Book Title: Vitrag Vigyana Pathmala 2
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 11
________________ पाठ५ | तीन लोक आचार्य गृद्धपिच्छ उमास्वामी (व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व) तत्त्वार्थसूत्रकर्तारं, गृद्धपिच्छोपलक्षितम् । वन्दे गणीन्द्रसंजातमुमास्वामिमुनीश्वरम् ।। कम से कम लिखकर अधिक से अधिक प्रसिद्धि पानेवाले आचार्य गृद्धपिच्छ उमास्वामी के तत्त्वार्थसूत्र से जैन समाज जितना अधिक परिचित है, उनके जीवन परिचय के संबंध में उतना ही अपरिचित है। ये कुन्दकुन्दाचार्य के पट्ट शिष्य थे तथा विक्रम की प्रथम शताब्दी के अन्तिम काल में तथा द्वितीय शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारत-भूमि को पवित्र कर रहे थे। ___ आचार्य गृद्धपिच्छ उमास्वामी उन गौरवशाली आचार्यों में हैं, जिन्हें समग्र आचार्य परम्परा में पूर्ण प्रामाणिकता और सम्मान प्राप्त है। जो महत्त्व वैदिकों में गीता का ईसाइयों में बाइबिल का और मुसलमानों में कुरान का माना जाता है, वही महत्त्व जैन परम्परा में गृद्धपिच्छ उमास्वामी के तत्त्वार्थसूत्र को प्राप्त है। इसका दूसरा नाम मोक्षशास्त्र भी है। यह संस्कृत भाषा का सर्वप्रथम जैन ग्रन्थ है। __ यह ग्रन्थराज जैन समाज द्वारा संचालित सभी परीक्षा बोर्डों के पाठ्यक्रमों में निर्धारित है और सारे भारतवर्ष के जैन विद्यालयों में पढ़ाया जाता है। __ प्रस्तुत अंश तत्त्वार्थसूत्र के तृतीय और चतुर्थ अध्याय के आधार पर लिखा गया है। (२०) तीन लोक छात्र - गुरुजी ! आज प्रवचन में सुना था कि कुन्दकुन्दाचार्य देव श्री सीमन्धर भगवान के दर्शन करने विदेह क्षेत्र गये थे। यह विदेह क्षेत्र कहाँ है ? अध्यापक- यह सारा विश्व तीन लोकों में बँटा हआ है। जहाँ हम और तुम रहते हैं, यह मध्यलोक है। इसमें असंख्यात द्वीप और समुद्र हैं, वे एक-दूसरे को घेरे हुए हैं। सबके मध्य जम्बूद्वीप है। उसके चारों ओर लवण समुद्र है, उसके चारों और धातकी-खण्ड द्वीप है, उसके भी चारों ओर कालोदधि समुद्र है, फिर पुष्करवर द्वीप और पुष्करवर समुद्र। इसीप्रकार असंख्यात द्वीप और समुद्र हैं। छात्र - हम और आप तो जम्बूद्वीप में रहते हैं, पर सीमन्धर भगवान कहाँ रहते हैं ? अध्यापक - वे भी जम्बूद्वीप में ही रहते हैं। पर भाई ! जम्बूद्वीप छोटा-सा थोड़े ही है। यह तो एक लाख योजन विस्तार वाला है। इसके बीचोंबीच सुमेरु नामक गोल पर्वत है तथा इस गोल जम्बूद्वीप को विभाजित करने वाले छ: महापर्वत हैं, जो कि पूर्व से लेकर पश्चिम तक पड़े हुए हैं, जिनके नाम हैं - हिमवन, महाहिमवन, निषध, नील, रुक्मि और शिखरी। छात्र - जब ये पूर्व से पश्चिम तक पड़े हुए हैं तो जम्बूद्वीप तो सात भागों में बँट गया समझो। अध्यापक - हाँ ! इन्हीं सात भागों को तो सात क्षेत्र कहते हैं, जिनके नाम हैं - भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत। छात्र - अब समझा कि जम्बूद्वीप का जो बीचवाला हिस्सा विदेह क्षेत्र है, वही सीमंधर भगवान हैं। पर हम........? अध्यापक - उसके ही दक्षिण में जो भरत क्षेत्र है न, उसी में हम रहते हैं। यहीं आचार्य कुन्दकुन्द जन्मे थे और वे विदेह क्षेत्र गये थे। (२१)

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