Book Title: Yogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog Author(s): Saumyagunashreeji Publisher: Prachya Vidyapith View full book textPage 9
________________ श्रुत साहित्य के अनन्य प्रेमी श्री बाबूलालजी भंसाली, बैंगलोर जीने को तो इस दुनिया में सभी जीव जगत के जीते हैं। जो कुछ कर जाते हैं अपने दम पर वो अमर पुरुष कहलाते हैं ।। रंग-रंगीले राजस्थान के रेगिस्तानी टीलों के बीच बसा हुआ एक छोटा सा गाँव है गढ़ सिवाना । तृतीय दादा गुरुदेव की जन्मभूमि के रूप में विख्यात समियाणा धर्म-कर्म की जागृत ज्योत है। यहाँ की वसुधा में ही धर्म के संस्कार रमे हुए होने के कारण उसकी सौरभ स्वतः वहाँ के वाशिन्दों में आ जाती है। उस सौंधी-सौंधी खुशबू से उनका जीवन ही नहीं अपितु संपूर्ण समाज सुरभित होता है। इस मिट्टी से उत्पन्न एक पुष्प है वर्तमान में बैंगलोर निवासी श्री बाबूलालजी भंसाली। सिर्फ सिवाना नगर में ही नहीं अपितु संपूर्ण जैन समाज में भंसाली गोत्रजों का विशेष वर्चस्व है। श्रेष्ठिवर्य्य श्री मिश्रीमलजी भंसाली सीवान्ची पट्टी में एक कर्मठ कार्यकर्त्ता एवं उत्कृष्ट दानवीर के रूप में विख्यात थे। आपके द्वारा स्थापित 'भंसाली ज्ञान सेवा ट्रस्ट' आज भी समुचित रूप से गतिमान है। आपकी परछाई के रूप में आपके चारों पुत्र - श्री मूलचंदजी, छगनलालजी, चम्पालालजी और बाबूलालजी भी आपके अनुसार ही शासन प्रभावना में जुड़े हुए हैं। मातु श्री फूली देवी ने अपने पुत्र-पुत्रियों को सदैव नैतिकता एवं मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। अध्यात्म रुचि सम्पन्न श्री बाबूलालजी का जन्म सन् 1949 को सिवाना नगर में हुआ। आपने अपना प्रारम्भिक अध्ययन अपनी जन्म भूमि में तथा First B.Com तक का अध्ययन कर्मभूमि बैंगलोर में किया ।Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 232