Book Title: Updesh Chintamani Satik Part 01
Author(s): Jayshekharsuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 170
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उप- // तार्य पक्षिषु मेरुरजिषु वियट्यूढे च चक्री नरे-विंद्रः स्वर्गिषु शीतदीधितिरुपुष्वैरावणो / चिंता हस्तिषु // शीता सिंधुषु हेम धातुषु रविवित्सु धाराधरो। जीवानुष्वयमर्हता निगदितो धर्मेषु धर्मो गुरुः // 31 // स्वपरिषदि निषप्लास्तेऽपि तीर्थांतरीया। नरसुरसुखहेतुं हंत जदप१६७ न्तु धर्मं // शिवसदनकपाटोद्घाटने कुंचिकात्वं / यदि वहति तदानीं जैन एवैष धर्मः // // 35 // इति श्रीअंचलगाधिराज महेंद्रप्रनमूरि शिष्याचार्यवर्यश्रीजयशेखरसूरिविरचितायां स्वोपझोपदेशचिंतामणिटीकायां प्रथमो श्रीजिनधर्मप्रशंसाधिकारः समातः // श्रीरस्तु. // * समाप्तोऽयं ग्रंथो गुरुश्रीमच्चारित्रविजयसुप्रसादात्. - आ ग्रंथ श्रीजामनगरनिवासी पंमित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयमाटे पो॥ ताना श्रीजैननास्करोदय बापखानामां बापी प्रसिझ कयों ने. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 168 169 170