Book Title: Updeshprasad Part 4
Author(s): Vijaylakshmisuri, 
Publisher: Jain Book Depo Ahmedabad

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Page 1
________________ આચાર્ય શ્રી વિજયલક્ષ્મીસૂરિ વિરચિત प्रासाद ભાષાંતર ४ दिदिवामहिंडन सकिमसरितिवामध्यममारमगाम मियाणशानिमा प्रयोग दियामामामयानिवासमयपगिरियामामायणमान्यमहासम्म संयगरगपावन याईबाश्मपागणंपवावदियारोवारमानंदियाणंबारमायरिंदियारामलियांवदियागांचारमामम्मिविश्यमा । वारमामपिपंजवान उनसत्यापक महाजमामयााएकबामएकदिवामनहि मितिारामाचमममय यादिवमेणचरिमिनियाविमय मिया निमाविमन्यूसिया विमानामरा विमकरामासिव्यतिमिरासयाटियाटवामिनपादामदादविक्दियामंमियाणिचा सुयादवयापणामामाता दक्यापाभिमानी स्कसायर स्थब्यवेकोकिया पमायणमिस्किसायोपवयणादविमंतिकरियाममामिानावानंनवतासंबरपाश्वर्धकाधिकवि पनलिमामोमिनुत्रिका लिविनाविरनंदवार ४नts डीपो.ममहावाह-१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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