Book Title: Vasupujya Jin Punya Prakash Stavan
Author(s): Shobhna R Shah
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 35
________________ December-2004 ढाल - नीमालीनो । ३३५ चतुर चीतारडइ चीतरीए बे फूलनी मालईए । चउरीय मांडइ ठामि वरवधू तिहां पधरावीयाए । बे फूलनी मालनी मालइए । चउरीय मांडइ ठामि । वरवधू तिहां पधरावीयाए ॥१॥ बे फूल० ।। ३३६ जोइ छइ कौतुक गाम गाम पहिलूंअ मंगल चरती हुए । लक्ष तुरंगम दान ॥२॥ बे फूल ॥ ३३७ बीजूंअ मंगल वरतीइए । बे फूल० । हस्ती सहस्र परधान त्रीजू मंगल वरतीइए ॥३॥ बे फूल० । ३३८ जोडि मूल अलंकार चउथइ मंगल बेटडीए ॥४॥ बे फूल० । ३३९ वरतणी हो संभारि बेटडी मातपिता समोयीइ । बे फूल० ॥५।। ३४० सासू हर्ष अपार ॥६|| बे फूल० । ३४१ श्री वसुपूज्यनि उदय । बे फूल परणीय रूपिं उदार ॥ बे फूल० ॥७॥ ढाल - कंसारनो ॥ ३४२ जिन सासू निजकरि केलव्यो बहु मेवा मांहि मेलव्यो ॥१॥ ३४३ पसवा तिमजांचारुली तिहां लघु बदाम-मीजी मली ॥२॥ ३४४ कंसार लद्यग मल्यां मिरी तिणि अति प्रभूति पितली करी ॥३॥ ३४५ तिहां साकर एलादल भरी तेम द्राख प्रभृति शीली करी ॥४|| ३४६ अखोड खंड तिहां वलवलइ लघु चारवली स्यु तवि मलइ ।।५।। ३४७ तिहां चापट बइठी चारबी तिणि नालिकेर कुटवी छवी ।।६।। ३४८ धनसार रहूं तिहा मसमसइ सुरपति तेणि षांवा मनि वसई ॥७॥ ३४९ सुविशाल कनकमणिथालमां पीस्यो कंसार सुसीलमां ॥८॥ ३५० बइठां वरवहू जिमवा भणी रमीओ वहूस्युं जिन जगधणी ॥९॥ ढाल - आंदविआनो । ३५१ इंद्र इंद्राणीइं परवच्यो जिम राजइ सुरलोकि । तिम पदमावती नारिस्युं थविओ तिम पुरलोकि ॥१॥ परणी जिन घरि आवीआ मंगल गाइ छइ नारि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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