Book Title: Yantrarajo Author(s): Publisher: View full book textPage 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / . . . . ! 026925 inmandir@kobatirth.org यन्त्रराजो ततः स्वल्पसारं विषदमिदमत्यन्तसुगम बितन्वेऽहं शाखं सहृदयहृदानन्दकृतये // 2 // कृप्तास्तथा वहुविधा यवनैः खवाण्यां यन्त्रागमा निजनिजप्रतिभाविशेषात् / तान् वारिधीनिव विलोक्य मया सुधावत्तत्सारभूतमखिलं प्रणिगद्यतेऽत्र // 3 // स्पष्टार्थम् / अथ सूत्रकदेव यन्त्रराजमहिमानमाचष्टे / यथा भटः प्रौढरणोत्कटोऽपि शसर्विमुक्तः परिभूतिमेति। तहन्महाज्योतिषनिस्तुषोऽपि यन्त्रण होनो गणकस्तथैव // 4 // ___ इदमपि स्पष्टार्थम् / . अत्र भुजकाट्योः क्रमोक्तमज्यानयनम् / यत्म्याल्लवादा: कलिकादिकं त For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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