावोमोअरिआ, से तं ओमोअरिआ, से किं तं भिक्खायरिया ?, अणेगविहा पं० तं०-दव्वाभिग्गहचरए खेत्ताभिग्गहचरए कालाभिग्गहचरए भावाभिग्गहचरए उक्खित्तचरए णिक्खित्तचरए उक्खित्तणिक्खित्तचरए णिक्खित्तउक्खित्तचरए वट्टिज्जमाणुचरए साहरिज्जमाणचरए उवणीअचरए अवणीअचरए उवणीअअवणीअचरए अवणीअउवणीअचरए संसठ्ठचरए असंसट्ठचरए तज्जातसंसठ्ठचरए अण्णायचरए मोणचरए दिठ्ठलाभिए अदिठ्ठलाभिए पुट्ठलाभिए अपुट्ठलाभिए भिक्खालाभिए अभिक्खलाभिए अण्णगिलायए ओवणिहिए म परिमितपिंडवाइए सुद्धेसणिए संखादत्तिए, से तं भिक्खायरिया. से किं तं रसपरिच्चाए ?, २ अणेगविहे पं० तं०-णिव्वि-(य) तिए पणीअरसपरिच्चाए आयंबिलए म ए आयामसित्थभोई अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहा (तुच्छा पा०) हारे से तं रसपरिच्चाए, से किं तं कायकिलेसे?.२ अणेगविहे पं०२०-ठाणद्वितीए Mero ## श्री आगमगुणमंजूषा - ७८६ #5 5555555##GHOR Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C美乐乐乐乐听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明6C YOT39555555555555 कफ॥॥ exong (ठाणाइएपा०) उक्कुडुआसणिए पडिमट्ठाई वीरासणिएनेसज्जिए दंडायएलउडसाई (लगंडसाई पा०) आयावए अवाउडए अकंडूअए अणिठूहए (धुयकेसमंसुलोमा पा०) सव्वगायपरिकम्मविभूसविप्पमुक्के. से तं कायकिलेसे. से किं तं पडिसंलीणया ?. २ चउव्विहा पं० तं०-इंदिअपडिसंलीणया कसायपडिसंलीणया जोगपडिसलीणया विवित्तसयणासणसेवणया, से किं तं इंदियपडिसंलीणया ?,२ पंचविहा पं० तं०-सोइंदियविसयपयारनिरोहो वा सोइंदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा चक्खिदिय० विसयपयारनिरोहो वा चक्खिदियविसयपत्तेसुअत्थेसुरागदोसनिग्गहो वाघाणिदियविसयपयारनिरोहो वा धाणिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा जिभिदियविसयपयारनिरोहो वा जिब्भिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा फासिदियविसयपयारनिरोहो वा फासिदियविसयपत्तेसु अत्थेसु रागदोसनिग्गहो वा, से तं इंदियपडिसलीणया, से किं तं कसायपडिसलीणया ?, २ चउव्विहा पं० तं०-कोहस्सुदयनिरोहो वा उदयपत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं माणस्सुदयनिरोहो वा उदययपत्तस्स माणस्स विफलीकरणं मायाउदयणिरोहो वा उदयपत्ताए वा मायाए विफलीकरणं लोहस्सुदयणिरोहो वा उदयपत्तस्स वा लोहस्स विफलीकरणं, सेतं कसायपडिसंलीणया, से किं तं जोगपडिसंलीणया ?, २ तिविहा पं० तं०-मणजोगपडिसंलीणया वयजोगपडिसलीणया कायजोगपडिसंलीणया, से किं तं मणजोगपडिसंलीणया?, २ अकुसलमणणिरोहो वा कुसलमणउदीरणं वा, से तं मणजोगपडिसंलीणया, से किं तं वयजोगपडिसलीणया ?, २ अकुसलवयणिरोहो वा कुसलवयउदीरणं वा, से तं वयजोगपडिसलीणया, से किं तं कायजोगपडिसलीणया ?, २ जण्णं सुसमाहिअपाणिपाए कुम्मोइव गुत्तिदिए सव्वगायपडिसलीणे चिट्ठइ, से तं कायजोगपडिसलीणया, से किं तं विवित्तसयणासणसेवणया ?, २ जंणं आरामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु सभासु पवासु परियगिहेसु पणिअसालासु इत्थीपसुपंडगसंसत्तिविरहियासु वसहीसु फासुएसणिज्जपीढफलगसेज्जासंथारगं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, से तं पडिसंलीणया, सेत बाहिरए तवे ।१९। से किं तं अब्भितरए तवे ?, २ छव्विहे पं० २०-पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं सज्झाओ झाणं विउस्सग्गो, से किंतं पायच्छिते?,२ दसविहे पं० तं०-आलोअणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहेछेदारिहे मूलारिहे अणवठ्ठप्पारिहे पारंचिआरिहे, से तं पायच्छित्ते, से किं तं विणए ?, २ सत्तविहे पं० २०-णाणविणए दंसणविणए चरित्तविणए मणविणए वइविणए कायविणए लोगोवयारविणए, से किं तं णाणविणए ?, २ पंचविहे पं० तं०-आभिणिबोहियणाणविणए सुअ० ओहि० मणपज्जव० केवल०, से किं तं दसणविणए ?, २ दुविहे पं० तं०-सुस्सूसणाविणए अणच्चासायणाविणए, से किं तं सुस्सूसणाविणए ?, २ अणेगविहे पं० २०-अब्भुट्ठाणेइ वा आसणाभिग्गहेइ वा आसणप्पदाणेइ वा सक्कारेइ वा सम्माणेइ वा किइकम्मेइ वा अंजलिपग्गहेइवा एंतस्स अणुगच्छणया ठिअस्स पज्जुवासणया गच्छंतस्स पडिसंसाहणया, से तं सुस्सूसणाविणए, से किं तं अणच्चासायणाविणए ?, २ पणतालीसविहे पं० तं०-अरहताणं अणच्चासायणया अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अण० आयरियाणं अण० एवं उवज्झायाणं थेराणं कुलस्स गणस्स संघस्स किरिआणं संभोगिअस्स ओभिणिबोहियणाणस्स सुअणाणस्स ओहिणाणस्स मणपज्जवणाणस्स केवलणाणस्स० एएसिं चेव भत्तिबहुमाणे एएसिं चेव वण्णसंजलणया, सेतं अणच्चासायणाविणए, से किंतं चरित्तविणए ?, २ पंचविहे पं० तं०-सामाइअचरित्तविणए छेओवट्ठावणिअ० परिहारविसुद्ध० सुहुम संपराय० अहक्खायचरित्तविणए, से तं चरित्तविणए, से किं तं मणविणए ?, २ दुविहे पं० तं०-पसत्थमणविणए अपसत्थमणविणए, से किं तं अपसत्थमणविणए ?, २ जे अफ मणे सावज्जे सकिरिए सकक्कसे कडुए णिठुरे फरूसे अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे परितावणकरे उद्दवणकरे भूओवघाइए तहप्पगारं मणो णो पहारेजा, से तं अपसत्थमणोविणए, से किं तं पसत्थमणोविणए ?, २ तं चेव पसत्यं णेयव्वं, एवं चेव वइविणओऽवि एएहिं पएहिं चेवणेअव्वो, सेतं वइविणए, से किं तं कायविणए ?, २ दुविहे पं० तं०-पसत्थकायविणए य अपसत्थकायविणए य, से किं तं अपसत्थकायविणए ?,२ सत्तविहे पं० त०-अणाउत्तं गमणे अण्णाउत्तं ठाणे अणाउत्तं ठाणे अणाउत्तं निसीदणे अणाउत्तं तुअट्टणे अणाउत्तं उल्लंघणे अणाउत्तं पलंघणे अणाउत्तं सव्विदियकायजोगजुंजणया, से तं अपसत्थकायविणए, से किं सं. पसत्थाकायविणए ?, २ एयं (तं) चेव पसत्थं भाणियव्वं, सेतं पसत्थकायविणए, सेतं कायविणए, से किं तं लोगोवयारविणए ?, २ सत्तविहे पं० त०-अब्भासवत्तियं Exerci #555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७८७555555555555555555555555 GTION 0名乐乐乐历历乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听乐明明明乐听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐明國 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROK9555555555555 (१२) उववाइ [(१) उर्वगसुत्तं ] [] $$$$$$$55555QXg Fero 乐乐乐乐 听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐所明明明明明明明明明乐明明明明明明明明明明明明明明明明明FU风 परच्छंदाणुवत्तियं कज्जहेउं कयपडिकिरिया अत्तगवेसणया वेसकालण्णुया सव्वद्वेसु अपडिलोमया, से तं लोगोवयारविणए, से तं विणए, से किं तं वेआवच्चे ?,२ दसविहे पं० तं०-आयरियवेआवच्चे उवज्झाय० सेह० गिलाण तवस्सि० थेर० साहम्मिअ० कुल० गण० संघवेआवच्चे, सेतं वेआवच्चे, से किं तं सज्झाए?,२ पंचविहे पं० तं०-वयणा पडिपुच्छणा परिअट्टणा अणुप्पेहा धम्मकहा, से तं सज्झाए, से किं तं ज्ञाणे?, २ चउव्विहे पं० तं० अट्टज्झाणे रूद्दज्झाणे धम्मज्झाणे सुक्कज्झाणे, अट्टज्झाणे चउविहे पं० तं०-अमणुण्णसंपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओगसतिसमण्णागए यावि भवइ, मणुण्णसंपओगसंपउत्ते तस्स • अविप्पओगस्सतिसमण्णागए आवि भवइ, आयंकसंपओगसंपउत्ते तस्स विप्पओगसतिसमण्णागए आवि भवइ, परिजुसियकामभोगसंपओगसंपउत्ते तस्स म अविप्पओगसतिसमण्णागए आवि भवइ, अट्टस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खाणा पं० २०-कंदणया सोअणया तिप्पणया विलवणया, रूद्दज्झाणे चउव्विहे पं० तं०-हिंसाणुबंधी मोसाणुबंधी तेणाणुबंधी सारक्खणाणुबंधी, रूद्दस्सणं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पं० २०-उस्सण्णदोसे बहुदोसे अण्णाणदोसे आमरणंतदोसे, धम्मज्झाणे चउविहे चउप्पडोयारे पं० तं०-आणाविजए अवायविजए विवागविजए संठाणविजए, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पं० तं०-आणारूई णिसग्गरूई उवएसरूई सुत्तरूई धम्मस्सणं झाणस्स चत्तारि आलंबणा पं० तं०-वायणा पुच्छणा परियट्टणा धम्मकहा, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पं० तं०-अणिच्चाणुप्पेहा असरणाणुपेहा एगत्ताणुपेहा संसाराणुपेहा, सुक्कज्झाणे चउव्विहे चउप्पडोआरे पं० २०-पुहत्तवियक्के सविआरी एगत्तवियक्के अविआरी सुहुमकिरिए अप्पडिवाई समुच्छिन्नकिरिए अणियट्टी, सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पं० तं०-विवेगे विउस्सग्गे अव्वहे असम्मोहे, सुक्कस्स णं झाणरस चत्तारि आलंबणा पं० त०-खंती मुत्ती अज्जवे मद्दवे, सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पं० त०-अवायाणुप्पेहा असुभाणुप्पेहा अणंतवत्तिआणुप्पेहा विप्परिणामाणुप्पेहा, सेतं झाणे, से किं तं विउस्सग्गे?,२ दुविहे पं० तं०-दव्वविउस्सग्गेय भावविउस्सग्गे अ, से किं तं दव्वविउस्सग्गे?, २ चउब्विहे पं० तं०सरीरविउस्सग्गे गणविउस्सग्गे उवहिविउस्सग्गे भत्तपाणविउस्सग्गे, से तं दव्वविउस्सग्गे, से किं तं भावविउस्सग्गे १, २ तिविहे पं० त०-कसायविउस्सग्गे संसारविउस्सग्गे कम्मविउस्सग्गे, से किं तं कसायविउस्सग्गे?,२ चउव्विहे पं० त०-कोहकसायविउस्सग्गे माण० माया० लोह०, से तं कसायविउस्सग्गे, से किं तं संसारविउस्सग्गे?, चउविहे पं० तं०-णेरइअसंसारविउस्सग्गे तिरिय० मणु० देव०, सेतं संसारविउस्सग्गे, से किं तं कम्मविउस्सग्गे?, २ अट्ठविहे पं० तं०-णाणावरणिज्जकम्मविउस्सग्गे दरिसणावरणिज्ज० वेअणीअ०मोहणीय० आऊअ० णाम० गोअक० अंतरायकम्मविउस्सग्गे, से तं कम्मविउस्सग्गे, से तं 9 भावविउस्सग्गे, ।२०। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे अणगारा भगवंतो अप्पेगइआ आयारधरा जाव विवागसुअधरा (तत्थ तत्थ तहिं तहिं देसे देसे गच्छागच्छिं गुम्मागुम्मि फड्डाफडिंड पा०) अप्पेगइआ वायंति अप्पेगइया पडिपुच्छंति अप्पेगइया परियटुंति अप्पेगइया अणुप्पेहंति अप्पेगइआ अक्खेवणीओ विक्खेवणीओ संवेअणी ओ णिव्वेअणी ओ चउव्विहा ओ कहा ओ कहंति अप्पगइया उड्ढंजाणू अहोसिरा झाणकोट्ठोव गया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति संसार भउव्विग्गा भीआ जम्मणजरमरणकरण गंभीर दुक्खपक्खु भिअपउर सलिलं संजोग विओगवीचीचिंतापसंगपसरि अवहबंधमहल्लविउल कल्लोल कलुण विलवि अलोभकलकलंतबोलबहुलं अवमाणणफेण तिव्वखिंसण पुलंपुलप्पभू अरोगवे अरपरिभवविणिवायफरूसध रिसणासमावडि अकढिणकम्मपत्थरत रंगरंगंतनिच्च मच्चुभयतो अपढे कसाय पायाल ससंकुलं भवसयसहस्सकलुस जलसंचयं पतिभयं अपरिमिअमहिच्छ कलुसमतिवाउवेगउधुम्ममाणदगरयरयंघआरवरफेणपउरआसापिवास धवलं मोहमहावत्तभोगभममाणगुप्पमाणुच्छलतपच्चोणियत्तपाणियपमायचंड बहुदुट्ठसावयसमाहउ दद्धायमाणपन्भार घोरकंदियमहारवर वंतभे रवरवं अण्णाणभमंतमच्छपरिहत्थअणिहुतिदियमहामगरतुरिअचरि अखोखुब्भमाणनच्चंतचवल चंचलचलंतघुम्मंतजलसमूहं अरतिभयविसायसोग मिच्छत्तसेलसंकडं अणाइसंताण कम्मबंधणकिलेस चिक्खिल्लसुदुत्तारं अमरनरतिरियनिरयगइगमणकुडिलपरिवत्तविउलवेल चउरंतमहंतमणवदग्गं रूई संसारसागर भीमदरिसणिज्ज तरंति धिइधणिअनिप्पकंपेण तुरियचवलंब MOH3555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - G 55555554164955KE R AGASFFFFFFFFFFFF~555555555ホホホホFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFOOS Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CO乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 HORRO5555555555555भ रागराजला -5$$$$$$$FQxox संवरवेरग्गतुंगकूवयसुसंपउत्तेणं णाणसितविमलमूसिएणं सम्मत्तविसुद्धलद्धणिज्जाएणं धीरा संजमपोएण सीलकलिआ पसत्थज्झाणतववायपणोल्लिअपहाविएणं उज्जमववसायग्गहियणिज्जरणजयणउवओगणाणदंसणविसुद्धवय (प्र० र) भंडभरिअसारा जिणवरववयणोवदिट्ठमग्गेणं अकुडिलेणं सिद्धिमहपट्टणाभिमुहा समणवरसत्थवाहा सुसुइसुसंभाससुपण्हसासा, गामे एगरायं णगरे पंचरायं दूइज्जन्ता जिइंदिया णिब्भया गयभया सचित्ताचित्तमीसिएसु दव्वेसु विरागयं गया संजया विरया मुत्ता लहुआ णिरवकंखा साहु णिहुआ चरंति धम्मं ।२१। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे असुरकुमारा देवा अंतिअंपाउब्भवित्था कालमहाणीलसरिसणीलगुलिअगवलअयसिकुसुमपगासा विअसिअसयवत्तमिवपत्तनिम्मलई सिंसितरत्ततंबणयणा गरूलायतउज्जुतुंगणासा उवचि असिलप्पवालबिंबफ लसण्णिभाहरोहा पंडुरससिसकल विमलणिम्मलसंखगोक्खी रफे णदगरयमुणालिया धवलदंतसेढी हुयवहणि खंत धोयतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहा अंजणघणफसिणरूय गरमणिज्जणिद्धकेसा वामेगकुंडलधरा अद्दचंदणाणुलित्तगत्ता ईसिसिलिंघपुप्फप्पगासाइं सुहुमाई असंकिलिट्ठाई वत्थाई पवरपरिहिया वयं च पढमं समतिक्कंता बितिअंच वयं असंपत्ता भद्दे जोव्वणे वट्टमाणा तलभंगयतुडिअपरभूसणनिम्मलमणिरयणमंडिअभुआ दसमुद्दामंडिअग्गहत्था चूलामणिचिंधगया सुरूवा महिडिढआ महज्जुतिआ महबला महायसा महासोक्खा महाणुभागा हारविराइतवच्छा कडगतुडिअथंभिअभुआ अंगयकुंडलमट्ठगंडतलकण्णपीढधारी विचित्तवत्थाभरणा विचित्तमालामउलिमउडा कल्लाणकयपवरवत्थपरिहिया कल्लाणकयपवरमल्लाणुलेवणा भासुरबोंदी पलंबवणमालधरा दिव्वेणं वण्णेणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेणं रूवेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघाए (घयणे) णं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्ढीए दिव्वाए जुत्तीए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिअं आगम्मागम्म समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेन्ति त्ता वंदंति णमंसंति त्ता णच्चासणे णाइदूरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति।२२। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे असुरिंदवज्जिआ भवणवासी देवा अंतियं पाउन्भवित्था णागपइणो सुवण्णा विज्जू अग्गीआ दीवा उदही दिसाकुमारा य पवणा थणिआ य भवणवासी णागफडागरूलवयरपुण्णकलस (संकिण्णउप्फे स० पा०) सीहहयगयमगरमउडवद्धमाणणिजुत्तविचित्तचिंधगया सुरूवा महिडिढया सेसं तं चेव जाव पज्जुवासंति ।२३। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स बहवे वाणमंतरा देवा अंतिअं पाउन्भवित्था पिसाया भूआ य जक्खरक्खसकिनरकिं पुरिसभुअगवइणो अ महाकाया गंधव्वणिकाय (प्र० पइ) गणा णिउणगंधव्वगीतरइणो अणपण्णिअपणपण्णिअइसिवादीअभूअवादीअकंदियमहाकंदिआ य कुहंड पयए य देवा चंचलचवलचित्तकीलणदवप्पिआ गंभीरहसिअभणीअपीअगीअणचणरई वणमालामेलमउडकुंडलसच्छंदविउव्विआहारणचारूविभूसणधरा सव्वोउयसुरभिकुसुमसुरइयपलंबसोभंतकंतविअसंतचित्तवणमालरइअवच्छा कामगमी कामरूवधारी णाणाविहवण्णरागवरवत्थचित्तचिल्लियणीयंसणा विविहदेसीणेवत्थगहिअवेसा पमुइअकंदप्पकलकेलिकोलाहलप्पिआ हासबोलकेलिबहुला अणेगमणिरयणविविहणिजुत्तविचित्तचिंधगया सुरूवा महिडिढआ जाव पज्जुवासंति ।२४। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जोइसिया देवा अंतिअं पाउन्भवित्था विहस्सतिचंदसूरसुक्कसणिच्चरा राहू धूमकेतू बुहा य अंगारकाय तत्ततवणिज्जकणगवण्णाजे गहा जोइसंमि चार चरंति केऊ अगइरइआ अट्ठावीसविहा यणक्खत्तदेवगणा णाणासंठाणसंठियाओ पंचवण्णाओ ताराओ ठिअलेस्स चारिणो अ अविस्साममंडलगती पत्तेयं णामंकपागडियचिंधमउडा महिडिढया जाव पज्जुवासंति।२५। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओमहावीरस्सवेमाणिया (सामाणियता- यत्तीससहिया सलोगपालअग्गमहिसिपरिसाणिअअप्परक्खेहिं संपरिवुडा देवसहस्साणुजाया मग्गेहिं पयएहिं समणुगम्मतसस्सिरीया देवसंघजयसद्दकयालोया तरुणदिवागरकरातिरेगप्पहेहिं मणिकणगरयणघडियजालुज्जलहेमजा लपेरंतपगिएहि सपयरवरमुत्तदामलंबंतभूसणेहिं पचलियघंटावलिमहुरसहवंसतीनतालगीयवाइयरवेणं हट्टतुट्ठमणसा सेसावि य कप्पवरविमाणाहिवा० इत्यादि २ पा०) देवा अंतिअंपाउब्भवित्था सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंद-बंभलंतकमहासुक्कसहस्साराणपपाणयारणअच्चुयवई पहिट्ठा देवा जिणदसणुस्सुगागमणजणियहासा MOYOS 454555555555555 | श्री आगमगुणमजूषा - ७८९ #555555555555555555FFFOOR $$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C辰 %%%%%%%%%%%%%%%%%%% Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) उववाइअं [ (१) उवंगसुतं 原PO पालक पुप्फक सोमणससिरिवच्छ णं दिआवत्तकामगमपीइगममणोगमविमलसव्वओभद्दणामधिज्जेहिं विमाणेहिं ओइण्णा वंदका जिणिदं मिगमहिसवराहछगलदददुरहयगयवइभुअगखग्गिउसभंकविडिमपागडियचिंधमउडा पसिढिलवरमउडतिरीडधारी कुंडलउज्जोविआणणा मउडदित्तरिया उपगोरा सेया सुभवण्णगंधफासा उत्तमविउव्विणो विविहवत्थगंधमल्लधरा महिडिढआ महज्जुतिआ जाव पंजलिउडा पज्जुवासंति । २६ । तए णं चंपाए नयरीए सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरच उम्मुहमहापहपहेसु महया जणसद्देइ वा जणवूहेइ वा (जणवाएइ वा जणुल्लावेइ वा पा० ) जणबोलेइ वा जणकलकलेइ वा जमीति वा जणुक्कलियाई वा जणसन्निवाएइ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आदिगरे तित्थगरे सयंसंबुद्धे पुरिसुत्तमे जाव संपाविउकामे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव चंपाए णयरीए बाहिं पुण्णभद्दे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं महप्फलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं णामगोअस्सवि सवणताए, किमंग पुण अभिगमणवंदणणमंसणपडिपुच्छणपज्जुवासणयाए ?, एक्कस्सवि आयरियस धम्मिअस्स सुवयणस्स सवणताए ? (१४०) किमंग पुण विउलस्स अत्थस्स गहणयाए ?, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो णमंसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइअं विणएणं पज्जुवासामो, एतं णे पेच्चभवे (इहभवे य पा० ) हियाए सुहाए खमाए निस्सेअसाए आणुगामिअत्ताए भविस्सइत्तिकट्टु बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोग भोगपुत्ता एवं दुपडोआरेणं राइण्णा (इक्खागा नाया कोरव्वा पा०) खत्तिआ माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छइपुत्ता अण्णे य बहवे राईसरतलवरमाडंबियकोडुंबिअइब्भसेट्ठिसेणावइसत्थवाहपभितओ अप्पेगइआ वंदणवत्तिअं अप्पेगइआ पूअणवत्तिअं एवं सक्कारवत्तियं सम्माणवत्तियं दंसणवत्तियं कोऊहलवत्तियं अप्पेगइआ अट्ठविणिच्छयहेउं अस्सुयाइं सुणेस्सामो सुयाइं निस्संकियाई करिस्सामो अप्पेगइआ अट्ठाई हेऊई कारणाई वागरणाइं पुच्छिस्सामो अप्पेगइआ सव्वओ समंता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारिअं पव्वइस्सामो अप्पे० पंचाणुवइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्मं पडिवज्जिस्सामो अप्पे इआ जिणभत्तिरागेणं अप्पेगइआ जीअमेअंतिकट्टु ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोऊयमंगलपायच्छित्ता (पाउच्छोलणधोया पा०) सिरसाकंठेमालकडा आविद्धमणिसुवण्णा कप्पियहारऽद्धहारतिसरयपालं बपलं बपलं बमाणक डिसुत्तयसुकयसोहाभरणा पवरवत्थपरिहिया चंदणोलित्तगायसरीरा अप्पेगइआ हयगया एवं गयगया (जाणजुग्गजंपाणगिल्लिथिल्लि० पा० ) सिबियागया संदमाणियागया अप्पेगइआ पायविहारचारिणो पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता (वग्गावग्गिं गुम्मागुम्मिं पाह)महया उक्किट्ठिसीहणायबोलकलरवेणं पक्खुब्भिअमहासमुद्दरवमूतंपिव करेमाणा (पायदद्दरेणं भूमिं कंपेमाणा अंबरतलमिव फोडेमाणा एगदिसिं एगाभिमुहा पा०) चंपाए णयरीए मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छंति त्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छंति त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्ताईए तित्थयराइसेसे पासंति त्ता जाणवाहणारं ठावइंति (विट्ठब्भंति पाह) त्ता जाणवाहणेहिंतो पच्चोरुहंति त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति त्ता वंदंति णमंसंति त्ता णच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणा णमंसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति (जाणाइं मुयंति वाहणारं विसज्जेति पुप्फतंबोलाइयं आउहमाइयं सच्चित्तालंकारं पाहणाओ य, एगसाडियं उत्तरासंगं, आयंता चोक्खा परमसुईभूया अभिगमेणं अभिगच्छंति, चक्खुप्फासे०, मणसा एगत्तिभावकरणेणं, सुसमाहिपसंतसाहरियपाणिपाया अंजलिमउलियहत्था, एवमेयं भंते! अवितहमेयं असंदिद्धमेयं इच्छियमेयं पडिच्छियमेयं इच्छियपडिच्छियमेयं सच्चे णं एसमट्ठे, माणसियाए तच्चित्ता तम्मणा तल्लेस्सा तयज्झवसिया तत्तिव्वज्झवसाणा तदप्पियकरणा तयट्ठोवउत्ता तब्भावणाभाविया एगमणा अणन्नमणा जिणवयणधम्माणुरागरत्तमणा वियसियवरकमलनयणवयणा, समोसरणाइं गवेसह आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा आएसणेसु वा आवसहेसु वा पणियगेहेसु वा पणियसालासु वा जाणगिहेसु जाणसालासु कोट्ठागारेसु सुयाणेसु सुन्नागारेसु परिहिंडमाणे परिघोलेमाणे पा० ) ।२७। तए णं से पवित्तिवाउए इमीसे कहाए लट्ठे समाणे हद्वतुट्ठे जाव हियए हाए जाव अप्पमहग्घाभरणालंकिअसरीरे सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइत्ता YMOON श्री आगमगुणमंजूषा ७९ फ्र [१०] 2 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOTOS2553555555555 रिशमनमगारानसुत - 15553333333333ERever चंपाणयरिं मज्झंमज्झेणं जेणेव बाहिरिया सव्वेव हेट्ठिल्ला वत्तव्वया जाव णिसीइत्ता तस्स पवित्तिवाउअस्स अद्धत्तेरससयसहस्साइं पीइदाणं दलयति त्ता सक्कारेइ सम्माणेइ त्ता पडिविसज्जेइ ।२८ । तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउअं आमतेइ त्ता एवं व०- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि, हयगयरहपवरजोहकलिअं च चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेहि, सुभद्दापमुहाण य देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडिएक्कपाडिएक्काई जत्ताभिमुहाई जुत्ताइं (जुग्गाइं पा०) जाणाइं उवट्ठवेह, चंपं णयरिं सब्भितरबाहिरिअं आसित्त(सम्मज्जिओवलित्तं सिंघाडगतिगचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु पा०) सित्तसित्तसुरइसम्मट्ठदुरत्थं तरावणवीहियं मंचाइमंचकलिअं णाणाविहरागउच्छि यज्झयपडागाइपडागमंडिअं लाउल्लोइयमहियं गोसीससीससरत्तचंदणजावगंधवट्टिभूअं करेह कारवेह त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहि निजइस्सामि समणं भगवं महावीरं अभिवंदए ।२९ । तए णं से बलवाउए कूणिएणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठजावहिअए करयलपरिग्गहिअं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं सामित्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ त्ता हत्थिबाउअं आमंतेइत्ता एवं व०- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! कूणिअस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेहि हयगयरहपवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेहि ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहि, तए णं से हत्थिवाउए बलवाउअस्स एअमटुं सोच्या आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ त्ता छेआयरियउवएसमइविकप्पणाविकप्पेहिं सुणिउणेहिं उज्जलणेवत्थहत्थपरिवत्थिअं सुसज्जं वम्मिअसण्ण- द्धबद्धकवइयउप्पीलियकच्छवच्छगेवेयबद्धगलवरभूसणविरायंत अहियतेअजुत्तं (सललिअ पा०) वरकण्णपूरविराइअं पलंबउच्चूलमहुअर(विरइयवरकण्णपूरसललियपलंबावचूलचामरोक्कर पा०) कयंधयारं चित्तपरिच्छेअपच्छयं (सचावसर पा०)पहरणावरणभरिअजुद्धसज्जं सच्छत्तं सज्झयं सघंट सपडागं पंचामेलअपरिमंडिआभिरामं ओसारियजमलजुअलघंटे विज्जुपिणद्धंव कालमेहं उप्पाइयपव्वयंव चंकमंतं(सक्खं पा०) मत्तं गुलगुलंतं (महामेघव पा०) मणपवणजइण(सिग्घ पा०)वेगं भीमं संगामियाओज्जं आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पइ त्ता हयगयरहपवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेइ त्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइ त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणइ, तए णं से बलवाउए जाणसालिअं सद्दावेइ त्ता एवं व०- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! सुभद्दापमुहाणं देवीणं बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए पाडिएक्कपाडिएक्काइं जत्ताभिमुहाइं जुत्ताई जाणाई उवट्ठवेह त्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहि, तए णं से जाणसालिए बलवाउअस्स एअमढे आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ त्ता जेणेव जाणसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता जाणाइं पच्चुवेक्खेइ त्ता जाणाइं संपमज्जेइ त्ता जाणाई संवट्टेइ त्ता जाणाई णीणेइ त्ता जाणाणं दूसे पवीणेइ त्ता जाणाई समलंकरेइ त्ता जाणाई वरभंडकमंडियाइं करेति त्ता जेणेव वाहणसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता वाहणाई पच्चुवेक्खेइत्ता वाहणाइं संपमज्जइत्ता वाहणाई णीणेइत्ता वाहणाई अप्फालेइ त्ता दूसे पवीणेइ त्ता दूसे पवीणेइ त्ता वाहणाइं समलंकरेइ त्ता वाहणाई वरभंडकमंडियाइं करेइत्ता वाहणाई जाणाइं जोएइ त्ता पओदलहिँ पओअधरे अ संमं आडहइ त्ता ई वट्टमग्गं गाहेइत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइत्ता बलवाउअस्स एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणइ, तएणं से बलवाउए णयरगुत्तिए आमतेइत्ता एवं व०- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चंपं णयरिं सब्भितरंबाहिरियं आसित्त जाव कारवेत्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणाहि, तए णं से णयरगुत्तीए बलवाउअस्स एअमंढे आणाए विणएणं म पडिसुणेइत्ता चंपंणयरिं सब्भितरबाहिरियं आसित्त जाव कारवेत्ता जेणेव बलवाउए तेणेव उवागच्छइत्ता एअमाणत्तिअं पच्चप्पिणइ, तएणं से बलवाउए कोणिअस्स ॐ रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पिअं पासइ हयगय जाव सण्णाहिअंपासइ सुभद्दापमुहाणं देवीणं पडिजाणाइं उवट्ठविआई पासइ चंपं णयरिं सब्भितरजाव गंधवट्टिभूअं कयं पासइ त्ता हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदिए पीअमणे जाव हिअए जेणेव कूणिए राया भंभसारपुत्ते तेणेव उवागच्छइ त्ता करयलजाव एवं व०ॐ कप्पिए णं देवाणुप्पियाणं आभिसिक्के हत्थिरयणे हयगयपवरजोहकलिया य चाउरंगिणी सेणा सण्णाहिआ सुभद्दापमुहाणं च देवीणं बाहिरियाए अ उवट्ठाणसालाए कपाडिएक्कपाडिएक्काई जत्ताभिमुद्दाई जुत्ताई जाणाई उवट्ठावियाई चंपा णयरी सब्मितरबाहिरिया आसित्तजाव गंधवट्टिभूआ कया तं निजंतु णं देवाणुप्पिया ! समणं र भगवं महावीरं अभिवंदआ ।३०। तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते बलवाउअस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठजाहिअए जेणेव अट्टणसाला तेणेव re55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७९१55555555555555555555555IOR SO$$$乐乐$$$$$$$$$$$历历历明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) उववाइअं [ (१) उवंगसुतं [१२] उवागच्छइ त्ता अट्टणसालं अणुपविसइ त्ता अणेगवायमजोग्गवग्गणवामद्दणमल्लजुद्धकरणेहिं संते परिस्सते सयपागसहस्सपागेहिं सुगंधतेल्लमाइएहिं दप्पणिज्जेहिं मयणिज्जेहिं बिहणिज्जेहिं सव्विंदियगायपल्हायणिज्जेहिं अब्भंगेहिं अब्भंगिए समाणे तेल्लचम्मंसि पडिपुण्णपाणिपायसुकुमालकोमलतलेहिं पुरिसेहिं छेएहिं दक्खेहिं पत्तट्ठेहिं कुसलेहिं मेहावीहिं निउणसिप्पोवगएहिं अब्भंगणपरिमद्दणुव्वलणकरणगुणणिम्माएहिं अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयासुहाए रोमसुहाए चउव्विहाए संवाहणाए संवाहिए समाणे अवगयखेअपरिस्समे अट्टणसालाउ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव मज्जणधरे तेणेव उवागच्छइ त्ता मज्जणघरं अणुपविसइ त्ता समुत्त (समन्त० पा०)जालाउलाभिरामे विचित्तमणियरयणकुट्टिमतले रमणिज्जे ण्हाणमंडवंसि णाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहणिसण्णे सुद्धोदएहिं गंधोदएहिं पुप्फोदएहिं सुहोदएहिं पुणो कल्लाणगपवरमज्जणविहीए मज्जिए तत्थ कोउअसएहिं बहुविहेहिं कल्लाणगपवरमज्जणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासाइयलूहिअंगे सरससुर हिगोसीस चंदणाणुलित्तगते अहय सुमहग्घदूस रयण सुसंवुए सुइमालावण्ण गविलेवणे आविद्धमणिसुव्वण्णे कप्पियहारद्धहारतिसरयपालंबमाणकडिसुत्तसुकयसोभे पण विज्जे अंगुलिन गललियगललिय कयाभरणे वरकडग तुडिय थंभिअभुए अहियरूवस स्सिरीए (मुद्दिआपिंगलं गुलिए कुंडल पा० ) उज्जा विआणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकयरइयवच्छे पालंबपलंब माणपड सुकय उत्तरिज्जे णाणामणिकण गरयणविमलमहरिहणिउणोवि अमिसिसंतविर इयसुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठआविद्धवीरवलर, किं बहुणा ?, कप्परुक्खए चेव अलंकियविभूसिए णरवई सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं ( अब्भपडलपिंगलुज्जलेण अविरलसमसहियचंदमंडलसमप्पभेणं मंगलसयभत्तिच्छ े यविचित्तियखिखिणिमणिहेमजाल विरइपरिगयपेरंतकणग घंटियापयलियकिणिकिं तसुइसुहसुमहुर सद्दालसोहिएणं सप्पयरवरमुत्तसमलंबंतभूसणेणं नरिंदवामप्पमाणरुंदपरिमंडलेणं सीयायववायवस्सिविसदोसनासणेणं तमरयमल बहलपडलधाडणप्प भाकरेणं उउसुहसि वच्छायसमणुबद्धेणं वेरुलियदंडसज्जिएणं वइरामवत्थिनिउणाजोइय- अट्टसहस्सवरकंचणसलागनिम्मिएणं सुनिम्मलरययसुच्छएणं निउणोवियमिसिमिसितमणिरयणसूरमंडलवितिमिरकरं निग्गयग्गपडिहयपुणरविपच्चायडंतचंचलमिरिइकवयं विणिम्मुयंतेणं सपडिदंडेणं धरिज्नमाणेणं आयवत्तेणं विरायंते पा०) चउचामरवालवीजियंगे (चउहि य ताहि य) पवरगिरिकुहरविचणसुमुइयनिरुवहचमरपच्छिमसरीरसंजायसंगयाहिं अमलियसियक मलविमलुज्जयरययगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलधोयनिम्मलाहिं पवणाहयचवलललियतरं गहत्थनच्वं तवीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पूरचंचलाहिं माणससरपरिसरपरिचियावासविसयवेसाहिं कणगगिरिसिहरसंसिसयाहिं उवइयउप्पइयतुरियचवलजइणसिग्घवेयाहिं हंसवधूयाहिं चेव कलिए णाणामणिकणगरयणविमलमहरिहंतवणिज्जुलविचित्तदंडाहिं चिल्लियाहिं नरवइसिरिसमुदयपगासणकरीहिं वरपट्टणुग्गयाहिं समिद्धराय कुलसेवियाहिं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कवरवण्णवासगंधुद्ध्याभिरामाहिं सललियाहिं उभओपासंमि उक्खिप्पमाणाहिं चामराहिं सुहसीयलवायवीइयेंगे पा० ) मंगलजयसद्दकयालोए मज्जणघराओ पडिनिक्खमइ त्ता अणेगगणनायगदंडनायगराईसरतलवरमाडंबियकोडुंबियइब्भसेट्ठिसोणावइसत्थवाहदूअसंधिवाल सद्धि संपरिवुडे धवलमहामेहणिग्गएइव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे ससिव्व पिअदंसणे णरवई जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला जेणेव आभिसेक्के हत्थरयणे तेणेव उवागच्छइ त्ता अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवई णखई दुरूढे, तए णं तस्स कूणियस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स आभिसिक्कं हत्थिरयणं दुरूढस्स समाणस्स तप्पढमया इमे अट्ठमंगलया पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्टिआ, तं०- सोवत्थियसिरिवच्छणंदिआवत्तवद्धमाणकभद्दासणकलसमच्छदप्पणा, तयाऽणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगारं दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दंसणरइअआलोअदरिसणिज्जा वाउयविजयवेजयंती उस्सिआ गगणतलमणुलिहंती पुरओ अहाणुपुवीए संपट्ठिआ, तयाऽणंतरं च णं वेरुलियभिसंतविमलदंडं पलंबकोरंटमल्लदामोवसोभियं चंदमंडलणिभं समूसिअविमलं आयवत्तपवरं सीहासणं वरमणिरयणपादपीढं सपाउआजोयसमाउत्तं बहु (दासीदास पा०) किंकरकम्मकरपुरिसपायत्तपरिक्खित्तं पुरओ अहाणुपुवीए संपट्टियं, तयाऽणंतरं बहवे असिग्गाहा लट्ठिग्गाहा कुंग्गा चावग्गीहा चामरग्गाहा पासग्गाहा पोत्थयगाहा फलग्गाहा पीढग्गाहा वीणग्गाहा कूडग्गाहा हडप्फग्गाहा पुरओ अहाणुपुवीए संपद्विआ, तयाऽणंतरं बहवे डंडिणो ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ७९२ SOOR फु Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 33.2555岁男男男男%%%%%%%到 हराउमाल्गराउनसुत - मि 历% %%%%% % %%%2 03 Qsxei मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिछिणो हासकरा डमरकरा चाडुकरा वादकरा कंदप्पकरा दक्करा कोक्कुइआ किट्टि(त्ति)करा वायंता गायंता हसंता णच्वंता भासंता सावेंता रक्खंता (पविता पा०) आलोंअं च करमाणा जयरसई पउंजमाणा पुरओ अहाणुपुवीए संपट्ठिआ, ('असिलट्ठिकुंतचावचामरपासे य फलगपोत्थे या वीणाकूडग्गाहे तत्तो य हडप्फगाहे य॥१|| दंडी मुंडी सिहंडी पिच्छी जडिणो य हासकिड्डा य दवकारा चडुकारा कंदप्पिय कोक्कुइय गाहा ॥२॥ गायंता वायंता नच्चंता तह हसंत हासिंता । सावेंता रावेंता आलोयजयं पउंजंता ||३||पा०) तयाऽणंतरं जच्चाणं तरमल्लिहायणाणं (वरमल्लिभासणाणं पा०) हरिमेलामउलमल्लियच्छाणं चंचुच्चियललिअपुलियचलचवलचवलचंचलगईणं लंघणवग्गणधावणधोरणतिवईजइणसिक्खि अगईणं ललंतलामगललायवरभूसणाणं मुहभंडगउच्चूलगथासगअहिलाणचामरगण्डपरिमंडियकडीणं किंकरवरतरुणपरिग्गहिआणं अट्ठसयं वरतुरगाणं पुरओ अहाणुपुव्वीए ॐ संपट्ठियं, तयाऽणंतरं चणं इसीदंताणं ईसीमत्ताणं ईसीतुंगाणं ईसीउच्छंगविसालधवलदंताणं कंचणकोसीपविट्ठदंताणं कंचणमणिरयणभूसियाणं वरपुरिसारोहग(सु पा०)संपउत्ताणं अट्ठसयं गयाणं पुरओ अहाणुपुवीए संपट्ठियं,तयाऽणंतरं सच्छत्ताणं सज्झयाणं सघंटाणं सपडागाणं सतोरणवराणं सणंदिघोसाणं संखिखिणीजालपरिक्खित्ताणं हेमवयचित्ततिणिसकणकणिजुत्तदारुआणं कालायससुकयणेमिजंतकम्माणं सुसिलिठ्ठवत्त(सुसंविद्धचक्क पा०) मंडलधुराणं आइण्णवरतुरगसुसंपउत्ताणं कुसलनरच्छेअसारहिससंपग्गहिआणं (हेमजालगवक्खजालखिखिणिघंटाजालपरिक्खित्ताणं पा०)बत्तीसतोणपरिमंडिआणं सकं कडवडे सकाणं सचावसरपहरणावरणभरिअजुद्धसज्जाणं अट्ठसयं रहाणं पुरओ अहाणुपुवीए संपट्टियं, तयाऽणंतरं च णं असिसत्तिकोंततोमरसूललउडभिडिमालधणुपाणिसज्जं पायत्ताणीयं (सन्नद्धबद्धवम्मियकवइयाणं पा०) पुरओ अहाणुपुव्वीए संपट्ठिअं, तए णं से कूणिए राया हारोत्थयसुकयरइयवच्छे कुंडलउज्जोविआणणे मउडदित्तसिरए णरसीहे णरवई णरिंदे णरसहे मणुअरायवसभकप्पे अब्भहिअरायतेअलच्छीए दिप्पमाणे हत्थिक्खंधवरगए सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेअवरचामराहिं उधुव्वमाणीहिं २ वेसमणोचेव णरवई अमरवईसण्णिभाए इड्ढीए पहियकित्ती हयगयरहपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए समणुगम्ममाणमग्गे जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव पहारित्थ गमणाए, तएणं तस्स कूणिअस्स रण्णो भंभसारपुत्तस्स पुरओ महंआसा आसधरा(वरा पा०)उभओ पासिंणागा णागधरा पिट्ठओ रहसंगेल्ली, तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते अब्भुग्गयभिंगारे पग्गहियतालियंटे उच्छियसेअच्छत्ते पवीइअबालवीयणीए सव्विड् ढीए सव्वजुत्तीए सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं सव्वादरेणं सव्वबिभूईए सव्वविभूसाए सव्वसभमेणं सव्वपुप्फगंधवासमल्लालंकारेणं (सव्वसंभमेणं पगईहिं नाय(ड)गेहिं तालायरेहिं सव्वोरोहेहिं सव्वपुप्फवत्थगन्धमल्लालंकारविभूसाए पा०) सव्वतुडि असहसण्णिणाएणं महया इड् ढीए महयाजुत्तीए महया बलेणं महया समुदएणं महया वरतुडि अजमगसमगप्पवाइएणं संखपणवपडहभेरिझल्लरिखरमुहिकक्कमुरवमुअंगदुंदुणिग्घोसणाइयरवेणं चंपाए णयरीए मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ ।३१। तए णं कूणि अस्स रण्णो चंपानगरि मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छमाणस्स बहवे अत्यत्थिया कामत्थिया भोगत्थिया किब्बिसिअ करोडिआ लाभत्थिया कारवाहिया संखिआ चक्किया णंगलिया मुहमंगलिआ वद्धमाणा पुस्समाणवा खंडियगणा ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पिआहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं मणोभिरामाहिं हिययगमगणिज्जाहिं(मणोभिरामाहिं उरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिंधण्णाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं हिययगमणिज्जाहिं हियपल्हायणिज्जाहिं मियमहुरगंभीरगाहिगाहिं अट्ठसइयाहिं अपुणरुत्ताहिं पा०) जयविजयमंगलसएहिं अणवरयं अभिणंदंता य अभिथुणता य एवं व०- जय २ णंदा ! जय २ भद्दा ! भई ते अजियं जिणाहि जिअं च पालेहि जिअमज्झे वसाहि इंदोइव देवाणं चमरोइव असुराणं धरणोइव नागाणं चंदोइव ताराणं भरहोइव मणुआणं बहूई बासाइं बहुइ वाससआई बहूइं वाससय(वास)सहस्साइं अणहसमग्गोहहतुट्ठोपरमाउंपलायाहि इट्ठजनसंपरिवुडो चंपाए णयरीए अण्णेसिंच बहूणं गामागरणयकखेडकब्बडमडंबदो- णमुहपट्टणआसमनिगमसंवाहसंनिवेसाणं आहेवच्चं पोरेवच्वं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाऽऽयणट्टगीयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुअंगपडुप्पवाइअरवेणं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे MO5555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ७९३ 555555555555555555555555FOTOK 乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明GO Q乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SIO9555555555555555 (१२) उववाइ[(१) उवंगसुतं ] [१४] 5555555555555FOXOK विहराहित्तिकट्ट जयरसदं पउंजंति, तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते णयणमालासहस्सेहिं पेच्छिज्जमाणे २ हिअयमालासहस्सेहिं अभिणंदिज्जमाणे २ (उन्नइज्जमाणे पा०)मणोरहमालासहस्सेहिं विच्छिप्पमाणे २ वयणमालासहस्सेहिं अभिथुव्वमाणे २ कतिसोहग्गुणेहिं पत्थिज्जमाणे २ बहूणं णरणारीसहस्साणं दाहिणहत्थेणं अंजलिमालासहस्साई पडिच्छमाणे २ मंजुमंजुणा घोसेणं पडिबुज्झमाणे २ भवणपंतिसहस्साइं समइच्छमाणे २(तंतीतलतालतुडियगीयबाइयरवेणं महुरेणं जयसदुग्घोसवि(मी)सएणं मंजुमंजुणा घोसेणं अपडिबुज्झमाणे पा०) चंपाए णयरीए मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ त्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामते छत्ताईए तित्थराइसेसे पासइत्ता आभिसेक्कं हत्थिरयणं ठवेइ त्ता आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहइ त्ता अवहटु पंच रायककुहाई, तं०-खग्गं छत्तं उप्फेसं वाहणाओ वालवीअणं, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ त्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छति तं०-सच्चित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए एगसाडियउत्तरासंगकरणेणं चक्खुफासे अंजलिपग्गहेणं (चक्खुप्फासे हत्थिक्खंधविट्ठभणयाए पा०) मणसो एगत्ती भावकरणेणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइत्ता वंदति णमंसति त्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ तं०-काइयाए वाइयाए माणसियाए, काइयाए ताव संकुइअग्गहत्थपाए सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ वाइयाए जं जं भगवं वागरेइ एवमेअं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेअंभंते ! इच्छिअमेअभंते ! पडिच्छिअमेअंभंते! इच्छियपडिच्छियमेअंभंते! से जहेयं तुब्मे वदह अपडिकूलमाणे पज्जुवासति माणसियाए महया संवेगं जणइत्ता तिव्वधम्माणुरागरत्तो पज्जुवासइ ।३२ । तए णं ताओ सुभद्दापमुहाओ देवीओ अंतो अंतेउरंसि ण्हयाओ जाव पायच्छित्ताओ सव्वालंकारविभूसियाओ बहूहिं खुजाहिं चिलायाहिं वामणीहिं वडभीहिं बब्बरीहिंपयाउसियाहिं जोणिआहिं पण्हविआहिंइसिगिणिआहिं वासिइणिआहिँ लासियाहिं लउसियाहिं सिंहलीहिं दमिलीहिं आरबीहिं पुलंदीहिं पक्कणीहिं बहलीहिं मुरुंडीहिं सबरियाहिं पारसीहिं णाणादेसी(प्र० हिम य)विदेसपरिमंडिआहिं इंगियचितियपत्थिय(मणोगत प०)विजाणियाहिं सदेसणेवत्थगहियवेसाहिं चेडियाचक्कवालवरिसधरकंचुइज्जमहत्तरगवंद परिक्खित्ताओ अंतेउराओ णिग्गच्छत्तित्ताजेणेव पाडिएक्कपाडिएक्काई जाणाई तेणेव उवागच्छन्ति ता पाडिएक्कपाडिएक्काई जत्ताभिमुहाई जुत्ताई जाणाई दुरूहतित्ता णिअगपरिआल सद्धिं संपरिवुडाओ चंपाए णयरीए मज्झमज्झेणं णिग्गच्छत्तित्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छंति त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते छत्तादिए तित्थयरातिसेसे पासंति त्ता पाडिएक्कपाडिएक्काइं जाणाई ठवंति त्ता जाणहितो पच्चोरुहंति त्ता बहूहिंखुजाहिं जाव परिक्खित्ताओ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति त्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छंति तं०-सच्चित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए विरओणताए गायलीट्ठीए चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं मणसो एगत्तभावकरणेणं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेन्ति त्ता वंदंति णमंसंति त्ता कूणियरायं पुरओ कट्ट ठिइयाओ चेव सपरिवाराओ अभिमुहाओ विणएणं पंगलिउडाओपज्जुवासंति।३३। तएणं समणे भगवं महावीरे कूणिअस्सभंभसारपुत्तस्स सुभद्दाप्पमुहाणं देवीणं तीसे अ महतिमहालियाए परिसाए इसीपरिसाए मुणिपरिसाए जझरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए अणेगसयवंदाए अणेगसयवंदपरिवाराए ओहबले अइबले महब्बले अपरिमिअबलवीरियतेयमाहप्पकंतिजुत्ते सारयनवत्थणियमहुरगंभीरकोंचणिग्योसदुंदुभिस्सरे उरेवित्थडाए कंठेऽवट्ठियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए अमम्मणाए सव्वक्खरसण्णिवाइयाए पुण्णरत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए(फुडविसयमहुरगंभीरगाहियाए सव्वक्खरसण्णिवाइयाए पा०) जोयणणीहारिणा सरेणं अद्धमागहाए भासाए, भासति अरिहा धम्म परिकहेइ. तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं अगिलाए धम्ममाइक्खइ, साऽविय णं अद्धमागहा भासा तेसिं सव्वेसिं आरियमणारियाणं अप्पणो सभासाए परिणामेणं परिणमइ तं०-अत्थि लोए अत्थि अलोए एवं जीवा अजीवा बंधे मोक्खे पुण्णे पावे आसवे संवरे वेयणा णिज्जरा अरिहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा नरका णेरइया तिरिक्खजोणिआ तिरिक्खजोणिणीओ माया पिया रिसओ देवा देवलोआ सिद्धी सिद्धा परिणिव्वाणं परिणिव्वुया अत्थि पाणाइवाए मुसावाए अदिण्णादाणे मेहुणे परिग्गहे अत्थि कोहे माणे माया लोभे जाव मिच्छादसणसल्ले अत्थि पाणाइवायवेरमणे मुसावायवेरमणे. Keros ##5555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७९ ### # OOR 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CC Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明$$明乐乐明明明明明明明明明明$$$$$$$$$$$$$$650 APR95555555555555559 (१२) उववाइ[१) उबंगसुत्तं ] [१५] 155555555555555sSORY अदिण्णादाणवेरमणे मेहुणवेरमणे परिग्गहवेरमणे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे सव्वं अत्थिभावं अत्थित्ति वयति सव्वं णत्थिभावं णस्थित्ति वयति सुचिण्णा कम्मा सुचिण्णफला भवंति दुच्चिण्णा कम्मा दुचिण्णफला भवंति फुसइ पुण्णपावे पच्चायंति जीवा, सफले कल्लाणपावए धम्ममाइक्खइ-इणमेव णिग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवलिए संसुद्धे पडिपुण्णे णेआउए सल्लकत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे णिव्वाणमग्गे णेजाणमग्गे अवितहमविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे इहडिआ जीवा सिज्झंति बुज्झंति मुच्चंति परिणिव्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करंति, एगच्चा पुण एगे भयंतारो पुच्चकम्मावसेसेणं अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति महड्ढीएसुजाव महासुक्खेसुदूरंगइएसु चिरट्ठिईएसु, ते ण तत्थ देवा भवंति महड्डिया जाव चिरट्ठिईआ हारविराइयवच्छा जाव पभासमाणा कप्पोवगा गतिकल्लाणा आगमेसिभद्दा जाव पडिरूवा, तमाइक्खइ एवं खलु चउहिं ठाणेहिं जीवा णेरइअत्ताए कम्मं पकरंति त्ता णेरइएसु उववज्जति तं०-महारंभयाए महापरिगहयाए पंचिंदियवहेणं कुणिमाहारेणं, एवं एएणं अभिलावेणं तिरिक्खजोणिएसुमाइल्लयाए णिअडिल्लयाए अलिअवयणेणं उक्कंचणयाए वंचणयाए मणुस्सेसुपगतिभद्दयाए पगतिविणीतताए साणुक्कोसयाए अमच्छरियताए देवेसु सरागसंजमेणं संजमासंजमेणं अकामणिज्जराए बालतवोकम्मेणं तमाइक्खइ-'जह णरगा गम्मति जे णरगा गम्मति जे णरगा जा य वेयणा शरए । सारीरमाणसाइं दुक्खाइं तिरिक्खजोणिए ॥१॥ माणुस्सं च अणिच्वं वाहिजरामरणवेयणापउरं । देवे अ देवलोए देविडिं देवसोक्खाइहं ।।२।। णरगं तिरिक्खजोणिं माणुसभावं च देवलोअं च । सिद्धे अ सिद्धवसहिं छज्जीवणियं परिकहेइ ।।३।। जह जीवा बझंती मुच्वंती जह य परिकिलिस्संति । जह दुक्खाणं अंतं करंति केई अपडिबद्धा ||४|| अट्टदुह(णिय पा०)ट्टियचित्ता जह जीवा दुक्खसागरमुविति । जह वेरग्गमुवगया कम्मसमुग्गं विहाडंति ॥५।। (एवं खलु जीवा निस्सीला णिव्वया णिग्गुणा निम्मेरा णिप्पच्चक्खाणपोसहोववासा अक्कोहा णिक्कोहा छीणकोहा अणुपुव्वेणं पा०) जहा रागेण कडाणं कम्माणं पावगो फलविवागो जह य परिहीणकम्मा सिद्धा सिद्धालयमुविति, तमेव धम्म दुविहं आइक्खइ, तं०-अगारधम्म अणगारधम्मं च, अणगारधम्मो ताव इह खलु सव्वओ सव्वत्ताए मुंडे भवित्ता आगारातो अणगारियं पव्वयइ सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं मुसावाय० अदिण्णादाण० मेहुण० परिग्गह० राईभोयणाउ वेरमणं, अयमाउसो ! अणगारसामइए धम्मे पं०, एअस्स धम्मस्स सिक्खाए उवट्ठिए निगंथे वा निग्गंथी वा विहरमाणे आणाए आराहए भवति, अगारधम्म दुवालसविहं आइक्खइ, तं०-पंच अणुव्वयाइं तिणि गुणवयाइं चत्तारि सिक्खावयाई, पंच अणुव्वयाई, तं०-थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं थूलाओ मुसावायाओ० थूलाओ अदिन्नादाणाओ० सदारसंतोसे इच्छापरिमाणे तिण्णि गुणव्वयाई तं०-अणत्थदंडवेरमणं दिसिव्वयं उवभोगपरिभोगपरिमाणं, चत्तारि सिक्खावयाइं तं०-सामाइअं देसावगासियं पोसहोववासे अतिहिसंजयस्स विभागे, अपच्छिमा मारणंतिआ संलेहणाजूसणाराहणा, अयमाउसो! अगारसामाइए धम्मे पं०, धम्मस्स सिक्खाए उवट्ठिए समणोवासए समणोवासिआ वा विहरमाणे आणाइ आराहए भवति ।३४। तएणं सा महतिमहालिया मणूसपरिसा समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठजावहिअया उठाए उठेति त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइत्ता वंदति णमंसति त्ता अत्थेगइआ मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइया, अत्थेगइआ पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खवइअं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवण्णा, अवसेसा णं परिसा समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति ता एवं व०-सुअक्खाए ते भंते ! णिग्गंथे पावयणे एवं सुपण्णत्ते सुभासिए सुविणीए सुभाविए अणुत्तरे ते भंते ! णिग्गंथे पावयणे, धम्मं णं आइक्खमाणां तुब्भे उपसभंआइक्खह उवसमं आइक्खमाणा विवेगं आइक्खह विवेगं आइक्खमाणा वेरमणं आइक्खह वेरमणं आइक्खमाणा अकरणं पावाणं कम्माणं आइक्खह, णत्थि णं अण्णे केई समणे वा माहणे वा जे एरिसं धम्ममाइक्खित्तए किमंग पुण इत्तो उत्तरतरं ?, एवं वदित्ता जामेव दिसं के पाउब्भूआ तामेव दिसंपडिगया।३५। तएणं कूणिए राया भंभसारपुत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठजावहियए उठाए उढेइत्ता के समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति त्ता वंदति णमंसति त्ता एवं व०-सुअक्खाए ते भंते ! णिग्गंथे पावयणे जाव किमंग पुण एत्तो उत्तरतरं ?, एवं वदित्ता जामेव दिस पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए।३६। तए णं ताओ सुभद्दापमुहाओ देवीओ समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म Mero श्री आगमगणमंजुषा- ७२५ u rurur new nareneurNEELaurer w ay GO$$$$$$听听听听听听听听听听听听听乐劣听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CS Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR9555555555555555 (१२) उववाइ [ (१) उवंगसुतं ] [१६] $$ $ $$ $$$ $$ 2 0 C555555555555555555 YOKO乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听乐乐所长乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐玩乐乐乐玩乐乐乐乐 हट्ठतुट्ठजावहिअयाओ उट्ठाए उढेइ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेन्ति त्ता वंदति णमंसंति त्ता एवं व०-सुअक्खाए णं ते भंते ! णिग्गंथे पावयणे जाव किमंग पुण इत्तो उत्तरतरं ?, एवं वदित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूआओ जामेव दिसिं पडिगयाओ, समोसरणं, समत्तं ।३७। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे गोयमसगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वइरोसहनारायसंघयणे कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उम्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे घोरतवे उराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेअलेस्से समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उड्ढेजाणू अहोसिरे झाणकोट्टोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, तएणं से भगवं गोअमे जायसड्ढे जायसंसएजायकोऊहल्ले उप्पण्णसड्ढे उप्पण्णसंसए उप्पण्णकोउहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोऊहल्ले समुप्पण्णसड्ढे समुप्पण्णसंसए समुप्पण्णकोऊहल्ले उट्ठलए उढेइ त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति त्ता समण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेति त्ता वंदति णमंसति त्ता णच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासमाणे एवं व०-जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे (१४१) सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते पावकम्म अण्हाति ?, हंता अण्हाति, जीवे णं भंते ! असंजयअविरयअप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते मोहणिज्जं पावकम्मं अण्हाति?.हंता अण्हाति, जीवेणं भंते ! मोहणिज्जं कम्मं वेदेमाणे मोहणिज्जं कम्मं बंधइ वेअणिज्ज कम्मं बंधइ?, गोअमा! मोहणिज्जपि कम्म बंधइ वेअणिज्जपि कम्मं बंधति. णण्णत्थ चरिममोहणिज्जं कम्मं वेदेमाणे वेअणिज्ज कम्मं बंधइ णो मोहणिज्ज कम्मं बंधइ ३. जीवे णं भंते ! असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते ओसण्णतसपाणघाती कालमासे कालं किच्चा णेरइएसु उववज्जति?.हंता उववज्जति ४, जीवेणं भंते ! असंजए अविरए अपडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इआ चुए देवे सिआ?, गोअमा ! अत्थेगइए देवे सिया अत्थेगइए णो देवे सिया, से केणद्वेणं भंते ! एवं वु०-अत्थेगइए देवे सिआ अत्थेगइए णो देवे सिआ ?,गोयमा ! जे इमे जीवा गामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकब्बडमंडबदोणमुहपट्टणासमसंबाहसण्णिवेसेसु अकामतण्हाए अकामछुहाए अकामबंभचेरवासेणं अकामअण्हाणकसीयायवंदसमसगसेअजल्लमल्लपंकपरितावेणं अप्पतरो वा भुज्जतरो वा कालं अप्पाणं पकिरिलेसंति त्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णुतरेसु वाणमंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिंगती तहिं तेसिं ठिती तहिं तेसिं उववाए पं०, तेसिं णं भंते ! देवाणं केवइअं कालं ठिई पं०?, गोअमा ! दस वाससहस्साई ठिई पं०, अत्थि णं भंते ! तेसिं देवाणं इड्ढीइ वा जुईइ वा जसेति वा उट्ठाणेइ वा कम्मेइ वा बलेति वा वीरिएइ वा पुरिसक्कारपरिक्कमेइ वा ?, हंता अत्थि, ते णं भंते ! देवा परलोगस्साराहगा ?. णो तिणढे समढे ५, से जे इमे गामागरणयरणि गमरायहाणिखेडकब्बडमंड बदोणमुहपट्टणासमसंबाहण्णिवेसेसुमणुआ भवंति, तं०-अंडुबद्धका णिअलबद्धका हडिबद्धका चारगबद्धका हत्थच्छिन्नका पायच्छिन्नका कण्णच्छिण्णका णक्कच्छिण्णका उट्ठच्छिन्नका जिब्भच्छिन्नका सीसच्छिन्नका मुखच्छिन्नका मज्झच्छिन्नका वेकच्छच्छिन्नका हियउप्पाडियगा णयणुप्पाडियगा दसणुप्पाडियगा वसणुपडियगा गीवच्छिण्णका तंडुलच्छिण्णका कागणिमंसक्खाइयया ओलंबिया लंबिअया घंसिअया घोलिअया फाडिअया पीलीअया सूलाइअया सूलभिण्णका खारवत्तिया वज्झवत्तिया सीहपुच्छियया दवग्गिदडि ढयगा पंकोसण्णका पंके खुत्तका वलयमयका वसट्टमयका णियाणमयका अंतोसल्लमयकागिरिपडिअका तरूपडियका मरूपडियगा गिरिपक्खंदोलिया तरूपक्खंदोलिया मरूपक्खंदोलिया जलपवेसिका जलणपवेसिका विसभक्खितका म. सत्थोवाडितका वेहाणसिआ गिद्धपिट्ठका कंतारमतका दुब्मिक्खमतका असंकिलिट्ठपरिणामा ते कालमासे कालं णिच्चा अण्णतरेसु वाणमंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिंगती तहिं तेसिं ठिती तहिं तेसिं उववाए पं०, तेसिंणं भंते ! देवाणं केवइअं कालं ठिती पं० ?, गोअमा ! बारसवाससहस्साइंठिती पं०. अस्थि णं भंते ! तेसिं देवाणं इड्ढीइ वा जुईइ वा जसेति वा बलेति वा वीरिएइ वा पुरिसक्कारपरिकमेइ वा ?, हंता अत्थि, ते णं भंते ! देवा परलोगस्साराहगा?, णो तिणढे० ६, से जे इमे गामागरणयरणिगमरायहाणिखेड कब्बडमंडबदोणमुहपट्टणासमसंबाहसंनिवेसेसु मणुआ भवंति तं०-पगइभद्दगा पवइउवसंता TOSo5555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा -७९६55555555555555555555555STOR FFFFFFFFFFFFFFOROR Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EFFEE ज CO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听国乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 SAGROF%95$$$$$$$$$$$ (१२) उववाइ[(१) उवंगसुत्तं ] [१७] 55555555555555yeXOS पगइपतणुकोहमाणमायालोहा मिउमद्दवसंपण्णा अल्लीणा भद्दगा विणीआ अम्मापिउसुस्सूसका अम्मपिउणं अणतिक्कमणिज्जवयणा अप्पिच्छा अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा अप्पेणं आरंभेणं अप्पेणं समारंभेण अप्पेणं आरंभसमारंभेणं वित्तिं कप्पेमाणा बहूइं वासाई आउअं पालेति त्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णतरेसु, वाणमंतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति,तहिं तेसिं गती तहिं तेसिं ठिती तहिं तेसिं उववाए पं०, तेसिंणं भंते ! देवाणं केवइअं कालं ठिती पं०?, गोयमा ! चउद्दसवाससहस्साइं७, से जाओ इमाओगामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकब्बडमंडबदोणमुहपट्टणासमसंबाहसंनिवेसेसु इत्थियाओ भवंति तं०-अंतो अंतेउरियाओ गयपइआओ मयपइआओ बालविहवाओ छड्डियतल्लिताओ माइरक्खिआओ पिअरक्खिआओ भायरक्खिआओ कुलघररक्खिआओ (मित्तनाइनियसंबंधिरक्खियाओ पा०) ससुरकु लरक्खिआओ परूढणहके सक क्खरोमाओ ववगयपुप्फगंधमल्लालंकाराओ अण्हाणगसेअजल्लमलपंकपरिताविआओ ववगयखीर दहिणवणी असप्पितेल्लगुललोणमहुमज्जमंसपरिचत्तकयाहारओ अप्पिच्छाओ अप्पारंभाओ अप्पपरिग्गहाओ अप्पेणं आरंभेणं अप्पेणं समारंभेणं अप्पेणं आरंभसमारंभेणं वित्तिं कप्पेमाणीओ अकामबंभचेरवासेणं तमेव पइसेज णाइक्कमइ ताओ णं इत्थिआओ एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणीओ बहूई वासाई सेसं तं चेव जाव चउसट्ठिवाससहस्साई ठिई पं० ८, से जे इमे गामागरणयरणिगमरायहाणिखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंबाहसन्निवेसेसु मणुआ भवंति तं०-दगबिइया दगतइया दगसत्तमा दगएक्कारसमा गोअमा गोव्वइआ गिहिधम्मा धम्मचिंतका अविरूद्धविरूद्धवुड्ढसावकप्पभिअओ तेसिं मणुआणं णो कप्पइ इमाओ नव रसविगईओ आहारित्तए तं०-खीरं दहिं णवणीयं सप्पिं तेल्लं फाणियं महुं मज्ज मंसं, णण्णत्थ एक्काए सरसवविगइए. ते णं मणुआ अप्पिच्छा तं चेव सव्वं णवरं चउरासीई वाससहस्साइं ठिई पं०९, से जे इमे गंगाकूलगा वाणपत्था तावसा भवंति, तं०-होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुँपउट्ठा दंतुक्खलिया उम्मज्जका सम्मज्जका निमज्जका संपक्खाला दक्खिणकूलका उत्तरकूलका संखधमका कूलधमका मिगलुद्धका हत्थितावसा उदंडका दिसापोक्खिणो वाकवासिणो अंबुवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो (प्र० चेलवासिणो) वेलवासिणो रूक्खमूलिआ अंबूभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवा लभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फहारा बीयाहारा परिसडियकंदमूलतयपत्तपुप्फफलाहारा जलाभिसेअकढिणगायभूया आयावणाहिं पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कंडुसोल्लियं कंठसोल्लियंपिव अप्पाणं करेमाणा बहूई वासाई परियायं पाउणंति त्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं जोइसिएसु देवेसुदेवत्ताए उववत्तारो भवंति, पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहिअंठिई, आराहगा?, णो इणद्वे समढे १०. से जे इमेजाव सन्निवेसेसुपव्वइया समणा भवंति, तं०-कदप्पिया कुक्कुइया मोहरिया गीयरइप्पिया नच्चणसीला ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहुइं वासाई सामण्णपरियायं पाउणंति त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइअअप्पडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे कंदप्पिएसु देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिंगती तहिं तेसिं ठिती सेसं तं चेव णवरं पलिओवमं वाससहस्समभहियं ठिती ११, सेजे इमेजाव सन्निवेसेसु परिव्वायगा भवंति. तं०-संखा जोई कविला भिउच्चा हंसा परमहंसा बहुउदया कुडिव्वया कण्हपरिव्वायगा, तत्थ खलु इमे अट्ठ माहणपरिव्वायगा भवंति, तं०-'कण्हे अकरकंडे य, अंबडे य परासरे। कण्हे दीवायणे चेव, देवगुत्ते अणारए॥६॥ तत्थ खलु इमे अट्ठ खत्तियपरिव्वायया भवंति, तं०-'सीलई ससिहारे (य), णग्गई भग्गईतिअ। विदेहे रायराया य, रायारामे बलेति अ॥७॥ ते णं परिव्वायगा रिउव्वेदजजुव्वेदसामवेयअहव्वणवय इतिहासपंचमाणं णिग्घंटुच्छट्ठाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं चउण्हं वेयाणं सारगा पारगा धारगा वारगा सडंगवी सद्वितंतविसारया संखाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे णिरूत्ते जोतिसामयणे अण्णेसु य बंभण्णएसु अ सत्थेसु (परिव्वायएसु य नएसु पा०) सुपरिणिट्ठिया यावि हुत्था, ते णं परिव्वायगा दाणधम्मं च सोअधम्मं च तित्थाभिसेअं च आघवेमाणा पण्णवेमाणा परूवेमाणा विहरंति, जण्णं अम्हे किंचि असुई भवति तण्णं उदएण य मट्टियाए अपक्खालिअं सुईभवति, एवं खलु अम्हे चोक्खा चोक्खायारा सुई सुइसमायारा भवेत्ता अभिसेअजलपूअप्पाणो अविग्घेण सग्गं गमिस्सामो, २ तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अगडं वा तलायं वा णइं वाविंवा पुक्खरिणीं वा दीहियं वा गुंजालिअंवा सरं वा (प्र० सरसिं वा) सागरं वा ओगाहित्तए, णण्णत्थ or श्री IIM O YON 5 强写写 宇中 O in Education Inte FOREONate.SEPISonuseonly nelibrary.org Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TAGR0555555555555555 (१२) उववाइअ [(१) उर्वगसुन , ] १८) Pागगगतात 1 115555555555555555555555555555555554331313NEPADA अद्धाणगमणे, णो कप्पइ सगडं वा जाव संदमाणिअं वा दूरूहित्ताणं गच्छित्तए, तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ आसं वा हत्थिं वा उट्ट वा गोणिं वा महिसं वा खरं वा दुरूहित्ताणं गमित्तए, तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ नडपेच्छाइ वा जाव मागहपेच्छाइ वा पिच्छित्तए, तेसिं परिव्वायगाणं णो कप्पइ हरिआणं लेसणया वा घट्टणया वा थंभणया वा (लूसणया वा पा०) उप्पाडणया वा करित्तए, तेसिं परिव्वायगाणं णो कप्पइ इत्थिकहाइ वा भत्तकहाइ वा देसकहाइ वा रायकहाइ वा चोरकहाइ वा अणत्थदंडं करित्तए, तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अयपायाई वा तउअपायाणि वा तंबपायाणि वा जसदपायाणि वा सीसगपायाणि वा रूप्पपायाणि वा सुवण्णपायाणि वा अण्णयराणि वा बहुमुल्लाणि धारित्तए णण्णत्थ लाउपाएण वा दारूपाएण वा मट्टिआपाएणवा, तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अयबंधणाणि $ वा तउअबंधणाणि वा तंबबंधणाणि जाव बहुमुल्लाणि धारित्तए, तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ णाणाविहवण्णरागत्ताई वत्थाइंधारित्तएणण्णत्थ एक्काए धाउरत्ताए, तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ हारं वा अद्धहारं वा एक्कावलिं वा मुत्तावलिं वा कणगावलिं वा रयणावलिं वा मुरविं वा कंठमुरविं वा पालंबं वा तिसरयं वा कडिसुत्तं ॐ वा दसमुद्दिआणंतकं वा कडयाणि वा तुडियाणि वा अंगयाणि वा केऊराणि वा कुंडलाणि वा मउडं वा चूलामणिं वा पिणद्धित्तए णण्णत्थ एक्केणं तंबिएणं पवित्तएणं, तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ गंथिमवे ढिमपूरिमसंघातिमे चउविहे मल्ले धारित्तए णण्णत्थ एगेणं कण्णपूरेणं, तेसिंणं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अगुलएण वा चंदणेण वा कुंकमेण वा गायं अणुलिपित्तए णण्णत्थ एक्काए गंगामट्टिआए, तेसिं णं कप्पइ मागहए पत्थए जलस्स पडिगाहित्तए सेऽविय वमाणे णो चेव णं अवहमाणे सेऽविय थिमिओदए णो चेव णं कद्दमोदए सेऽविय बहुपसण्णे णो चेव णं अबहुपसण्णे सेऽविय परिपूए णो चेव णं अपरिपूए सेऽविय णं दिण्णे नो चेवणं अदिण्णे सेऽविय पिबित्तए णो चेव णं हत्थपायचरूचमसपक्खालणट्ठाए सिणाइत्तए वा, तेसिं णं परिव्वायगाणं कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिगाहित्तए सेऽविय वहमाणे णो चेवणं अवहमाणे जाव णो चेवणं अदिण्णे, सेऽविय हत्थपायचरूचमसपक्खालणट्ठयाए णो चेवणं पिबित्तए सिणाइत्तए वा, ते णं परिव्वायगा एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाइं परियायं पाउणंति त्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति तहिंतेसिंगई तहिंतेसिं ठिई दस सागरोवमाइं ठिई पं०, सेसं तं चेव १२ १३८। तेणं कालेणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स सत्त अंतेवासिसयाई गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलमासंसि गंगाए महानईए उभओकूलेणं कंपिल्लपुराओ णयराओ पुरिमतालं णयरं संपट्ठिया विहाराए, तए णं तेसिं परिव्वायगाणं तीसे अगामियाए छिण्णोवायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेणंपरि जमाणे झीणे, तएणते परिव्वययाझीणोदगा समाणातण्हाएपारब्भमाणा २ उदगदातारमपस्समाणा अण्णमण्णं सद्दावेति त्ता एवं व०-एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्ह इमीसे अगामिआए जाव अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से उदय जाव झीणे तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्ह इमीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदातारस्ससव्वओसमंता मग्गणगवेसणं करित्तएत्तिकटु अण्णमण्णस्स अंतिए एअमटुं पडिसुणंति त्ता तीसे अगामियाए जाव अडवीए उदगदातारस्स सव्वओ समंता मग्गणगवेसणं करेन्ति त्ता उदगदातारमलभमाणा दोच्वंपि अण्णमण्णं सद्दावेन्ति त्ता एवं व०-इह णं देवाणुप्पिया! उदगदातारोणत्थितं णो खलु कप्पइ अम्ह अदिण्णं गिण्हित्तए अदिण्णं सातिज्जित्तए तंमाणं अम्हे इयाणिं आवइकालंमिवि अदिण्णं गिण्हामो अदिण्णं सादिज्जामो मा णं अम्हं तवलोवे भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! तिदंडयं कुंडियाओ य कंचणियाओ य करोडियाओ य भिसियाओ य छण्णालए य अंकुसए य केसरियाओ य पवित्तए य गणेत्तियाओ य छत्तए य वाहणाओ य पाउयाओ य धाउरत्ताओ य एगते एडित्ता गंगं महाणइं ओगहित्ता वालुअसंथारए संथरित्ता संलेहणाझूसणाझोसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पाओवगयाणं कालं अणवकंखमाणाणं विहरित्तएत्तिकटु अण्णमण्णस्स अंतिए एअमटुं पडिसुणंति त्ता तिदंडए य जाव एगते एडेइ त्ता गंगं महाणइं ओगाहेति त्ता वालुआसंथारए संथरंति वालुयासंथारयं दुरूहिति त्ता पुरत्थाभिमुहा संपलियंकनिसन्ना करयलजावकटु म एवं व०-णमोऽत्थु णं अरहताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, नमोऽत्थु णं अम्मडस्स परिव्वायगस्स अम्हं र धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, पुव्विं णं अम्हे अम्मडस्स परिव्वायगस्स अंतिए थूलगपाणाइवावाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए मुसावाए० अदिण्णादाणे पच्चक्खाए MORRO5555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७९८ 95555555555555555555FOTOR 乐乐听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐FC Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KKKKKKKKKKKR JOKERRRRRRRRRRR जावज्जीव सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए इयाणि अम्हे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणावाइवायं पच्चकखामो जावज्जीवाए एवं जाव सव्वं परिग्गहं पच्चक्रखामो जावज्जीवाए सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेज्जं दोसं कलहं अब्भक्खाणं पेसुण्णं परपरिवायं अरइरई मायामसं मिच्छादंसणसल्लं अकरणिज्जं जोगं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं चउव्विहंपि आहारं पच्चक्खामो जावज्जीवाए जंपिय इमं सरीरं इट्ठे कंतं पिणं मणामं थेज्जं (पेज्जं पा०) वेसासियं संमतं बहुमतं अणुमतं भंडकरंडगसमाणं मा णं सीयं मा णं उण्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा माणं वाला चोरा माणंसामा णं मसगा मा णं वातियपित्तियसिभियसंनिवाइयविविहा रोगातंका परीसहोवसग्गा फुसंतुत्तिकट्टु एयंपि णं चरमेहिं ऊसासणीसासेहिं वोसिरामत्तिकट्टु संलेहणाझूसणाझूसिया भत्तपाणपडियाइक्खिया पाओवगया कालं अणवकंखमाणा विहरंति, तए णं ते परिव्वायया बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति त्ता आलोइअपडिक्कंता समाहिपत्ताकालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववण्णा, तहिं तेसिं गई दससागरोवमाइं ठिई पं०, परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चैव १३ । ३९ । बहुजणे णं भंते! अण्णमण्णस्स एवमाइक्खर एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ एवं खलु अंब (अम्म) डे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसते आहारमाहारेइ घरसए वसहिं उवेइ से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जण्णं से बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे जाव घरसए वसहिं उवेइ सच्चे णं एसमट्ठे, अहंपि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमि एवं खलु अम्मडे परिव्वायए जाव वसहिं उds, सेकेणट्टे भंते! वुच्चइ-अम्मडे परिव्वायए जाव वसहिं उवेइ ?. गोयमा ! अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स पगइभद्दयाए जाव विणीययाए छटुंछद्वेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढ बाहाओ पगिज्झिय २ सूराभिमुहस्स आतावणभूमीए आतावेमाणस्स सुभेणं परिणामेणं पसत्याहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं अन्नया कयाई तदावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहावूहामग्गणगवेसणं करेमाणस्स वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए ओहिणाणलद्धी समुप्पण्णा, तए णं से अम्मडे परिव्वायए ता वीरियलद्धी वेडव्वियलद्धीए ओहिणाणलद्धीए समुप्पण्णाए जणविम्हावणहेउं कंपिल्लपुरे घरसए जाव वसहिं उवेइ, से तेणट्ठणं गोयमा ! एवं वुच्चइ- अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए जाव वसहिं उवेइ, पहू णं भंते! अम्मडे परिव्वायए देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ?, णो इणट्टे समट्ठे, गोयमा ! अम्मडे णं परिव्वायए समरोवासाए अभिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ णवरं ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारे चियत्तंतेउरघरदारपवेसी (चियत्तघरंतेउरपवेसी पा०) ति ण वुच्चइ, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स धूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव परिग्गहे णवरं सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवए, अम्मडस्स णं णो कप्पइ अक्खसोतप्पमाणमेत्तंपि जलं सयराहं उत्तरित्तए णण्णत्थ अद्धाणगमणेणं, अम्मडस्स णं णो कप्पइ सगडं एवं चेव भाणियव्वं (१) 1 (१५) त्थ गाए गंगामट्टियाए, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पइ आहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाएइ वा अज्झोअरएइ वा पूइकम्मेइ वा कीयगडेइ वा पामिच्चेइ वा अणिसिट्ठेइ वा अभिहडेइ वा ठइत्तए वा रइत्तए वा कंतारभत्तेइ वा दुब्भिक्खभत्तेइ वा पाहुणगभत्तेइ वा गिलाणभत्तेइ वद्दलियाभत्तेइ वा भोत्ताए वा पाइत्तए वा, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स णो कप्पर मूलभोयणे वा जाव बीयभोयणे वा भोत्तए वा पाइत्तए वा, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउव्विहे अणत्थदंडे पच्चक्खाए जावज्जीवाए तं०-अवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे, अम्मडस्स कप्पइ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए सेsविय वहुमाणए नो चेव णं अवहमाणए जाव सेऽविय परिपूए नो चेवणं अपरिपूए सेऽविय सावज्जेत्तिकाउं णो चेव णं अणवज्जे सेऽविय जीवा इतिकट्टु णो चेवणं अजीवा सेऽविय दिण्णे णो चेव णं अदिण्णे सेऽविय दंतहत्थपायचरूचमसपक्खालणट्टयाए पिबित्तए वा णो चेव णं सिणाइत्तए, अम्मडस्स कप्पइ मागहए य आढए जलस्स डिग्गाहित्तए सेऽवि वहमाणे जाव दिने नो चेव णं अदिण्णे सेऽविय सिणाइत्तए णो चेव णं हत्थपायचरूचमसपक्खालणट्ठाए पिबित्तए वा, अम्मडस्स णो कप्पइ अन्न उत्थिया वा अण्णउत्थियदेवयाणि वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेइयाई वंदित्तए वा णमंसित्तए वा जाव पज्जुवासित्तए वा णण्णत्थ अरिहंते वा अरिहंतचेइयाई वा, अम्मडे णं भंते ! परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति ?, गोयमा ! अम्मडे णं परिव्वायए उच्चावएहिं ४ श्री आगमगुणमंजूषा - ७९९ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) उववाइअं [ (१) उवंगसुतं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणे बहूइं वासाइं समणोवासयपरियायं पाउणिहिति त्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं सत्ता स भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिई पं०, तत्थ णं अम्मडस्सवि देवस्स दस सागरोवमाइं ठिई, से णं भंते! अम्मडे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उवज्जिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे जाई इमाई कुलाई भवंति तं० - अड्ढाई दित्ताइं वित्ताइं विच्छिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणा (इण्णा) इं बहुधणजायरूवरययाई आओगपओगसंपउत्ताइं विच्छड्डियपउरभत्तपाणाई बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूयाइं बहुजणस्स अपरिभूयाइं तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पच्चायाहिति, तए णं तस्स दारगस्स गब्भत्थस्स चेव समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे दढा पइण्णा भविस्सइ से णं तत्थ णवण्हं मासाणं बहुपि अद्धमाण इंदियाणं वीइक्कंताणं सुकुमालपाणिपाए जाव ससिसोमाकारे कंते पियदंसणे सुरूवे दारए पयाहिति, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं काहिंति बिइयदिवसे चंदासूरदंसणियं काहिति छट्ठे दिवसे जागरियं काहिति एक्कारसमे दिवसे वीतिक्कंते णिव्वित्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे दिवसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गोण्णं गुणाणप्फण्णं णामधेज्जं काहिति जम्हा णं अम्हे इमंसि दारगंसि गब्भत्यंसि चेव समाणंसि धम्मे दढा पइण्णा तं होउ णं अहं दार दढपणे णामेणं, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेज्जं करेहिति दढपइण्णेति, तं दढपइण्णं दारगं अम्मापियरो साइरेगऽट्ठवासजातगं त्ति सोभस तहिकरणणक्खत्तमुहुत्तंसि कलायरियस्स उवणेहिंति, तए णं से कलायरिए तं दढपइण्णं दारगं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरूयपज्जवसाणाओ बावत्तरिं कलाओ सुत्ततो य अत्थतो य करणतो य सेहाविहिति सिक्खाविहिति, तं०-लेहं गणितं रूयं णट्टं गीयं वाइयं सरमयं पुक्खरगयं समतालंजूयं जणवायं पासकं अट्ठावयं पोरेकच्चं दगमट्टियं अण्णविहिं पाणविहिं वत्थविहिं १८ विलेवणविहिं सयणविहिं अज्जं पहेलियं मागहिअं गाहं गीइयं सिलोयं हिरण्णत्ती सुवण्णत्ती गंधजुत्ती चुण्णजुत्ती आभरणविहिं तरूणीपडिकम्मं इत्थिलक्खणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं गयलक्खणं ३६ गोणलक्खणं कुक्कुडलक्खणं चक्कलक्खणं छत्तलक्खणं चम्मलक्खणं दंडलक्खणं असिलक्खणं मणिलक्खणं काकणिलक्खणं वत्थुविज्जं खंधारमाणं नगरमाणं वत्थुनिवेसणं वूहं पडिवूहं चारं पडिचारंचक्कवूहं ५४ गरूलवूहं सगडवूहं जुद्धनिजुद्धं जुद्धातिजुद्धं मुट्ठिजुद्धं बाहुजुद्धं लयाजुद्धं इसत्थं छरूप्पवाहं धणुव्वेयं हिरण्णपागं सुवण्णपागं वट्टखेड्डं णालियाखेड्ड पत्तच्छेज्जं कडव (ग) च्छेज्जं सज्जीवं निज्जीवं सउणरूत ७२ मिति बावत्तरिं कला सेहाविति० अम्मापिईणं उवणेहिति, तए णं तस्स दढपइण्णस्स दारगस्स अम्मापियरो तं कलायरिअं विपुलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थगंधमल्लालंकारेण य सक्कारेहिंति सम्माणेहिति विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं दलिस्सन्ति त्ता पडिविसज्जेहिति, तए णं से दढपइण्णे दारए बावत्तरिकलापंडिए नवंगसुत्तपडिबोहिए अट्ठारसदेसीभासाविसारए गीयरतीगंधव्वणट्टकुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमद्दी बियालचारी साहसिए अलंभोगसमत्थे आवि भविस्सइ, तए णं तं दढपइण्णं दारगं अम्मापियरो बावत्तरिकलापंडियं जाव अलंभोगसमत्थं वियाणित्ता विउलेहिं अण्णभोगेहिं पाणभोगेहिं लेणभोगेहिं वत्थभोगेहिं सयणभोगेहिं कामभोगेहिं उवणिमंतेहिति, तए णं से दढपइण्णे दारए तेहिं विउलेहिं अण्णभोगेहिं जाव सयणभोगेहिं णो सज्जिहिति णो रज्जिहिति णो गिज्झिहिति णो अज्झोववज्जिहिति, से जहाणामए उप्पलेइवा पउमेइ वा कुसुमेइ वा नलिइ वा सुभगेइ वा सुगंधेइ वा पोंडरीएइ वा महापोंडरीएइ वा सतपत्तेइ वा सहस्सपत्तेइ वा सतसहस्सपत्तेइ वा पंके जाए जले संवुड्ढे णोवलिप्पर पंकरएणं णोवलिप्पइ जलरएणं एवमेव दढपइण्णेवि दारए कामेहिं जाए भोगेहिं संवुड्ढे णोवलिप्पिहिति कामरएणं णोवलिप्पिहिति भोगरएणं गोवलिप्पिहिति मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणेणं सेणं तारूवाणं राणं अंतिए केवलं बोहिं बुज्झिहिति त्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिति, से णं भविस्सइ अणगारे भगवंते ईरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी, तस्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं विहरमाणस्स अणंते अणुत्तरे णिव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुप्पज्जिहिति तए णं से दढपणे केवली बहूई वासाइं केवलिपरियागं पाउणिहिति त्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सहिं भत्ताइं अणसणाए छेएत्ता जस्सट्ठाए कीरइ णग्गभावे मुंडभावे MOTOR श्री आममगुणमंजूषा - ८००० YO 原 [२०] फ़क XOR Page #29 --------------------------------------------------------------------------  Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * પપાતિક સૂત્રઃ સમવસરણમાં અસુરકુમાર તેમજ પૌતિષિક અને વૈમાનિક દેવોનું આગમન. (આ સૂત્રમાં તે બધાના વય, આકૃતિ, ચિન્હ વગેરે, ભગવાન મહાવીરના અંતેવાસીઓનો પરિચય, બાહ્યતા અને આત્યંતર તપનું વર્ણન છે.) - સૌપપાતિક સૂત્ર: समवसरण में असुरकुमार तथा ज्यौतिषिक और वैमानिकदेवों का आगमन । (इस सूत्र में उन सबके आयु: आकृति, चिह्न इत्यादि, भगवान महावीर के अन्तेवासियों का परिचय, बाह्य एवं आभ्यंतर तप का वर्णन है।) * Aupapātika-sūtra: Arrival of Asurakumāra, Jyautişika and Vaimānika gods in the Samavasarana. (This Sutra deals with their age, form, emblem, etc. details of Lord Mahavira's disciples, external and internal penance, etc. etc.) en Education International 2010_03 For Phyte & Personal Use Only www.ainelibrary. Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१) (१२) उववाइअं ( (१) उवंगसुतं ॐॐॐॐॐॐ अहाणए अदंतवणए केसलोए बंभचेरवासे अच्छत्तकं अणोवाहणकं भूमिसेज्जा फलहसेज्जा कट्ठसेज्जा परघरपवेसी लद्धावलद्धं परेहिं हीलणाओ खिसणाओ निंदणाओ गरहणाओ तालणाओ तज्जणाओ परिभवणाओ पव्वहणाओ उच्चावया गामकंटका वावीसं परीसहोवसग्गा अहियासिज्जंति तमट्ठमारहित्ता चरिमेहिं उस्सासणिस्सासेहिं सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति १४ ।४० । से इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु पव्वइया समणा भवंति, तं०-आयरियपडिणीया उवज्झायपडिणीया कुलपडिणीया गणपडिणीया आयरियउवज्झायाणं अयसकारगा अवण्णकारगा अकित्तिकारगा बहूहिं असब्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च वुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा विहरित्ता बहुरं वासाईं सामण्णपरियागं पाउणंति त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयअपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं लंतए कप्पे देवकिब्बिएसु देवकिब्बिसियत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गती तेरससागरोवमाइं ठिती अणाहारगा सेसं तं चेव १५ । से जे इमे सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिया पज्जत्तया भवंति, तं० - जलयरा खहयरा थलयरा, तेणिं अत्थेगइयाणं सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहावूहमग्गणगवेसणं करेमाणाणं सण्णीपुव्वजाईसरणे समुप्पज्जइ, तए णं ते समुप्पण्णजाईसरा समाणा सयमेव पंचाणुव्वयाई पडिवज्ज॑ति त्ता बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणा बहूइं वासाइं आउयं पालेति त्ता भत्तं पच्चक्खंति बहूई भत्ताइं अणसणाए छेयंति त्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपंत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति ; तहिं तेसिं गती अट्ठारस सागरेवमाई ठिती पं० परलोगस्स आराहगा सेसं तं चेव १६ । से जे इमे गामागरजावसंनिवेसेसु आजीविका भवंति, तं०-दुघरंतरिया तिघरंतरिया सत्तघरंतरिया उप्पलबेटिया घरसमुदाणिया विज्जुअंतरिया उट्टिया समणा ते णं एयारू वेणं विहारेणं विहरमाणा बहूइ वासाई परियायं पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गती बावीसं सागरोवमाइं ठिती अणाराहगा सेसं तं चेव १७ । से जे इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु पव्वइया समणा भवंति तं० अत्तुक्कोसिया परपरिवाइया भूइकम्मिया भुज्जो २ कोउयकारका ते णं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणंति त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयअपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे आभिओगिएसु देवेसु देवत्ता उववत्तारो भवंति तहिं तेसिं गई बावीसं सागरोवमाइं ठिई परलोगस्स अणाराहगा सेसं तं चेव १८ । से जे इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु णिण्हगा भवंति तं०बहुरया जीवपएसिया अव्यत्तिया सामुच्छेया दोकिरिया तेरासिया अबद्धिया इच्छेते सत्त पवयणणिण्हगा केवलचरिया लिंगसामण्णा मिच्छद्दिट्ठी बहू असब्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च दुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा विहरित्ता बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणंति त्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं वरिमेसु गेवेज्जेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति तहिं तेसिं गती एक्कत्तीस सागरोवमाइं ठिती परलोगस्स अणाराहगा ससें तं चैव १९ । से जे इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु मणुया भवंति तं०- अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिट्ठा धम्मक्खाई धम्मप्पलोइया धम्मपलज्जाणा धम्मसमुदायारा धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा सुसीला सुव्वया सुप्पडियाणंदा साहूहिं एकच्चाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ (एगइयाओ पा०) अपडिविरया एवं जाव परिग्गहाओ एकच्चाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोहाओ पेज्जाओ कलहाओ अब्भक्खाणाओ पेसुण्णाओ परपरिवायाओ अरतिरतीओ मायामोसाओ मिच्छादंसणसल्लाओ पडिविरिया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया एकच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया एकच्चाओ करणकारावणाओ पडिविरिया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया एगच्चाओ पयणपयावणाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ पयणपयावणाओ अपडिविरया एकच्चाओ कोट्टणपिट्टतज्जणतालणवहबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया एकच्चाओ ण्हाणुम्मद्दणवण्णगविलेवणसद्दफरिसरसरूव गंधमल्लालंकाराओ पडिविरया जावज्जीवाए एकच्चाओ अपडिविरया जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगोवहिया कम्मंता (सावज्जा अबोहिया पा० ) परपाण परियावणकरा कज्जंति तओ जाव एकच्चाओ अपडिविरया तं०- ( से जहानामए पा० ) समणोवास भवंति अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा MONOR श्री आगमगुणमंजूषा - ८०१ ૫૫ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) उववाइअं [ (१) उवंगसुतं [२२] आसवसंवरनिज्जरकिरियाअहिगरणबंधमोक्खकुसला असहेज्जा देवासुरणागजक्खरक्खसकिन्नरकिंपुरिसगरूलगंधव्वमहोरगाइएहिं देवगणेहिं निग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जा णिग्गंथे पावयणे णिस्संकिया णिक्खंखिया निव्वितिगिच्छा लद्धाट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्ठिमिंजपे माणुरागरत्ता अयमाउसो ! णिग्गंथे पावयणे अट्ठे अयं परमठ्ठे सेसे अणट्ठे ऊसियफलिहा अवगुयदुवारा चियत्तंतेउरपरघरदारप्पवेसा चउद्दसमुद्दिपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपा- लित्ता समणे णिग्गंथे फासएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछणेणं सहसणं पडिहारिएण य पीढफलगसेज्जासंथारएणं पडिलाभेमाणा विहरंति त्ता भत्तं पच्चक्खंति ते बहूइं भत्ताइं अणसणाए छेदिति त्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवति, तेहि तेसि गई बावीस सागरोवमाइं ठिई आराहया सेसं तहेव २० । से जे इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु (१४२) मणुआ भवंति, तं०- अणारंभा अपरिग्गहा धम्मया जाव कप्पेमाणा सुसीला सुव्वया सुपडियाणंदा साहू सव्वाओ पाणाइवाआओ पडिविरया जाव सव्वाओ परिग्गहाओ पडिविरया सव्वाओ कोहाओ माणाओ मायाओ लोभाओ जाव मिच्छादंसणसल्लाओ० पडिविरया सव्वाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया सव्वाओ करणकारावणाओ पडिविरया सव्वाओ पयणपयावणाओ पडिविरया सव्वाओ कुट्टणपिट्टणतज्जणतालणवहबंधपरिकिलेसाओ पडिविरया सव्वाओ हाणुम्मद्दणवण्णगविलेवणसद्दफरिसरसरूवगंधमल्लालंकाराओ पडिविरया जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगोवहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा कज्जति तओवि पडिविरया जावज्जीवाए से जहाणामए अणगारा भवंति - ईरियासमिया भासासमिया जाव इणमेव णिग्गंथं पावयणं पुरओकाउं विहरंति तेसिं गं भगवंताणं एएणं विहारेणं विहरमाणाणं अत्थेगइयाणं अणंते जाव केवलवरणाणदसंणे समुप्पज्जइ, ते बहूई वासाईं केवलिपरियागं पाउणति जाव पाउणित्ता भत्तं पच्चक्खंति त्ता बहूई भत्ताइं अणसणाए छेदेन्ति त्ता जस्सट्टाए कीरइ णग्गभावे० अंतं करंति, जेसिपि य णं एगइयाणं णो केवलवरनाणदंसणे समुप्पज्जइ ते बहूई वासाइं छउमत्थपरियागं पाउणन्ति त्ता आबाहे उप्पण्णे वा अणुप्पण्णे वा भत्तं पच्चक्खंति, ते बहूई भत्ताइं अणसणाए छेदेन्ति त्ता जस्साए कीरइ णग्गभावे जाव मट्ठमाराहित्ता चरिमेहिं ऊसासणीसासेहिं अणंतं अणुत्तरं निव्वाघायं निरावरणं कसिणं पडिपुण्णं केवलवरणाणदंसणं उप्पाडिति, तओ पच्छा सिज्झिहिन्ति जाव अंतं करेहिन्त, एगच्चा पुण एगे भयंतारो पुव्वकम्मावसेसेणं कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गई तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिई आराहगा सेसं तं चेव २१ । से जे इमे गामागरजावसण्णिवेसेसु मणुआ भवंति तं०- सव्वकामविरया सव्वरागविरया सव्वसंगातीता सव्वसिणेहातिक्कंता अक्कोहा णिक्कोहा खीणक्कोहा एवं माणमायालोहा अणुपुव्वेणं अट्ठकम्मपयडीओ खवेत्ता उप्पिं लोयग्गपइद्वाणा हवंति । ४१ । अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा केवलिसमुग्धाएणं समोहणित्ता केवलकप्पं लोयं फुसित्ताणं चिट्ठइ ?, हंता चिट्ठइ, से णूणं भंते ! केवलकप्पे लोए तेहिं णिज्जरापोग्गलेहिं फुडे ?, हंता फुडे, छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से लेसिं णिज्जरापोग्गलाणं किंचि वण्णेणं वण्णं गंधेणं गंधं रसेणं रसं फासेणं फासं जाणइ पासइ ?, गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ- छउमत्थे णं मणुस्से तेसिं णिज्जरापोग्गलाणं णो किंचि वण्णेणं वण्णं जाव जाणइ पासइ ?, गोयमा ! अयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतरए सव्वखुड्डाए वट्टे तेल्लापूयसंठाणसंठिए वट्टे रहचक्कवालसंठाणसंठिए वट्टे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिए वट्टे पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिए एक्कं जोणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस य अंगुलाई अर्द्धगुलियं च किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पं०, देवे णं महिड्ढीए महजुइए महब्बले महाजसे महासुक्खे महाणुभावे सविलेवणं गंधसमुग्गयं गिण्हइ त्ता तं अवदाले ता जाव इ णमेवत्तिकट्टु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तीहिं अच्छराणिवाएहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरिअट्टित्ताणं हव्वमागच्छेज्जा से णूणं गोयमा ! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे तेहिं घाणपोग्गलेहिं फुडे ?, हंता फुडे, छउमत्थे णं गोयमा ! मणुस्से तेसिं घाणपोग्गलाणं किंचि वण्णेणं वण्णं जाव जाणति पासति ?, भगवं सम, सेट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ छउमत्थे णं मणुस्से तेसिं णिज्जरापोग्गलाणं नो किंचि वण्णेण वण्णं जाव जाणइ पासइ, एसुहुमा णं ते पोग्गला पं० समणाउसो ! सव्वलोयंपिय णं ते फुसित्ताणं चिट्ठति, कम्हा णं भंते! केवली समोहणंति कम्हा णं भंते ! केवली समुग्धायं गच्छति ?, गोयमा ! केवलीणं चत्तारि XYoK 2025 KGRO Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO%%%%%%%%%%%%% 555555555555555SOXY कम्मंसा अपलिक्खीणा (अवेइया अनिज्जिण्णा पा०) भवंति तं०- वेयणिज्ज आउयं णामं गुत्तं, सव्वबहा से वयणिज्जे कम्मे भवइ सव्वत्योवे से आउए कम्मेपका, विसमं समं करेइ बंधणेहिं ठिईहि य विसमसमकरणयाए बंधणेहिं ठिईहि य एवं खलु केवली समोहणंति एवं खलु केवली समुग्घायं गच्छंति, सव्वेविणं भंते ! केवली समुग्घायं गच्छंति ? णोइणढे समढे, 'अकिच्चाणं समुग्घायं अणंता केवली जिणा। जरामरणविप्पमुक्का, सिद्धिं वरगइं गया |८|| कइसमए णं भंते ! आउज्जीकरणे पं० १ गोयमा !असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए पं०, केवलिसमुग्घाए णं भंते ! कइसमइए पं० ? गोयमा ! अट्ठसमइए पं० तं०- पढमे समए दंडं करेइ बिइए समए कवाडं करेइ तईए समए मंथं करेइ चउत्थे समए लोयं पूरेइ पंचमे समए लोयं पडिसाहरइ छढे समए मंथं पडिसाहरइ, सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरइ अट्ठमे समए दंडं पडिसाहरइत्ता तओ पच्छा सरीरत्थे भवइ, से णं भंते ! तहा समुग्घायं गए किं मणजोगं जुंजइ वयजोगं जुंजइ कायजोगं जुंजइ ? गोयमा ! णो मणजोगं जुंजइ णो वयजोगं जुजइ कायजोगं जुंजइ, कायजोगं जुंजमाणे किं ओरालियसरीरकायजोगं जुंजइ ओरालियमिस्स० वे उब्वियसरीरकायजोगं जंजइ वेउब्वियमिस्ससरीरकायजोगं जुंजइ आहारसरीरकायजोगं जुंजइ आहारसरीरमिस्सकायजोगं जुंजइ कम्मा० ?. गोयमा ! ओरालियसरीरकायजोगं जुंजइ ओरालियमिस्ससरीकायजोगंपि जुंजइ णो वेउव्विय० णो वेउब्वियमिस्स० णो आहारग० णो आहारगमिस्स० कम्मसरीरकायजोगंपि जुंजइ, पढमट्ठमेसु समएसु ओरालियसरीरकायजोगं जुंजइ बिइयछट्ठसत्तमेसु समएसु ओरालियमिस्ससरीरकायजोगं जुंजइ तईयचउत्थपंचमेहिं कम्मासरीरकायजोगं जुजइ, सेणं भंते ! तहा समुग्घायगए सिज्झिहिइ वुज्झिहिइ मुच्चिहिइ परिनिव्वाहिइ सव्वदुक्खाणमंतं करेहिइ ?, णो इणढे समढे, सेणं तओ पडिनियत्तइत्ता इहमागच्छइ त्ता तओ पच्छा मणजोगंपि जुंजइ वयजोगंपि जुंजइ कायजोगंपि जुंजइ, मणजोगं जुंजमाणे किं सच्चमणजोगं मुंजइ मोस० सच्चामोस० असच्चामोस०?, गोयमा ! सच्चमणजोगं जुंजइ णो मोस० णो सच्चामोस० असच्चामोसमणजोगंपि जुंजइ, वयजोगं मुंजमाणे किं सच्चवइजोगं मुंजइ मोस० किं सच्चामोस० असच्चामोस?. गोयमा ! सच्चवइजोगं जुंजइणो मोस० णो सच्चामोस० असच्चामोसवइजोगंपि जुंजइ, कायजोगं जुंजमाणे आगच्छेज्ज वा चिटेज वा णिसीएज्ज वा तुयट्टेज वा उल्लंघेनं वा पलंघेज वा उक्खेवणं वा अवक्खेवणं वा तिरियक्खेवणं वा करेज्जा पाडिहारियं वा पीढफलगसेज्जसंथारगं पच्चप्पिणेज्जा ।४२। सेणं भंते! तहा सजोगी सिज्झिहिइ जाव अंतं करेहिइ?, णो इणढे समटे, से णं पुव्वामेव सण्णिस्स पंचिदियस्स पज्जत्तगस्स जहण्णजोगस्य हेट्ठा असंखेज्जगुणपरिहीणं पढम मणजोगं निरंभइ तयाणंतरं च णं बिदियस्स पज्जत्तगस्स जहण्णजोगस्स हेट्ठा असंखेज्जगुणपरिहीणं बिइयं वइजोगं निरंभइ तयाणंतरं च णं सुहुममस्स पणगजीवस्य अपज्जत्तगस्स जहण्णजोगस्स हेट्ठा असंखेज्जगुणपरिहीणं तईयं कायजोगं णिसंभइ, से णं एएणं उवाएणं पढ़मं मणजोगं णिरुंभइ त्ता वयजोगं णिरुंभइ त्ता कायजोगं णिरुंभइ त्ता जोगनिरोहं करेइत्ता अजोगत्तं पाउणति त्ता इसिंहस्सपंचक्खरउच्चारणद्धाए असंखेजसमइमं अंतोमुहुत्तियं सेलेसिं पडिवज्जइ पुव्वरइयगुणसेढीयं च णं कम्मंतीसे सेलेसिमद्धाए असंखेज्जाहिं गुणसेढीहिं अणंते कम्मंसे खवेति वेयणिज्जाउयणामगुत्ते इच्चेते चत्तारि कम्मसे जुगवं खवेइ त्ता ओरालियतेयाकम्माई सव्वाहिं विप्पजहणाहिं विप्पजहइ त्ता उज्जुसेढीपडिवन्ने अफुसमाणगई उड्ढे एक्कसमएणं अविग्गहेणं गंता सागारोवउत्ते सिज्झिहिइ, ते णं तत्थ सिद्धा हवंति सादीया अपज्जवसिया असरीरा जीवघणा दंसणनाणोवउत्ता निट्ठियट्ठा निरयणा नीरया णिम्मला वितिमिरा विसुद्धा सासयमणागयद्धं कालं चिट्ठति, से केणट्टणं भंते ! एवं वुच्चइ- तेणं तत्थ सिद्धा भवंति सादीया अपज्जवसिया जाव चिट्ठति ?, गोयमा ! से जहाणामए बीयाणं अग्गिदड्ढाणं पुणरवि अंकुरुप्पत्तीण भवइ एवामेव सिद्धाणं कम्मबीए दइढे पुणरवि जम्मुप्पत्ती न भवइ से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-तेणं तत्थ सिद्धा हवंति सादीया अपज्जवसिया जाव चिट्ठति, जीवाणं भंते ! सिज्झमाणा कयरंमि संघयणे सिज्झंति ? गोयमा! वइरोसभणायसंघयणे सिझंति, जीवाणं भंते ! सिज्झमाणा कयरंमि संठाणे सिझंति ? गोयमा ! छण्हं संठाणाणं अण्णतरे है संठाणे सिज्झंति, जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि उच्चत्ते सिझंति ?, गोयमा ! जहण्णेणं सत्तरयणीओ उक्कोसेणं पंचधणुस्सए सिझंति, जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि आउए सिझंति ?, गोयमा ! जहण्णेणं साइरेगट्ठवासाउए उक्कोसेणं पुव्वकोडियाउए सिज्झंति, अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए फ़ अहे सिद्धा परिवसंति ? णो इणढे समढे, एवं जाव अहेसत्तमाए, अत्थि णं भंते ! सोहम्मस्स कप्पस्स अहे सिद्धा परिवसंति?,णो इणढे समढे, एवं सव्वेसिंपुच्छा, ईसाणस्स सणंकुमारस्स जाव अच्चुयस्स गेविज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाणाणं, अत्थि णं भंते ! ईसीपब्भाराए पुढवीए अहे सिद्धा परिवसंति?, णो इणद्वे समढे, से Horos555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा -८७३-555555555555555555555555FOTOR CO乐乐乐乐$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ 乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听织乐乐乐乐坊乐乐听听听听听听听听明明屬 $$$$$$明明明 Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 359555555岁男男男男男男男” (12) उववाइम () उवंगसुत्तं ] [24] 55555555555555FOXOK C垢乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C कहिं खाइणं भंते ! सिद्धा परिवसंति?, गोयमा ! इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ उड्ढे चदिमसूरियग्गहगणणक्खत्तताराभव(ग)णाओ म बहूई जोयणसयाई बहूइं जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साई बहूओ जोयणकोडीओ बहूओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढतरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाणसणंकु मारमाहिंदबं भलं तगमहासुक्कसहस्सारआणयणपाणय- आरणच्चुय तिण्णि य अट्ठारे गेविज विमाणावाससए वीइवइत्ता विजयवेजयंतजयंतअपराजियसव्वट्ठसिद्धस्स य महाविमाणस्स सव्वउवरिल्लाओ थूभियग्गाओ दुवालसजोयणाई अबाहाए एत्थ णं ईसीपब्भारा णामं पुढवी पं० पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं आयाविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं सयसहस्साई तीसं च सहसाइं दोण्णि य अउणापण्णे जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिरएणं, ईसिपब्भाराए णं पुढवीए बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठजोयणाइं बाहल्लेणं तयाऽणंतरं च णं मायाए परिहायमाणी 2 सव्वेसु चरिमपेरंतेसु मच्छियपत्ताओ तणुयतरा अंगुलस्स असंखेज्जइभागं बाहल्लेणं पं०, ईसीपब्भाराए णं पुढवीए दुवालसणामधेज्जा पं० तं०- ईसीइ वा ईसीपब्भाराइ वा तणूइ वा तणूतणूइ वा सिद्धीइ वा सिद्धालएइ वा मुत्तीइ वा मुत्तालएइ वा लोयग्गेइ वा लोयग्गथूभियाइ वा लोयग्गपडि(बु)ज्झणाइ वा सव्वपाणभूयजीवसत्तसुहावहाइ वा, ईसीपब्भाराणं पुढवी सेया संखतल(आयंसतल पा०)विमलसोल्लियमुणालदगरयतुसारगोक्खीहारवण्णा उत्ताणयच्छत्तसंठाणसंठिया सव्वज्जुणसुवण्णमई अच्छा सण्हा लण्हा घट्टा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडच्छाया समरीचिया सुप्पभा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, ईसीपब्भाराए णं पुढवीए सीयाए जोयणंमि लोगंते तस्स जोयणस्स जे से उवरिल्ले गाउए तस्स णं गाउअस्स जे से उवल्लि छभागिए तत्थ णं सिद्धा भगवंतो सादीया अपज्जवसिया म अणेगजाइजरामरणजोणिवेयणसंसारकलंकलीभावपुणब्भवगब्भवासवसहीपवंचसमइक्वंता सासय मणागयमद्धं चिट्ठति / 43 | गाथा- 'कहिं पडिहया सिद्धा?, कहिं सिद्धा पडिट्ठिया / कहिं बोदिं चइत्ताणं, कत्थ गंतूण सिज्झई ? // अलोगे पडिहया सिद्धा, लोयग्गे य पडिट्ठिया / इहं बोदिं चइत्ताणं, तत्थ गंतूण सिज्झइ // 10 / जं संठाणं तु इहं भवं चयंतस्स चरिमसमयंमि / आसी य पएसघणं तं संठाणं तहिं तस्स // 11 // दीहं वा हस्सं वा जं चरिमभवे हवेज्जसंठाणं / ततो तिभागहीणं सिद्धाणोगाहणा भणिया / / 12|| तिण्णि सया तेत्तीसा धणूतिभागो य होइ बोद्धव्वा / एसा खलु सिद्धाणं उक्कोसोगाहणा भणिया / 13 / / चत्तारि य रयणीओ रयणि तिभागूणिया य बोद्धव्वा / एसा खलु सिद्धाणं मज्झिम ओगाहणा भणिया // 14|| एक्काय होइ रयणी साहीया अंगुलाई अट्ठ भवे | एसा खलु सिद्धाणं जहण्ण ओगाहणा भणिया // 15|| ओगाहणाए सिद्धा भवत्तिभागेण होन्ति परिहीणा / संठाणमणित्थंथं जरामरणविप्पमुक्काणं / / 16 / / जत्थ य एगो सिद्धो तत्थ अणंता भवक्खयविमुक्का / अण्णोऽण्णसमवगाढा पुट्ठा सव्वे य लोगंते // 17|| फुसइ अणंते सिद्धे सव्वपएसेहिं णियमसो सिद्धो / तेवि असंखेज्जगुणा देसपएसेहिं जे पुट्ठा // 18 // असरीरा जीवघणा उवउत्ता दंसणे य णाणे य / सागारमणागारं लक्खणमेयं तु सिद्धाणं // 19 // केवलणाणुवउत्ता जाणंती सव्वभावगुणभावे / पासंति सव्वओ खलु केवलदिट्ठीहऽणंताहिं // 20 / / णवि अत्थि माणुसाणं तं सोक्खं णविय सव्वदेवाणं / जं सिद्धाणं सोक्खं अव्वाबाहं उवगयाणं |21|| जं देवाणं सोक्खं सव्वद्धापिडियं अणंतगुणं / ण य पावइ मुत्तिसुहं णंताहि वग्गवग्गूहिं / / 22 / / सिद्धस्स सुहो रासी सव्वद्धापिडिओ जइ हवेजा। सोऽणंतवग्गभइओ सव्वागासे ण माएज्जा / / 23 / / जह णाम कोइ मिच्छो नगरगुणे बहुविहे वियाणंतो। न चएइ परिकहेउं उवमाए तहिं असंतीए // 24|| इय सिद्धाणं सोक्खं अणोवमं णत्थि तस्स ओवम्मं / किंचि विसेसेणेत्तो ओवम्ममिणं सुणहं वोच्छं // 25|| जहसव्वकामगुणियं पुरिसो भोत्तूणं भोयणं कोइ / तण्हाछुहाविमुक्को अच्छेज्ज जहा अमियतित्तो॥२६॥ इय सव्वकालतित्ता अतुलं निव्वाणमुवगया सिद्धा। सासयमव्वाबाहं चिटुंति सुही सुहं पत्ता॥२७॥ सिद्धत्तिय बुद्धत्तिय पारगयत्तियं परंपरगयत्ति। उम्मुक्ककमकमकवया अजरा अमरा असंगा य // 28 // णिच्छिण्णसव्वदुक्खा जाइजरामरणबंधणविमुक्का / अव्वाबाहं सुक्खं अणुहोंती सासयं सिद्धा // 29 // अतुलसुहसागरगया अव्वाबाहं अणोवमं पत्ता / सव्वमणागयमद्धं चिट्ठति सुही सुहं पत्ता॥३०॥२२मा उववाइउवंगं समंत्तं / / SNO乐乐坂听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听的 tional 2010-03 BOLateLDonRILAOnly Hero)55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - 73855555555555555555555555$OOR