Book Title: Yuva Pidhi ko Adhyatmik Guru ki Avashyakta Author(s): Kamla Surana Publisher: Z_Jinvani_Guru_Garima_evam_Shraman_Jivan_Visheshank_003844.pdf View full book textPage 3
________________ 150 जिनवाणी 10 जनवरी 2011 जाने से पहले जैन गुरु के पास ले जाकर मद्य-मांस आदि न खाने की शपथ दिलवाई थी। वीर शिवाजी की माँ जीजाबाई ने अपने वीर पुत्र को ऐसे सुसंस्कार दिए जिससे उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणात्मक और आदर्श बन गया। शिवाजी ने कल्याण पर आक्रमण कर दिया। वे विजयी हुए। विजयी ही नहीं आत्मविजयी भी हुए। उनके सेनापति आबाजी कल्याण के सूबेदार, सुलतान अहमद की पुत्र-वधू 'गौहर बानू' को निसहाय अवस्था में शिवाजी की रानी बनाने के लिए उनके महल में ले आए। गौहर बानू अद्वितीय सुन्दरी के साथ गुणवती भी थी / महान् शिवाजी ने गौहर बानू को अपने राजसिंहासन पर बिठाकर 'मां' से सम्बोधित किया। आबाजी को फटकारा / तुमने इतना नीच कर्म अपने स्वार्थ वश क्यों किया? आबाजी को क्षमा मांगनी पड़ी। शिवाजी ने पूरी जनता को इकट्ठा कर गौहर बानू को प्रणाम से सम्मानित किया। युवा पीढ़ी में संवेदना और करुणा की कमी होती जा रही है। दर्शनशास्त्री 'रूसो' का मानना था कि बच्चों को अस्पताल और अनाथ-आश्रम ले जाया जाय, जिससे उनमें संवेदना और करुणा जागे। बचपन से ऐसे सुसंस्कार देकर आध्यात्मिक गुरु ही युवा पीढ़ी को सुपथगामी बना सकते हैं। उपर्युक्त उदाहरणों से ज्ञात होता है कि युवा पीढ़ी को आदर्श बनाने के लिए, उच्च स्तर के आध्यात्मिक गुरु की महती आवश्यकता है, ताकि वे उन्हें जीवन में आत्म-गुणों और मानव मूल्यों के प्रति सजग कर सकें। विद्यालयों में व्यावहारिक हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक ज्ञान आदि व्यावहारिक विषय पढ़ाए जाते हैं। इन्हीं विषयों के साथ आध्यात्मिक एवं नैतिक शिक्षा देकर युवा पीढ़ी . का उत्थान कर सकते हैं। उन्हें सही दिशा दिखाकर भटकने से बचा सकते हैं। आध्यात्मिक पुट देकर नई पीढ़ी को ऐसा ढाला जाए कि वह समाज, देश और विश्व के लिए कल्याणकारी बने। युवा पीढ़ी देश की आकांक्षा है समाज का सिरमौर है ज्ञान पुञ्ज है शक्ति का भंडार है साहस है, उमंग है, ढालने की आवश्यकता है आध्यात्मिक गुरु का आश्रय मिल जाए तो बेड़ा पार है। -ई-123, नेहरु पार्क, जोधपुर-342003 (राज.) Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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