Book Title: The Current Living Tirthankara Shree Simandhar Swami
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 46
________________ श्री सीमंधर स्वामींची आरती जय 'सीमंधर स्वामी, प्रभु तीर्थंकर वर्तमान, महाविदेह क्षेत्रे विचरता, (२) भरत ऋणानुबंध. जय... ‘दादा भगवान' साक्षीए, पहोंचाडुं नमस्कार ( २ ) ... (स्वामी) प्रत्यक्ष फळ पामुं हुं, (२) माध्यम ज्ञान अवतार. जय... पहेली आरती स्वामीनी, ॐ परमेष्टि पामे (२) ... (स्वामी) उदासीन वृत्ति वहे, (२) कारण मोक्ष सेवे. जय... बीजी आरती स्वामीनी, पंच परमेष्टि पामे (२) ...(स्वामी) परमहंस पद पामी, (२) ज्ञान - अज्ञान लणे. त्रीजी आरती स्वामीनी, गणधर पद पामे (२) निराश्रित बंधन छूटे, (२) आश्रित ज्ञानी थये. चोथी आरती स्वामीनी, तीर्थंकर भावि (२) स्वामी सत्ता 'दादा' कने, (२) भरत कल्याण करे. पंचमी आरती स्वामीनी, केवळ मोक्ष लहे (२) परम ज्योति भगवंत 'हुं', (२) अयोगी सिद्धपदे. जय... ... (स्वामी) जय... *** ... (स्वामी) जय... . (स्वामी) जय... एक समय स्वामी खोळे जे, माथुं ढाळी नमशे ( २ )...(स्वामी) अनन्य शरणुं स्वीकारी, (२) मुक्तिपदने वरे. जय... सीमंधर स्वामीना असीम जय जयकार हो

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