Book Title: World Problems And Jain Ethics
Author(s): Beni Prasad
Publisher: Beni Prasad

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Page 24
________________ यदि विषयपिशाची निर्गता देहगेहात् सपदि यदि विशीर्णो मोहनिद्रातिरेकः। यदि युवतिकर निर्ममत्वं प्रपन्नो भगिति ननु विधेहि ब्रह्मवीथीविहारम् / / शुभचन्द्र। अपरिग्रह न सो परिम्गहो वुत्तो नायपुत्रेण ताइणा / मुच्छा परिग्गहो वुत्तो इस वुत्तं महेसिणा / / दशवैकालिक / संसारमूलमारम्भास्तेषां हेतुः परिग्रहः / तस्मादुपासकः कुर्यादल्पमल्पं परिग्रहम् // . हेमचन्द / Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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