Book Title: Vartamankalin Sampadan Sanshodhan Yugna Adya Pravartaka Agam Prabhakar Muniraj Pnyavijayji MS Author(s): Jambuvijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ २६० अनुसन्धान ५० (२) पू. प्रवर्तकश्री कान्तिविजयजी महाराजना शिष्य पू. श्रीचतुरविजयजी महाराज तथा तेमना शिष्य आगमप्रभाकर पू.मु. श्रीपुण्यविजयजी महाराजे पाटणमां सतत अढार वर्ष रहीने ताडपत्र उपर तथा कागळ उपर लखेला सेंकडो हजारो हस्तलिखित आदर्शोने व्यवस्थित कर्या तेनुं सूचिपत्र (लीस्ट) बनावीने आ ग्रन्थो सुलभ कर्या छे. जेसलमेर जईने, घणां कष्टो वेठीने १६ महिना रहीने त्यांना भण्डारने पण व्यवस्थित करीने सूचि पत्र (लीस्ट) बनावीने ओ ग्रन्थोनी पण जाणकारी आपणने आपी हवे आ ग्रन्थोनो उपयोग करीने हजारो शुद्ध पाठ प्रकाशमां लाववानी आजना संशोधकोनी फरज छे. जो के आ ग्रन्थो मेळववामां पण अवरोधो घणा छे, छतां ओनो उपयोग थशे तो ज घणा बधा शुद्धपाठो प्रकाशमां आवशे आ निश्चित हकीकत छे. प्राचीन ग्रन्थो मळ्या पछी पण ओनो उपयोग केम करवो ओ माटे खूब धीरज अने ऊंडा तथा विशाळ अनुभवनी जरूर पडे छे. ___ हस्तलिखित ग्रन्थोमां आदिथी सळंग लखाण ज होय छे. जुदा जुदा पेरेग्राफ जेवू कंई होतुं ज नथी. सामान्य रीते पदच्छेद तथा अल्पविराम आदि विरामचिह्नो पण होता नथी. कोईक ग्रन्थमां होय तो ते पण तेनी रीते होय छे. बहु विश्वास राखी शकाय नहि. वळी पहेलां पडिमात्रा (पृष्ठमात्रा)मां ग्रन्थो लखाता हता. अटले पडिमात्रा वांचवामां भूलो थती हती. अटले लहियाओ लखवामां भूलो करी बेसे, अटले हस्तलिखितमांथी मुद्रण युग शरू थयो, त्यारे लाखो पदोने कयां छूटा पाडवां तथा कयां कयां अल्पविराम आदि विरामचिह्नो मूकवां ओ मोटो विकट प्रश्न हतो. ते समयना सम्पादक - संशोधकोने केटलो बौद्धिक तथा शारीरिक श्रम पड्या हशे तेनी आपणे कल्पना पण करी शकीओ नहि. आवा अप्रमत्त ज्ञानयोगी महापुरुषोओ करेली श्रुतसेवाना आपणे सौ ऋणी छीओ. ___पूर्वना महापुरुषोनो घणो प्रयत्न होवा छतां नानी मोटी भूलो रही ते स्वाभाविक छे अने क्षन्तव्य छे. पुनर्मुद्रण करनाराओओ आ भूलो जोवी जोइओ. उदाहरण तरीके आगमोदय समितिथी प्रकाशित सटीक समवायाङ्ग सूत्रमा आवा अनेक पाठभेदो पुण्यविजयजी महाराजे नोंधेला छे. आजथी त्रीस वर्ष पूर्व धामा (शंखेश्वरजी तीर्थ पासे झींझुवाडा पासेनुं गाम)मां आ.श्री विजयकलापूर्णसूरिजी म. वगेरे अमे पंदर जेटला साधुओ पुण्यविजयजी महाराजेPage Navigation
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