Book Title: Trishasti Shalaka Purusa Caritra Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Helen M Johnson
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra
View full book text ________________
3. 682.
3. 683.
3. 683.
4. 7.
4. 34.
4. 43.
4. 45.
4. 56.
4. 63.
4. 63.
For
खामिनः
समुत्पन्ने
• पार्श्वयोः
वेष्टाद
० दिशंदेन
सच०
० चय०
• बास्थितम्
• गंगा चर०
सौकरैः
4. 70.
4. 74. fera: खोकसी०
4. 75.
4. 81.
० न्याना
4. 91.
•य म०
4. 95.
• घेोषस्त्रस्त०
4. 95.
fafor:
4. 95. • माचत
4. 138.
०
०वरः
4. 141. ० पतेः
4. 151. तथा
4. 162. प्रसाद
4. 162. महारयः
4. 163. पस्यंदनवराभोधौ
4. 166. O
4. 171. सोपत०
4. 182.
चार्षभिः
4. 183
पत्रिणेचं
4. 209
4. 227. fent fe
4. 227.
Jain Education International
लूरिका प०
गएक
4. 239.
• परम्
4. 250.
चर्म ०
4. 252.
fagi.
4. 282.
चक्रियः
4. 290.
शक्तिवंतो
4. 305
षड्द
4. 309
पंचाशता०
4. 317. याग्यो दम्भ०
484
Read
खामिनं
समुत्पन्नो
• पार्श्वतः
वेद
• दिनां देव०
सख०
एल०
• वास्ति
गंगाचर०
शौकरैः
० पट०
• खुशिकाः खोकसी०
•न्यानां
o
• यम०
०घौषनस्त०
● निधेः
०गा इत
०वर
० पते
पथा
प्रासाद
महारथः सस्यंदमवरोऽम्भोधौ
• मं
सो ऽपत
चर्षभि
पचिणाचं
चरकाप०
दिशोद०
गच्छन्द्र०
• मरम्
चिन०
निष्कु०
चक्रिये
भक्तिमंतो
षट्तलं
पंचशता०
याम्यदम्भ०
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565