Book Title: Teja loka git ka Ek Naya Rupatanr
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Z_Agarchand_Nahta_Abhinandan_Granth_Part_2_012043.pdf
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'तेजा'लोकगीतका एक नया रूपान्तर श्री नरोत्तमदास स्वामी पीठपति, राजस्थानी ज्ञानपीठ, बीकानेर तेजाजी राजस्थानके एक बहुत प्रसिद्ध लोक-देवता हैं। वे जातिके जाट थे और नागोर परगनेके कसबे परबतसरके पास स्थित खरनाल गाँवके निवासी थे। उनका विवाह किशनगढ़के पास स्थित पनेर गांवमें हुआ था। उनकी पत्नीका नाम बोदल बताया जाता है (गीतोंमें कहीं पेमल और कहीं सुन्दर बताया गया है)। जब वे अपनी पत्नीको लाने पनेर गये हुए थे तब वहाँकी लांछा गूजरीकी गायोंको धाड़वी मीणे घेर कर ले गये । लांछाकी पुकारपर तेजाजी उन्हें छुड़ानेके लिए 'वार' चढ़े । गायोंको छुड़ाने में उन्हें प्राणान्तक घाव लगे और वे स्वर्गवासी हए । यह घटना भादवा सुदी १० के दिन हई। तभी से तेजाजी देवताके रूपमें पूजे जाने लगे । राजस्थानमें स्थान-स्थानपर उनकी 'देवलियां' पायी जाती है। तेजाजीका सम्बन्ध नागोंसे भी है, साँपके काटे हुए को तेजाजीकी 'हाँती' बाँधते हैं जिससे जहर नहीं चढ़ता । तेजाजीका गीत, जिसे तेजो' कहते हैं, बहुत प्रसिद्ध और कृषक जनतामें बहुत लोकप्रिय है। बहुत लोकप्रिय होनेके कारण उसके अनेक रूपान्तर बन गये हैं । हिन्दी और राजस्थानीके सुप्रसिद्ध अन्वेषक श्री अगरचन्द नाहटाने पिलाणीके गणपति स्वामीद्वारा संगृहीत और अनुवादित रूपान्तरको मरुभारतीके प्रथम भागके द्वितीय अंकमें प्रकाशित करवाया था । एक दूसरा रूपान्तर किशनगढ़के पं० वंशीधर शर्मा बुक्सेलरने 'वीर कुंवर तेजाजी' नामक पुस्तकमें दूसरे खंडके रूपमें प्रकाशित किया था। श्री नाहटाजीने 'मरुभारती के पाँचवें भागके प्रथम अंकमें श्री भास्कर रामचन्द्र भालेरावका एक लेख प्रकाशित कराया था जिसमें हाड़ौली में प्रचलित तेजा विषयक एक गीतके अंश दिये गये हैं । नाहटाजीने राजस्थान भारतीके पाँचवें भागके दूसरे अंकमें तेजाजीके सम्बन्धमें एक लेख लिखा जिसमें प्रस्तुत लेखकके गीत-संग्रहके तीन अपूर्ण गीतों को भी प्रकाशित कराया। तेजाजीसे सम्बन्धित एक अन्य गीत अजमेरके श्रीताराचन्द ओझा द्वारा प्रकाशित 'मारवाड़ी स्त्री-गीत संग्रह' में छपा है जो घटनात्मक नहीं है। तेजाजीसे सम्बन्धित लोक-गाथायें भी जनतामें प्रचलित हैं। हाडौतीमें प्रचलित लोकगाथाको डॉ० कन्हैयालाल शर्माने प्रकाशित करवाया है। एक दूसरी लोकगाथाका प्रकाशन डॉ० महेन्द्र भानावतने लोककलाके अंक १७में किया है। प्रस्तुत लेखकके संग्रहागारमें लोकगीतोंका विशाल संग्रह है जो अनेक सत्रोंसे प्राप्त हुआ है । इस संग्रहको सँभालते समय अभी पीले कागजकी एक कापीमें पेन्सिलसे लिखा हआ तेजा गीतका रूपान्तर उपलब्ध हुआ । यह कापी लेखकको कोई पैंतीस-छत्तीस वर्ष पूर्व प्राप्त हई थी। उपलब्ध रूपान्तर गणपति स्वामीद्वारा संगृहीत रूपान्तरसे पर्याप्त भिन्नता रखता है । भाषाभेद भी है और कथाभेद भी। पं० वंशीधर शर्मा द्वारा प्रकाशित रूपान्तरके साथ इसका किसी अंशमें साम्य है। वंशीधर शर्मावाले रूपान्तरमें कुछ घटनायें लोकगाथावाली कथा की मिल गयी है जो इस रूपान्तरमें नहीं हैं । इस रूपान्तरका अंतका अंश खंडित है। यह रूपान्तर आगे दिया जाता है । विविध : ३१९ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट २ तेजो गीत का रूपांतर [१] गाज्यो गाज्यो जेठ-असाढ कंवर तेजाजी लगतो ही वूठो सावण-भादवो धरती-रो मांडण मेव कंवर तेजाजी आभै-री मांडण चमकै वीजळी छतरो-रो मांडण छाजो कंब र तेजाजी कूर्व रो मांडण मरतो केवड़ो ... गोरी-रो मांडण परण्यो सायबो सूतो सुख भर नींद कंवर तेजाजी ! थारा साथीड़ा वीजै कांकड़ बाजरो झूठी झूठ मत बोल मे जरणी माता ! म्हारा साथीड़ा हीडै रंग-रै पालणै झूठी बोलूं तो राम दुवाई कंवर तेजाजी ! थारा साथीड़ा वीज कांकड़ बाजरो कूण भातो भरै ओ जरणी माता ! कुण व ला बैलां-री नीरणी ? भावज भात भरै रे कंवर तेजाजी ! बैनड़ लाव बैला-री नीरणी कठै भात उतारूं कंवर तेजाजी ! कठै उतारूं बैलां-री नीरणी ? खेजड़ हेठे भात उतारो भावज म्हारी ! धौरै तो उतारो बैलां-री नीरणी भातो मोड़ो लायी ए भावज म्हारी ! दूजां-रो दोपारो तेजाजी-रो जीमणो घरै म्हारै काम घणो रे नानड़िया देवर ! भैंसा-री दुवारी दिन ऊगियो इसड़ो कांई भूखो रे ल्होड़िया देवर ! इसड़ो भूखाळू है तो लाव नी घर-री गोरड़ी कुण म्हारी सगाई करी भावज म्हारी ! कुण परणायो पीळा पोतड़ां वावल थारी करी सगाई रे कंवर तेजाजी! मामां तो परणायो पीळा पोतड़ां आ लै थारी रास-पिराणी भावज म्हारी ! खोज्यो तो खळकायो आडा ऊमरां भोजन तो जीम पधारो ल्होड़िया देवर ! भूखा तो गयां तो धोखा मारसी भोजन तो थारो माफ राखो भाव ज म्हारी ! तेजोजी उदमादियो चाल्यो सासरै खोलो ए भचड़-किंवाड़ जरणी माता ! बारै ऊभो कंवर लाडलो दोपारां घरै क्यू आयो रे कंवर तेजाजी !........." कांई थारै हळ-री हाल टूटी कंवर तेजाजी ! कांई टूटी थारै नाडी बाधली नहीं टूटी हळ-री हाळ जरणी माता ! नहीं तो टूटी नाडी बाधलो ........................''जरणी माता ! तेजो जासी उदमादियो सासरै ३२० : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन-ग्रन्थ Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुण तनै चाळा चाळ्या कंवर तेजाजी ! कुण तो चुड़लाळी मोसो बोलियो ! साथीड़ां चाळा चाळ्या अ जरणी माता ! भावज चुड़लाळी मोसो बोलियो साथीड़ा-री रांड मरो रे कंवर तेजाजी ! भावज रहजो ओ जुग में बांझड़ी साथीड़ां-री वेल वधो अ जरणी माता ! भावज तो फळजो कड़व नींब ज्यूं ४१ हंसकर हुकम दो जरणी माता ! तेजोजी उदमादियो जासी सासर घड़ी दो जे करो कंवर तेजाजी ! मोरतियो कढावां सस्वरै वार- रो घर जोसी-रै जावो अ भूवा तेजा-री !" वांचो वेद-पुराण बेटा जोसी का ! कांई सुगनां नै जासी तेजोजी सासरै वांचां वेद-पुराण भूवा तेजा-री ! म्हारे तो सुगनां में तेजाजी री देवळी वांसां खाल फोड़ाऊँ बेटा जोसी-का ! ऊंचो टेराऊं हरिये नींब-₹ हिंदू धरम हटो कंवर तेजाजो ! थारो बाबल देतो गायां दूझती गायां म्हारै गोर भरी बेटा जोसी का ! सखरी तो ले जा धो ली दूझती वांचां वेद-पुराण कंवर तेजाजी ! म्हारै सुगनां में जासी सासर Aari करो वाव कंबर तेजाजी ! बाबल-री छतड़यां बांधो मोळियो पग देर बार आवो भावज म्हारी ! किसोयक बागो देवर लाडलो कठै करो वणाव देवर म्हारा ! कुणां-रे छतड्यां में बांधो मोळियो बागां में वणाव करां ओ भावज म्हारी । बाबल री छतड्यां में बांधो मोळियो सूका बागां करो रे वणाव कंवर तेजाजी ! मुड़दां-री छतड़यां बांधी मोळियो घोड़े पर झाटक जीण कसे रे छोरा चाकर-का ! सखरो पिलाण रेवत पागड़ो कठै पड़यो पिलाण कंवर तेजाजी ! कठै पड्यो लीलै-रो ताजणो ? पड़व पड्यो पिलाण छोरा चाकर का ! खूंटै पड्यो लीलै-रो ताजणो घोड़ो जीण नहीं झेलै रे कंवर तेजाजी ! आंसूड़ा नाखे कायर मोर ज्यूं अणतोलो घी दीनो तन लीला रेवत ! कारज - री बेळा माथो धूणियो लीला - धीरज देवो छोरा चाकर का ! आंसूड़ा पूंछो हरियै रूमाल-सूं घोड़े जीण मांडो रे कंवर तेजाजी ! सखरो पिलाण रेवत पाणड़ो हंसकर हुकम देवो जरणी माता ! तेजोजी उदमादियो चाल्यो सासर २ ] सड़वड़ चाल चालो रे लीला रेवत ! दिन तो उगायो माळीजी-रै बाग-में खोलो भचड़ किंवाड़ बेटा माळी -का ! बारै तो ऊभो कंवर लाडलो ताळा सजड़ जड़या लीलै घोड़े आळा ! कूंची तो ले गयी गढ-री गूजरी सायब को नांव बेटा माळी -का ! सायब के नांव -लै ताळा खुल पड़े कठै वास वसै लीलै घोड़े आळा ! किसै राजा-री चालो चाकरी ? खड़नाल म्हांरो वास वसै बेटा माळी का ! रायमल मूंता - रै सिगरथ पावणा विविध: ३२१ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करियो गजब इन्याय कंवर तेजाजी ! ताळा तो तोड़या बीजळसार-रा घोड़े ने ठाण बंधावो कंवर तेजाजी !" घोड़े - घास नीरावो कंवर तेजाजी ! करले - ने नीरावो नागर-वेलड़ी खड़नाळे घास घणो रे बेटा माळी-का ! वेलड़ी वन छाया नागाणे - रै गोरव पोतो ला रे छोरा चाकर का ! अमल-री मनवारां तेजाजी -रे साथ-री अमला में तो पूर छकिया बेटा माळी-का । अमला - रा छकिया जासां सासरे तूं छै भरम-रो वीर बेटा माळी-का ! मारगियो बता दे सहर पनेर- रो डूंगर व कंवर तेजाजी ! जीवणी जाव सहर पनेर-नै गोठां जीम पधारो कंवर तेजाजी ! ari - बाग-बगीचा बेटा माळी का ! कुणां-रा कहीजै कूवा वावड़ी ? राजाजी-रा बाग-बगीचा कंवर तेजाजी ! रायमल-मूतै-रा कूवा वावड़ी काय- बाग लगावो बेटा माळी -का ! काय सूं खोदावो कूवा वावडी ? ह-सूं बाग लगावां रे कंवर तेजाजी ! हाथां सूं लगावां मरवो - केवडो काय - बाग सिंचाव बेटा माळी -का ! काय-सू सिचावो मरवा - केवड़ो ? दूध बाग सिंचा कंवर तेजाजी ! दहियां सिचायो मरवा के वड़ो - बाग निना बेटा माळी-का ! काय-सू निनाणो मरवो- केवड़ो ? खुरपां बाग निनाणां कंवर तेजाजी ! नख-सूं निनाणां मरवो वड़ो बागां में कांई रसाल रे बेटा माळी -का !... बागां-में दाड़म-दाख कंवर तेजाजी ! धोळा फूळां मरवो-केवड़ो for गळ फूल-माळा रे बेटा माळी -का ! कुणां-रे पेचां मरो - केवड़ो ? राजा - रै गळ फूल-माळा कंवर तेजाजी ! रायमल मूता - सिर-रो सेवरो तन सोन-री मुरकी रे बेटा माळी का ! थारी माळण-नं पैराऊं बांको वालो तने पंचरंग पाघ रे बेटा माळी का ! थारी माळण नै ओढाऊं बो-रंग चूनड़ी [ ३ ] खड़िया धमल पुराना कंवर तेजाजी ! दिनड़ो तो उगायो सहर पनेर-में घोड़ होंस करी रे कंवर तेजाजी पणिहारयां चमकी सहर पनेर-री चळू दोय पाणी पावो" कठै वास वसै रै लीलै घोड़े आळा ! किसे राजा-री चालो चाकरी ? खड़नाल वास वसै " रायमल मूंता - रे सिगरथ पावणा पानीड़ों कांई मांगोरे ल्होड़ा बैनोई ! झारी तो भर लाऊं काचं दूध-री देवा लाख बधाई भोळी नणदल । पातळियो नणदोई बागां ऊतरथो झूठी झूठ बोल ए भावज महारी ! म्हारो तो परण्योड़ो नागाणं देस में झूठ बोलूं तो रामदुहाई भोळी नणदल ! पातळियो नणदोई बागां ऊतरथो ३२२ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन ग्रन्थ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बुगचो हाजर ला ओ छोरी नायां की ! गहणो तो पहरो रतन - जड़ाव - रो नानी मढां सीस गुंथावो भोळी नणदल ! चोटी घालो वासग - नाग ज्यूं सींपां भर सुरमो सारो भोळी नणदल ! टीकी देवो लाल सिंदूर- री पहरो हांस गळा - में भोळी नणदल ! ऊपर तो पहरो वांको वालो साड़ी - सळ घालो ओ भोळी नणदल ! काले रेसम -री पैरो कांचळी लूम लूमाळा कसणा बांधो ए भोळी नणदल ! गोरोड़े पंचां पर गजरो गैंद-रो ari - ढोणी करू ए भावज म्हारी ! क्यां-रो तो करू जल-रो बेवड़ो ? मोत्यां- करो ईंढोणी अ नणदल म्हारी ! रूपै-रो तो करो ओ जल-रो बेवड़ो चालो पाणी तलाव अ नणदल म्हारी ! निजरां रो मेळो परण्यो सायबो झूठी जोर बोले ओ भोळी भावज ! म्हारो तो परण्योड़ो नागाणै देस में झूठी बोलू तो रामदुहाई भोळी नणदल ! म्हारो तो नणदोई थारो सायबो ले लो साथ सहेली भोळी नणदल ! परण्यै-री करो पिछाणा भोळी नणदल ! कांई तो सैनाणी परण्यो सायबो ? भंवर परा वल घणो भोळी भावज ! वांकड़ली मूछाको परण्यो सायबो परणी-री पिछाण करो ल्होड़िया बैनोई ! कांई तो सैनाणी तेजाजी - री गोरड़ी सगळां में सुघड़ घणी "सहंस किरणां में तो सूरज ऊगियो [ ४ ] साला न जाय जुहारया कंवर तेजाजी साला नै जुंहारथा चौपड़ खेलता मानो राम- जुहारा साळां म्हारां ! मुजरो तो मानो तेजाजी- रै साथ-रो मान्या राम- जुहारा ल्होड़ा बैनोई ! मुजरो तो मान्यो तेजाजी - रै साथ-रो पोतो 'हाजर ला रे छोरा चाकर का ! अमलां री मनवारां तेजाजी - ₹ साथ-री सासू-नै जाय जुहारी कंवर तेजाजी सासू-ने जुहारी महीड़ो घमोड़ती मानो राय-जुहारा सासू म्हांरी ! मुजरो मानो तेजाजी-रै साथ-रो नित - राक्यां- रा राम - जुहारा लीलै घोड़ आळा ओ घर खायो नुगरा पावणां आया ज्यूं रे पाछा घिरो लीला रेवत । मुखड़ा - बोल संभाळ जरणी माता ! घर आया साजन ने दीनो ओळभो ले लै रुपियो रोक ओ लालां पाडोसण ! घड़ी दोय विलमावो परण्यै स्याम-ने थारा नै तूं ही मनाय पेमल गोरी ! साळी थारी लंबी लगाम कंवर तेजाजी ! गोरी तो लूनी पग-रै पागड़ साळी ने सेल वायो रे कंवर तेजाजी ! गोरी-ने वायो वळतो ताजणो करी गजब इन्याय ओ जरणी माता ! घर आया साजन नै दीनो ओलभो खाज काळो नाग कंवर तेजाजी ! म्हारी कूंकूं - री ढेरी नै वायो ताजणो विविध : ३२३ Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इथलव मुखड़ा-सूं बोल संभाळ ओ जरणी माता ! नाग खाजो ल्होड़ा वीर-नै कळजुग जोर वरतायो मे छोरी पेमल ! वीरै-सू वाल्हो परण्यो सायवो कद तैं लाड लडायो मे छोरी पेमल ! कद साज्या पीवर-सासरा -में लाड लडायो अजरणी माता! चंवरी-में साज्या पीवर-सासरा मनड़ा-में हुबस घड़ी परण्या सायब ! खरनाळे चालू तो पीळो ओढतूं पौढण-नै ठोड़ बतावो साळी म्हारी डाबरिया नैणां में निंदरा घुळ रही साळी थारो नेग मांगै रे कंवर तेजाजी ! गोरी तो मांगै खांडियो खोपरो नागाणो सहर वसै असाळी म्हारी ! बाळद भर लाऊं खारक-खोपरा री साळी म्हारी! गोरी-नै देऊंखारक-खोपरा रेसम बेज वणो रे कंवर तेजाजी! दावण तो धोळा पीळा पाट-री फूलां थारै सेज बिछाऊ कंवर तेजाजी ! ओसीचो दे लै रे चुड़लाळी बांय-रो सूतां नीदं न आवै अपेमल गोरी ! गूजरी कुरळायी बळतै काळजै सूरो थारो नांव सुण्यो कंवर तेजाजी ! गायां तो घेरी मीणां चोरटां घर भोमीयै जी-रै जावो लाछा गुजरी ! भोम तो खाव सहर पनेर-री भोमियां पैर वसै कंवर तेजाजी ! भोमियां-रै भेदां गायां नीकली घर गांव-धणी-रै जावो ए लाछा गुजरी ! हासल तो खाव सहर पनेर-री घर गांव-धणी-रै गयी ओ लाछा गुजरी........ गांव-धणी-नै जाय जुहारी लाछा गुजरी गायां तो घेरी मीणां चोरटां गांव-धणी घर नहीं लाछां गूजरी! कंवर तो भोळा घोड़ा दूबळा घर भांभी-रै जा ओ लाछा गुजरी ! हेलो तो पाडै चढती वार-रो कुंडां म्हारै पाण ठरै लाछां गूजरी! तुरियां पर चढिया तेजाजी-रा धोतिया नित-रा पाण ठारो रे बेटा भांभो-रा ! नित-का रेजो तागा टूटता घर ढोली-रै जा ओ लाछा गुजरी ! ढोल बजाव तिरवी (?) वार-रो ढोली जाय जुहारी लाछां गूजरी......" ढोलां डोर नहीं ओ लाछां गजरी ! डांको ले गया बाळक खेलता रेसम-री डोर करो बेटा ढोली-का ! डांको करो बीजळसार-रो सूरो थारो नांव सुण्यो कंवर तेजाजी ! गोरां-में रांभै बाळक-वाछड़ा घोड़ा पर जीण मांडो छोरा चाकर-का ! ....." कठे पड़यो पिलाण कंवर तेजाजी ! कठै तो पड्यो लीला-रो ताजणो पड़वै पड़यो पिलाण छोरा चाकर-का! खूटे तो पड़यो लीला-रो ताजणो ३२४ : अगरचन्द नाहटा अभिनन्दन-ग्रन्थ Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घोड़ो जोण नहीं झेलै कंवर तेजाजी ! आंसूड़ा नाखै कायर मोर ज्यूं अणतोलो घी दीनो लीला रेवत ! कारज-री विरियां माथो धूणियो लीलै-नै धीरज दे रे छोरा चाकर का ! सखरो तो पिलाण रेवत पागड़ो घोड़ा पर जीण मांडो सूरा बळवंत ! सखरो पिलाणो रेवत पागड़ो दे दे ओ भंवर-बंदूक सुंदर गोरी ! ढाल तरवार दादाजी-रै हाथ-री महंदी हाथ भरया ओ कंवर तेजाजी ! दस्तो लागैला भंवर-बंदूक-रै लागै तो लागण दे ओ सुंदर गोरी ! सैणां-री सैनाणी साथै हालसी साथै तो ले र पधारो कंवर तेजाजी ! झगड़-रो विरियां धुड़लो ढाबसू लुगायां-रो काम नहीं आ सुंदर गोरी ! सूरा तो जूझसी कायर कांपसी लुळकर सात सिलाम ओ सूरज नारायण ! परतंग्या राखजो परण्यै स्याम-री डूंगर चढ हांक करी कंवर तेजाजी चुग-चुग मारया मीणा चोरटा ओ ओ डागळिये चढ़ जोय छोरी दासी !............. ' अवड़-छेवड़ गायां वैव लाछा गुजरी ! विच-में वैव गजबी घूमतो खोल फळसै-री खील ओ लाछां गूजरी! गिण-गिण मेल्हो बाळक वाछुड़ा गामां म्हारी सगळी आयी ओ कंवर तेजाजी ! गायां-रो मांझी आयो नहीं काणो केरडो के तो सूरज-रो सांड करती कंवर तेजाजी ! कै करती रथ-रो बैलियो आयो ज्यूं पाछो घिर ज्या लीला रेवत ! लोयां-री तिसायी लाछा गुजरी मारगिया-सूं दूर हो जा ओ राजा वासग ! लीलै-रै खां में चीथ्यो जावसी मुखड़े-सू बोल संभाल कंवर तेजाजी ! घोड़े सूधी कर देऊं देवली वचन देयर पधारो कंवर तेजाजी !....... कुण साख भरै ओ राजा वासग ! कुण तो कहीजै रिंद-में सामदी चांद-सूरज साख भरै ओ लीलै घोडै आळा ! रिंद-में सायदी खांडियो खेजड़ो म्हां पर महर करो ओ राजा वासग !....... बावन भैरू साथ मेलो रे राजा वासग ! जून तो खेड़े-री चौसट जोगण्यां गायां म्हारी सगली आयी रे मीणां चोरटा ! गायां-रो मांझी नहीं आयो काणो केरड़ो कै सूरज-रो सांड ......'कै रथ-रो बैलियो आयो ज्यू रे पाछो घिर जा रे लीलै घोड़े आळा ! घोड़ सूधी कर दू थारी देवळी काणो केरड़ो हाजर लावो रे चुग-चुग तो मारू मीणा चोरटा मुख-सूतो बोल संभाल कंवर तेजाजी ! बैनड़ रे-कहीजै पुतर अकलो कद-री बैन लागै रे मीणां चोरटां! कद तो दीनी बैनड़-नै कांचळी गंगाजी में बैन करी रे कंवर तेजाजी ! पुसकर-दी पैड्यां-में दोनी कांचळी विविध : 325