Book Title: Aagam Manjusha 36 Chheyasuttam Mool 03 Vavahaaro
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [३६] ववहारो * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com.M.Ed., Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 jainmunideepratnasagar@gmail.com Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कर श्रीव्यवहारच्छेदसूत्रम्:'१८२' भाष्ये पीठिकागाथाः, जे भिक्खु मासियं परिहारद्वाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अपलिउज्जियं आलोएमाणस्स मासियं पलिडंचियं आलोएमा स दोमासि ३२२ । १ । जे भिक्खु दोमासियं परिहारद्वाणं पडिसेवित्ता आल्प्रेएजा अपलिउचिय (प्र०यं) आलोएमाणस्स दोमासियं पलिउंचिययं आलोएमाणस्स तेमासियं । २। जे भिक्खु तेमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउंचिययं आलोएमाणस्स तेमासियं पलिउंचिययं आलोएमाणम्स चाउम्मासियं । ३ । जे भिक्खु चाउम्मासियं परिहारद्वाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउंचिययं आलोएमाणस्स चाउम्मासियं पलिउंचिययं आलोएमाणस्स पंचमासियं । ४ जे भिक्खू पंचमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउंचिययं आलोएमाणस्स पंचमासियं पलिउंचिययं आलोएमाणस्स उम्मासियं, तेण परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिए वा ते चैव छम्मासा '३४३' । ५ जे भिक्खु बहुसोवि मासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउञ्चियं आलोएमाणस्स मासियं पलिउंचियं आलोएमाणस्स दोमासियं । ६ । ९६९ व्यवहारः सूत्रं उदेखो - १ मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - एवं जे मिक्खू बहुसोवि दोमासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउज्ञियं आलोएमाणस्स दोमासिय पलिशिय आलोएमाणस्स तेमासियं । ७। बहुसोवि तेमासियं परिहारहाणं पडिसेविऊण आलोएजा अपलिउश्चिर्य आलोएमाणस्स तेमासियं पलिउचिर्य आलोएमाणस्स चाउम्मासियादा बहुसोवि चाउम्मासियं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा अपलिउत्रियं आलोएमाणस्स चाउम्मासियं पलिउञ्चियं आलोएमाणस्स पञ्चमासियं ।९। बहुसोवि पञ्चमासिब परिहारद्वाणं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अपलिउञ्चिर्य आलोएमाणस्स पञ्चमासियं पलिउशिय आलोएमाणस्स छम्मासियं, तेण परं पलिउशियं वा अपलिउत्रियं वा ते चेव छम्मासा ।१010 मासियं वा दोमासियं वा तेमासियं वा चाउम्मासियं वा पञ्चमासियं वा एएसि परिहारहाणार्ण अन्नयरं परिहारट्ठाणं पडिसेबित्ता आलोएजा अपलिउत्रिययं आलोएमाणस्स मासियं वा दोमासियं वा तेमासियं वा चाउ. म्मासियं वा पञ्चमासियं बा, पलिउंधिययं आलोएमाणस्त दोमासियं वा तेमासियं वा चाउम्मासियं वा पंचमासियं वा छम्मासियं वा, तेण परं पलिउंचिए वा अपलिउंथिए वा ते चेक छम्मासा। ११॥ जे बहुसोवि मासियं वा दोमासियं वा छम्मासा ५१०।१२। जे भिक्खू चाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासियं वा पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा एएसिं परिहारहाणाणं अन्नयरं परिहारहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, अपलिउंचिययं आलोएमाणस्स चाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासियं वा पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा पलिउंचिययं आलोएमाणस्स पंचमासियं वा साइरेगपंचमासियं वा छम्मासियं वा, तेण परं पलिउंचिए वा अपलिउंचिए वा ते व छम्मासा ।१३। जे भिक्खू बहुसोवि चाउम्मासियं बा०।१४१० साइरेगचाउम्मासियं था।१५।० पंचमासियं वा।१६।० साइरेगपंचमासियं वा ।१७ एवं चेव माणियां जा छम्मासा ५३५१।१८। जे भिक्खू चाउम्मासियं वा साइरे वा एएसि परिहारहाणाण अजयर परिहारहाण पडिसवित्ता आलाएजा, अपलिडचिययं आलोएमाणस्स ठवणिज ठवइत्ता करणिज्ज वेयावड़ियं, ठविएवि पडिसेविया सेवि फसिणे तस्येच आम्हेयो सिया, पुधिं पडिसेवियं पुषिं आलोइय, पुर्वि पडिसेवियं पच्छा आलोइय, पच्छा पडिसेवियं पुyि आलोइय, पच्छा पडिसेवियं पच्छा आलोइयं, अपलिउंचिए अपलिउंचियं, अपलिउँचिए पलिउंचियं, पलिउंचिए अपलिउचिय, पलिउँचिए पलिउंचिय, आलोएमाणस्स सदमेयं सकयं साहणिय जे एयाए पट्टवणाए पट्टविए निविसमाणे पडिसेवेइ सेवि कसिणे तत्थेव आरुहेयके सिया। १९ । एवं बहुसोवि जे मिक्खू चाउम्मासियं वा साइरेगचाउम्मासियं वा पंचमासियं या साइरेगपंचमासियं या एएसि परिहारहाणाणं अण्णपरं परिहारहाणं पडिसेवित्ता जालोएज्जा पलिउंचियं आलोएमाणस्स ठवणिज ठवइत्ता करणिज वेयावडियं जाव पच्छा पडिसे लचिए आलोएमाणस्स समय सकर्य साहष्णिय आख्यासिया, एवं अपलिडचिए'६०१॥२०॥जे भिक्खूचाउम्मासियं वा० आलोएज्जा, पलिउँचिर्य आलोएमाणस्स० पलिउचिए पलिउंचियं, पलिउंचिए पलिउंचियं आलोएमाणस्स आहेयचे सिया ।२१। जे भिक्खू पटुसोवि चाउम्मासियं वा पहुसोषि साहरेग० पा० आकहियो सिया '६२६।२२। बहवे पारिहारिया बहवे अपारिहारिया इच्छेजा एगयओ अभिनिसेनं वा अभिनिसीहियं वा इत्तए नो से कप्पा थेरे अणापुच्छित्ता एगयओ अभिनिसे वा अभिनिसीहियं वा चेइत्तए, कप्पड ई से परे आपुच्छित्ता एगयओ अभिनिसेज वा अभिनिसीहियं वा चइत्तए, घेरा य ण्हं से वियरेना एवं हकप्पड़ एगयओ अमिनिसेज वा अमिनिसीहियं वा चहत्तए, घेरा य म्हं से नो विपरेजा एवं व्हनो कप्पइ एगयओ अभिनिसेजं वा अभिनिसीहियं चा चेहराए, जो ण थेरेहिं अवित्रण अभिनिसेनं वा अभिनिसी. ।परिहारकप्पट्टिएभिक्खू बाहया चराण वयावडियाए गच्छज्जा, थरा यस सरजा कप्पास एगराइयाए पडिमाए जपणं जष्णं दिसं अने साहम्मिया विहरति तण्णं तण्णं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पह तस्थ बिहारवत्तियं वस्थए, कप्पह से तत्थ कारणवत्तिय वत्थए, तंसिं च णं कारणंसि णिद्वियंसि परो यएजा 'वसाहि अजो! एगरायं वा दुरायं वा' एवं से कप्पड एगरायं वा दुराव वा यथए, नो से कप्पड़ एगरायाओ वा दुरायाओ चा परं वसित्तए, जो तस्थ एग० दुरा० परं वसाह से सन्तरा छेए चा परिहारे वा । २४ा परिहारकप्पट्टिए भिक्खू बहिया थेराणं वेयावडियाए गच्छेज्जा, घेरा य से नो सरेना, कप्पड़ से निधिसमाणस्स एगराइयाए पडिमाए जणं जण्णं दिसं जाव तत्थ एगरायाओ वा दुरायाओ परं वसइ से सन्तरा छेए वा परिहारे वा ७६७।२५४ परिहारकापट्टिए मिक्खूबहिया थेराणं वेयादडियाए गच्छेजा थेरा य से सरेजा वा नो सरेज्जा वा कप्पइ से निश्चिसमाणस्स एगराइयाए जाव छए वा परिहारे बा । २६ । भिक्खू य गणाओ अवकम्म एगटविहारपडिमं उपसंपबित्ताणं विहरेज्वा, से य इच्छेज्जा दोश्चं पि तमेव गणं उपसंपजित्ताणं विहरित्तए, पुणो आलोएज्जा पुणो पडिकमेजा पुणो छेयपरिहारस्स उवहाएजा ।२७। एवं गणावच्छेहए था।२८ा एवं आयरिए।२९। एवं उबझाए ।३०। भिक्खू य गणाओ अवकम्म पासत्यविहारे विहरेजा, से य इच्छेजा दोचंपि तमेव गण उपसंपजित्ताणं विहरित्तए, अस्थि याई प से पुणो आलोएमा पुणो पडिकमेजा पुणो ९७० च्यवहारःसूत्र, उदेसा-१ मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ wakr छेयपरिहारस्स उवहाएजा ।३१। एवं अहाछन्दो कुसीलो ओसनो संसत्तो'८९१।३२। भिक्खू य गणाओ अवकम्म परपासंडपडिमं उवसंपजित्ताणं विहरेजा परलिंगं च गेण्हेजा, से य इच्छेजा दोचपि तमेव गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नस्थि णं तस्स तप्पत्तियं केइ छए वा परिहारे वा, नन्नत्य एगाए आलोयणाए ।३३। मिक्खू य गणाओ अवकम्म ओहावेज्जा, से य इच्छेज्जा दोचपि तमेव गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नस्थि णं तस्स तप्पत्तियं केइ छेए वा परिहारे वा, नन्नत्थ एगाए सेहोवट्ठावणाए '९१४।३४। मिक्खू Hय अन्नयरं अकिचहाणं पडिसेवित्ता इच्छेज्जा आलोएत्तए, जत्येव अप्पणो आयरियउचज्झाए पासेज्जा कप्पड़ से तस्संतिए आलोएत्तए पा पडिकमेत्तए वा निन्दित्तए वा गर । हित्तए वा विउवित्तए पा विसोहित्तए पा अकरणयाए अम्मुढेत्तए वा अहारिहं तवोकम्म पायच्छित्तं पडिकज्जेत्तए वा, नो व अप्पणो आयरियउवज्झाएपासेज्जा जत्येव संमोइयं साहम्मियं बहुस्सुयं यजमागर्म पासेज्जा तस्संतिए कप्पड़ से आलोएत्तए पा जाव पडिकज्जेत्तए वा, नो पेव संभोइयं साहम्मियं बहुस्सुर्य बझागर्म पासेजा जत्येव अचसंमोइयं बहुस्सुर्य बझागर्म पासेजा कप्पड़ से तस्संतिए आलोएत्तए वा जाव पडिवज्जेत्तए वा,नो चेवणं अन्नसंमोइये जत्येच सारूवियं बहुस्सुर्य बजनागर्म पासेज्जा कप्पा से तस्सतिए आलोएत्तए पा०, नो पेवणं सारूवियं बहुस्सुर्य बझागर्म पासेज्जा जत्येष समणोवासगं पच्छाकडं बहुस्सुर्य बझागर्म पासेज्जा कप्पा से तस्संतियं आलोएसए वा पडि. कमेत्तए वा जाव पायच्छित्तं पढिवजित्तएवा, नो पेवणं समणोवासगं पच्छाकडं बहुस्सुर्य बज्झागर्म पासेज्जा जत्येष सम्ममावियाई चेहयाईपासेज्जा कप्पइसे तस्सतिए आलोएत्तए वा जाब पायच्छित्तं पडिबज्जित्तए वा, नो चेव णं सम्ममावियाई चेहयाई पासेज्जा बहिया गामस्स वा जाव संनिवेसस्स वा पाईणाभिमुहेण वा उदीणाभिमुहेण वा करयलपरिमा. हियं सिरसावत मस्यए अंजलिं कटु कप्पाइ से एवं वएत्तए-एपइया में अपराहा एक्झक्युत्तो य अहं अवरतो अरहताण सिवाणं अन्तिए आलोएज्जा पडिकमेज्जा निन्देज्जा जाय पायच्छित्तं पडिवोजासित्तिमि '९७३ ॥३५॥ पढमो उद्देसओ १॥ दो साहम्मिया एगयओ विहरैति, एगे वत्य अन्नयरं अकिञ्चट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, ठवणिज ठवावा करणिज वेयावडियं ।। दो साहम्मिया एगयओ विहरति दोवि ते अनयर अकिञ्चट्ठाणं पडिसेबित्ता आलोएजा, एर्ग तत्य कप्पार्ग ठवइत्ता एगं निविसेजा, अह पच्छा सेवि निधि १ सेजा।२। वह साहम्मिया एगयओ विहरति, एगे तत्व अनयर अकिचहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, ठवणिज्ज ठवहत्ता करणिज वेयावठियं । ३। बहवे साहम्मिया एगयओ विह. | रंति, सारे ते अन्नयर अकिचहाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, एगं तस्य कप्पागं ठरवत्ता अवसेसा निविसेजा, अह पच्छा सेऽपि निविसेजा '५७।४। परिहारकप्पडिए भिक्खू गिलाय. माणे अनयर अकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता आलोएजा, से य संथरेजा ठवणिज ठवइत्ता करणिजं वेयावडियं, से य नो संघरेजा अणुपरिहारिएणं करणिज वेयावडियं, से तं अणुपरिहारिएणं कीरमाण वेयावडियं साइजेजा सेवि कसिणे तत्येव आरहेयचे सिया '७२।५। परिहारकप्पट्ठियं भिक्खं गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निहित्तए, अगि. लाए तस्स करणिज वेयावडियं जाय तओ रोगायकाओ विप्पमुक्को, तो पच्छा तस्स अहालहुसए नाम ववहारे पट्टवियो सिया।६। अणवट्टप्पं० पारशियं भिक्टुं गिलायमार्ण जाव तचित०, जक्खाइ१०, उम्मायपत०, उक्सग्गपत्तं०, साहिगरणं, सपायच्छित०, भत्तपाणपडियाइक्खितं०, अट्ठजायं मिक्खं० पट्टवियब्वे सियार '२२६ १७.१७। अणबटुप्पं भिक्खं अगिहिभूयं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावित्तए।१८। अणवठ्ठप्पं भिक्खु गिहिमूर्य कप्पड़ तस्स गणावच्छेदयस्स उवद्ववावित्तए।१९। पारश्चियं भिक्खु अगिहिभूयं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेद्यस्स उवट्ठावित्तए ।२०। पारंचियं भिक्खं गिहिमूर्य कप्पह तस्स गणावच्छेइयस्स उवठ्ठावित्तए।२१। अणवठ्ठप्पं मिक्लु. अगिहिभूयं वा गिहिभूयं वा कप्पड़ तस्स गणावच्छेयस्स उपहावित्तए जहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया। २२ । पारंचियं मिक्खं अगिहिभूयं वा गिहिभूमं चा कप्पह तस्स गणावच्छेहयस्स उबट्ठावित्तए जहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया '२५८।२३। दो साहम्मिया एगयओ विहरन्ति, एगे तत्य अजयर अकिचट्ठाणं पडिसेवित्ता आब्जेएना'अहंणं भन्ते! | अमुगेर्ण साहुणा सविं इमम्मि य इममिय कारणम्मि पडिसेवी' से तत्व पुच्छियब्वे 'कि पडिसेवी अपडिसेवी ? सेयषएजा 'पढिसेवी' परिहारपत्ते, से य वएना 'नो पडिसेवी' नो परि हारपत्ते, जं से पमाणं वयह से पमाणओ वत्तव्वे सिया, से किमाहु भन्ते !, सबपइया क्वहारा २७०।२४। मिक्खू य गणाओ अवकम्म ओहाणुप्पेही गच्छेवा, से य आहब | अणोहाइए, से य इच्छेज्जा दोश्चंपि तमेव गणं उपसंपज्जित्ताणं विहरितए, तत्य गं येरार्ण इमेयारूवे विवाए समुष्पजित्या 'इम णं अजो! जाणह किं पडिसेविं अपडिसेविं१, से य पुच्छियव्वे 'किं पडिसेवी अपडिसेवी?" से य वएज्जा 'पडिसेबी' परिहारपत्ते, से य वएना 'नो पडिसेवी' नो परिहारपत्ते, जं से पमाणं क्या से पमाणओ पेत्तव्ये, से किमाहुमन्ते!', सचपइन्ना पबहारा ३१९।२५। एगपक्खियस्स मिक्लुस्स कप्पड आयरियउवज्झायाणं इत्तरियं विसं वा अणुविसं या उदिसित्तए वा धारित्तए वा जहा वा तस्स गणस्स पत्तिय ९७१व्यवहारःसूत्र. उसी-२ मुनि दीपरत्नसागर hot Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Nav सिया '३५५'।२६। बहवे परिहारिया बहवे अपरिहारिया इच्छेना एगयओ एगमार्स या तुमासं वा तिमास वा चउमासं चा पंचमार्स वा छम्मासं वा वत्थर, ते अन्नमचं समुजन्ति अनमन्त्रं नो संभुंजन्ति मासं, वओ पच्छा सव्वेवि एगयओ सं जन्ति ३६४' ।२७। परिहारकप्पदिठयस्स मिक्सुस्स नो कप्पड असणं चा• दाउं वा अणुप्पदाउँ बा, पेरायचं वएज्जा 'इमं ता अजो! तुम एएसि देहि वा अणुप्पदेहि वा एवं से कप्पइ वाउंवा अणुप्पदाउं बा, कप्पड़ से लेवं अणुजाणावेत्तए 'अणुजाणह मन्ते! लेवाए' एवं से कप्पाइ लेव समासेवेत्तए '३७२१।२८। परिहास्कप्पडिए भिक्खू सएणं पडिग्गहेणं पहिया अप्पणो व्यावडियाए गच्छेजा, येरायगंवएजा-पडिग्गाहेहि अजो! अहंपि मोक्खामि वा पाहामिया' एवं से कप्पद पडिग्गाहेत्तए, तत्य नो कप्पह अपरिहारिएणं परिहारियस्स पडिग्गहंसि असणं वा मोत्सएका पायए वा, कपड़ से सर्यसि वा पडिग्गहंसि सयंसिवा पलासगंसि सयंसि वा कमढगंसि सयंसि वा सुमगंसि सयंसि वा पाणियसि उबद्ध उबटु भोत्तए वा पायए वा, एस कप्पे अपरिहास्विस्स परिहारिवाओ। २९। परिहारकप्पहिए मिक्खू बेरा पडिब्याहेणं पहिया बेराणं वेयावडियाए गच्छेजा, येरायणं वएना-पडिग्गाहेहि अजो! तुमंपि पच्छा मोक्ससि वा पाहिसि वा एवं से कप्पद पडिग्गाहेत्तए, सत्य नो कप्पर परिहारिए अपरिहारियस्स पडिग्गइंसि असणं चामोत्तए पा पायए वा, कप्पड़ से सयंसि पडिग्गइंसिवा सयंसि पलासगंसि पास.क.स.मुं.स. पाणिसि वा बद्ध उबद्ध मोत्तए चा पायए वा, एस कप्पे परिहारियस्स अपरिहारियाओत्तिबेमि '३७८।३०॥ चिइजो उद्देसओ २॥ निक्खू या इच्छेजा गणं धारेत्तए, भगवंच से अपलिच्छिचे एवं नो से कप्पड़ गणं धारेत्तए, भगवं च से पलिच्छिन्ने एवं से कप्पा गणं धारेत्तए '११०।१। भिक्खू य इच्छेजा गणं धारेत्तए, नो से कप्पड घेरे अणापुच्छिता गणं धारेत्तए, कप्यासे घेरे आपुष्ठित्ता गणं धारेत्तए, येरा य से वियरेजा एवं से कप्पा गणं धारेत्तए, थेरा य से नो वियरेजा एवं से नोकप्पड़ गणं धारेत्तए, जणं येरेहिं अविश्णं गणं धारेगा से सन्तरा छेए वा परिहारे वा, जे ते साहम्मिया उद्याए विहरति नरिव तेसि केह छेए वा परिहारे वा ११६।२। तिवासपरिवाए समणे निर्माचे आयारकुसले संजमकुसले पत्यणकुसले पच. तिकुसले संगहकुसले उपग्गहकुसले अक्स(क्सु)यायारे अमिशायारे असबलायारे असंकिलिहायारचरिते बहुस्सुए ममागमे जहणं आयारपकप्पधरे कप्पा आयरिउपजमायत्ताए उदि. सित्तए।शसचेवणं से तिवासपरियाएसमणे निम्नये नो आयारकुसले जाव संकिलिट्ठायारचरिते अप्पसुए अप्पागमेनो कप्पा आयरिउवज्झायत्ताए उहिसित्तए।४ा एवं पंचवासपरिवाए समणे निर्माचे आयारकुसले जाव असंकिलिहायारचरिते बहुस्सुयेषज्झागमे जहन्नेणं बसाकप्पयवहारघरे कप्पड आयरिपउवमायत्ताए पवत्ति उदिसित्तए । सोषण से पापासपरि. याए समणे निग्गन्धेनो आयारकुसले जाव अप्पसुए अप्पागमे नो कप्पइ आयरियउवज्झायत्ताए पव० उदिसिचए।६।अदुवासपरियाए समणे निग्गन्ये आयारकुसले जहण ठाणसमया. यघरे कप्पड़ से आयरियत्ताए उवज्झायत्ताए पवत्तित्ताए धेरत्ताए गणित्ताए गणावच्छेइयत्ताए उदिसित्तए।७। सवेवणं से अड्डवासपरियाए समणे निग्गन्ये नो आयारकुसले० नो कप्पड आयरियत्ताए जाव गणावच्छेइयत्ताए उदिसित्तए १८२'दा निरुद्धपरियाए समणे निग्गन्ये कप्पइ तदिवस आयरिषउवमायत्तए उरिसित्तए, से किमाह मते!', अस्थि ण कुलाईकडाण पत्तियाणि जाणि सासियाणि समयाणि सम्मुइकराणि अणुमयाणि बहुमयाणि भवन्ति,वाहकडाहतहिं पत्तिएहि तेहि येहि हिंसासिएहिं तेहिं संमएहिं तेहिंसम्मुइकरेहिं जं से निरुवपरियाए समणे निग्गन्ये कप्पइ आयरियउक्झायत्ताए उदिसित्तए वदिवसं ।९) निरुवतियासपरियाए समणे निग्गन्ये कपड़ जायारिवउपायत्ताए उदिसित्तए समुपयकपंसि, तस्स गं आयारपकप्पस्स देसे अचट्ठिए अहिजिए भवइ सेसे 'अहिनिस्सामि' ति अहिजेजा, एवं से कप्पड आयरिबाउबझाय. ताए उरिसित्तए, से य 'अहिजिस्लामित्तिनो अहिजेना एवं से नो कप्पइ आयरियउवज्झायत्ताए उहिसिलए '२१६।१०।निग्गन्धस्स नबडहरतरुणस्स आयरियउपज्झाए पी. भेग्जा, नो से कापड अणायरियउवझायस्स होतए, कप्पड़ से पुधि आयरियं उदिसावेत्ता तो पच्छा उपज्झायं, से किमाहु भंते !!, दुसंगहिए समणे निम्गंथे, त०-आयरिएणय उपमाएण य।११। निग्गन्थीए णं नवडहरतरुणियाए आयरियउवझाए पचत्तिणीय विसुंभेज्जा, नो से कप्पड़ अणायरियउबझाइयाए अपवत्तिणीयाए होत्तए, कप्पा से पति आयरियं उदिसावेत्ता तओ पच्छा उवज्झाय तो पच्छा पवत्तिणिक, से किमाहु मंते !१, तिसंगहिया समणी निग्गन्थी, त०-आयरिएणं उपज्झाएणं पचत्तिणीए व '२३५॥१२॥ भिक्खू य गणाओ अपकम्म मेहुणधर्म पडिसेवेजा तिणि संवच्छराणि तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियर्स या जाव गणावच्छेइयत्तं मा उदिसित्तए वा धारेत्तएका, सीहि संपच्छरेहि डा किन्तेहिं पउत्थगंसि संवच्छरंसि पद्वियंसि ठियस्स उक्सन्तस्स उपरयस्स पडिविरयस्स निश्चिगारस्स एवं से कप्पा आपरिपत्त वा जाव गणापच्छेयात्तं वा उरिसित्तए पा धारेत्तए छहएगणावच्छेइयत्तं अनिक्खिवित्ता मेहुणधम्म पडिसवजा जावजीचाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पर आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेयर्स वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा १४॥ गणाक्च्छेड़ए गणावच्छेदयत्त निक्सिवित्ता मेहुणधम्म पडिसेवेजा विण्णि संवच्छराणि गणावच्छेदयत्त० धारेत्तए वा ।१५। एवं आयरिए उवमाए-(२४३) 1 ९७२ व्यवहारःसूत्रं उरो -३ मुनि दीपरनसागर r at Arth Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वि दो आलावगा '२५६।१६-१७ भिक्खू य गणाओ अवकम्म ओहायह विण्णि संवच्छराणि० धारेत्तए वा।१८ा एवं गणावच्छेययत्तं अनिक्लिवित्ता ओहाएजा जायजीवाए, निक्खिवित्ता तिण्णि संवच्छराई०१९-२०१एवं आयरिए उवज्झाएऽवि २७५१।२१-२२भिक्खू य बहुस्सुए पज्झागमे बहुसो बहुआगाढानागाढेसु कारणेसु माइमुसाबाई असुई पावजीवी जावजीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियतं वा जाव गणावच्छेययत्तं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा।२शएवं गणावच्छेइएवि० धारेत्तए वा।२४। आयरियउवज्झाएवि।२५/ बहवे भिक्खुणो बहुस्सुया बज्झागमा बहुसो० जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पड़ जाच उदिसित्तए वा धारेत्तए वा।२६॥ एवं गणावच्छेझ्यावि, धारेत्तए वा।२७ एवं आयरियउज्झायावि, घारेत्तए था।२८ा बहवे मिक्खुणो बहवे गणावच्छेदया यहवे आयरियउवज्झाया बहुस्सुया वज्झागमा बहुसो. आयरिवर्स चा उज्ज्ञायत्तं वा पवत्तितं या पेरत्तं वा गणघरसंवा गणावच्छइयत्तवा उद्दिासत्तएवाधारत्तएवा'३६९ ।२९॥ तइओ उसी .३॥ना कप्पहआयारपउवझायस्सएगाणियस्सहमन्तागम्हासुचारत्तए।शकप्पाइआयारयावज्झायस्स अप्पवीयस्स हेमन्तगिम्हासु चरित्तए ।२। नो कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अपवीयस्स हेमन्तगिम्हासु चरित्तए।३। कप्पड़ गणावच्छे यस्स अप्पतइयस्स हेमन्तगिम्हासु चरित्तए ।४॥ नो कप्पइ आयरियउवज्झायस्स अप्पविइयस्स वासासासं वत्थए।५। कप्पइ आयरियउवमायस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए।६। नो कप्पइ गणावच्छेइयस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए । ७। कप्पइ गणावच्छेदयस्स अप्पचउत्थस्स वासावास वत्पए '६५'टा से गामंसि वा नगरंसि वा जाव संनिवेसंसि वा बहूर्ण आयरियउवज्झायाणं अप्पविदयार्ण बहूर्ण गणावच्छेइयाणं अप्पतइयाणं कप्पड हेमन्तगिम्हामु चरित्तए अचमचं निस्साए।९।से गामंसि वा जाच संनिवेसंसि वा बहूणं आयरियउवज्झायाण अप्पतइयाणं बहूणं गणावच्छइयाण अप्पचउत्थाण कापहवासावास चरित्तए अन्नमनिस्साए'१६२०१०मामाणुगामदूइज्जमाण भिरखूज केई उपसंपजणारिहे (कप्पइ) से उवसंपजियो सिया, नस्थि याइत्थ अने केइ उपसंपजणारिहे अप्पणो कप्पाए असमत्ते कप्पड़ से एगराइयाए पडिमाए जणं जगणं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरंति तण्णं तषणं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पइ तत्य विहारवत्तियं वत्थए, कप्पड़ से कारणपत्तियं वत्थए, तसिं चणं कारणंसि निद्वियंसि परो वइजा-वसाहि अज्जो ! एगरायं वा दुरायं वा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो कप्पइ एगरायाओ वा दुरायाओ या परं वत्थए, जे तत्थ एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वसइ से संतरा छेए वा परिहारे या ।११। वासावासं पज्जोसविए भिक्खू० छेए वा परिहारे वा '२६२।१२। आयरियउवज्झाए गिलायमाणे अन्नयरं वएजा-ममंसि णं कालगर्यसि समाणंसि अयं समुफसियो, से य समुपसणारिह समुफसिया, सेयनो समुकसणारिहनो समुफसिया, अस्थिया इत्थ अभे कह समुकसणारिहससमुक्कासयब, नात्य या इत्य अन कसियथे, तैसि च णं समुकिट्ठसि परो वएजा दुस्समुकिट्ठ ते अजो!, निक्खिवाहि, तस्स पं निक्खिवमाणस्स नत्ति केइ छेए वा परिहारे वा, जे तं साहम्मिया अहाकप्पेणं नो अब्भुट्टेति सन्वेसि तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा '२९०।१३। आयरियउक्ज्झाए ओहायमाणे० ओहावियंसि० अयं समुक्कसियचे जाव सवेसि तेसिं तप्पत्तिर्य छए या परिहारे वा'३०३।१४। आयरियउवज्झाए सरमाणे परं चउरायपंचरायाओ कप्पागं भिक्खू नो उवट्ठावेइ, कप्पाए अत्यि याई से केइ माणणिजे कप्पाए, नत्यि याई से केइ छेए वा परिहारे वा, नत्थि याई से केइ माणणिजे कप्पाए से संतरा छेए वा परिहारे वा । १५/आयरियउवमाए असरमाणे परं चउरायाओ वा पंचरायाओ कप्पा छेए वा परिहारे वा।१६। आयरियउवमाए सरमाणे वा असरमाणे वा पर दसरायकप्पाओ कप्पागं भिक्खू नो उवट्ठावेइ, कप्पाए अस्थि याई से केद्द माणणिजे कप्पाए नत्यि याई से केह छेए वा परिहारे का, नत्थि याइं से केइ माणणिजे कप्पाए संवच्छरं तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियतं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उहिसित्तए वा० ३३५'१७ भिक्खू य गणाओ अवकम्म अर्थ गणं उवसंपजित्ताणं विहरेजा, तं च केई साहम्मिया पासित्ता वएजा के अजो! उपसंपजित्ताणं विहरसि?' जे तत्य सनराइणिए तं वएजा, अह मंते! कस्स कप्पाए?, जे तत्थान बहुसुए तं वएज्जा, ज वा से भगवं वक्खइ तस्स आणाउववायक्यणनिडेसे चिहिस्सामि ३४६।१८। बहवे साहम्मिया इच्छेना एगयओ अभिनिचारियं चरित्तए, नो व्हं कप्पह थेरे अणापुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चरित्तए, कप्पह ण्हं थेरे आपुच्छित्ता एगयओ अमिनिचारियं चरित्तए, घेरा य से वियरेजा एवण्हं कप्पह एगतओ अमिनिचारियंचरित्तए, येरा य व्हं नो वियरेजा एवं व्हं नो कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चरित्तए, जे तत्थ थेरेहिं अविष्णे एगयओ अभिनिचारियं चरंति से संतरा छेए वा परिहारे वा ।१९। चरियापविढे भिक्खू जाव चउरायपश्चरायाओ थेरे पासेजा सचेव आलोयणा सच्चेव पडिकमणा सचेच ओग्गहस्स पुवाणुषवणा चिट्ठइ, अहालन्दमवि ओग्गहे ।२०। परियापविढे मिक्खू परं चउरायपञ्चरायाओ येरे पासेज्जा पुणो आलोएजा पुणो पडिकमेजा पुणो छेयपरिहारस्स उवहाएजा, भिक्खुमावस्स अट्टाए दोचंपि ओग्गहे अणुन्नवेयझे सिया, कप्पति से एवं ९७३ व्यवहारःसूत्र, उसी-7 मुनि दीपरनसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वदत्त- अणुजाण भंते! मिओग्गहं अहालन्दं घुवं नितियं निच्छइयं जं वेउट्टियं, तओ पच्छा कायसंफासं । २१ । चरियानियट्टे भिक्खू० कायसंफासं '४४७' । २२-२३ । दो साह मिया एगयओ विहरति तं० सेहे य राइणिए य, तत्व सेहतराए पलिच्छिन्ने राइणिए अपलिच्छिन्ने, तत्य सेइतराएणं राइणीए उवसंपजियो, भिक्खोववायं च दलयइ कप्पा । २४ । दो साहम्मिया एगयओ विहति तं० सेहे य राइणिए य, तत्थ राइणिए पलिच्छिन्ने सेतराए अपलिच्छिन्ने इच्छा राइणिए सेतरागं उवसंपजेजा इच्छा नो उपसंपजेजा, इच्छा भिक्खोववायं दलयइ कप्पार्ग, इच्छा नो दलयह कप्पागं '४६०' । २५। दो भिक्खुणो एगयओ विहरंति, नो हुं कप्पइ अन्नमन्नस्स उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ हं आहाराइणियाए अन्नमन्नं उपसंपजित्ताणं वित्तिए । २६ । एवं दो गणावच्छेइया । २७। दो आयरियउवज्झाया । २८। बहेब भिक्खुणो० विहरित्तए । २९ । महवे गणाचच्छेइया | ३० । एवं बहवे आयरियउवज्झाया । ३१ । बहवे भिक्खुणो बहवे गणावच्छेइया बहवे आयरियउवज्झाया नो हुं० कप्पइ विहरित्तए ५७४' ॥ ३२ ॥ चउत्थो उद्देसओ ४॥ नो कप्पइ पवत्तिणीए अप्पविइयाए हेमन्तगिम्हासु चारए । १ कप्पड़ पवत्तिणीए अप्पतइयाए हेमन्तगिम्हासु चारए । २ । नो कप्पइ गणावच्छेणीए अप्पतइयाए हेमन्तगिम्हासु चारए । ३। कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पचउत्थीए हेमन्तगिम्हामु चारए। ४। नो कप्पड़ पवत्तिणीए अप्पतइयाए वासावासं वत्यए । ५। कप्पइ पवत्तिणीए अप्पचउत्थीए वासावासं वत्थए। ६ । नो कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पचडत्यीए वासावासं वत्थए । ७1 कप्पइ गणावच्छेइणीए अप्पपंचमीए वासावासं वत्थए । ८ से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा बहूणं पदत्तिणी अप्पतइयाणं बहूणं गणावच्छेणीणं अप्पचउत्यीणं कप्पर हेमन्तगिम्हासु चारए अन्नमयं निसाए । ९ से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा बहूणं पवत्तिणीणं अप्पचउत्थीणं बहूणं गणावच्छेइणी अप्पपचमीण कप्पर वासावासं वत्थए अन्नमनं निसाए । १० । गामाणुगामं दुइजमाणी निम्गन्धी य जं पुरओ काउं विजा सा य आहब वीसुंभेजा अस्थि या इत्य काइ अन्ना उपसंपजणारिहा सा उवसंपजिया, नत्थि या इत्थ काइ अन्ना उवसंपजणारिहा तीसे य अप्पणी कप्पाए असमत्ता एवं से कप्पर एगराइयाए पडिमाए जणं जणं दिसं अन्नाओ साहम्मिणीओ विहरंति तच्णं तरणं दिसं० छेए वा परिहारे वा । ११। वासावासं पज्जोसविया निग्गन्धी पुरओ कार्ड विहरेजा सा य आहब वीसुंभेज्जा अस्थि या इत्य काइ अन्ना उपसंपजणारिहा सा उपसंपजिया जाव छेए परिहारे वा १२ पवत्तिणीय गिलागमाणी अन्नयरं वएना मए णं अजो! कालगयाए समाणीए इयं समुकसिया' सा व समुक्क सणारिहा सा समुकसियता सिया, सा य नो समुकसणारिहा नो समुकसिया सिया, अस्थि या इत्थ काइ अण्णा समुकसणारिहा सा समुकसिया, नत्थि या इत्थ काई अण्णा समुक्कसणारा सा चैव समुसिया, सिंचणं समुकिहंसि परा वाएजा दुस्समुकिटं ते अज्जो ! निक्खिवाहि, तीसे निक्लेवमाणीए णत्थि केइ छेए वा परिहारे वा, तं जाओ साहम्मिणीओ अहाकप्पे नो उबद्वायंति तासिं सवासिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा । १३ । पवत्तिणी य ओहायमाणी एगयरं वएजा-ममंसि णं अजो ! ओहाइयंसि एसा समुकसिया, समुकसणारिहा सा समुकसिया सिया, सा य नो० छेए वा परिहारे वा '९' । १४ । निग्गन्थस्स नवडहरतरुणगस्स आयारपकप्पे नामं अज्झयणे परिन्भट्टे सिया से व पुच्छियचे- 'केण ते कारणेणं अजो! आयारपकप्पे नाम अज्झयणे परिभट्टे ?, किं आवाहेणं उदाहु पमाएणं १, से य वएजा 'नो आबाहेणं, पमाएणं, जावजीवाए तस्स वप्पत्तियं नो कप्पड़ आयरियतं वा जाब गणावच्छेइयत्तं वा उदिसित्तए वा धारेतए वा से य वएजा 'आबाहेणं, नो पमाएणं' से य 'संठवेस्सामीति' संठवेना, एवं से कप्पड़ आयरियत्तं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उदिसित्तए वा धारेलए वा से य संठवेस्सामीति नो संठवेजा एवं से नो कप्पर आयरियतं वा जाव गणावच्छेदयत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेतए वा १५ निमगन्धीए णं नवडहस्तरु. जियाए आयारपकप्पे नाम अज्झयणे परिष्मट्टे सिया, सा य पुच्छिया केण ते कारणेणं अजो! आयारपकप्पे नाम अज्झयणे०', किं आवाहेणं पमाएणं?, साय बाएजा 'नो आवा हेणं, पमाएणं', जावज्जीवाए तीसे तप्पत्तियं नो कप्पड़ पवत्तिणित्तं वा गणावच्छेणियत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा से य वजा 'आवाहेणं, नो पमाएणं', सा य संटवेस्तामीति संठवेज्जा एवं से कप्पड़ पवतिणीत्तं वा गणावच्छेणियत्तं वा उद्दिसित्तए वा धारेतए वा सा य संठवेस्सामीति नो संठवेला एवं से नो कप्पड़ पवत्तिणीत्तं वा गणावच्छेणियतं वा उद्दित्तिए वा धारेत्तए वा । १६। बेराणं घेरभूमिपत्ताणं आयारपकप्पे नाम अज्झयणे परिभट्ठे सिया, कप्पड़ तेसिं संठवेन्ताण वा असंठवेन्ताण वा आयरियतं वा जाब गणावच्छेदयत्तं वा उदिसित्तए वा धारेतए वा । १७। पेराणं येरभूमिपत्ताणं आयारपकप्पे नाम अज्झयणे परिष्मद्वे सिया, कप्पड़ तेसिं संनिसण्णाण या तुयहाण या उत्ताणयाण वा पासियाण वा आयारपकप्पे नाम अज्झयणे दोपि तबंपि पडिच्छित्तए वा पडिसारितए वा '४४' ।१८। जे निग्गन्या य निम्गन्धीओ य संभोइया सिया, नो व्हूं कप्पइ तासिं अक्रमनस्स अंतिए आलोत्तए, अस्थि या इत्थ के आलोयणारिहे कप्पड़ से तेसिं अंतिए आलोएत्तए, नत्थि या इत्य केइ आलोयणारिहे एवं व्हं कप्पइ अन्नमन्नस्स अंतिए आलोएत्तए '७५' । १९ । ९७४ व्यवहारः सूत्रं उदेसो-५ मुनि दीपरत्नसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जे निग्गन्था य निग्गन्थीओ य संभोइया सिया नो तेसिं कप्पड अन्नमन्नस्संतिए वेयावडिय करेत्तए, अस्थि या इत्य केइ वेयावथकरे कप्पड हं तेणं वेयावर्ष करावेत्तए, नत्यि याइई इत्थ केइ बेयावच्चकरे एवं हं कप्पइ अन्नमन्नेणं वेयाषचं करावेत्तए '९०।२०। निम्गन्थं च णं राओ वा चियाले वा दीहपढे लूसेजा, इत्थी वा पुरिसस्स आमज्जेजा पुरिसो वा इत्थीए आमजेजा, एवं से कप्पड़, एवं से चिट्ठा, परिहारं च से न पाउणइ, एस कप्पे घेरकप्पियाणं, एवं से नो कप्पा,एवं से नो चिट्ठा, परिहारं च पाउणा, एस कप्पे जिणकप्पियाणति केमि *१४३'॥२१॥ पंचमो उद्देसो ५॥ भिक्खू य इच्छेजा नायविहिं एत्तए, नो से कप्पड़ येरे अणापुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, कप्पह से घेरे आपुच्छित्ता नायविहिं एत्तए, घेरा य से वियरेजा एवं से कप्पड़ नायविहिं एत्तए, येरा य से नो पियरेजा एवं से नो कप्पइ नायविहिं एत्तए, जं तत्य थेरेहिं अविइण्णे नायविहिं एइ से सन्तरा छेए वा परिहारे वा, नो से कप्पड़ अप्पसुयस्स अप्पागमस्स एगाणियस्स नायविहिं एत्तए, कप्पड़ से जे तत्थ बहुस्सुए बझागमे सेण सद्धिं नायविहिं एत्तए, तत्थ से पुष्यागमणेणं पुष्वाउत्ते चाउलोदणे पच्छा. उत्ते मिलिंगसूवे कप्पड़ से चाउलोदणे पडिग्गाहेत्तए नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडिग्गाहेत्तए, तत्व पु.पु. मिलिंगसूबे पच्छा० चाउ० कप्पड़ से मिलिंक पडि० नो से कप्पाइ चाउ० पडिक, सत्य से पुवागमणेणं दोवि पुष्याउत्ताई कप्पड़ से दोषि पहिग्गाहेत्तए, तत्थ से पुष्वा दोवि पच्छानो से क.दोषि पडि०, जे से तत्थ पवा. पचाउत्ते से कप्पा पहिजे से तत्य पुव्वा पच्छानो से कप्पइ पडिग्गाहित्तए '७२|१आयरियउवझायस्स गर्णसि पंच अइसेसा ५० त०-आयरियउबज्झाए अंतो उवस्सयस्स पाए निगिज्झिय २ पप्फोडेमाणे वा पमजेमाणे वा नाइकमाइ, आयरियउवज्झाए अंतो उपस्सयस्स उच्चारं वा पासवर्ण वा विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा नाइकमा, आयरियउवज्झाए पभू इच्छा वेयावडियं करेजा इच्छा नो करेजा, आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स (उवरए) एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नाइकमइ, आयरियउवज्झाए वाहिं उवस्मयस्स एगरायं वा दुरार्य वा वसमाणे नाइकमइ।२गणावच्छेइयस्सणं गर्णसि दो आइसेसा पं० त०-गणावच्छेदए अंतो उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा बसमाणे नाइकमा, गणावच्छेइए बाहिं उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अइकमह '२६१।३। से गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा एगवगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए नो कप्पड़ बहुणं अगडसुयाणं एगयी वत्याए, अस्थि याइण्हं केइ आयरपकप्पधरे नत्थि याइ ण्हं के छेए वा परिहारे वा, नस्थि याइ ण्हं केइ आयारपकप्पधरे सत्रेसिं तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा।४।से गामंसि वा जाय संनिवेसंसि वा अभिनिवगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसणाए नो कप्पड़ बहूर्ण अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अस्थि याइ हं केइ आयारपकप्पधरे जे तप्पत्तियं स्यणि SI संवसह नस्थि या इत्थं के ए वा परिहारे वा. नस्थि या इत्व के आयारपकप्पधरे जे तप्पत्तियं स्यणि संवसह सवेसि तेसितपत्तियं ठेए वा परिहारे वा '२५८।५से गामंसि वा । जाव संनिवेसंसि वा अभिनिवगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसणाए नो कप्पइ बहुसुयस्स बझागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए, किमंग पुण अप्पसुयस्स अप्पागमस्स भिक्षुस्स । ६। से गामंसि वा जाव संणिवेसंसि वा एगवगढाए एगदुवाराए अभिनिक्खमणपवेसाए कप्पइ बहुस्सुयस्स बज्झागमस्स एगाणियस्स भिक्सुस्स वत्थए दुहओ कालं भिक्खुभावं पडिजागरमाणस्स '३५७१७। जत्थ एए वहवे इत्थीओ अ पुरिसा अ पण्हायन्ति तत्थ से समणे निगंथे अन्नयरंसि अचित्तंसि सोयसि सुक्कपोग्गले निग्याएमाणे हत्थकम्मपडिसेवणपत्ते आवजइ मासियं परिहारहाणं अणुग्याइयं, निग्घाएमाणे मेहुणपडिसेवणपत्ते आवजइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइयं '३६७।८।नो कप्पड़ निग्गंधाण वा निम्गंधीण वा निगर्षि अण्णगणाओ आगयं सुयायारं सबलायारं भिजायारं संकिलिट्ठायारचरितं तस्स ठाणस्स अणालोयावेत्ता अपडिकमावेत्ता अनिन्दावेत्ता अगर. हावेत्ता अविउद्यावेत्ता अविसोहावेत्ता अकरणाए अणम्भुहावेत्ता अहारिहं पायच्छितं तपोकम्मं अपडिवज्जावेत्ता उबट्ठावेत्तए वा संभुजित्तए वा संवसित्तए तासिं इत्तरियं दिसं वा अणुदिसं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा।९। कप्पड निगंथाण वा निग्गंधीण चा निम्गंथि अन्नगणाओ आगयं खुयायारं० तस्स ठाणस्स आलोयावेत्ता पडिझमावेत्ता निन्दावेत्ता गरहावेत्ता विउट्टावेत्ता विसोहावेत्ता अकरणाए अम्भुट्ठावेत्ता अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्मं पडिवजावेत्ता उचट्ठावेत्तए वा धारेत्तए वा ३८८।१०।नो कप्पइ. निग्गय खुयायारं० अणालोयावेत्ता उद्दिसित्तए वा धारेत्तए वा ।११। कप्पइ. आलोयावेत्ता० उद्दिस्सित्तए वा धारित्तए बा । १२॥ छट्ठो उद्देसओ ६॥ जे निग्गन्धा य निग्गन्धीओ य संभोइया सिया, नो कप्पइ निग्गन्थीणं निग्गन्थे अणापुच्छित्ता निम्गन्धि अन्नगणाओ आगयं खुयायारं सबलायारं भिनायारं संकिलिहायारचरितं तस्स ठाणस्स अणालोयावित्ता पायच्छित्तं० अपडिवजावेत्ता पुच्छित्तए वा वाएत्तए वा उवहावेत्तए चा संभुञ्जित्तए या संवसित्तए वा तीसे इत्तरियं दिसंवा अणुदिसंवा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा "जे निग्गन्या य निग्गन्धीओ य संभोइया सिया, कप्पडु निग्गन्धीणं निग्गन्थे आपुच्छित्ता निम्गन्थि अनगणाओ आगयं खुयायारं सबलायारं मिलायारं संकिलिहायारचरितं तस्स ठाणस्स आलोयावेत्ता ९७५ व्यवहारःसूत्र असो मुनि दीपरनसागर Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडिकमावेत्ता जाव उवद्वावेत्तए वा संभुंजित्तए वा संवसित्तए वा तीसे इत्तरिय दिसं वा अणुदिसं वा उहिसित्तए वा धारित्तए था।२।जे निग्गन्था य निगान्धीओ य संभोइया सिया कप्पइ निग्गन्याणं निग्गन्धीओ य आपुच्छित्ता निग्गन्थी अण्णगणाओ आगयं खुयायारं जाव तस्स ठाणस्स आलोयावित्ता पडिकमावेत्ता जाव उबट्ठावित्तए वा संभुजित्तए वा संवतीसे इत्तरिय धारेत्तए वा, तं च निम्गन्धीओ इच्छेजा सयमेव नियंठाणं जाव उवट्ठावेत्तए वा संभुञ्जित्तए वा संवसित्तए वा तीसे इत्तरिय दिसं वा अणुदिसं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा '४४।३। जे निग्गन्या य निग्गन्धीओ य संभोइया सिया, नो ण्हं कप्पड़ पारोक्खं पाडिएक संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, कप्पइ हं पचलं पाडिएकं संभोइयं विसंभोग करेत्तए, जत्थेव ते अचमन्नं पासेज्जा तत्थेव एवं वएजा 'अहं णं अजो! तुमाए सद्धिं इमम्मिय२कारणम्मि पञ्चवं पाडिएकं संभोग विसंमोग करेमि'.से य पडितप्पेजा, एवं से नो कप्पइ पचलं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, से य नो पडितप्पेज्जा एवं से कप्पड़ पञ्चक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए '८६।४। जाओ निग्गन्धीओ वा निम्गन्धा वा संभोइया सिया नो ण्हं कप्पइ निम्गन्धि पचक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोग करेत्तए, कप्पइ व्हं पारोक्खं पाढिएक संभोइयं विसंभोग करेत्तए, जत्येव ताओ अप्पणो आयरियउवज्झाए पासेजा तत्व एवं पएजा 'अहं णं भंते ! अमुगीए अजाए सदि इमम्मि कारणम्मि पारोक्खं पाडिएक संभोग विसंभोग फरेमि' सा य से पडितप्पेजा एवं से नो कप्पइ पारोक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोग करेत्तए, सा य से नो पडितप्पेजा एवं से कप्पड़ पारोक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए '९४।५। नो कप्पइ निमान्थाणं निग्गन्धि अप्पणो अट्ठाए पञ्चावेत्तए वा मुण्डावेत्तए वा सिक्खावित्तए वा सेहावेत्तए वा उवट्ठावेत्तए वा संभुजित्तए वा संवसितए वा तीसे इत्तरियं दिसं या अणुदिसं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा।६। कप्पइ निग्गन्थाणं निम्गन्धि अनेसिं अढाए पत्रावेत्तए वा० धारेत्तए वा '११८७ानो कप्पड निग्गन्धीणं निग्गनि जाव चारित्तएवा।८ाकप्पइ निम्गंधीणं निम्ांथिं अट्ठाए पवावेत्तए वा जाव धारित्तए था।९।नो कप्पइ निग्गंधीणं विइकिडियं दिसं वा अणुदिसंवा उदिसित्तए वा धारेत्तएवा।१०। कप्पइ निम्गंधाणं विधा०१४४।१शनोकप्पइ निग्गंधाणं विइकिट्ठाई पाहुडाई विओसवेत्तए।१२। कप्पइ निग्गंथीणं विइकिट्ठाई पाहुढाई विओसवेत्तए १७९।१३ नोकष्पइ निग्गं. घाण वा निम्गंथीण वा विइकिट्ठयं कालं सज्झार्य उदिसित्तए वा करेत्तएवा।१४२ कप्पइ निम्गंथीणं विइकिट्ठए काले सज्झायं करेत्तए निगंथनिस्साए '२६४।१५। नो कप्पइ निम्गंधाण वा निगंथीण वा असज्झाइए सज्झायं करेत्तए।१६। कप्पद निर्णयाण या निग्गंधीण वा सज्माइए सज्झायं करेत्तए।१७ नो कप्पड निर्माधाण वा निम्गंधीण वा अप्पणो असमाइए सज्झायं करेत्तए, कप्पइ हुं अन्नमन्नस्स बायणं बलइत्तए "४०३।१८। तिवासपरियाएसमणे निगथे तीसवासपरियायाए समणीए निम्गंधीए कप्पइ उचज्ज्ञायत्ताए उदिसित्तए 1१९। पञ्चवासपरियाए समणे निग्नये सद्विवासपरियायाए समणीए निमाथीए कप्पइ आयरियत्ताए उहिसित्तए '४१६।२०। गामाणुगामं दुइजमाणे भिक्खू अ आहच वीसुम्भेजा,तंच सरीरंग केइसाहम्मिया पासेजा, कप्पड़ से तं सरीर मा सागारियमित्तिकटु तं सरीरंग एगते अचित्ते बहुफासुएथंडिले पडि० पम० परिवेत्तए, अस्थि वा इत्य केइ साहस्मियसंविए उवगरणजाए परिहरणारिहे कप्पड़ णं से सागारकर्ड गहाय दोपि ओग्गहं अणुन्नवेत्ता परिहार परिहरेत्तए '४७२।२१। सागारिए उवस्मयं वकएणं पउञ्जेजा, से अ हावास समणा निग्गन्धा परिवसतिस सागारिए परिहारिए, सेयना वएना, बकाइए वएजा-इमम्मिय इमम्मियओवासे समणानिमान्या परिवसन्तु, से सागारिए परिहारिए, दोवि ले वएजा-अयंसि २ ओचासे समणा निग्गन्धा परिक्सन्तु, दोचि ते सागारिया परिहारिया।२२सागारिए उवस्सय विक्षिणेला, से य कइयं वएजा-इमम्हि य इमम्हि य ओवासे समणा निग्गन्धा परिवसन्ति, से सागारिए पारिहारिए, से य नो एवं वएज्जा, कहए वएजा-अयंसि २ ओबासे समणा निमगन्था परिवसन्तु, से सागारिए पारिहारिए, दोवि ते वएजा-अयंसि २ ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्तु, दोवि सागारिया परिहारिया ।२३। विवधूया नायकुलया सिणी सायियाबि ओग्गहं अणुनवेयवा सिया किमङ्ग पुण तप्पिया वा भाया था पुत्ते वा ', से य दोवि ओग्गहं ओगेण्हियना।२४ा पहिएवि ओग्ाह अणुन्नयेयवे ५१७'१२५1 से रज(राय)परियड्रेस संथडेस अबोगडेसु अ. योच्छिन्नेसु अपरपरिम्गहिएसु भिक्खुभावस्स अट्टाए सच्चेव ओग्गहस्स पवाणन्नवणा चिवह अह रिग्गहिएसु भिक्सुभावस्स अद्वाए दोपि ओगहे अणुन्नवेयो सिया '५४५।२७॥ सत्तमो उसओ७॥ गाहा उदु पजोसथिए, ताए गाहाए खाए पएसाए ताए उवासन्तराए जमिणं सेज्जासंथारगं लभेजा समिणं ममेव सिया, थेरा ब से अणुजाणेज्जा तस्सेव सिया, थेरा य ते नो अणुजाणेज्जा एवं से कापड आहाराइणियाए सेम्जासंथारंग पडिग्गाहेत्तए 1१1 से य अहालहुसगं सेजासंथारगं गवेसेज्जा, जं चकिया एगेणं हत्येणं ओगिज्झिय जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अधाणं परिवहित्तए, एस मे हेमन्तगिम्हासु भविस्सह १२श से अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेजा, जं चकिया एमेणं हत्थेणं ओगिजिझय जाच एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्घाणं परिवहित्तए एस मे वासावासासु भविस्सइ (२४४) ९७६ व्यवहारःसूत्र उहेमो-८ मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ३ । से अहालहुसगं सेना• जं चकिया एगेणं हत्येणं ओगिज्झिय जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा चउयाहं या पंचयाहं वा दूरमवि अद्धाणं परिवहित्तए, एस मे बुड्ढावासासु भविस्सइ '९२' | ४ | येराणं येरभूमिपत्ताणं कप्पइ दंडए वा भंडए वा उत्तए वा मत्तए वा लडिया वा भिसि वा चेलं वा चेलचिलिमिलिया वा चम्मे वा चम्मकोसाए वा चम्मपलिच्छेयण वा अविरहिए ओवासे ठवेत्ता गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा पविसित्तए वा निक्खमित्तए वा, कप्पड़ से संनियट्टचारिस्स दोचंपि ओग्गहं अणुन्नवेत्ता परिहरितए '९२३' 1५। नो कप्पइ निग्गन्याण वा निम्गन्धीण वा पाडिहारियं वा सागारियसंतियं वा सेवासंघारगं दोघं पि ओग्गहं अणणुन्नवेत्ता बहिया नीहरित्तए ६ कप्पइ० अणुन्नवेत्ता० । ७। नो कप निम्न्याण वा निम्गन्यीण वा पडिहारियं वा सागारियसंतियं वा संज्यासंधारणं पचप्पिणित्ता दोचंपि तमेव ओग्गहं अणणुन्नवेत्ता अहिट्टित्तए ८ कप्पइ० अणुन्नवेत्ता • १९। नो कप्पड़ निम्न्याण वा निम्मन्यीण वा पुवामेव ओग्गहं ओगिव्हित्ता तजो पच्छा अणुन्नवेत्तए । १० । कप्पइ निग्गन्धाण वा निग्गन्धीण वा पुवामेव ओम्ाहं अणुक्षवेत्ता तओ पच्छा ओगिव्हित्तए, अह पुण एवं जाणेजा इह खलु निम्गन्धाण वा निम्गन्यीण वा नो सुलभे पाडिहारिए सेज्जासंथारएत्तिकट्टु एवं व्हं कप्पइ पुवामेव ओग्गहं ओगिव्हित्ता तओ पच्छा अणुनवेत्तए, मा वह अज्जो ! विइयं, अणुलोमेणं अणुलोमेयचे सिया १५३' । ११ । निम्गन्यस्स णं गाहाबइफुलं पिण्डवायपडियाए अणुपविहस्स अहालडुसए उबगरणजाए परिभट्ठे सिया तं च केई साहम्मिया पासेज्जा कप्पइ हं से सागारकडं गहाय जत्थेव ते अन्नमन्नं पासेला तत्येव एवं बाएजा इमे ते अजो कि परिन्नाए १, से य वएजा परिन्नाए, तस्सेव पडिणिजाएयवे सिया से य वएजानो परिन्नाए तं नो अप्पणा परिभुञ्जेज्जा, नो अन्नेसिं दायए, एगते बहुफासुए पएसे थण्डिले पडि० पम० परिद्ववेयवे सिया । १२ । निग्गन्धस्स णं बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खतस्स अहालहुसए परिद्ववेयवे सिया । १३। निम्गन्धस्स णं गामाशुगामं दुइजमाणस्स अन्नयरे उदगरणजाए परिभट्टे सिया तं च केई साहम्मिया पासेज्जा, कप्पड़ से सागारकडं गहाय दूरमवि अदाणं परिवहित्तए जत्थेव अन्नमन्नं पासेज्जा तत्थेव परिवेयवे सिया '२१० । १४ । कप्पइ निम्गन्याण वा निम्न्धीण वा अइरेगपडिग्गहं अन्नमन्नस्स अड्डाए दूरमवि अदाणं परिवहित्तए वा धारेत्तए वा परिहरित्तए 'सो वा णं धारेस्सद्द अहं वा णं धारेस्सामि अन्नो वा णं धारेस्सइ' नो से कप्पइतं अणापुच्छिय अणामन्तिय अन्नमन्नेसिं दाउँ वा अणुप्पयाउं वा, कप्पड़ से तं आपुच्छिय आमन्तिय अन्नमनेसिं दारं वा अणुप्पयाडं वा '३०७ । १५ । अद्वकुकुडिअण्डगप्पमाणमेते कवले आहारं आहारेमाणे निग्गन्थे अप्पाहारे दुबालसकुकुडिअण्डगप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे निम्गन्थे अवड्ढोमोयरिया सोलस० दुभागपत्ते चउवीसं० ओमोयरिया तिभागपत्ते सिया एगतीसं० किंचूणोमोयरिया बत्तीसं पमाणपत्ते, एतो एगेणचि कवलेणं ऊणगं आहार आहारेमाणे समणे निम्मान्धे नो पकामरसभोइत्ति बत्तव्वं सिया '३३०' । १६ ॥ अट्टमो उद्देसओ ८ ॥ सागारियस्स जाएसे अन्तो वगडाए भुञ्ज निट्टिए निसट्टे पाडिहारिए, तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगात्तए । १। सागारियरस आए तो बगाए भुञ्ज निट्टिए निसट्टे अपाडिहारिए तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिगात्तए २। सागारियस्स आएसे बाहिं वगडाए मुखइ निट्टिए निसट्टे पाडिहारिए तम्हा दावए, नो से कप्पड़ पडिगाहेनए। ३ । सारियस्स आएसे बाहिं वगडाए भुंजई निट्टिए निसट्टे अपाडिहारिए तम्हा दावए एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए। ४ । सारियस्स दासेह वा पेसेड़ वा भयएइ वा भइण्णएइ वा अंतो० पाडि० अंतो० अपाडि० चाहिं पाडि० बाहिं अपाटि० १५-८। सारियस्स नायए सिया सारियरस एगवगडाए अंतो सागारियस्स एगपयाए सारियं चोवजीवह तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए । ९। सारियस्स नायए सिया सारियरस एगवगडाए अंतो सागारियम्स अभिनिपयाए सारियं चोवजीवह तम्हा दावए, नो से कम्पह गाए । १० । सारियस नायए सिया सारियस्स एगवगडाए बाहिं सागारियस्स एमपयाए सारियं चोवजीवइ तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहेतए । ११ । सारियस्स नायए सिया सारियस एगवगडाए वाहिं सागारियस्स अभिनिपयाए सारियं चोवजीवद्द तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए । १२। सारियस्स नायए सिया सारियस्स अभिनिडगडाए एगदुवारा एगनिक्खमणपवेसाए अंतो सागारियस्स एगपयाए सारियं चोवजीवइ तम्हा दावए नो से कप्पड़ पडिगाहेतए । १३। सारियस्स नायए सिया सारियस्स अभिनितगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए सागारियस्स अभिनिपयाए सागारियं चोवजीवइ तम्हा दावए नो से कप्पड़ पडिगाहेतए १४। सारियस्स नायए सिया सारियस्स अभिनिवन डाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपबेसाए चाहिँ सागारियरस एगपयाए सारियं चोवजीवइ तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहेतए १५ सारियस्स नायए सिया सारियस्स अभि निडगडाए एगदुबारा एगनिक्खमणपवेसाए बाहिं सागारियस्स अभिनिपयाए सारियं चोवजीवइ तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए '२०' ।१६। सारियरस वकयसाला साहारणवकयपत्ता तम्हा दावए नो से कप्पइ पडिगाहेतए। १७। सारियरस चक्कयसाला निस्साहारणवचयपडत्ता तम्हा दावए एवं से कप्पड़ पडिगाहेत्तए ।१८। सारियस्स गोलियसाला ० १७७ व्यवहारःसूत्रं उसो - ९ मुनि दीपरत्नसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बोधियसाला. दोसियसाला. सोत्तियसाला. पोडियसाला गन्धियसाला एवं से कप्पन पडिगाहेत्तए ।१९.३० । सागारियस्स सोडियसाला०।३१-३२॥ सारियस्स ओसहीजो संघडाओ, तम्हा दावए, नो से कप्पड़ पडिगाहेत्तए ।३३। सारिपस्स ओसहीओ असंथडाओ, तम्हा दावए, एवं से कप्पड़ पडिगाहेत्तए ।३४। सारियस्स अम्बफला एवं से कप्पड़ पडिगाहेत्तए.'७४।३५-३६। सत्तसत्तमिया गं भिक्खुपडिमा णं एगणपनाए राईदिएहिं एगेणं उचाउएणं भिक्खासएणं अहामुत्तं अहाकप्पं अहाम कासिया पालिया सोहिया तीरिया किट्टिया आणाए अणुपालिया भवइ ।३७। अट्ठअट्ठमिया णं मिक्सुपडिमा गं चउसट्ठीए राईदिएहिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहा. सुत्तं० अणुपालिया भक्इ ।३८ा नवनवमिया णं भिक्खुपडिमा णं एगासीएहिं राइंदिएहिं चउहि य पन्चुत्तरेहिं मिक्खासएहिं अहामुत्तं जाव अणुपालिया भवइ ।३९। दसदसमिया णं भिक्सुपडिमा णं एगेणं राइंदियसएणं अछडेहि य भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव भवइ '८५॥४०॥ दो पढिमाओ पं० त०. खुडिया चेव मोयपडिमा महलिया चेव मोयप. डिमा, खुड्डियणं मोयपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पइ से पढमसरयकालसमयंसि वा चरिमनिदाहकालसमयंसि वा, बहिया ठाइयथा गामस्स वा जाव संनिवेसस्स वा वर्णसि वा वणविदुग्गसि वा पञ्वयंसि वा पश्यविदुर्गसि वा, भोचा आरुभइ चोदसमेणं पारेइ अभोचा आरुभइ सोलसमेणं पारेड, जाए जाए मोए दिया आगच्छद दिया व आइयब्वे, राई आगच्छा नो आइयव्ये, सपाणे मत्ते आगच्छद नो आइयव्ये, अपाणे मत्ते आगच्छद्द आइयचे, एवं सबीए ससिणिदेससरक्खे मते आगच्छद नो आइयग्ने, अबीए असिणिदे अस. रक्खे मत्ते आगच्छइ आइयब्वे, जाए जाए मोए आइयब्वे तं अयं वा बहुए वा, एवं खलु सा सुडिया मोयपडिमा अहासुतं जाव अणुपालिया भवइ । ४१। महछियणं मोयपडिमं० पदमसर जाच पव्ययविदुग्गसि वा, भोचा आरुभइ सोलसमेणं पारेइ, अभोचा आरुभइ अट्ठारसमेणं पारेइ, जाए जाए मोए. आइयचे आणाए अणुपालिया भवाइ ।४२। संखादत्तियस्सणं भिक्खुस्स पडिगधारिस गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविट्ठस्स जावतियं २ अन्तो पडिग्गहसि उच्चइत्तु दलएजा तावइयाओ दत्तीओ वत्तवं सिया, तत्य अन्तो पहिरगहसि उचित्ता दलाएजा सवाविणं सा एगा दत्ती वत्तव्वं सिया, तत्थ से पहवे भुजमाणा सब्बे ते सर्व सर्व पिण्ड साहग्णिय २ अन्तो पडिग्गहंसि उचित्ता दलाएजा सव्वाविणं सा एगा दत्तीति वत्तव्यं सिया।४३॥ संखादत्तियस्स णं भिक्खुस्स पाणिपडिग्गहियस जावइयं अन्तो पाणिसि पडिग्गहंसिक वत्तर्ण सिया ११५।४४। तिविहे उवहडे पं० सं०- सुदोवहडे फालिओवहडे संसट्ठोषहडे । ४५। तिविहे ओग्गहिए पं० सं०-जं च ओगिण्हइ जं च साहरइ जं च आसर्गसि पक्खियह, एगे एवमाहंस, एगे पुण एवमाहंसु-दुबिहे ओग्गहिए पं० त०-जं च ओगिण्हड जंच आसगंसि पक्खिवइ '१२८॥४६॥ नवमो उदेसओ ९॥ दो पडिमाओ पं० तं0- जवमज्झा य चन्द - पडिमा पहरममा य चन्दपडिमा, जवमाणे चन्दपडिमं पडिवनस्स अणगारस्समार्स वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केई उक्सग्गा समुष्पति तं०-दिवा वा माणुस्सगा पा तिरिक्स आमा वा पडिलोमा वा, तत्थाणुलामा ताव वेदज वा नमसज वा सकारज वा सम्मान वा कलाण मंगल देवयं चेदय पजुवासेज वा, तत्य पडिलोमा अन्नयरेणं दंडेण वा अहिणा वा जोत्तेण वा वेत्तेण वा कसेण वा काए आउडेजा वा ते सो उप्पन्ने समं सहेजा खमेजा तिइक्खेजा अहियासेजा, जवमजमणं चंदपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स मुरुपक्खस्स पाडिवए कप्पइ एगा दत्ती भोयणस्स पडिगाहेत्तए एगा पाणस्स, सझेहिं दुप्पयचउप्पयाइएहिं आहारकंस्वीहि सत्तेहिं पडिणियत्तेहिं अन्नायउठं सुबोपहर्ड, बउण्हं नो पञ्चव्ह नो गुत्रिणीए नो चालवत्याए नो दारगं पेजमाणीए, नो से कप्पइ अंतो एलयस्स दोषि पाए साल दलमाणीए पडिगाहित्तए, नो पाहिं एल्यस्स दोवि पाए साहटु दलमाणीए पडिगाहेत्तए, अह पुण एवं जाणेजा-एगं पार्य अंतो किया एगं पार्य चाहिं किच्चा एलुयं विक्सम्महत्ता, एयाए एसणाए एसमाणे लभेजा आहारेना, एयाए एसणाए एसमाणे नो लम्भेजा णो आहारेज्जा, विदयाए से कप्पड दोषिण दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए दोण्णि पाणस्स, कप्पा जाव नो आहारेजा, एवं तइयाए तिणि जाव पारसीए पचरस, बहुलपक्सस्स पाडिवए कपंति चोइस जाव चोदसीए एका दत्ती भोयणस्स एका पाणगस्स सजेहिं दुपयचउप्पय जाय नो आहारेजा, अमावासाए से य अमत्तढे भवइ, एवं खलु एसा जवमझमचंदपडिमा अहामुत्तं अहाकप्पं जाव अणुपालिया भवति । १। बहरमा चंदपडिमं पडिकन्नस्स अणगारस मासं० अहियासेजा, वइरमहा चंदपडिमं पडिक्सस्स अणगारस्स बहुलपक्सस्स पाडिवए कप्पड़ पण्णरस दत्तीओ भोयणस्स पढिगाहित्तए पारस पाणगस सहिं दुपयचउप्पय०, बीयाए से कप्पइ चोइस, एवं पन्नरसीए एगा दत्ती, पडिपए से कप्पड दो दत्तीओ बीयाए तिन्नि जाच पउहसीए पण्णरस पुणिमाए अमत्तद्वे मह, एवं खलु एसा कहर. मजाचंदपडिमा अहामुत्तं अहाकप्पं जाव अणुपालिया भवइ ५०।२। पंचविहे ववहारे पं० त-आगमे सुए आणा धारणा जीए, तत्थ आगमे सिया आगमेणं यवहारे पट्टषियो नो ९७८ व्यवहारःमूर्च, उदा -१० मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ से तत्थ आगमे सिया सुएणं वबहारे पट्टचियचे सिया, नो से तत्थ सुए सिया जहा से तत्थ आणा सिया आणाए ववहारे पट्टवेयवे सिया, नो से तस्थ आणा सिया जहा से तत्व धारणा सिया धारणाए ववहारे पट्टवेयव्ये सिया, णो से तस्थ धारणा सिया जहा से तत्थ जीए सिया जीएणं ववहारे पट्टवेयव्ये सिया, एएहिं पंचहिं ववहारेहिंयवहारं पडवेजा, तंजहा-आगमेणं मएणं आणाए धारणाए जीएणं, जहा२आगमे सुए आणा धारणा जीए तहा २ ववहारं पट्टविजा, से किमाहु भन्ते!?, आगमबलिया समणा निग्गन्या, इइयं पंचविहं ववहारं जया २ जहिं २ जहा २ तहिं २ अणिस्सिओवस्सियं ववहारं ववहरमाणे समणे निग्गन्थे आणाए आराहए मवति ७१५।३। चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०- अहकरे नाम एगे नो माणकरे माणकरे नामं एगेनो अट्ठकरे एगे अट्ठकरेवि माणकरेवि एगेनो अट्ठकरे नो माणकरे '७२९।४। चत्तारि पुरिसज्जाया पं००-गणट्ठकरे नाम एगे नो माणकरे माणकरे नाम एगे 8 नो गणट्ठकरे एगे गणट्ठकरेवि माणकरेवि एगे नो गणटकरे नो माणकरे '७३३१५/चत्तारि पुरिसज्जाया ५० त०. गणसंगहकरे नाम एगे नो माणकरे माणकरे नाम एगेनो गणसंगहकरे एगे गणसंगहकरेवि माणकरेवि एगे नो गणसंगहकरे नो माणकरे ७३५।६। चत्तारि पुरिसज्जाया पं० सं०-गणसोहकरे नाम एगे नो माणकरे माणकरे नाम एगे नो गणसोहकरे एगे गणसोहकरेवि माणकरेवि एगे नो गणसोहकरे नो माणकरे।७। चत्तारि पुरिसज्जाया पं० त०-गणसोहिकरे नाम एगेनो माणकरे माणकरे नाम एगे नो गणसोहिकरे एगे गणसोहिकरेवि माणकरेवि एगे नो गणसोहिकरे नो माणकरे '७३९।८। चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-रूर्व नामेगे जहइ नो धम्मं धम्मं नामेगे जहइ नो रूवं एगे रूबंपि जहइ धम्मपि जहइ एगे नो रूवं जहइ नो धम्मं जहइ'७४३' ।। चत्तारि पुरिसजाया पं० २०-धम्मं नामेगे जहइनो गणसंठिइं गणसंठिई नामेगे जहइ नो धम्म एगे गणसंठइंपि जहह धम्मपि जहइ एगे नो गणसंठिई जहइ नो धर्म जहइ '७४७।१०। चत्तारि पुरिसजाया पं० २०-पियधम्मे नामेगे नो दढधम्मे ददधम्मे नामेगे नो पियधम्मे एगे पियधम्मेवि वढयम्मेवि एगे नो पियधम्मे नो दढधम्मे '७५१ ।११। चत्तारि आयरिया पं० त०-पञ्चावणायरिए नामेगे नो उवट्ठावणायरिए उवट्ठावणायरिए नामेगे नो पञ्चावणायरिए एगे पचावणायरिएवि उवट्ठावणायरिएवि एगे नो पञ्चावणायरिए नो उवट्ठावणायरिए, धम्मायरिए '७५६।१२। चत्तारि आयरिया पं० त० उद्देसणायरिए नामेगे णो वायणायरिए वायणायरिए नामेगे नो उद्देसणायरिए एगे उद्देसणायरिएवि वायणायरिएवि एगे नो उद्देसणायरिए नो वायणायरिए, धम्मायरिए '७५७।१३। चत्तारि अंतेवासी पं० त० पावणअंतेवासी णामेगे णो उवट्ठावणअंतेवासी उवट्ठावणांतेवासी णामेगे णो पधावणअंतेवासी एगे पञ्चा० उवट्ठा० एगेनो पञ्चा० नो उव०, धम्मअंतेवासी॥१४॥चत्तारि अंतेवासी पं० सं०-उदेसणन्तेवासी नामेगे नो वायणन्तेवासी वायणन्तेवासी नामेगे नो उद्देसणन्तेवासी एगे उद्देसणन्तेवासीवि वायणन्तेवासीवि एगेनो उडेसणन्तेवासी नो वाय भूमीओ पं० त० जाइघेरे सुयधेरे परियायथेरे, सट्ठिवासजायए समणे निम्गन्थे जाइयेरे ठाणसमवायघरे समणे निग्गन्ये सुययेरे वीसवासपरियाए समणे निम्मन्ये परियाययेरे '७६४' ।१६। तओ सेहभूमीओ पं० सं०-सत्तराईदिया चाउम्मासिया छम्मासिया, छम्मासिया उक्कोसिया चाउम्मासिया मज्झिमिया सत्तराइन्दिया जहनिया '८०७।१७। नो कप्पड़ निग्गन्धाण वा निग्गन्थीण वा खुड्डगं या सुड्डियं वा ऊणवासजाय उवडावेत्तए वा संभुञ्जित्तए वा ।१८। कप्पइ निग्गन्थाण वा निम्गन्थीण वा खुड्डगं वा खुड्डियं वा साइरेगढवासजायं उबट्ठावेत्तए वा संभुञ्जित्तए वा '८१४।१९। नो कप्पद निग्गन्याण वा निम्गन्धीण वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा अवञ्जणजायस्स आयारपकप्पे नामं अज्झयणे उरिसित्तए।२०। कप्पइ निग्गन्धाण वा निग्गन्थीण वा खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा वाणजायस्स आयारपकप्पे नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए '८१७।२१ । तिवासपरियायस्स समणस्स निग्गन्धस्स कप्पइ आयारपकप्पे नामं अज्झयणे उद्दिसित्तए ।२२। चउवासपरियागस्स समणस्स निग्गन्यस्स कप्पइ सूयगडे नाम ओ उदिसित्तए ।२३। पत्रावासपरियायस्स समणस्स निग्गन्धस्स कप्पड दसाकप्पववहारा णाम अज्झयणं उदिसित्तए ।२४। अट्ठवासपरियायस्स समणस्स निग्गन्धस्स ठाणसमवाए नाम अङ्गे उद्दिसित्तए।२५। वसवासपरिया० कप्पड वियाहे नाम अने उदिसित्तए ।२६। एक्कारसवासपरिया० कप्पइ खुड्डिया विमाणपविभत्ती महलियविमाणपविभती अङ्गलिया पम्म(ग)लिया पियाहलिया नाम अझयण उदिसित्तए।२७। वारसवासपरिया०कप्पइ अरुणविवाए गरुलांववाएधरणविवाएसमणविवाए बेलंघरोववाए नाम अज्झयणे उदिसित्तए।२८। तेरसवासपरिया कप्पइ उट्ठाणसुए समुद्राणमुए देविदोषवाए नागपरियावणि(लि)या नाम अज्झयणे उहिसित्तए।२९। चोइसबासपरिया कप्पइ सुमिणभावणा नाम अज्झयणे उद्दिसित्तए।३०। पत्र रसवासपरिया० कप्पड़ चारणभावणा नाम अज्झयणे उहिसित्तए ।३१। सोलसवासपरिया कप्पड़ तेयनिसर्ग० ॥३२सत्तरसवासपरिया० आसीविसभावणा नाम अज्झयणे उद्दिसि नए।३३। अट्ठारसवासपरिया. कप्पड़ दिट्ठीविसभावणा नामं अज्झयणे० ॥३४॥ एगूणवीसइबासपरिया कप्पड़ विहिवाए नाम अक्गे उदिसित्तए।३५। बीसवासपरियाए समणे । ९७९ च्यवहारःसूत्र, उत्सो -२० मुनि दीपरत्नसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ F निग्गन्ये सबसुयाणुवाई भवइ 83836 / दसविहे वेयावचे पं० ले आयरियवेयावचे उवज्झायवेयावच्चे थेरवेयावचे तवस्सिवेयापचे सेहवेयावचे गिलाणवेयावच्चे साहम्मियवेयावच्चे कुलवेयावचे गणवेयावचे सहवेयावचे, आयरियवेयावचं करेमाणे समणे निम्मन्ये महानिजरे महापजवसाणे भवइ सहयवेयावचं करेमाणे समणे निम्गन्धे महानिजरे महापजवसाणे भवद '857 ॥३॥दसमो उद्देसो १०॥श्रीव्यवहारच्छेदसूत्रं 3 सिद्धाद्वितलहट्टिकागतशिलोत्कीर्णसकलागम आगममंदिरे शिलायामुत्कीर्ण वीरविभोः 2468 भाद्रासितदशम्याम्न