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|विनाश॥ निजजांनदजीवनां ॥कर वा कल्पना ना न्ा ॥ २९॥ दश चोविज्ञ दिचनंत॥नित्यनिमित जे अवतार ||नरतनधरि रहेनाथनिकरेअनंत जीवन धार ॥ २६ ॥ मनुष्या कारच्यपा रमोटा । वलिकली नस के को ये ॥ मदा संघथथर मनुष्य जे वा ॥ श्रीदरिवं |रने सो ये ॥ २॥ अनंत ब्रह्मां जेना
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