Book Title: Tran Laghu Padya Rachano
Author(s): Samaypragnashreeji
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 6
________________ 62 अनुसन्धान 47 निरमल नीर आसोईयइ, चाहउ चांद्रणी निसि चंद, सरल विकसई पोयणी, राजहंस तरई आनंदि, कामिनी सरिसी करउ क्रीडा, दीपजोति 'झमालि, लील कोजई लाहउ लीजइं, लखिमी पूरण लाल. // 5 // स० कुतिको कातिक मासि मोरउ, पूरवउ प्रभु कोडि, मदन मूरति अवतारिउ, रसिक रितु मोर, योग युगतिइ रमणि तारी, पुहतउ मुनि गुरु पासि, विजय शेखर गाइ वाचक, थूलिभद्र थिर जास. // 6 // स० इति श्री थूलिभद्रनुं चोमासूं संपूर्ण. श्रीनेमगीत If राग- गउडी / / नेम दीजई सुरंगी चूनरी, ओढिगी राजुलि नारि रे, प्रीति ठामि एत हठ क्या कारउ, कंता आई काज मनोहारि रे. // 1 // ने० कारीगरी नखसी बिं दुला, नीकी नवरंगी वणी भाति रे; जरीनउ मुगताफलि जरी, मनमोहन एती खांति रे... // 2 // ने० अपराध विना ति जायइ नहीं, देखउ चित अंतरि सांई रे तरकि भरकि डरीयई नही, कुन सीचसी कामनि कांइ रे... ||3|| ने० - पसूया मि कूडउ दाखीयइ, तजी रोती अबला बाल रे; पुरुषारथ थई एहु नइही भलउ, करउ सार जू नेम दयाल रे... // 4 // ने० बलि जाउंगी कछू छूझवू, मेरे मन एही उछाह रे, योवन-वारी महिकी फली, फूल लागे लेह लाह रे... // 6 // ने० राजा समुद्रविजय के लाडेले, सामलउ ब्रह्मचारी सामि रे, मिले विज( य )शेखर दोकु प्रीतमां, रंग-मुहलि मुगति अभिराम रे...॥७॥ ने इति श्री नेमगीतं // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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