Book Title: Thambhan Tirthmal Stavan
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: ZZ_Anusandhan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३८ अनुसन्धान - ५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - १ अंचलगच्छीय-मुक्तिसागरमुनि - कृत थंभण - तीरथमाल स्तवन सं. मुनि त्रैलोक्यमण्डनविजय वि.सं. २००९मां पूज्य श्रीपुण्यविजयजी, श्रीरमणीकविजयजी, श्रीजयभद्रविजयजी व. साधुभगवन्तोओ खंभातनी यात्रा करी हती. तेनी यादगिरीमां तेओना स्नेही श्रीमोहनलाल भोजके खंभातनां जिनालयोने वर्णवती आ कृतिनुं हस्तप्रत परथी लिप्यन्तर करेलुं हतुं. आ लिप्यन्तर तेओना स्वजन श्रीलक्ष्मणभाई भोजक द्वारा श्रीरसीलाबहेन कडीआने मळ्युं हतुं. जे आटलां वर्षोथी तेओनी पासे ज सचवायेलुं हतुं. प्रस्तुत हेमचन्द्राचार्य-विशेषांक माटे तेओओ आ लिप्यन्तर भूमिका अने जिनालयसूचि साथे मोकल्युं हतुं. आ लिप्यन्तर तो थोडुंक अव्यवस्थित अने घणे ठेकाणे जल्दी उकले नहीं ओवा जूना अक्षरोमां हतुं ज, पण भूमिका अने जिनालयसूचि पण क्षतिपूर्ण हता. तेथी ते सघळं फरीथी लखवानुं थयुं. छतांय श्रीरसीलाबहेन कडीआओ आटलां वर्षो सुधी आ कृति साचवी राखी अने वृद्धावस्था तेमज नादुरस्त तबियत वच्चे पण यथामति सम्पादन करीने मोकली ते तेओनो विद्याप्रेम सूचवे छे. आ कृति आपणा सुधी पहोंची ते बदल आपणे तेओना खरेखर आभारी छीओ. कृतिना कर्ताओ पोते अंचलगच्छीय अने पुण्यसागरसूरिना शिष्य होवानो निर्देश कर्यो छे, पण पोतानुं नाम स्पष्टतः जणाव्यं नथी. छतां घणी ढाळोना अन्ते प्रयोजायेलो 'मुक्ति' शब्द सहेतुक मूकायो होय अम लागे छे. अने तेथी कर्तानुं नाम 'मुक्तिसागर' होय ओम कल्पी शकाय. 'अंचलगच्छ दिग्दर्शन'मां बे पुण्यसागरसूरि थया होवानो उल्लेख मळे छे : ओक १७-१८ सदीमां अने बीजा १९मी सदीमां. कर्ता आमांथी कया पुण्यसागरसूरिना शिष्य छे ते संशोधन मागे छे. अंचलगच्छीय पुण्यसागरसूरि - शिष्य मुक्तिसागरमुनिनी अन्य एक कृति ‘सूतक- चोपाई' ( - रचना सं. १९०६, अनु. ३२ - पृ. २३) मळे छे. ते आ ज मुक्तिसागर होई शके. आ कृति अनुसंधान ३२ अने Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डिसेम्बर २०१० अनुसंधान ५१-सूचिमां पुण्यसागरसूरिना नामे नोंधाई छे. पण वास्तवमां तेओना शिष्य मुक्तिसागरनी छे. कृतिना अन्ते अपायेलो समय आम छे : 'संवत सतर ओगण पचलोतरा वरसे, काती सुद छठे मलाया'. आना परथी त्रण वर्ष तारवी शकाय : वि.सं. १७०५, १७४९ अने १९०५. आम आ रचनानुं खरेखर कयुं वर्ष ते नक्की करवं मुश्केल छे. पण जो ‘सतर' शब्दने वधारानो गणीओ, अने खरेखर वधारानो ज गणवो जोईओ ओम नीचेना कारणसर लागे छे, तो कृतिनी रचना वि.सं. १९०५ मां थई होवानुं नक्की थाय छे. अने कर्ता १९मी सदीमां विद्यमान पुण्यसागरसूरिना शिष्य होवानो निश्चय थाय छे. हवे कया कारणसर 'सतर' शब्दने वधारानो गण्यो ते वात : खंभातनां जिनालयोने ज वर्णवती श्रीमतिसागरनी चैत्यपरिपाटी-रचना सं. १७०१ करतां प्रस्तुति कृतिनुं वर्णन घणुं भिन्न छे. तेथी कृति अनाथी नजीकना समयनी न होय. वळी, कृतिमा उल्लेखायेल प्रजापतिवाडाना महाभद्रस्वामीनुं जिनालय १९मी सदीना रेवाचंद पानाचंदना कागळ (अनु.-८, पृष्ठ ७०, सं. - उपा भुवनचन्द्रजी) अने सं. १९४७ना जयतिहुअणस्तोत्रना ग्रन्थनी प्रस्तावनामां नोंधायेलुं छे. ते पहेलांनी के ते पछीनी कृतिओमां आ जिनालयनो उल्लेख नथी. जे सूचवे छे के आ कृति सं. १९०० आसपास ज रचाई होय. श्रीमोहनभाई पण आने सं. १९०५नी ज गणावे छे. कृतिमां खंभातना कुल २३ विस्तारोनां ८४ जिनालयोनी नोंध छे. जिनालय तेमां स्थपायेला मूळनायकना नामथी ओळखाय अवो सामान्य रिवाज छे. तदनुसार ज कृतिमां जिनालयोनां नाम अपायां छे. लिप्यन्तरमा ढाळ- ६, ७ अने ८नी ओक ओक पंक्ति नथी मळती. बनी शके के मूळप्रतमां ज कदाच आ पंक्तिओ न होय. ओ ज रीते बधे ठेकाणे जिनालयोनां नाम अपायां छे, पण ढाळ-३मां मानकुंवरबाईनी पोळमां त्रण जिनालयोनो उल्लेखमात्र छे, नाम नथी. तेथी सम्भव छे के आ जिनालयोनां नाम वर्णवती अक कडी कदाच छूटी गई होय. खंभातनां जिनालयोने वर्णवती प्राचीन कृतिओमांथी अत्यारे उपलब्ध Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ थती कृतिओ कुल ५ छे : डुंगर श्रावकनी (१६मी सदी), ऋषभदासनी त्रम्बावती-तीर्थमाल (सं. १६७३) (अनु.-८, पृ. ६२, सं. - उपा. भुवनचन्द्रजी), मतिसागरनी चैत्यपरिपाटी (सं. १७०१), पद्मविजयजीनी चैत्यपरिपाटी (सं. १८१७) अने रेवाचंद पानाचंदनुं कागळ (१९मी सदी लगभग). आ साथे तेमां ओकनो उमेरो थाय छे. १९मी सदीना अरसामां खंभातनां जिनालयोनी परिस्थितिनुं चित्र वधु स्पष्ट थाय ते माटे, साथे आपेली जिनालयसूचिमां रेवाचंद पानाचंदना कागळ साथे प्रस्तुत कृतिनी तुलना पण करवामां आवी छे. कागळनी 'रे.पा.' ओवी संज्ञा राखी छे. सम्पादनमा रहेली क्षतिओ प्रत्ये ध्यान दोरवा विद्वानोने नम्र विनन्ति. थंभण-तीरथमालमां प्राप्त थती जिनालयसूचि आलीपाडो (२) १. सुपार्श्वनाथ २. शान्तिनाथ मांडवीपोळ (४) १. विमलनाथ २. आदिनाथ ३. मुनिसुव्रतस्वामी ४. कुंथुनाथ (रे.पा.मां १ नाम वधारे छे - महावीरस्वामी मेडी उपर) कडाकोटडी (२) १. प्रद्मप्रभु २. सुमतिनाथ (रे.पा.मां १ नाम वधारे छे मुनिसुव्रतस्वामी) प्रजापतिवाडो (२) १. महाभद्रस्वामी २. शीतलनाथ (रे.पा.मां 'कुंभारवाडा' तरीके आ विस्तारने ओळखाव्यो छे.) । जिराउलीपोळ (११) १. अरनाथ २. मनमोहन पार्श्वनाथ ३. वासुपूज्यस्वामी ४. अभिनन्दनस्वामी ५. महावीरस्वामी (रे.पा.मां आने भोयरामां बताव्या छे.) ६. जीरावला पार्श्वनाथ ७. नेमिनाथ ८. अमीझरा पार्श्वनाथ ९. शान्तिनाथ १०.चन्द्रप्रभस्वामी ११. नमिनाथ (रे.पा.मां आने भोयरामां बताव्या छे.) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डिसेम्बर २०१० मानकुंवरबाईनी पोळ (३) (नाम नथी आप्यां. रे.पा.मां ३ नाम आ आप्यां छे : १. सम्भवनाथ २. शान्तिनाथ (भोंयरामां) ३. अभिनन्दनस्वामी) ? (१) १. विजयचिन्तामणि पार्श्वनाथ (रे.पा.मां आ विस्तारने 'कीका जिवराजनी पोळ' तरीके ओळखाव्यो छे.) दंतारवाडो (२) १. कुन्थुनाथ २. शान्तिनाथ (रे.पा.मां शान्तिनाथनां बे जिनालय जणाव्यां छे. ज्यारे आ कृतिमां सागोटापाडामां नोंधायेलु शान्तिनाथ-जिनालय रे.पा.मां नथी. बनी शके के दंतारवाडो अने सागोटापाडो पासे-पासे होय. अने तेथी ओक ज जिनालयने ओके दंतारवाडामां अने बीजाओ सागोटापाडामां गणाव्युं होय.) सागोटापोळ (५) १. आदिनाथ २. अमीझरा पार्श्वनाथ ३. चिन्तामणि पार्श्वनाथ ४. स्थंभन पार्श्वनाथ (रे.पा.मां आने भोयरामां बताव्या छे.) ५. शान्तिनाथ (रे.पा.मां आ नाम नथी. जुओ दंतारवाडानी विगत) (रे.पा.मां आ विस्तारने 'सागोटापाडा' तरीके ओळखाव्यो छे.) चोलावाडो (१) १. सुमतिनाथ - चउमुखजी (रे.पा.मां अहीं मेरुपर्वतनी स्थापना होवा, पण जणाव्युं छे.) घीवटी (१) १. महावीरस्वामी – गौतमस्वामी भोयरापाडो (७) १. शान्तिनाथ २. मल्लिनाथ ३. चन्द्रप्रभस्वामी ४. शान्तिनाथ ५. शामळा पार्श्वनाथ (रे.पा.मां आनुं नाम 'असल्ल भावड पार्श्वनाथ' पण आप्युं छे.) ६. शान्तिनाथ (आ नाम रे.पा.मां नथी. जुओ माणेकचोकनी विगत) ७. नेमिनाथ. माणेकचोक (६) १. आदिनाथ २. मनमोहन पार्श्वनाथ (रे.पा.मां आ नाम नथी. पण 'सोमचिन्तामणि पार्श्वनाथ - आदा संघवीनुं देहरुं' ओम लखेलुं मळे छे.) ३. आदिनाथ (भोयरामां) ४. चिन्तामणि पार्श्वनाथ ५. धर्मनाथ ६. महावीरस्वामी Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ (रे.पा.मां आ नाम नथी.) (रे.पा.मां अक नाम वधारे छे : शान्तिनाथ. त्यां आ विस्तारने 'लाडवाडो' कह्यो छे. आ विस्तार अने भोयरापाडो ओकदम पासे छे, तेथी बनी शके के आ कृतिमां भोयरापाडामां उल्लिखित शान्तिनाथ जिनालय ओ ज रे.पा.मां उल्लेखायेलुं लाडवाडा शान्तिनाथ जिनालय होय.) बंभणवाडो (२) १. चन्द्रप्रभस्वामी २. अभिनन्दनस्वामी अलंग (१) १. आदिनाथ मणियारवाडो (१) १. चन्द्रप्रभस्वामी (जुओ चोक्सीपोळनी विगत) चोक्सीपोळ (११) १. विमलनाथ-चौमुखजी २. मोहर पार्श्वनाथ ३. शीतल नाथ ४. चन्द्रप्रभस्वामी ५. चिन्तामणि पार्श्वनाथ ६. सुविधिनाथ ७. शीतलनाथ (६ अने ७ क्रमांकनां नाम रे.पा.मां नथी, पण तेमां मणियारवाडामां आ बे नाम वधु नोंधायेला छे,जे सूचवे छे के मणियारवाडाना आ बे देरासरोने ज आ कृतिमां चोक्सीनी पोळमां नोंधवामां आव्यां छे.) ८. शान्तिनाथ ९.महावीर स्वामी-गौतमस्वामी १०. सुखसागर पार्श्वनाथ ११. जगवल्लभ पार्श्वनाथ (छेल्लां त्रण नाम रे.पा.मां 'महालक्ष्मीनी पोळ' नामना विस्तारमां गणावायां छे.) नालियरपोळ (१) १. वासुपूज्यस्वामी संघवीनी पोळ (२) १. सोमचिन्तामणि पार्श्वनाथ २. विमलनाथ बोरपीपळो (४) १. नवपल्लव पार्श्वनाथ २. गोडी पार्श्वनाथ (भोयरामां) ३. मुनिसुव्रतस्वामी ४. सम्भवनाथ खारवाडो (१२) १. मुनिसुव्रतस्वामी - २४ तीर्थंकर २. मोहर पार्श्वनाथ ३. सहस्रफणा पार्श्वनाथ ४. आदिनाथ ५. स्थंभन पार्श्वनाथ ६. सीमन्धरस्वामी ७. अजितनाथ ८. शान्तिनाथ ९. कंसारी पार्श्वनाथ १०. अनन्तनाथ ११. महावीरस्वामी Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डिसेम्बर २०१० (समवसरण - चौमुख रे.पा.) १२. मुनिसुव्रतस्वामी शकरपुर (२) १. सीमन्धरस्वामी २. चिन्तामणि पार्श्वनाथ राजगढ* (१) १. गोडी पार्श्वनाथ (रे.पा.मां नथी.) थंभणतीरथमालमां उल्लेखायेल कुल जिनालय- ७८ + ६ भोयरा = ८४ रे.पा.मां उल्लेखायेल कुल जिनालय- ७९ + ६ भोयरा = ८५ (उपर दर्शावेल फेरफारो उपरान्त - १. घीयानी पोळ - मनमोहन पार्श्वनाथ, २. कडाकोटडी - मुनिसुव्रतस्वामी ३. मांडवीनी पोळ - महावीरस्वामी - आ ३ उमेरतां अने १. माणेकचोक - महावीरस्वामी २. राजगढ - गोडी पार्श्वनाथ - आ २ बाद करतां) रे.पा.मां आ उपरान्त १६ घरदेरासरनी पण विगत छे. श्री शंखेश्वर-पार्श्वनाथाय नमः ॥ संवत २००९मां खंभातनी यात्रा प्रवर्तक महाराज श्रीकान्तिविजयजीशिष्य चतुरविजयजी-शिष्य पूज्य पुण्यविजयजी महाराज तथा शान्तमूर्ति श्रीहंसविजयजी-शिष्य पन्यास श्रीसंपतविजयजी-शिष्य रमणीकविजयजी तथा मनि जयभद्रविजयजी यात्रा करी ते यादगिरी माटे खंभातनां प्राचीन स्तवनो ने चैत्यपरिपाटीनी ढालो, गुजरात-पाटणना वागोळपाडाना गिरधरभाई हेमचन्दना हस्तलखीत प्राचीन पुस्तक साचवनार अमृतलाल पासेथी मेळवी तेमज पूज्य पुण्यविजयजी महाराज आत्मार्थे गुजरात-पाटणना हस्तलखीत पुस्तकोना भण्डार सुधार्या ते यादगिरी माटे गुजरात-पाटणना वागोळपाडाना जिनगुणगायक (भोजक) मोहन लखेल छे । श्रीस्थंभतीर्थ-तीर्थमाल स्तवन संवत १९०५ ओगणीस पचलोतरे काती सुदी ६ अंचलगच्छना पुण्यसागरना शिष्यनी रचेली छे । - श्री मोहनलाल भोजक ★ अत्यारे 'राळज' तरीके ओळखातुं गाम ज आ राजगढ होई शके. Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ थंभण-तीरथमाल स्तवन दूहा श्रीसारदा वरदायनी, प्रणमु श्रीगुरुपाय । स्तवना करु बहु युगतीसुं, मुज मुख वसजो माय ॥१॥ चोवीसे जिन प्रणमीओ, पांमे पंचम ज्ञान । उत्तम तीर्थ गावतां, लहीओ अधिकु मान ॥२॥ ढाल -१ अभिनन्दन जिनराजीया ओ देशी श्रीजिनराज सोहामणा, गुण भरीया रे ।। तरीया भवोदधिपार, सकल गुण भरीया रे । आवो देव जुहारवा । गु० । परमातम सुखकार । स० ॥१॥ आलीपाडे वांदीओ । गु० । कीजे जन्म पवित्र । स० । सुपास' जिनेश्वर सातमा । गु० । बीजा शान्ति कृपाल । स० ॥२॥ मांडवीपोळमां निरखतां । गु० । चार प्रभुप्रासाद । स० । विमळ जिणेसर शोभता । गु० । बीजो आदीश्वर प्रासाद । स० ॥३॥ मुनिसुव्रतजिन साहिबा । गु० । सत्तरमा कुंथुनाथ । स० । ओ चारे शिवपद सेहरा । गु० । दीपे जैम कैलास । स० ॥४॥ हवे आगळ प्रभु वंदीओ । गु० । कडाकोटडी बे प्रासाद । स० । छठ्ठा पद्मप्रभु देखतां । गु० । पांचमा सुमति दयाल । स० ॥५॥ चरण तुमारा फरसतां । गु० । सकल टले जंजाल । स० । मुक्तिना सुखने पामसे । गु० । वली लहेस्ये मंगलमाल । स० ॥६।। ढाल-२ हवे जाउ मही वेचवा रे लाल ओ देशी श्री जिनराजने वंदतां रे लाल आतम करी उजमाल, __मारा वालाजी रे ध्यान धरो भगवन्तनुं रे लाल । प्रजापतिवाडे पेखतां रे लाल देहरां दोय निहाल । मा० ॥ १ ॥ दशमा श्री शीतलनाथजी' रे लाल साचो शिवपुर साथ । मा० । महाभद्र अढारमा रे लाल वीसीमांहेला जिनराज । मा० ॥२॥ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डिसेम्बर २०१० हवे वली जिनराजने रे लाल चालि सेवो महाराज । मा० । अकादश प्रासाद छे रे लाल जिराउलीपोळ कहेवाय । मा० ॥३॥ अढारमा' जिन सोहामणा रे लाल वली मनमोहन पास' । मा० । त्रिभुवनपती जिन बारमो रे लाल जे त्रोडे भवपास । मा० ||४|| अभीनन्दन चोथा नमुं रे लाल वीरे५ कर्या कर्म अन्त । मा० । जीराउला प्रभु पार्श्वने रे लाल वांदी लहो शिवसन्त । मा० ॥५॥ बावीसमा प्रभु नेमजी' रे लाल अमीझरानी' करु सेव । मा० । सोलमा श्रीशान्तिनाथजी रे लाल आठमा चन्द्रप्रभु देव । मा० ||६|| आवो देव जुहारवा रे लाल नमिप्रभु ११ णकरंड (?) । मा० । अकादश देहरातणा रे लाल गुण गाये मुक्ति उछरंग | मा० ||७|| १० ढाल - ३ चालो सखी प्रभुमंदिर जईओ से देशी चालो सखी प्रभु पुजन जईओ, प्रभु मुख देखी पावन थईओ, गुण केता प्रभुना कही । चा० ||१|| मानकुंवरबाईनी पोळ ज मांहे, त्रण प्रासाद छे ते मांहे, गुणी गुण गाओ उछांहे । चा० ॥२॥ विजयचिन्तामणि श्रीपास', प्रभु पुरे वंछित आस, मोह जाओ दुरे नास | चा० ||३|| हवे दंतारवाडामां जाणुं, सत्तरमा प्रभु वखाणुं, संती सेवी लहो पद नाण । चा० ॥४॥ सागोटापोल ज मांहे, पांच प्रासाद छे ताहे, गुण गाउ राग ज मांहे | चा०||५|| आदीसर' निरखो प्राणी, अमीझरों दे शिवराणी, चिन्तामणि प्रभु गुणखाणी । चा० ||६|| थंभण प्रभु पारसनाथ, शान्तिनाथ शिवसाथ, परमपद लहे नाथ । चा० ॥७॥ ढाल - ४ त्रिभुवनपति जिन वंदीओ ओ देशी चोलावाडे वांदीओ, विसरामी रे । पांचमा सुमतिनाथ', नमु शिर नामी रे । ४५ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ अनुसन्धान-५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग-१ चोमुख जिन प्रणमी करी । वि० । घीवटीमां देहरो निहाल । न० ॥१॥ महावीरस्वामी' चोवीसमा । वि० । कर्मसुभट हणनार । न० । गौतम सरिखा गणधरु । वि० । नमी पामुं भव पार । न० ॥२॥ भोयरापाडे देहरां सात छे । वि० । सोलमा शान्तिनाथ' । न० । मल्लिनाथरे ओगणीसमा । वि० । चन्द्रप्रभु३ शान्तिनाथ । न० ॥३॥ शांमला पारस' जोयतां । वि० । शान्तिनाथ नेमिजिणंद । न० । माणेकचोकमां देहरां । वि० । तुमे वांदो मनरंग । न० ॥४|| मरुदेवीनन्दन' मनोहरु । वि० । मनमोहन प्रभु पास । न० । युगलाधर्म निवारणो । वि० । ऋषभजीरे पुरे आश । न० ॥५॥ वली भुयरामांहे जुवो । वि० । श्रीचिन्तामणि पास । न० । धरमनाथें जिन वीरजी । वि० । हवे बंभणवाडो जोय । न० ॥६॥ छ(?) देहरां मांहे अछे । वि० । चन्द्रप्रभु' अभिनन्दन देव । न० । अलंगमां देरु ओक छ । वि० । ऋषभनी करो संत सेव । न० ॥७॥ मणियारवाडे आगळ जुओ । वि० । चन्द्रप्रभु' महाराज । न० । मुक्तिना पदनी याचना । वि० । याचे छे महाराज ॥ न० ॥८॥ ढाल-५ अविनाशीनी सेजडीओ रंग लाग्यो छे ओ देशी चोक्सीपोले चालो प्रितम विमल' प्रभुने जुहारो जी रे । चोमुख देखी अति आणंदुं प्रभु जोई चित्त धारु । गुणीजन वंदो जी रे वंदी लहो आणंद ॥१॥ मोहर पास प्रभु जगधणी ने दशमा शीतलनाथ जी रे । आठमा चन्द्रप्रभु उजववा ने वली चिन्तामणि' नाथ । गु० ॥२॥ नवमा सुवधी जिणेसर सामी श्रेयांस नमु सिर नामी जी रे । शान्तिनाथ प्रभु सोलमा ने वीर प्रभु अन्तरयामी । गु० ॥३॥ गौतमस्वामी गुण वीसरामी सुखसागर'० शिवगामी जी रे । जगवल्लभ११ जगनायक स्वामी सकल जंतु वीसरामी । गु० ॥४॥ नालियरपोळमां वंदो प्राणी जिनघर ओक सुख प्राणी जी रे । वासुपूज्य' जिन वासव पूजे, जगमां उत्तम नाणी । गु० ॥५॥ Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डिसेम्बर २०१० ४७ संघवीनी पोळे संचरजो प्रितम सर्वे गुणना दरीया जी रे । सोमचिन्तामणि विमलनाथ मुक्ति परम सुख वरीया । गु० ॥६॥ ढाल-६ मुखने मरकलडे ओ देशी बोरपीपले हवे गुण खाणी जी, जिनवर जयकारी । तुमे चालो उत्तम प्राणी जी, जिनवर जयकारी । तिहां नवपल्लव पास जी । जि० । पुरे मनवंछीत आस जी । जि० ॥१॥ भुयरामां गोडीजी चंदो जी। जि० । वीसमा जिन देखी आणंदो जी । जि० । शंभवनाथ त्रीजा सामी जी। जि० । हवे खारवाडे अंतर पामी जी । जि० ॥२॥ ...... । तिहां चोवीसे जिनचंदा जी । जि० । सेव्याथी लहो सुखकंदा जी। जि० ॥३॥ मूलनायक सुव्रत जाणो जी । जि० । पुजे सुरलोकनो राणो जी । जि० । छखंड त्रणखंडना भुप जी । जि० । ते सेवे प्रभुने अनुप जी । जि० ॥४॥ सरवे कारज तेहनां सरसे जी । जि० । वली मुक्ति कमला वरसे जी । जि० । यात्रा करी लाभ ते लेसे जी । जि० । गुणवन्त प्रभुने नमसे जी । जि० ॥५॥ ढाल-७ मुने संभवजिनसुं प्रित ओ देशी मोहर पास महाराज चरणे लागु रे ।। सहसफणा जिनराज ओ वर मागु रे ॥१॥ आदीश्वर भगवान नमी गुण गाउ रे । थंभण पारसनाथ युक्ते जोउ रे ॥२॥ श्रीमंधर जिनराज अन्तरयामी रे । अजितनाथ शिवसाथ नमु शिर नामी रे ॥३॥ शोलमा शान्ति दयाल मुजने मलीया रे । कंसारी पारसनाथ प्रभु अटकलीया रे ॥४॥ अनन्त१० जिणेसर देव शचीपति सेवे रे । चोवीसमा जिन वीर११ मुक्तिसुख देवे रे ॥५॥ मुनिसुव्रत१२ महाराज कर्म निकंदे रे । शकरपुरमां दोय जिनधर आणंदे रे ॥६॥ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४८ अनुसन्धान - ५३ श्रीहेमचन्द्राचार्यविशेषांक भाग - १ श्रीमंधर भगवान वान वधारे रे । चिन्तामणि' पारसनाथ काज सुधारे रे ॥७॥ राजगढां गोडी देव' यात्रा करजो रे । अ थंभणतीरथमाल युगते सुणजो रे ||८|| T अनोपम मंगलमाल लेस्ये प्राणी रे ॥ ९ ॥ ढाल -८ बिंदलीनी देशी चोवीसे जिनराया, कांइ अधिके तेज सोहाया रे, सुगुणनर ! यात्रा करजो सारी । मुज मंदीर आवो, कांइ हृदयकमल दिपावो रे । सु०॥१॥ धन धन जिनगुण गाया, मे तो लाभ अनन्त उपाया रे । सु० । गुणवन्त प्रभुना गुण गासे, तस समकीत निरमल थासे रे । सु० ॥२॥ चोवीसे जिननी माता, तस प्रणमी लहु सुख शाता हो । सु० । अ रत्नगर्भा जिनमाता, अहवुं इन्द्रे कह्युं विख्याता हो । सु० ||३|| छपन्न दिसिकुमरी आवे, निज करणी करी घर जावे रे । सु० । चोसठ इन्द्र ते आवे, प्रभु मेरु शृंगे लावे रे | ० ||४|| करी ओच्छव प्रभु गुण गावे, प्रभुने नमी सुख पावे रे । सु० । ॥५॥ ढाल - ९ तुठो तुठो मुज वामाको नन्दन तुठो ओ देशी गाया गाया रे परमातम जिनगुण गाया, आतमरामी शिवगती गामी, वांमी मीथात्व कलेस । राग द्वेष दोय वैरी मरोडी, ओ सुगुरु उपदेश रे । पर० ॥१॥ खंभात शहेरनी यात्रा सारी, भावे करो नरनारी । सुद्ध देव सुगुरुनी सेवा, सुद्ध धरम सुखकारी रे । पर० ॥२॥ ओ तीरथमाला भणसे गणसे, तस घर कोडी कल्याण । रूद्धि वृद्धि सुखसम्पदा दिनदिन, लहेशे परमपद नांण रे । पर० ॥३॥ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डिसेम्बर 2010 49 श्रीअचलगच्छे दिनदिन दीपे, पुण्यसागर सूरीराया / तेह गुरुना सुपसाय लहीने, थंभण तीरथ गाया रे / पर० // 4 // संवत सतर(?) ओगणपचलोतरा वरसे, काती सुद छठे मलाया / उज्वलपक्षे श्रीबुधवारे, ओ अभ्यास बनाया रे / पर० // 5 // चोवीह संघतणा दिल हरख्या, सांभली तीरथमाला / श्रवणे सुणी सुख सम्पदा लेसे, मुक्ति झाकझमाला रे / पर० // 6 // कळश इम तीर्थस्वामी तीर्थस्वामी गाईया में हर्षे करी, गुणलाभ जाणी हिये आणी प्रभुनामनी स्तवना करी / नरनारी गास्ये अधिक उल्लासे भावभक्ति मन थिर करी, जिननाम भावे सुणो नाम मंगलीक जय वरी // 1 // // इति थंभणतीरथमाल // टाइटल 1 श्रीगिरनार तीर्थमां पर्वत उपर श्रीनेमिनाथ भगवानना मुख्य जिनालयना रंगमण्डपमां भगवाननी सामेनी भींत उपर एक गोखमां विराजमान आ पुरातन गुरुमूर्ति छे, जे त्यां "हेमचन्द्राचार्य" तरीके ओळखाय छे. आ मूर्ति जूना पहाडी-पत्थरमांथी घडाई होय अने ते पर ऊडझूड लेप करायो होय तेवू लागे. टाइटल 4 हेमचन्द्राचार्यना गोखनी बाजुना ज गोखमां विराजित आ प्रतिमा 'कुमारपाळ राजा'नी छे एम त्यां प्रसिद्धि छे. आ प्रतिमा पण पहाडी पत्थरनी ज घडेली छे अने लेपथी विकृत थयेल छे. बन्ने शिल्पो घणां पुराणां होवानी सम्भावना छे.