Book Title: Upmitibhava Prapancha Katha Uttararddha
Author(s): Siddharshi Gani, 
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 16
________________ उपमितौ ॥ १२ ॥ Jain Education विषयाः १३६ सर्वसंसारिमूलादिकथा १३७ धर्मदौर्लभ्यकथनं १३८ नन्दिवर्धनस्य बोधाभावः १३९ कुटुम्बत्रयं १४० साधोरतिनिर्घृणं कर्म १४१ द्वितीय कुटुम्बत्यागे तृतीयकुटुम्बत्यागस्य सफलता १४२ राज्ञो ऽतिनिर्घृणकर्मेच्छा १४३ प्रमोदवर्धने उत्सवः १४४ नन्दिवर्द्धनमोक्षः १४५ धराधरेण युद्धं मृतिः संसारभ्रमन १४६ सपुण्योदयस्य श्वेतपुरे अवतारः चतुर्थः प्रस्तावः । १ रिपुदारणजन्म पृष्ठानि. २८६ २८७ २८८ २८९ २९१ २९३ २९३ २९४ २९५ २९५ २९७ २९८ विषयाः २ शैलराजजन्म ३ मैत्री उभयोः, शैलराजकृता विकल्पाः ४ नरवाहनकृताऽनुकूलता ५ कुमारशैलराजयोरालाप: ६ स्तब्धचित्ताख्यमवलेपनं ७ मृषावादस्तत्कुटुम्बं च ८ मृषावादजा विकल्पाः ९ कलाग्रहणेऽनृतमहिमा १० गुरुपरिभवः ११ मृषाभाषिणो ऽपात्रता १२ कलासु स्थैर्य हितं १३ मायोत्पत्तिस्तत्कुटुम्बं च १४ मूर्खस्य हास्यास्पदत्वं For Private & Personal Use Only पृष्ठानि. २९९ २९९ ३०० ३०१ ३०२ ३०२ ३०३ ३०३ ३०५ ३०६ ३०७ ३०८ ३०९ अनुक्रम णिका. ॥ १२ ॥ jainelibrary.org

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