Book Title: Vikramaditya Chaupai
Author(s): Somgani,
Publisher: Mansor
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जैस्वायारेपिपानन्ति प्रकि जोजन ताणतेतजमानिमामि ने मौको कराम काकाना राजा रविषविनारिन हमें पुरूषसाचारोरावर समामा जसिरति कैमरदासरे। नारिनगतोय का मानकापामजपला
मुरषणातम माने कि नरेन्पाजो मितेवचनेक गानविनमे सिएना रेत पिपामावकिलिक तारिमालपासुनशति के इसय विरु दएवापरेशाविमाय गौसजन सहा तसाकार रे॥20ताजदेषता या का सनरघदकिमयाय व वातै साना नली लकलकामावरे ॥ मानीक द्या हिवेमारापिडामिपितासि मंजक पवात नच
जमारमधायेहालकहै वैविसमा सामामिकराजले वैकतै तब यरोतनिवमएसौमारे॥३४ा सिर्जरीषापवादवापार काशिनामतनताको वालिमार विनयनकोमेश बाबासोमाबाख
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