Book Title: Tarayana
Author(s): Shankuk, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 103
________________ ७४ तारायणो १५६ Morrom y २३ ४४ १४१ १.४२ दावेतो चिय फुल्ल दूरूहविरहभुयंगम ण भणह किमुज्जुयं गंदंतु ते कइंदा नियपडिवि नूणं घणुम्मि तुह पडिवण्णचरम पडिवत्ति अकरंति पढमसुरयम्मि पण ईण देव दितो परदेसदेउल पवसणमणदइय पायालोअरणमणा पियपरिरंभ फुरियपयावस्स बहुलक्खएण बहुसोहग्गाउ बाहिं तुह दंसण भुवणब्भंतरसइ मयणनिवासो त्ति महणे तिहुयण मह दइयासम मा झत्ति तुज्झ दंसण मारुयतोत्तयसंचो मुक्कजराए वि तुह रयमुम्मुरनिन्भर our » 9ur mr mur रेहइ मियंकबिंब रोवंतु नाम तं वडवानलसंवलियं वयणं फुरंतरयणं वाएण दूस हेण वावय तुह खित्त विजुकढिज्जत वियसई तुमं ति विसमेहिं सरेहि सकयग्गहरहसु सच्छप्पय कमल सज्जावेसालोयण समनित्ताइ वि घरिणीए सम्वगयस्स विवासो सम्वे त्रि कया सहियाण सयं कवियं संपुण्णकोसदड सिसिरो वि तुह सुयणो दोसे वि सुरचावोलवण सुहउ त्ति जियह सुंदेस्तुलियकंदप्प सो जयइ जएक्क सो जयइ जस्स हा हा संतं पाव ७ WW ४१ .. १४६ . १४८ ८६ १६० ० ० m १६८ ~ १५० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 101 102 103 104 105 106 107 108 109