Book Title: Vasupujya Charitam
Author(s): Jain Dharm Prasarak Sabha
Publisher: Jain Dharm Prasarak Sabha

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Page 13
________________ VARIOUS READINGS OF THE VASUPUJYACHARITA. पाठान्तर. I. 26aB यस्य || 52aB मुदा ॥ 56bB न किम् ॥ 85bA अवध्यत || S6bB वासानदावपम् ।। 109&B वात्यावर्तवद्भूमन् । bB लोलयामास । 1160A महोत्सवमयम् ॥ 123bBC संसर्ग ॥ " 141aB तत्क चेत्तु सः ॥ 142bB कार्यमाचार्यवर्य मावय 171LB साधितम् ॥ 174B बन्दिकदम्बेन ॥ ,, bB तूर्यनादेन ॥ 195a Mss. सौर्यलक्ष्मी नटीनाद्या० 217bA कृत्वानतिम् ॥ 2196A निर्ममो निर्म सोऽयम् ॥ 228bB अत्राद्ये ॥ 2340A 2388 A 2408 A 247bB 264a B शिवसौख्यानाम् " इति तस्य ॥ राज्यं चापि ततः क्षणं ॥ कमप्युच्चकाया० मेदमुच्यताम् ॥ 325aA 3496B यत्तु स्यात्तुर्यम् 358bB aB न बन्धनीयो || [अ]वधिज्ञाननिधिः ॥ 4586A कस्याधिकरोत्वघम् ॥ 472bB युक्तमित्युक्तयः तु ॥ सताम् ॥ 496aB किंच ॥ 517bA यनुजोज्वलः ॥ 541bB पारणक्षणम् ॥ 578bA स्वसमान सु-. धाभुजः ॥ -

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