Book Title: Tapagaccha Gurvavali Swadhyaya Author(s): Bhuvanchandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ ओप्रिल-२००७ 23 [गुरुस्तुति श्री नाभिनंदन जिनेष कुरुष्व शांते / शांति सतामभयदा करता गमार्हद्यक्ष: प्रभो विजयदान गुरोः प्रसन्न ||1|| श्रीतीर्थराजः पदपभ सेवा-हेवाकि देवासुर-किंनरेश / / ___गंभीरगीस्तारतरा वरेण्य / प्रभावदाता ददतां शिवं वः // 1 // कल्याणसारसविता नहरिक्ष मोह / कंतरवा रणसमान जवाद्य देव / धर्मार्थकामद महोदय वीरधार / सोमप्रभाव परमागम सिद्धिसूरे / / 1 / / (3) [विजयहीरसूरि गीत होरजी, तंबोले सोहइ नवरस रंगा / तेरे गुन बहु हीरविजयसूरि / पुरुषरयण तुंहि चंगा // 1 // तंबोले पान सुधारस वाणि तुम्हारी गाजति नई जउं गंगा रे / करण पवित करती दुख हरती / होवति निरमल अंगा // 2 // हीरजी तंबोले० सो प्यारी सारी तुम सेवा, अहनिसि करइ रही संगा रे / सो नर सुख संपति जय पामइ / कीरति आय अभंगा रे // 3 // हीरजी तंबोले० साईं नाथीनंदन कइसउ, उर काचउ सहु जाणउ रे / हंसराज कहइ मुगतिनउ अरथी / तंबोल या मुखि आणउ रे // 4 // हीरजी तंबोले० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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