Book Title: Adarsha Hindi Sanskrit kosha
Author(s): Ramsarup
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ४ ] एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करना सुकर नहीं होता। जब तक दोनों भाषाओं के प्रयोग-स्वारस्य का अच्छा बोध प्राप्त न किया हो, तब तक मक्खी पर मक्खी मारने के अतिरिक्त और कुछ सिद्ध नहीं किया जा सकता। एतदर्थ छात्रों को चाहिए कि दोनों भाषाओं के सत्साहित्य के सागर में स्वतन्त्र रूप से खुला अवगाहन करें। कोई भी व्याकरण या कोश का ग्रन्थ इस प्रधान साधन का स्थान नहीं ले सकता। परन्तु उक्त विस्तृत पठन के साथ-साथ, प्रतिदिन के कार्याभ्यास में प्रस्तुत कोश ऐसे सहायक ग्रन्थों का निश्चय ही अपना स्थान एवम् उपयोग है। इस कोश में जिन सुविपुल विशेषताओं का आधान करते हुए इसे गुणवत्तर बनाया गया है, इसकी 'प्रस्तावना' में उनका विवरण भली प्रकार से कर दिया गया है। छात्रों को चाहिए कि इसको 'प्रस्तावना' के पाठ द्वारा उन विशेषताओं का परिज्ञान प्राप्त करते हुए इसका सदुपयोग करते रहें, जिससे उन्हें पूर्ण सफलता प्राप्त हो सके । साधु आश्रम, होशियारपुर । १६-६-५७ -विश्वबन्धु For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 831