Book Title: Yashovijayji ka Adhyatmavada
Author(s): Preetidarshanashreeji
Publisher: Rajendrasuri Jain Granthmala

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Page 459
________________ अध्यात्म एवं ज्ञान साधना का अनुपम केन्द्र प्राच्यविद्यापीठ शाजापुर (म.प्र.) डॉ. सागरमल जैन पारमार्थिक शिक्षण न्यास द्वारा सन् 1997 से संचालित प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य भारतीय प्राच्य विद्याओं के उच्च स्तरीय अध्ययन, प्रशिक्षण एवं शोधकार्य के साथ-साथ भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को पुनः प्रतिष्ठित करना है। इस विद्यापीछ के 18 विद्यार्थी जैन विश्व भारती लाडनू एवं विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं, शोधार्थी कार्यरत हैं एवं डॉ. सागरमल जैन के निर्देशन में तैयार 21 ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके _ इस विद्यापीठ में जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्म एवं दर्शन आदि के लगभग 10,000 दुर्लभ ग्रन्थ उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त 700 हस्त लिखित पाण्डुलिपियाँ है। यहाँ 40 पत्र-पत्रिकाएँ भी नियमित आती है। इस परिसर में साधु-साध्वियों, शोधार्थियों और मुमुक्षुजनों के लिए अध्ययन -अध्यापन के साथ-साथ निवास, भोजन आदि की भी उत्तम व्यवस्था है। शोधकार्यों के मार्गदर्शन एवं शिक्षण हेतु डॉ. सागरमलजीजैन का सतत् सानिध्य प्राप्त है। इसे विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन द्वारा शोध संस्थान के रूप में मान्यता प्रदान की गई Jain Education International For Private & Persona Use Only wwwjainelibrary.org

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