Book Title: Ud Jare Panchi Mahavideh Mai
Author(s): Dharnendrasagar
Publisher: Simandharswami Jain Mandir Khatu Mehsana

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अक अतिवामन स्वरूपवाळो मानवी होवा छतां महाविदेहना वतनी महिमावता ५०० धनुष प्रमाण कायावाळा अत्यन्त विराट स्वरूपी परमतारक परमात्मा सीमन्धरस्वामीना चरणांभोजने, पोताना श्रावण भादरवाना वरसादने याद करावतां, परम हर्षना अश्रुओथी झरतां लोचनोथी साक्षात् नवडावतो न होय ? पण से परिस्थिति प्रगट थाय एना पहेला, अना मनभां से प्रभुनु 'मानस प्रत्यक्ष' कोई अजब-गजबनु एवं थाय छे के न पूछो वात. मारा मनभां सोमन्धर, मारा तनमां सीमन्धर, मारा वचनमां सीमन्धर, मारी मतिमां सीमन्धर, मारा भोजनमां सीमन्धर, मारा पानभां सोमन्धर, मने बधे ज देखाय सीमन्धर, मने बोजुक्यांय कशुज न देखाय सिवाय एक सीमन्धर. आकाशमांय सीमन्धर अने अवनीमांय सीमन्धर ऊ'घतां य सीमन्धर अने जागतां य सीमन्धर शब्दमा य सीमन्धर अने शून्यमा य सीमन्धर जडमांय सीमन्धर अने चेतनमां य सीमन्धर प्रतिमामां सोमन्धर अने व्यक्ति व्यक्तिमा य सीमन्धर सोमन्धरना भक्तमांय सोमन्धर, यावत् सीमन्धरना भक्तना भक्तमा य सोभन्धर मारा हृदयना धबकारे धबकारमा सीमन्धर अने नाडीना झंकारे झंकारमा य सीमन्धर, बस बधे एक सीमन्धर ज सीमन्धर 'सीमन्धर'नो चाले छे अजपा जाप, एमां खपी जाय वधा पाप अने चाल्या जाय सघळा संताप.... अवन्तिना राजकुमार का मगजेन्द्रने प्रेरणा अने प्रकाश आपनार ए प्रभु पोते भले ज 'सीमन्धर' (सीम = मर्यादा तेने धारण करे ते) होय, For Private And Personal Use Only

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