Book Title: Umeshmuni Acharya Parichay Author(s): Prashast Runwal, Jinal Chhajed Publisher: Prashast Runwal, Jinal Chhajed View full book textPage 8
________________ चौकीदार ही माना। न ज्ञान का गर्व न क्रिया का अहं न पद का मद । सदा समभाव में लीन, आत्म लक्ष्य में पीन, ध्येय का ही चिंतन रात- दिन | चाहे छोटा हो या बड़ा - सभी पर समत्वयुक्त कृपा की अमि वर्षा सभी के हित की कामना सभी के सुख हेतु सद् भावना - ऐसी कई विशेषताओं के होते हुए भी कोइ स्तुति करे तो 'मेरी नहीं - तीर्थंकर भगवान की स्तुति करो । ' ऐसी सदप्रेरणा देते थे | आपने प्रत्येक परिषह को समभाव पूर्वक सहन करके अन्तिम समय तक जिनाज्ञा का पालन किया। 14 आपश्री की शिष्य-सम्पदा ! १. आगम-विशारद बुद्धपुत्र वर्तमान प्रवर्तक पं रत्न पूज्य गुरुदेव श्री जिनेन्द्रमुनि जी म.सा. २. सरल स्वभावी पूज्य श्री वर्धमानमुनि जी म.सा. ३. कलिकाल-भावज्ञ अणुवत्स पूज्य पं. श्री संयतमुनि जी म.सा. ४. संघहित-चिंतक तत्वज्ञ पूज्य पं. श्री धर्मेन्द्रमुनि जी म.सा. ५. वयोवृद्ध पूज्य श्री किशनमुनि जी म.सा. ६ . वात्सल्यमूर्ति युवाप्रेरक पूज्य श्री संदीपमुनि जी म.सा. ७. स्वाध्याय रसिक पूज्य श्री प्रभासमुनि जी म सा. ८. तप-प्रेरक पूज्य श्री दिलीपमुनि जी म.सा. ९ . पूज्य श्री आदिशमुनि जी म.सा. १०. स्वाध्यायशील पूज्य श्री हेमन्तमुनि जी म सा. ११. सरल स्वभावी पूज्य श्री पुखराजमुनि जी म.सा. १२. धर्मप्रेरक पूज्य श्री अभयमुनि जी म.सा. १३. आत्मार्थी पूज्य श्री अतिशयमुनि जी म.सा. १४. सेवाभावी पूज्य श्री जयन्तमुनि जी म.सा. १५. मधुर-गायक पूज्य श्री गिरीशमुनि जी म.सा. १६. इतिहासज्ञ पूज्य श्री रविमुनि जी म.सा. १७. अध्ययनशील पूज्य श्री आदित्यमुनि जी म.सा. गुलदस्ते में सजे विविध पुष्पों की तरह विविधता एवं गुण - सुरभि से युक्त हैं । इनमें कोई शास्त्रज्ञ हैं तो कोई वक्ता-लेखक-चिंतक हैं । कोई तपस्वी हैं, कोई एकांत-प्रिय हैं, कोई मौन साधक हैं । दीक्षा पूर्व लगभग सभी उच्चशिक्षण प्राप्त हैं एवं आत्मलक्ष्यपूर्वक आपश्री के पावन सानिध्य में आए हैं और आराधना में स्थित हैं ।Page Navigation
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