Book Title: Vividh Kavi Virachit Sazzaya Shlokadi Sangraha
Author(s): Kalyankirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan
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June-2003
77
२४
रलतु
दोहली
१०. श्रीदशार्णभद्रराजर्षि- ३
श्लोक
नींबडिओ ?
रळतो-कमातो आरति वेतो पीडातो अखत्र अखतरां-अक्षत्र भीषाव्यां डराव्या निसत निःसत्त्व नींमड्या नीवड्या-काम लाग्या द्राओ द्रवी गयो आगन्या आज्ञा
दुःखनी परखयो परखजो-परीक्षा करजो विसराली विनश्वर-भंगुर सखर उत्तम सुहाली सुंवाळी-सुकुमाल वहिलि वेलढुं-वहेल छत्रीआली छत्रवाळी मुडद्ध मुकुटबद्ध गुहिर गंभीर खेहई धूळथी प्रजुंज्यउं
प्रयोज्यु-उपयोग मूक्यो त्रीजुं ज्ञान अवधिज्ञान विकूर्वण विकुर्वणा करवी
वैक्रियलब्धिथी बनाववं जम्मक सम्मक जमक शमक
(चमक दमक) तगादो देखाडो-आडंबर नवेरो नवलो-नवो नवांडर्ड
नमाडु
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