Book Title: Triloksar
Author(s): Manoharlal Shastri
Publisher: Manikyachandra Digambar Jain Granthmala Samiti
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श्रीनेमिचंद्राय नमः। श्रीमन्नेमिचंद्राचार्यविरचितः त्रिलोकसारः।
( टीकासहितः)
श्रीमन्माधवचंद्राचार्यविरचिता संस्कृतटीका। त्रिभुवनचंद्रजिनेंद्रं भक्त्यानत्य त्रिलोकसारस्य । वृत्तिरियं किंचिज्ज्ञप्रबोधनाय प्रकाश्यते विधिना ॥ १॥ जीयादकळंकायस्सूरिर्गुणभूरिरतुलवृषधारी। अनवरतविनतजिनमताविरोधिवादिवजो जगति ॥ २॥ यस्मादखिलबुधानां विस्मयकृदभूत् प्रवृत्तिरिह यस्य । . तच्छासनमपनुदतादनघं घनकुमततिमिरनिवहमतः ॥ ३ ॥ श्रीमदप्रतिहताप्रतिमनिःप्रतिपक्षनिःकरण-निःक्रमकेवलज्ञानतृतीयलोचनावलोकितसकलपदार्थेन संरक्षितामरेंद्रनरेंद्रमुनीन्द्रादिसार्थेन तीर्थकरपुण्यमहिमावष्टंभसंभूतसमवसरणप्रातिहार्यातिशयादिबहिरंगलक्ष्मी विशेषण निर्मूलीकृताष्टादशदोषेण सर्वांगसमालिंगितानंतचतुष्टयादिगुणगणात्मकांतरंगलक्ष्मीप्रकटितपरमात्मप्रभावेण श्रीवर्धमानतीर्थकरपरमदेवेन सर्वभाषास्वभावदिव्यभाषाभाषितार्थ सप्तर्धिसमृद्धगौतमस्वामिना विश्वविद्यापरमेश्वरेण

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