Book Title: Adhyatmamat Pariksha
Author(s): Yashovijay Maharaj, Bhuvanbhanusuri
Publisher: Babu Amichand Pannalal Jain Derasar Trust
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mammanhana nananananananananana. थांश: गाथांक: गाथांश:
गाथांकः तत्तत्थसुत्तभणिया
नाणावरणाईण तत्तो माणसदुक्ख
नाम ठवणा दविए. तम्मिच्छं वेयखओ
१६२
निरतिसयाण कप्पो तम्हा सपरविभागो
पंचसिमिओ तिगुत्तो तस्स मयं थीसिद्धा
पडिसिद्धसेवण पुण १६०
पणमिय पासजिणिंद तस्स य सहावसिद्धा
पत्त ममत्तहेऊ तस्स वरनाणदंसण
परदव्वम्मि पवित्ती तह परदवम्मि रई
परमोरालिअदेहो तुल्लत्तमवेक्खाए ५९ पावं तह इस्थित
१६८ तेणं केवलनाणी
१२३ पावाण पयडीण तेणं सुद्धवओगो
१४१ पुच्छा दियंबराणं ते पुण पनरसभेया
१५९ पुण्णपयडीण उदए तेसि सव्वा किरिया
बंधो परपरिणामा तो परिणामाउ च्चिय
बलकालसोयणाए तो मोहणिज्जखयओ
८७ भत्ताइ पोग्गलाण तो वैअणिज्जकम्म
भुत्तीइ सुहुप्पत्ती
१०३तो सक्का वुत्तुं जे' '
मुक्खामुक्खविभागो
मोहविलएण नाण थिरियावगाहणा उ दव्वेण जो अणेगो
मोहाभिणिवेसेण दिन्तो व हरन्तो वा
रागस व दोसस्स व
लुंपइ बझ किरियं दूसइ अव्वाबाह
वत्थाइ णेव गथो देहबलं जइ न दद
वेज्जुवदिट्ट ओसहं घिइसद्धासुहविविइस
संघयणणामपगई नणु इह देसणिसेहे
संजमजोगे अब्भु० नणु छुहतण्हा तण्हा .८० संविग्गो गीयत्थो
१८१ नणु जइ सो कयकिच्चों
सव्वं सहावसज्झ नणु: जोगनिरोहेण
१४७ सव्वणयमयत्तं पुण नणु बझंग साहण
. ११ सिद्धन्तसिद्धधरण नणु सिद्धते सिद्धो
१३१ सिद्धी णिच्छयओ च्चिय न य चरणमोहबन्धो
१५१ सेलेसीए जत्तो न वि आया चरण चिय
१५४ हीणत्त पुण नाण नाणस्स विसुद्धीए
१२४ हेऊ पमत्तयाए
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