Book Title: Thambhan Tirthmal Stavan
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 6
________________ डिसेम्बर २०१० (समवसरण - चौमुख रे.पा.) १२. मुनिसुव्रतस्वामी शकरपुर (२) १. सीमन्धरस्वामी २. चिन्तामणि पार्श्वनाथ राजगढ* (१) १. गोडी पार्श्वनाथ (रे.पा.मां नथी.) थंभणतीरथमालमां उल्लेखायेल कुल जिनालय- ७८ + ६ भोयरा = ८४ रे.पा.मां उल्लेखायेल कुल जिनालय- ७९ + ६ भोयरा = ८५ (उपर दर्शावेल फेरफारो उपरान्त - १. घीयानी पोळ - मनमोहन पार्श्वनाथ, २. कडाकोटडी - मुनिसुव्रतस्वामी ३. मांडवीनी पोळ - महावीरस्वामी - आ ३ उमेरतां अने १. माणेकचोक - महावीरस्वामी २. राजगढ - गोडी पार्श्वनाथ - आ २ बाद करतां) रे.पा.मां आ उपरान्त १६ घरदेरासरनी पण विगत छे. श्री शंखेश्वर-पार्श्वनाथाय नमः ॥ संवत २००९मां खंभातनी यात्रा प्रवर्तक महाराज श्रीकान्तिविजयजीशिष्य चतुरविजयजी-शिष्य पूज्य पुण्यविजयजी महाराज तथा शान्तमूर्ति श्रीहंसविजयजी-शिष्य पन्यास श्रीसंपतविजयजी-शिष्य रमणीकविजयजी तथा मनि जयभद्रविजयजी यात्रा करी ते यादगिरी माटे खंभातनां प्राचीन स्तवनो ने चैत्यपरिपाटीनी ढालो, गुजरात-पाटणना वागोळपाडाना गिरधरभाई हेमचन्दना हस्तलखीत प्राचीन पुस्तक साचवनार अमृतलाल पासेथी मेळवी तेमज पूज्य पुण्यविजयजी महाराज आत्मार्थे गुजरात-पाटणना हस्तलखीत पुस्तकोना भण्डार सुधार्या ते यादगिरी माटे गुजरात-पाटणना वागोळपाडाना जिनगुणगायक (भोजक) मोहन लखेल छे । श्रीस्थंभतीर्थ-तीर्थमाल स्तवन संवत १९०५ ओगणीस पचलोतरे काती सुदी ६ अंचलगच्छना पुण्यसागरना शिष्यनी रचेली छे । - श्री मोहनलाल भोजक ★ अत्यारे 'राळज' तरीके ओळखातुं गाम ज आ राजगढ होई शके.

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