Book Title: Tapagachhiya Tithi Pranalika Ek Tithi Paksh
Author(s): Vijaynandansuri
Publisher: Vijaynandansuri

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ 2. तुम लोग अपनी संमति सूचन लेने आये हो तो क्या हस्ताक्षर करनेवाले दोनों आचार्यों को पूछकर आये हो ? या अपने आप ही । प्रत्युत्तर में शेठ ने बताया कि मैं अपने आप ही आया हूँ। यह सुनकर हमने कहा कि तो हमारी संमति या सूचन का क्या उपयोग कल वे दोनों आचार्य में से कोई ऐसा कहेंगे कि हमें उनकी संमति या सूचन की कोई आवश्यकता नहीं है, तो हमारे सूचन का क्या मतलब? तथापि यदि आप को हमारे सूचन की जरूरत हो तो आपका यह जो ड्राफ्ट है उसकी जगह फिरसे नया ड्राफ्ट बनाकर उसमें दोनों पक्ष के चार चार आचार्य की संमति लेना लिखना । पहले ड्राफ्ट में दोनों आचार्यों के हस्ताक्षर लेकर बाद में चार इस पक्ष के आचार्यों के और चार उसी पक्ष के आचार्यों के हस्ताक्षर लेने चाहिये । 3. कहीं भी शास्त्रार्थ लिखित हो ही नहीं सकता । जाहिर और मौखिक शास्त्रार्थ ही शास्त्रार्थ कहलाता है। महान् कवि व विद्वान् पंडित श्रीहर्ष ने "खंडन खंडखाद्य" में बताया है कि "कथायामेव निग्रहः” । वादी और प्रतिवादी के लेखन में निग्रह नहीं कहा है । 4. हम शास्त्रार्थ करने के लिये तैयार है, किन्तु जाहिर व मौखिक शास्त्रार्थ करना हो तो अपनी संमति है । भले ही अपने सामने बारह रामचंद्रसूरि आयें या बारह सो (1200) कल्याणविजय आयें । किन्तु जाहिर व मौखिक रीति से हो तो हम खुशी से तैयार हैं। और उसमें जो सत्य सिद्ध होगा उसका स्वीकार करने को भी तैयार हैं । हमारा किसी भी प्रकार का आग्रह मत समझना । बाकी लिखित में तो कोई पक्ष की ओर से 500 देंगे तो किसी पक्ष की ओर से 1000 देंगे। कोई 2000 भी दे सकते हैं। शेठ ने कहा कि इसमें ऐसा नहीं होगा | हमने कहा नहीं होगा तो कल्याणकारी, किन्तु जाहिर व मौखिक शास्त्रार्थ हो तो ही उसमें अपनी संमति है । 15 बाद में शेठ ने कहा कि अब आप को दूसरा कुछ भी न कहना हो तो हम जाते हैं । उसका प्रत्युत्तर देते हुये हमने कहा कि तुम लोग कुरान व तलवार लेकर आये थे ऐसा मत समझना । अपने ड्राफ्ट में आप संमति दो अन्यथा सर्व दोष आप के शिर पर है ऐसा मत समझना । हम अपने स्वभाव के अनुसार जोर से चिल्लाकर बोलते हैं किन्तु किसी भी प्रकार का अनुचित हम नहीं बोलते हैं । बाद में शेठ खड़े हुये और वंदन करके अनुज्ञा मांगी । ठीक उसी वक्त हमने अपना लिखा हुआ ड्राफ्ट शेठ को दिया और कहा कि लीजिए यही हमारा उत्तर है। ड्राफ्ट लेकर सीढी नीचे उतरते उतरते शेठ बोले कि मुझे उचित लगेगा तो मैं यह ड्राफ्ट दूंगा । अतः हमने शेठ को बोला आपने जिस कार्य के लिये अपनी संमति या सूचन लेने के लिये आये थे यदि उसकी आवश्यकता हो तो देना । अन्यथा जैसी आपकी इच्छा । विजयनन्दनसूरि N. B. बोटाद में शेठ श्रीकस्तूरभाई के साथ उपर्युक्त जो बात हुयी थी वही बात शब्दशः हमने आ. श्रीविजयरामचंद्रसूरिजी को वि. सं. 1999 में श्रीगिरिराज उपर जब हमें मिले तब कही थी। सूचना (वि. सं. 2027 के दिवार पंचांग से) शास्त्राज्ञा व सुविहित परंपरा के अनुसार श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छीय श्री संघ को वि. सं. 2028 में अगले वर्ष में श्री संवत्सरी महापर्व की आराधना भाद्रपद शुक्ल दूसरी चतुर्थी, मंगळवार, ता. 12-9-1972 के दिन करनी है विजयनन्दनसुर (वि. सं. 2028 के दिवार पंचांग से)

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17