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पडिकमावेत्ता जाव उवद्वावेत्तए वा संभुंजित्तए वा संवसित्तए वा तीसे इत्तरिय दिसं वा अणुदिसं वा उहिसित्तए वा धारित्तए था।२।जे निग्गन्था य निगान्धीओ य संभोइया सिया कप्पइ निग्गन्याणं निग्गन्धीओ य आपुच्छित्ता निग्गन्थी अण्णगणाओ आगयं खुयायारं जाव तस्स ठाणस्स आलोयावित्ता पडिकमावेत्ता जाव उबट्ठावित्तए वा संभुजित्तए वा संवतीसे इत्तरिय धारेत्तए वा, तं च निम्गन्धीओ इच्छेजा सयमेव नियंठाणं जाव उवट्ठावेत्तए वा संभुञ्जित्तए वा संवसित्तए वा तीसे इत्तरिय दिसं वा अणुदिसं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा '४४।३। जे निग्गन्या य निग्गन्धीओ य संभोइया सिया, नो ण्हं कप्पड़ पारोक्खं पाडिएक संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, कप्पइ हं पचलं पाडिएकं संभोइयं विसंभोग करेत्तए, जत्थेव ते अचमन्नं पासेज्जा तत्थेव एवं वएजा 'अहं णं अजो! तुमाए सद्धिं इमम्मिय२कारणम्मि पञ्चवं पाडिएकं संभोग विसंमोग करेमि'.से य पडितप्पेजा, एवं से नो कप्पइ पचलं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए, से य नो पडितप्पेज्जा एवं से कप्पड़ पञ्चक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए '८६।४। जाओ निग्गन्धीओ वा निम्गन्धा वा संभोइया सिया नो ण्हं कप्पइ निम्गन्धि पचक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोग करेत्तए, कप्पइ व्हं पारोक्खं पाढिएक संभोइयं विसंभोग करेत्तए, जत्येव ताओ अप्पणो आयरियउवज्झाए पासेजा तत्व एवं पएजा 'अहं णं भंते ! अमुगीए अजाए सदि इमम्मि कारणम्मि पारोक्खं पाडिएक संभोग विसंभोग फरेमि' सा य से पडितप्पेजा एवं से नो कप्पइ पारोक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोग करेत्तए, सा य से नो पडितप्पेजा एवं से कप्पड़ पारोक्खं पाडिएकं संभोइयं विसंभोगं करेत्तए '९४।५। नो कप्पइ निमान्थाणं निग्गन्धि अप्पणो अट्ठाए पञ्चावेत्तए वा मुण्डावेत्तए वा सिक्खावित्तए वा सेहावेत्तए वा उवट्ठावेत्तए वा संभुजित्तए वा संवसितए वा तीसे इत्तरियं दिसं या अणुदिसं वा उदिसित्तए वा धारेत्तए वा।६। कप्पइ निग्गन्थाणं निम्गन्धि अनेसिं अढाए पत्रावेत्तए वा० धारेत्तए वा '११८७ानो कप्पड निग्गन्धीणं निग्गनि जाव चारित्तएवा।८ाकप्पइ निम्गंधीणं निम्ांथिं अट्ठाए पवावेत्तए वा जाव धारित्तए था।९।नो कप्पइ निग्गंधीणं विइकिडियं दिसं वा अणुदिसंवा उदिसित्तए वा धारेत्तएवा।१०। कप्पइ निम्गंधाणं विधा०१४४।१शनोकप्पइ निग्गंधाणं विइकिट्ठाई पाहुडाई विओसवेत्तए।१२। कप्पइ निग्गंथीणं विइकिट्ठाई पाहुढाई विओसवेत्तए १७९।१३ नोकष्पइ निग्गं. घाण वा निम्गंथीण वा विइकिट्ठयं कालं सज्झार्य उदिसित्तए वा करेत्तएवा।१४२ कप्पइ निम्गंथीणं विइकिट्ठए काले सज्झायं करेत्तए निगंथनिस्साए '२६४।१५। नो कप्पइ निम्गंधाण वा निगंथीण वा असज्झाइए सज्झायं करेत्तए।१६। कप्पद निर्णयाण या निग्गंधीण वा सज्माइए सज्झायं करेत्तए।१७ नो कप्पड निर्माधाण वा निम्गंधीण वा अप्पणो असमाइए सज्झायं करेत्तए, कप्पइ हुं अन्नमन्नस्स बायणं बलइत्तए "४०३।१८। तिवासपरियाएसमणे निगथे तीसवासपरियायाए समणीए निम्गंधीए कप्पइ उचज्ज्ञायत्ताए उदिसित्तए 1१९। पञ्चवासपरियाए समणे निग्नये सद्विवासपरियायाए समणीए निमाथीए कप्पइ आयरियत्ताए उहिसित्तए '४१६।२०। गामाणुगामं दुइजमाणे भिक्खू अ आहच वीसुम्भेजा,तंच सरीरंग केइसाहम्मिया पासेजा, कप्पड़ से तं सरीर मा सागारियमित्तिकटु तं सरीरंग एगते अचित्ते बहुफासुएथंडिले पडि० पम० परिवेत्तए, अस्थि वा इत्य केइ साहस्मियसंविए उवगरणजाए परिहरणारिहे कप्पड़ णं से सागारकर्ड गहाय दोपि ओग्गहं अणुन्नवेत्ता परिहार परिहरेत्तए '४७२।२१। सागारिए उवस्मयं वकएणं पउञ्जेजा, से अ
हावास समणा निग्गन्धा परिवसतिस सागारिए परिहारिए, सेयना वएना, बकाइए वएजा-इमम्मिय इमम्मियओवासे समणानिमान्या परिवसन्तु, से सागारिए परिहारिए, दोवि ले वएजा-अयंसि २ ओचासे समणा निग्गन्धा परिक्सन्तु, दोचि ते सागारिया परिहारिया।२२सागारिए उवस्सय विक्षिणेला, से य कइयं वएजा-इमम्हि य इमम्हि य ओवासे समणा निग्गन्धा परिवसन्ति, से सागारिए पारिहारिए, से य नो एवं वएज्जा, कहए वएजा-अयंसि २ ओबासे समणा निमगन्था परिवसन्तु, से सागारिए पारिहारिए, दोवि ते वएजा-अयंसि २ ओवासे समणा निग्गन्था परिवसन्तु, दोवि सागारिया परिहारिया ।२३। विवधूया नायकुलया सिणी सायियाबि ओग्गहं अणुनवेयवा सिया किमङ्ग पुण तप्पिया वा भाया था पुत्ते वा ', से य दोवि ओग्गहं ओगेण्हियना।२४ा पहिएवि ओग्ाह अणुन्नयेयवे ५१७'१२५1 से रज(राय)परियड्रेस संथडेस अबोगडेसु अ. योच्छिन्नेसु अपरपरिम्गहिएसु भिक्खुभावस्स अट्टाए सच्चेव ओग्गहस्स पवाणन्नवणा चिवह अह रिग्गहिएसु भिक्सुभावस्स अद्वाए दोपि ओगहे अणुन्नवेयो सिया '५४५।२७॥ सत्तमो उसओ७॥ गाहा उदु पजोसथिए, ताए गाहाए खाए पएसाए ताए उवासन्तराए
जमिणं सेज्जासंथारगं लभेजा समिणं ममेव सिया, थेरा ब से अणुजाणेज्जा तस्सेव सिया, थेरा य ते नो अणुजाणेज्जा एवं से कापड आहाराइणियाए सेम्जासंथारंग पडिग्गाहेत्तए 1१1 से य अहालहुसगं सेजासंथारगं गवेसेज्जा, जं चकिया एगेणं हत्येणं ओगिज्झिय जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अधाणं परिवहित्तए, एस मे हेमन्तगिम्हासु भविस्सह १२श से अहालहुसगं सेज्जासंथारगं गवेसेजा, जं चकिया एमेणं हत्थेणं ओगिजिझय जाच एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा अद्घाणं परिवहित्तए एस मे वासावासासु भविस्सइ (२४४) ९७६ व्यवहारःसूत्र उहेमो-८
मुनि दीपरत्नसागर