Book Title: Yashovijay Smruti Granth
Author(s): Yashovijay
Publisher: Yashobharti Jain Prakashan Samiti

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Page 503
________________ १४ पूर्वाचार्यकन सं. पा. ग्रन्या उपग्ना उपलब्ध टीका ग्रन्या AMMAMMOMummamanmandurammarrintern नाम्याप्रन्यप्रग्ना टीकाश्री । उत्पादादिसिद्धियकरण टीका २ कम्मपदि (क्रमप्रति) द टीका ३ कम्पयदि व्युटीका . प्रारंभ मात्र) ४ तयाणपुत्रटीका पन्ध प्रयपात्राय मात्र) ५ योगबिशिका-टीका ६ श्रीनगगस्नान-अष्टमयका- रानी प्रणटीकार [ी, यादरम्या ७चानयामांनमुश्रय टीका ८ पोडशक टीका स्यादवादमरी टीका (1) द्विगम्या अन्य सर यत्र अवहन्त्री टीका ननगणन्य उपर टीच काव्यप्रकाश टीका २.पानालयांगदर्शन टीका ३ सिद्धान्तमरी टीका अन्यमनक-सभ्य संशोधित अन्यो १धर्मप्रह २उपदेशमाला घालायात्रा [प्रान-गुजर मंपादित ग्रन्यो द्वादशानियत्रमाद्धार-पालघनादिक बकन गं.न्या. अभ्य ग्रन्या अने टीकाओं १. अध्यात्मयिन्तु हिम छन्दानुशाननी बी. १३ प्रमागहस्य २ अध्यात्मोपदेश पर दाहापांग यंत्र १४ महल्याद ३ अनेकानवादप्रवेश पर टेक यादाणय ४ अन्धकार यूडामणी श्रीका ८ जानमार अयाँ १६ यादरहस्य [इम ब्राम्यानुशागनना श्री. ३७ विधिया न्यालोक यिप्राण १८ वदान्तनिणय का कामदागिन १० विमुल्यालाक (विधि) १५. बेदान्तयियक्रमस्त्र टपर ) विवरण २० प्रकरण ५ आत्मग्यानि १.न्यालोका न्योप २२. श्रीपूज्यनेन । आलोकतनाबाद टीकापड २२. सप्तमंगीतरहिणी ७ छन्द्रावृद्धामणी टीका १२.न्यायविन्दु क सिद्धान्तपरिकार २४ श्री ४२-१० शिप्रा (इरिटी) पाला शामन्यो, हे उपगंन अन्दा "रहस्य" पदयी अक्ल अंगम्यन्थी, अन है पानी अन्य क्षेत्री श्रमाय बनी गई है. 4

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