Book Title: Vrushabhdev tatha Shiv Samabandhi Prachya Manyataye
Author(s): Rajkumar Jain
Publisher: Z_Hajarimalmuni_Smruti_Granth_012040.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ डॉ. राजकुमार जैन : वृषभदेव तथा शिव-संबंधी प्राच्य मान्यताएं : 626 युक्तियाँ भी वृषभांकित वृषभदेव के अस्तित्व की समर्थक हैं. इस प्रकार वृषभ का योग भी शिव तथा वृषभदेव के ऐक्य को संपुष्ट करता है, भगवान् वृषभदेव तथा शिव दोनों का जटाजूटयुक्त' तथा कपटी रूपचित्रण भी इनके ऐक्य का समर्थक है. भगवान् वृषभदेव के दीक्षा लेने के पश्चात् तथा आहार लेने के पूर्व एक वर्ष के साधक जीवन में उनके केश बहुत बढ़ गये, फलतः उनके इस तपस्वी जीवन की स्मृति में ही जटाजूटयुक्त मूर्तियों का निर्माण प्रचलित हुआ. सुभO 1. वत्तीसुवएस मुणीसरहं कुडिला उंचियकेसं.-महापुराणु 37, 17 तथा यजुर्वेद, 16,56. 2. संस्कारविरहात् केशा 'जटीभूतास्तदा विभो', नूनं तेऽपि तमःक्लेशमनुसोनु तथा स्थिताः / मुनेयून्धिजटा दूरं प्रससुः पवनोद्धता', ध्यानाग्निनेव तप्तस्य जीवस्वर्णस्य कालिका / -आदिपुराणः 18, 75-76. Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21