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वि दो आलावगा '२५६।१६-१७ भिक्खू य गणाओ अवकम्म ओहायह विण्णि संवच्छराणि० धारेत्तए वा।१८ा एवं गणावच्छेययत्तं अनिक्लिवित्ता ओहाएजा जायजीवाए, निक्खिवित्ता तिण्णि संवच्छराई०१९-२०१एवं आयरिए उवज्झाएऽवि २७५१।२१-२२भिक्खू य बहुस्सुए पज्झागमे बहुसो बहुआगाढानागाढेसु कारणेसु माइमुसाबाई असुई पावजीवी जावजीवाए तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियतं वा जाव गणावच्छेययत्तं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा।२शएवं गणावच्छेइएवि० धारेत्तए वा।२४। आयरियउवज्झाएवि।२५/ बहवे भिक्खुणो बहुस्सुया बज्झागमा बहुसो० जीवाए तेसिं तप्पत्तियं नो कप्पड़ जाच उदिसित्तए वा धारेत्तए वा।२६॥ एवं गणावच्छेझ्यावि, धारेत्तए वा।२७ एवं आयरियउज्झायावि, घारेत्तए था।२८ा बहवे मिक्खुणो बहवे गणावच्छेदया यहवे आयरियउवज्झाया बहुस्सुया वज्झागमा बहुसो. आयरिवर्स चा उज्ज्ञायत्तं वा पवत्तितं या पेरत्तं वा गणघरसंवा गणावच्छइयत्तवा उद्दिासत्तएवाधारत्तएवा'३६९ ।२९॥ तइओ उसी .३॥ना कप्पहआयारपउवझायस्सएगाणियस्सहमन्तागम्हासुचारत्तए।शकप्पाइआयारयावज्झायस्स अप्पवीयस्स हेमन्तगिम्हासु चरित्तए ।२। नो कप्पड़ गणावच्छेइयस्स अपवीयस्स हेमन्तगिम्हासु चरित्तए।३। कप्पड़ गणावच्छे यस्स अप्पतइयस्स हेमन्तगिम्हासु चरित्तए ।४॥ नो कप्पइ आयरियउवज्झायस्स अप्पविइयस्स वासासासं वत्थए।५। कप्पइ आयरियउवमायस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए।६। नो कप्पइ गणावच्छेइयस्स अप्पतइयस्स वासावासं वत्थए । ७। कप्पइ गणावच्छेदयस्स अप्पचउत्थस्स वासावास वत्पए '६५'टा से गामंसि वा नगरंसि वा जाव संनिवेसंसि वा बहूर्ण आयरियउवज्झायाणं अप्पविदयार्ण बहूर्ण गणावच्छेइयाणं अप्पतइयाणं कप्पड हेमन्तगिम्हामु चरित्तए अचमचं निस्साए।९।से गामंसि वा जाच संनिवेसंसि वा बहूणं आयरियउवज्झायाण अप्पतइयाणं बहूणं गणावच्छइयाण अप्पचउत्थाण कापहवासावास चरित्तए अन्नमनिस्साए'१६२०१०मामाणुगामदूइज्जमाण भिरखूज केई उपसंपजणारिहे (कप्पइ) से उवसंपजियो सिया, नस्थि याइत्थ अने केइ उपसंपजणारिहे अप्पणो कप्पाए असमत्ते कप्पड़ से एगराइयाए पडिमाए जणं जगणं दिसं अन्ने साहम्मिया विहरंति तण्णं तषणं दिसं उवलित्तए, नो से कप्पइ तत्य विहारवत्तियं वत्थए, कप्पड़ से कारणपत्तियं वत्थए, तसिं चणं कारणंसि निद्वियंसि परो वइजा-वसाहि अज्जो ! एगरायं वा दुरायं वा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो कप्पइ एगरायाओ वा दुरायाओ या परं वत्थए, जे तत्थ एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं वसइ से संतरा छेए वा परिहारे या ।११। वासावासं पज्जोसविए भिक्खू० छेए वा परिहारे वा '२६२।१२। आयरियउवज्झाए गिलायमाणे अन्नयरं वएजा-ममंसि णं कालगर्यसि समाणंसि अयं समुफसियो, से य समुपसणारिह समुफसिया, सेयनो समुकसणारिहनो समुफसिया, अस्थिया इत्थ अभे कह समुकसणारिहससमुक्कासयब, नात्य या इत्य अन कसियथे, तैसि च णं समुकिट्ठसि परो वएजा दुस्समुकिट्ठ ते अजो!, निक्खिवाहि, तस्स पं निक्खिवमाणस्स नत्ति केइ छेए वा परिहारे वा, जे तं साहम्मिया अहाकप्पेणं नो अब्भुट्टेति सन्वेसि तेसिं तप्पत्तियं छेए वा परिहारे वा '२९०।१३। आयरियउक्ज्झाए ओहायमाणे० ओहावियंसि० अयं समुक्कसियचे जाव सवेसि तेसिं तप्पत्तिर्य छए या परिहारे वा'३०३।१४। आयरियउवज्झाए सरमाणे परं चउरायपंचरायाओ कप्पागं भिक्खू नो उवट्ठावेइ, कप्पाए अत्यि याई से केइ माणणिजे कप्पाए, नत्यि याई से केइ छेए वा परिहारे वा, नत्थि याई से केइ माणणिजे कप्पाए से संतरा छेए वा परिहारे वा । १५/आयरियउवमाए असरमाणे परं चउरायाओ वा पंचरायाओ कप्पा छेए वा परिहारे वा।१६। आयरियउवमाए सरमाणे वा असरमाणे वा पर दसरायकप्पाओ कप्पागं भिक्खू नो उवट्ठावेइ, कप्पाए अस्थि याई से केद्द माणणिजे कप्पाए नत्यि याई से केह छेए वा परिहारे का, नत्थि याइं से केइ माणणिजे कप्पाए संवच्छरं तस्स तप्पत्तियं नो कप्पइ आयरियतं वा जाव गणावच्छेइयत्तं वा उहिसित्तए वा० ३३५'१७ भिक्खू य गणाओ अवकम्म अर्थ गणं उवसंपजित्ताणं विहरेजा, तं च केई साहम्मिया पासित्ता वएजा के अजो! उपसंपजित्ताणं विहरसि?' जे तत्य सनराइणिए तं वएजा, अह मंते! कस्स कप्पाए?, जे तत्थान बहुसुए तं वएज्जा, ज वा से भगवं वक्खइ तस्स आणाउववायक्यणनिडेसे चिहिस्सामि ३४६।१८। बहवे साहम्मिया इच्छेना एगयओ अभिनिचारियं चरित्तए, नो व्हं कप्पह थेरे अणापुच्छित्ता एगयओ अभिनिचारियं चरित्तए, कप्पह ण्हं थेरे आपुच्छित्ता एगयओ अमिनिचारियं चरित्तए, घेरा य से वियरेजा एवण्हं कप्पह एगतओ अमिनिचारियंचरित्तए, येरा य व्हं नो वियरेजा एवं व्हं नो कप्पइ एगयओ अभिनिचारियं चरित्तए, जे तत्थ थेरेहिं अविष्णे एगयओ अभिनिचारियं चरंति से संतरा छेए वा परिहारे वा ।१९। चरियापविढे भिक्खू जाव चउरायपश्चरायाओ थेरे पासेजा सचेव आलोयणा सच्चेव पडिकमणा सचेच ओग्गहस्स पुवाणुषवणा चिट्ठइ, अहालन्दमवि ओग्गहे ।२०। परियापविढे मिक्खू परं चउरायपञ्चरायाओ येरे पासेज्जा पुणो आलोएजा पुणो पडिकमेजा पुणो छेयपरिहारस्स उवहाएजा, भिक्खुमावस्स अट्टाए दोचंपि ओग्गहे अणुन्नवेयझे सिया, कप्पति से एवं ९७३ व्यवहारःसूत्र, उसी-7
मुनि दीपरनसागर