Book Title: Tattvarthadhigama Sutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, Vijaydarshansuri, Yashovijay
Publisher: Motiji Kapurchand Tarachand

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Page 9
________________ ॥ प्रस्तावना ॥ जिनवाणीनी भन्यता अने विशाळता अनुपम छे, जगतमा एनी जोड शोधी न मळे. कोई एवी वस्तु नथी के कोई एवी विचारसरणी नथी, जे जिनवाणीए स्पर्शी न होय. श्री सर्वज्ञ देवे एमना संपूर्ण ज्ञानमा विश्वनी समग्र व हस्तामलकवत् निरखीने एना उपर एमनी दि०५ वाणीवडे अनुपम प्रकाश पाथर्यो छे. ए तेजना अंबारमा आंखो अंजाई जाय छे. एनी विशालता निहाळीने हैयु चकित बने छे. ___ मर्यादित बुद्धिना मानवीना हैयामां ए अगाध ज्ञानने उतारवा माटे एने योग्य मर्यादामा संकलित करीने पू. गणधर देवोए द्वादशांगी गूंथी. ए द्वादशांगीनी विशाळता पण कल्पनातीत छे, एवी द्वादशांगीमा रहेला मात्र गणत्रीना सूत्रोमा वाचकवर्य पू. श्री उमास्वातिजी भगवंते अद्भुत ज्ञानवळथी अनेक मूढ तत्वोने समावीने एक कप कार्य कयु. अजब ज्ञानप्रतिभावडे जैन तत्वज्ञाननी सर्व वस्तुओ अतिशय सुंदरताथी, मनोहर गीर्वाण गिरामां, तलस्पशी रीते, तेओश्रीए तत्वार्थाधिगमना सूत्रोमां गोठवी, ढूंका ढूंका सूत्रोमां, गीर्वाणगिरानी सुंदर गूंथणीमा, योग्य क्रमपूर्वक समग्र तत्वज्ञान, तेओश्रीए आ सूत्रमा भयु.. सम्यग्ज्ञानमीमांसा अने सम्यगदर्शनमीमांसा, सम्यचारित्रमीमांसा अने जगत्मीमांसा अपूर्व भाववाही आगमिक शैलीए तेमणे निरूपी छे, नवतस्वनी गूंथणी आकर्षक बनावी छे. एक एक सूत्रमा अनेक भाववाही हकीकतो तेमणे समावी छे. 'अल्पाक्षरैः बहान् सूत्रयातीति सूत्रम्" ए उक्तिने एमणे संपूर्ण न्याय आप्यो छे. महत्वनी अनेक बाबतो थोडा ज शब्दोमां कही देवी ए खूब ज मुश्केल वात छे. एक वस्तु विषयक सर्व बाबतो एकाद सूत्रमा समावी देवा माटे सर्वदेशीय ज्ञाननी आवश्यकता रहे छे. वाणीविलासना आजना युगमा आपणे तो जाणीए ज छीए के एक नानांशी बात कहेपा माटे कलाकोना कलाकों लेवाय छे अथवा पानानां पानाओ भराय छे. विशाळताने टुंकाणमा समाववानुं काम वाचकवर्थ श्री उमास्वातिजीने स्वभावसिद्ध जहतुंएम सिद्ध थाय छे. जैन दर्शननी समग्र वातोएमएवी सरस रीते प्रकाशित करी छे के-आजे लगभग बे हजार वर्ष पछी पण जैन दर्शन संबंधी ट्रंकमा एकी साथे माहिति मेळयवा माटे आपणी नजर तचास्त्र उपर ठरे छे. जैनोनो समय तत्ववाद एमां ठलवायो छे. नयवाद अने निक्षेपवाद, प्रमाणवाद अने अनेकांतवाद अने गहन कर्मवाद : एमां समाया छे. अहिंसा अने सत्यना सोनेरी सूत्रो एमा अलंकृत बन्या छे. आत्मानी अनंत शक्तिनी घोषणा एमां थई छ. आत्मा समक्ष राखg जोईतुं अनुपम, ध्येय एमां

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