Book Title: Teja loka git ka Ek Naya Rupatanr Author(s): Narottamdas Swami Publisher: Z_Agarchand_Nahta_Abhinandan_Granth_Part_2_012043.pdf View full book textPage 3
________________ कुण तनै चाळा चाळ्या कंवर तेजाजी ! कुण तो चुड़लाळी मोसो बोलियो ! साथीड़ां चाळा चाळ्या अ जरणी माता ! भावज चुड़लाळी मोसो बोलियो साथीड़ा-री रांड मरो रे कंवर तेजाजी ! भावज रहजो ओ जुग में बांझड़ी साथीड़ां-री वेल वधो अ जरणी माता ! भावज तो फळजो कड़व नींब ज्यूं ४१ हंसकर हुकम दो जरणी माता ! तेजोजी उदमादियो जासी सासर घड़ी दो जे करो कंवर तेजाजी ! मोरतियो कढावां सस्वरै वार- रो घर जोसी-रै जावो अ भूवा तेजा-री !" वांचो वेद-पुराण बेटा जोसी का ! कांई सुगनां नै जासी तेजोजी सासरै वांचां वेद-पुराण भूवा तेजा-री ! म्हारे तो सुगनां में तेजाजी री देवळी वांसां खाल फोड़ाऊँ बेटा जोसी-का ! ऊंचो टेराऊं हरिये नींब-₹ हिंदू धरम हटो कंवर तेजाजो ! थारो बाबल देतो गायां दूझती गायां म्हारै गोर भरी बेटा जोसी का ! सखरी तो ले जा धो ली दूझती वांचां वेद-पुराण कंवर तेजाजी ! म्हारै सुगनां में जासी सासर Aari करो वाव कंबर तेजाजी ! बाबल-री छतड़यां बांधो मोळियो पग देर बार आवो भावज म्हारी ! किसोयक बागो देवर लाडलो कठै करो वणाव देवर म्हारा ! कुणां-रे छतड्यां में बांधो मोळियो बागां में वणाव करां ओ भावज म्हारी । बाबल री छतड्यां में बांधो मोळियो सूका बागां करो रे वणाव कंवर तेजाजी ! मुड़दां-री छतड़यां बांधी मोळियो घोड़े पर झाटक जीण कसे रे छोरा चाकर-का ! सखरो पिलाण रेवत पागड़ो कठै पड़यो पिलाण कंवर तेजाजी ! कठै पड्यो लीलै-रो ताजणो ? पड़व पड्यो पिलाण छोरा चाकर का ! खूंटै पड्यो लीलै-रो ताजणो घोड़ो जीण नहीं झेलै रे कंवर तेजाजी ! आंसूड़ा नाखे कायर मोर ज्यूं अणतोलो घी दीनो तन लीला रेवत ! कारज - री बेळा माथो धूणियो लीला - धीरज देवो छोरा चाकर का ! आंसूड़ा पूंछो हरियै रूमाल-सूं घोड़े जीण मांडो रे कंवर तेजाजी ! सखरो पिलाण रेवत पाणड़ो हंसकर हुकम देवो जरणी माता ! तेजोजी उदमादियो चाल्यो सासर २ ] सड़वड़ चाल चालो रे लीला रेवत ! दिन तो उगायो माळीजी-रै बाग-में खोलो भचड़ किंवाड़ बेटा माळी -का ! बारै तो ऊभो कंवर लाडलो ताळा सजड़ जड़या लीलै घोड़े आळा ! कूंची तो ले गयी गढ-री गूजरी सायब को नांव बेटा माळी -का ! सायब के नांव -लै ताळा खुल पड़े कठै वास वसै लीलै घोड़े आळा ! किसै राजा-री चालो चाकरी ? खड़नाल म्हांरो वास वसै बेटा माळी का ! रायमल मूंता - रै सिगरथ पावणा Jain Education International For Private & Personal Use Only विविध: ३२१ www.jainelibrary.orgPage Navigation
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