Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir शत प्रमाणे चात सांभळी, अबधारी भय पाम्या, त्रास पाम्या, बसित यया अने संसारना भयथी उद्विग्न थया. तथा तेओ श्रमण भगवंत महावीरने | बांदी, नमी ज्यां शंख श्रमणोपासक के त्यां जा शंख श्रमणोपासकने वांदी, नमी ए (अविनयरूप) अर्थने सारी रीते विनयपूर्वक भास्पा- | वारंवार खमावे छे. त्यार बाद ते श्रमणोपासको यावत् पाछा गया. तेनो बाकी रहेलो वृत्तांत आलमिकाना श्रमणोपासकोनी पेठे प्रजाति:181 जाणवो. [प्र.] 'भगवान् ! एम कही भगवान् गौतमे श्रमण भगवंत महावीरने वांदी, नमी आ प्रमाणे कमु-हे भगवन् ! ते शंख // 1.3001 श्रमणोपासक आप देवानुप्रियनी पासे प्रव्रज्या लेवाने समर्थ छ ? [उ०] बाकी वर्षा ऋषिभद्रपुत्रनी पेठे जाणवु. यावत्-ते सर्व दुःखोनो अन्त करशे. हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे के, हे भगवन् ! ते ए प्रमाणे छ, एम कही विहरे छे. / / 440 // ___ भगवत् सुधर्मखामीप्रणीत श्रीमद् भगवतीसूत्रना 12 मा शतकमा प्रथम उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो. उद्देशार 1030 // SANSKELKA उद्देशक 2. तेणं कालेणं 2 कोसंयी नाम नगरी होत्था चन्नओ,चंदोवतरणे चेहए वन्नओ, तत्थ णं कोसंबीए नगरीए सहस्साणीयस्स रन्नो पोत्ते सयाणीयस्स रनो पुत्ते चेडगस्स रन्नो नत्तुए मिगावतीप देवीए अत्तए जयंतीए समणोवा| सियाए भत्तिजइ उदायणे नामं राया होत्या वन्नओ, तत्थ ण कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रन्नो सुण्हा सया णीयस्स रनो भज्जा चेडगस्स रन्नो धूपा उदायणस्स रन्नो माया जयंतीए समणोवासियाए भाउज्जा मिगावती नाम देवी होस्था वन्नओ सुकुमालजावसुरूवा समणोवासिया जाब विहरह, तस्य जे कोसंबीए नगरीए सहस्साणीयस्स For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238