Book Title: Umeshmuni Acharya Parichay
Author(s): Prashast Runwal, Jinal Chhajed
Publisher: Prashast Runwal, Jinal Chhajed

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Page 10
________________ 16.एक युग का अंत - महायोगी का महाप्रयाण ! सन् 2011 का ताल चातुर्मास पूर्ण करके महिदपुर आदि क्षेत्रों में धर्म की पावन गंगा बहाते हए अपने अंतिम समय को जानकर अंतिम आराधना करते हुए उन्हेल होते हुए आचार्यदेव मालवा की प्राचीन धर्म नगरी उज्जयिनी पधारे / यहाँ दिनाँक 18 मार्च 2012 चेत्र मास की ग्यारस को प्रातः 8:30 बजे सभी जीवों से क्षमायाचना कर पादपोपगमन के समान श्रेष्ठ संथारा अंगीकार किया / देखते ही देखते कुछ ही घंटो में लाखो श्रद्धालु उज्जैन पहुँच गए / ......और आखिर शाम को लगभग 5.16 बजे इस महान आचार्य का महाप्रयाण हो गया / जैन जगत का एक ज्योतिर्धर सूर्य अस्त हो गया / 19 मार्च को लाखों भक्तों की नम आँखो के सामने आपके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी गई / वास्तव में भगवन् श्रमण संस्कृति के रक्षक थे | वर्तमान युग में आप जैसे उच्च क्रियावान होते हुऐ भी सरलता गुण से सम्पन्न साधु मिलना अत्यन्त दुष्कर हैं / आपने कभी किसी को "अपना भक्त " नहीं बनाया किंतु आपके पास जो भी आया उसे "भगवान का (सच्चा जैनी) " बनाया / ऐसे महान मोक्षाभिलाषी आचार्य के श्री चरणों में - श्रद्धा ! भक्ति ! समर्पण ! नमन् !!!!! श्रद्धा ! भक्ति ! समर्पण ! नमन् !!!!! प्रस्तुति - प्रशस्त रूनवाल (Mob. 08871504192) जिनल छाजेड (Mob. 07877477752)

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