SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैस्वायारेपिपानन्ति प्रकि जोजन ताणतेतजमानिमामि ने मौको कराम काकाना राजा रविषविनारिन हमें पुरूषसाचारोरावर समामा जसिरति कैमरदासरे। नारिनगतोय का मानकापामजपला मुरषणातम माने कि नरेन्पाजो मितेवचनेक गानविनमे सिएना रेत पिपामावकिलिक तारिमालपासुनशति के इसय विरु दएवापरेशाविमाय गौसजन सहा तसाकार रे॥20ताजदेषता या का सनरघदकिमयाय व वातै साना नली लकलकामावरे ॥ मानीक द्या हिवेमारापिडामिपितासि मंजक पवात नच जमारमधायेहालकहै वैविसमा सामामिकराजले वैकतै तब यरोतनिवमएसौमारे॥३४ा सिर्जरीषापवादवापार काशिनामतनताको वालिमार विनयनकोमेश बाबासोमाबाख जनालको कॉमिननामौलारामामबदेतीरनिर्विकास रनिमदिनफिरकतामिव ताराकापहलाध्यायनाशा जहामिमता किमीपंषालाधामरैसंहानिरजतारिवारजो जब तोटिकलेमुजसंग कामाक्षयोहरत षापूरकरवाजापाठापमा NEजावातमा का मिडकनाlldesजयाराजांचिताबका दिन 16नै पायौ रेवमहममजलाधरतिधुजाघवयकाल शायौरेयाराजाषाप
SR No.650003
Book TitleVikramaditya Chaupai
Original Sutra AuthorSomgani
Author
PublisherMansor
Publication Year1882
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationManuscript
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy