Book Title: Updesh Rahasya
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 371
________________ 330 गाथा-पृष्ट गाथांशः ८५-१६८ गुणठाणगपरिणामे १८-४२ गठिगया सइबंधग ५७-१२३ गठिम्मि अभिन्नम्मी ६०-१२७ ,, विभिन्नम्मि १६२-२८२ गथ चएज्ज एत्थवि १०३-१९८ चरणकरणप्पहाणा ३४-७८ चेइय वेयावच्चं १९८-३२२ छिंदिउमसुहविगप्प २७-६० जइवि हु आयसभावे १९०-३१४ जत्तो अ अंतरंगो ६१-१२९ जमिण होइ फलंग १४५-२६३ जयणा खलु आणाए १३५-२५२ , वेस्खाइ अओ १२९-२४२ जह एसणिज्जणाणे ५०-१०९ जह कम्मसतइ इह १५३-२७३ जह जह बहुस्सुओ ४५-१०० जह तुल्लणिमित्ताणं १८४-३०० ,, निविग्ध सिग्धं ६८-१४१ ,, वा दहस्स सारय ८८-१७२ जह सम्ममुट्ठियाण १३७-२५४ जावइया उस्सग्गा ३३-७४ जुत्तो य इमो भणिओ ५६-१२२ जेण विरहिया किरिया १५२-२७२ जो एअगुणविउत्तो १५-३४ जो सीलवं असुअर्व १५१-२७७ जो हेउवायपक्खम्मि १२१-२३५ जं खलु पच्चक्खायं ९६-१८० ज हीणा तुल्लत ३०-६७ ण य आर भाणुमइ १२८-२४१ ण य एअ दुण्णेय ७२-१४७ , , ,, अण्णेसिं १४१-२५८ ,,, एवं जिणवयणे ७९-१५८ ,, ,, ,, वभियारो १२३-२३७ ण य एवं सो देवो ११५-२१६ ,, ,, तस्स गरहणिज्जो गाथा-पृष्ट गाथांशः ६७-१४० ,, ,, तपि अंतरंग १८१-२९८ ,,, दुक्कर मि धम्मे ३२-७० ,, , धम्मट्ठा हिंसा १३९२५५-, वि किंचि अण्णायं १२२-२३६ ,, सयंभू स मणुसो १२४-२३७ ,, हु अस्थि अभिणिवेसो ७३-१४९ गाउण इम सम्म २५-५६ ,, परिहर तो । ११०-२०७ णाए अग्णायाओ ६५-१३७ णिच्छयओ पुण कालो १३३-२४८ णिद्दोसमि अणुण्णा ९२-१७६ णियमा णत्थि चरित्त १३०-२४४ गतेणाणुण्णा १११-२०८ तत्तो पुणो ण बंधइ ७६-१५३ तंबंधठिइ जाया ५४-१२१ तझा आणाजोगो ५१-१११ ,, उ दोवि हेऊ ८२-१६४ ,, वयपरिणामे २०२-३२४ तवगणरोहण. १६५-२८३ तबज्झाणाइ कुज्जा १८८-३०४ तहमवत्त चित्त १८९-३१२ तह वि खलु जयति ७०-१४५ तिमिरहरा जइ दिट्ठी १८७-३०३ तिविहवि भावभेआ १६६-२८३ तुच्छावत्ताइणं ९-१८ तेसिं अबकगामी ११८-२२६ दवपरिणामचाए १३८-२५४ दव्वादिए हि जुत्तस्सु १६८-२८४ दाणपस सणिसेहे ४८-१०६ दारुसम खलु दइवं १४६-२६४ दीसंति बहू मुंडा १७६-२९२ दीहो उवओगद्धा ११३-२१२ देसविरइगुणठाणे १४०-२५६ दोसा जेण निरुज्झति १९९-३२३ देह गेहं च धणं

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