Book Title: Vardhaman Jivan kosha Part 2
Author(s): Mohanlal Banthia, Shreechand Choradiya
Publisher: Jain Darshan Prakashan

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Page 9
________________ Jain Education International जे० द० ब० स० (हमारे अंकन ) -जैन दार्शनिक पृष्ठभूमि 11 • १ लोकालोक - ०२ - द्रव्य उत्पाद व्यय- प्रीव्य ०३ - जीव ०४ - जीव परिणाम ०५ - अजीव अरूपी जैन वाङमय का दशमलव वर्गीकरण मूल विभागों की रूपरेखा ०६ - अजीव रूपी - पुद्गल ०७ - पुद्गल परिणाम ०८ - समय व्यवहार समय ०१ - विशिष्ठ सिद्धान्त १ - जैन दर्शन ११- आत्मवाद १२ - कर्मवाद आसव-बंध १३- क्रियावाद संवर- निर्जरा मोक्ष १४ - जैनेवरवाद १५- मनोविज्ञान १६- न्याय प्रमाण १७- आचार संहिता १८ स्यादवाद नयवाद अनेकान्त १९- विविध दार्शनिक सिद्धान्त - धर्म -1 २१- जैन धर्म की प्रकृति २२ - जैन के धर्मग्रन्थ २३- आध्यात्मिक मतवाद २४ - धार्मिक जीवन २५- साधु-साध्वी- यति भट्टारक क्षुल्लकादि २६ - चतुविध संघ २७ - जैन धर्म का साम्प्रदायिक इतिहास २८ - सम्प्रदाय २६ - जैनेतर धर्म तुलनात्मक धर्म (8) यू० डी० सी० के अंकन + ५२३.१ + १२० सी० एफ० ५७७ + ११४ ११७ सी० एफ• ५३८ + ११५ सी० एफ० ५२६ + १ १२ + + १४ १५ १६ १७ + २ २१ २२ २३ २४ २५ २६ २७ २८ २६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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