Book Title: Updeshratnakar Author(s): Munisundarsuri, Munisundarsuri Publisher: Jain Dharm Vidya Prasarak Varg View full book textPage 428
________________ ॥ इति श्री तपन्तेशी मुनिसुंदरसूरिविरचिते श्रीउपदेशरत्नाकरे द्वितीयेंऽशे षष्ठस्तरंगः समाप्तः ॥ श्रीरस्तु ॥ एवी रीते भी तपागच्छना स्वामी एका श्री मुदिरसूरिजी रखेला श्री उपदेशरत्नाकरमां बीजा अंशमां हो तरंग समाप्त पयो || श्रीरस्तु || समाप्त.. श्री उपदेशरत्नाकर.Page Navigation
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