Book Title: Upnishado ka Jain Tattvagyan par Prabhav
Author(s): Anita Bothra
Publisher: Anita Bothra
View full book text
________________ 54) मित्ती मे सव्वभूएसु, वेरं मज्झ न केणइ / वंदित्तुसुत्त 48 55) कठोपनिषत्, पृ.३५ 56) तत्त्वार्थसूत्र 2.52 और उसकी टीका 57) प्रश्नोपनिषत्, पृ.८५ 59) पृथिव्याम्बुवनस्पतय: स्थावराः / तेजोवायू द्वीन्द्रियादयश्च त्रसाः / तत्त्वार्थसूत्र 2.13,14 60) मुण्डकोपनिषत्, पृ.१३६ 61) तदनन्तरमूर्ध्वं गच्छत्यालोकान्तात् / तत्त्वार्थसूत्र 10.5 62) विग्रहगतौ कर्मयोगः / तत्त्वार्थसूत्र 2.26 63) माण्डुक्योपनिषत्, पृ.१४१ 64) तत्त्वार्थसूत्र 8.8 65) तैत्तिरियोपनिषत्, पृ.१८२ 66) शरीरवाङ्मन:प्राणापाना: पुद्गलानाम् / तत्त्वार्थसूत्र 5.19 67) ऐतरेयोपनिषत्, पृ.२११ 68) छांदोग्योपनिषत्, पृ.४३९ से 465 69) बृहदारण्यकोपनिषत्, पृ.५४९ से 552 70) ईशोपनिषत्, पृ.२ 71) बृहदारण्यकोपनिषत्, पृ.७२३ 72) तैत्तिरियोपनिषत्, पृ.१६१,१६२ 73) बृहदारण्यकोपनिषत्, पृ.७४९ 74) छांदोग्योपनिषत्, पृ.३८४ 75) दहा सार्थ उपनिषद, पृ.५५,७०,८८,४७८,७५५ सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूचि 1) आचारांग : वाचना प्रमुख, आ.तुलसी, सं.मुनि नथमल, जैन विश्वभारती प्रकाशन, वि.सं.२०३१ 2) इसिभासियाई सुत्ताई : सं.महोपाध्याय विनयसागर, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, 1988 4) उपनिषदों में संन्यासयोग-समीक्षकात्मक अध्ययन : ईश्वर भारद्वाज, क्लासिकल पब्लिशिंग कम्पनी, नई दिल्ली, 1993 5) तत्त्वार्थसूत्र : विवेचक, पं.सुखलाल संघवी, पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी, 2007 6) दहा सार्थ उपनिषद : सं.हरि रघुनाथ भागवत, 'वरदा' सेनापती बापट मार्ग, पुणे, 1995 / 7) भगवती आराधना : शिवार्य, अपराजितसूरिरचित विजयोदया टीका, सं.पं.कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री, फलटण, 1990 9) सूत्रकृतांगसूत्र : अनुवादक, अमोलकऋषि, श्री अमोल जैन ज्ञानालय, धुलिया, 2002 **********

Page Navigation
1 ... 17 18 19