Book Title: Vartamankalin Sampadan Sanshodhan Yugna Adya Pravartaka Agam Prabhakar Muniraj Pnyavijayji MS Author(s): Jambuvijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ 262 अनुसन्धान 50 (2) जरूरी छे. पुनर्मुद्रण करनारा महानुभावोओ आ वात खास ख्यालमां राखवानी छे. ___ पुण्यविजयजी महाराजे अनेक ग्रन्थोना पाठभेदो लईने राखेला छे. सटीक बृहत्कल्पसूत्रना छ भागो संशोधित करीने अमणे प्रकाशित कर्या त्यारथी संशोधन माटेनो अमनो मतिवैभव प्रकाशमां आव्यो. संशोधन युगना आद्यप्रवर्तक तरीके तेमनुं नाम अमर रहेशे. द्वादशारनयचक्रना संशोधन - सम्पादन द्वारा संशोधन क्षेत्रमा मने लावनारा अने ओ रीते मारा विशिष्ट उपकारी वर्तमान संशोधन युगना आद्य प्रवर्तक आगम प्रभाकर पू. मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी महाराजने कोटिशः वन्दन अने अभिनन्दन. श्रीनाकोडाजैनतीर्थ पूज्यपादाचार्यदेव पोष्ट-मेवानगर (वाया : बालोतरा) श्रीमद्विजयसिद्धिसूरीश्वर पट्टालंकार, (जि. बाडमेर), पूज्यपादाचार्य-देव राजस्थान. पीन-३४४०२५ श्रीमद्विजयमेघसूरीश्वरशिष्य विक्रम संव. 2065, पूज्यसद्गुरुदेवमुनिराज भादरवा वदि-१४ श्रीभुवनविजयान्तेवासी मुनि जम्बूविजय. बापजी महाराजनी ५१मी स्वर्गवासतिथि ता. 17-9-2009Page Navigation
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