Book Title: Updesh Tarangini
Author(s): Ratnamandir Gani
Publisher: Harshchandra Bhurabhai Shah
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श्रीविजयधर्मसुरिभ्यो नमः। श्रीरत्नमन्दिरगणिविरचिता
उपदेशतरङ्गिणी।
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प्रथमस्तरङ्गः। श्रीनाभैयः स वो देयादमेयाः परमा रमाः । यन्नामध्यानतः सर्वसिद्धयः स्युः स्वयंवराः ॥ १ ।। स श्रीपार्श्वप्रभुर्भूयाद् भक्तानां भूरिभूतये । यस्य प्रभावप्राग्भारैः शेषोऽभूटु भोगिपुङ्गवः ॥ २ ॥ श्रीसोमसुन्दरयशःपूरपूरितभूतलम् । श्रीवईमानमानौमि शिवश्रीरत्नशेखरम् ॥ ३॥ भारती सा रतिं रातु सतां यस्याः प्रसादतः । जडोऽपि जगतीपूज्यो जायते वृद्धवादिवत् ॥ ४ ॥ जीयाचिरं सुधादेश्यदेशनारसपेशला । माननीया मुनीशानामुपदेशतरङ्गिणी ॥ ५ ॥

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